राज ने अपनी युवास्था में यीशु पर उद्धारकर्ता के रूप में भरोसा किया था, लेकिन जल्द ही, वह विश्वास से भटक गया और परमेश्वर से अलग जीवन व्यतीत करने लगा l फिर एक दिन, उसने यीशु के साथ अपने रिश्ते को नया करने और चर्च वापस जाने का फैसला किया—सिर्फ़ एक महिला द्वारा डांटे जाने के लिए जिसने उसे इतने वर्षों तक अनुपस्थित रहने के लिए फटकार लगाई l इस डांट ने राज के वर्षों के भटकने में शर्म और ग्लानी की भावना को और बढ़ा दिया l क्या मैं आशा से परे हूँ? उसने आश्चर्य किया l तब उसने स्मरण किया कि कैसे मसीह ने शमौन पतरस को पुनर्स्थापित/पुनरुद्धार किया था (यूहन्ना 21:15-17) यद्यपि उसने उसका इनकार किया था (लूका 22:34, 60-61)

पतरस ने जो भी डांट की उम्मीद की होगी, उसने केवल क्षमा और पुनर्स्थापना प्राप्त की थीl यीशु ने पतरस के इनकार का उल्लेख भी नहीं किया, बल्कि उसे मसीह के प्रति अपने प्रेम की पुष्टि करने और अपने अनुयायियों की देखभाल करने का मौका दियाI (यूहन्ना 21:15-17) पतरस के इनकार करने से पहले यीशु के शब्द पूरे हो रहे थे : “जब तू फिरे, तो अपने भाइयों को स्थिर करनाI” (लूका 22:32) 

राज ने परमेश्वर से उसी क्षमा और बहाली/पुनरुद्धार को माँगा, और आज वह न केवल यीशु के साथ निकटता से चल रहा है बल्कि एक चर्च में सेवा कर रहा है और अन्य विश्वासियों का भी समर्थन कर रहा है l इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम परमेश्वर से कितनी दूर चले गए हैं, वह न केवल हमें क्षमा करने और वापस स्वागत करने के लिए तैयार है बल्कि हमें पुनर्स्थापित/हमारा पुनरुद्धार करने के लिए भी तैयार है ताकि हम उससे प्रेम कर सकें, उसकी सेवा कर सकें और उसकी महिमा कर सकें l हम कभी भी परमेश्वर से अधिक दूर नहीं हैं : उसकी प्रेममयी बांहे खुली हुयी हैं l