कोरोना महामारी अपनी तरह की पहली महामारी नहीं है। गूगल मुझे बताती है कि पूरे इतिहास में 20 से अधिक सूचित महामारियाँ हुई हैं। इतिहास में पहली रिकॉर्ड की गयी महामारी ई.सन् 165-180 में ‘एंटोनाइन प्लेग’ से शुरू होती है, जिसमें लगभग 50 लाख लोग मारे गए थे, ‘ब्लैक डेथ’ ने पूरे यूरोप में लगभग 20 करोड़ लोगों का जान ले लिया था, ‘स्पेनिश इन्फ्लुएंजा’ से 350 लाख लोग मारे गए और एचआईवी/ एड्स चलती रहने वाली महामारी है। जब मैंने इसे पढ़ा, यह मुझे ध्यान आया, हालाँकि, कि यद्यपि ‘नोवल कोरोना वायरस’ का यह वर्तमान प्रकोप अब तक जितने भी लोगों की जान लिया है, वह इसके पहले के महामारी के मुताबिक बहुत कम हैं, पर यह जानलेवा बीमारी का संक्रमण होने का तरीका और विशेष रूप से लॉकडाउन, हमारे अपने देश और दुनिया भर में स्थिति को देखते हुए बहुत डर पैदा किया है – अज्ञात का भय।

मुझे नहीं लगता कि हमारी पीढ़ी हाल के दिनों में अशांति की ऐसी दौर से गुज़री है, और हालाँकि भारत अभी भी दुनिया भर के अन्य देशों जैसे इटली, ईरान या चीन के जैसे प्रभावित नहीं हुआ है, लेकिन अभी भी बहुत बड़ी अशांति और चिंता है। हाल ही में ‘जनता कर्फ्यू’ जो स्वैच्छिक था, अब बढ़ा दिया गया है और यह अपनी तरह का पहला है जिसे मैं याद कर सकती हूं। मेरी मां मुझे बताती है कि युद्ध की अवधि के दौरान इस तरह के कर्फ्यू आम थे, लेकिन मैंने इसे कभी नहीं देखा, यह मेरे लिए अविश्वसनीय है। यह आश्चर्यजनक है कि आप अपने खुद के घर, अपनी सुरक्षा की जगह में विदेशी जैसे महसूस कर सकते हैं। आखिरकार, आपके पास आवश्यकता का सब कुछ है जैसे भोजन, कपड़ा, आश्रय और आपका परिवार फिर भी आतंक का भाव है, अज्ञात का डर है।

ऐसे अनिश्चित समय में, मुझे एक विशेष गीत में आराम मिलता है जिसे सुनते हुई मैं बड़ी हुई। 19वीं शताब्दी में होराशियो स्पैफ़ोर्ड द्वारा लिखित गीत के बोल कहते हैं :

“गर राहत के चश्मों से होवे गुज़र,

गर दुखों का होवे सामान,

जो हिस्से में आवे मैं गाऊंगा यह,

है खुशहाल, है खुशहाल, मेरी जान ।

स्पैफर्ड ने आश्वासन के इस गीत को महान व्यक्तिगत उथल-पुथल के समय लिखने के लिए चुना। ‘शिकागो फायर’ के दौरान अपनी आर्थिक सम्पति खो देने के पश्चात, उसके पीछे से अपने बच्चों को एक जहाज़ की तबाही में खो दिया। उनकी पत्नी इस तबाही से बच गईं, और उन्हें प्रसिद्ध टेलीग्राम भेजा, जिसमें कहा गया था कि ‘अकेले बचा ली गयी‘ । वास्तव में, स्पैफर्ड जानता था कि ‘अज्ञात के डर’ का सामना क्या होता है। क्योंकि वह नहीं जानता था कि उसका भविष्य क्या होगा,  हालांकि, वह जानता था कि वह अपने बच्चों को फिर कभी नहीं देख पाएगा। इस जीवन को बदलने वाली आपदा के बाद जब वह अपने पत्नी से मिलने के लिए अटलांटिक महासागर, अपने बच्चों के जल समाधी, की यात्रा किया, उसने कागज़ पर कलम चलायी और उसकी खंडित आत्मा से यह अमर शब्दों निकले ।

स्पैफर्ड को सुरक्षा और आराम का एक स्थान मिला, उनके दिल में एक गहरी जगह जो जीवन की उग्र और सर्वदा बदलती परिस्थितियों के बीच में भी शांत थी। उसने केवल जीवन की एक कभी न बदलने वाली वास्तविकता को थामा, उसने अनंत भलाई और अनंत प्रेम करने वाले एक सर्वज्ञानी परमेश्वर को थामा।

बाइबल मत्ती 10:29 में कहती है क्या पैसे में दो गौरैयें नहीं बिकतीं? तौभी तुम्हारे पिता की इच्छा के बिना उनमें से एक भी भूमि पर नहीं गिर सकती।” यदि परमेश्वर को गौरैयों की इतनी परवाह है, तो क्या वह आपकी परवाह नहीं करेगा?

लॉकडाउन में बैठे हुए, कभी-कभी हम ऊब जाते हैं और अन्य समय में भयभीत होते हैं। पर अपनी खिड़की के बाहर चहकते पक्षियों से मुझे आश्वासन मिलता हैं  कि हर परिस्थिति में, जब हम मसीह में छिपे रहते हैं, तो है खुशहाल, है खुशहाल, मेरी जान।

-रिबकह विजयन