एली वीजे़ल का उपन्यास नाईट(Night) हमें यहूदियों के सत्यानाश(Holocaust) से स्पष्ट रूप से सामना कराता है l नाज़ी मृत्यु शिविरों में खुद के अनुभवों पर आधारित, विजेल का वृतांत बाइबल की निर्गमन की कहानी को पलटता है l जबकि पहले फसह के पर्व पर मूसा और इस्राएली लोग दासत्व से निकल गए (निर्गमन 12), वीजे़ल नाज़ी लोगों द्वारा फसह के पूर्व के बाद यहूदी अगुओं की गिरफ्तारी बताता है l 

कदाचित हम वीजेल और उसके दू:खद व्यंगोक्ति की आलोचना करें, विचार करें कि बाइबल में उसी प्रकार साजिश में मोड़ वर्णित है l फसह की रात, यीशु, परमेश्वर के लोगों को पीड़ा से मुक्त करना चाहता था, उसके स्थान पर अपने हत्यारों को उसे गिरफ्तार करने की अनुमति देता है l 

यूहन्ना हमें यीशु की गिरफ्तारी से पहले का वह पवित्र दृश्य उपलब्ध कराता है। जो उसके साथ होनेवाला था, उससे “आत्मा में व्याकुल” होकर उसने अंतिम भोज में अपने विश्वासघात की भविष्यवाणी की (यूहन्ना 13:21) l फिर अपने एक कार्य द्वारा जिसे शायद ही हम समझ सकते हैं, मसीह ने उसे गिरफ्तार करनेवाले को रोटी परोसी l वर्णन इस प्रकार है : “वह टुकड़ा लेकर तुरंत बाहर चला गया; और यह रात्री का समय था” (पद.30) l इतिहास का सबसे बड़ा अन्याय होने जा रहा था, फिर भी यीशु ने घोषणा की, “अब मनुष्य के पुत्र की महिमा हुयी है, और परमेश्वर की महिमा उसमें हुई है” (पद.31) l अब कुछ ही घंटों में चेले घबराहट, हार, और त्यागे जाने का अनुभव करेंगे l परंतु यीशु ने परमेश्वर की योजना को पूर्ण होते देखा जो उसी तरह पूरी होनी थी l 

जब ऐसा लगता है कि अंधकार जीतने वाली है, तो हम याद कर सकते हैं कि परमेश्वर ने अपने अंधकारमय रात का सामना किया और उसे हराया। वह हमारे साथ चलता है l और रात सदैव नहीं रहेगी।