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Articles by इवोन मॉर्गन

दिव्यता से पंक्तिबद्ध

मैं बहुत परेशान था और रात में जाग कर आगे-पीछे चलते हुए प्रार्थना करने लगा lसच में कहूँ, तो मेरा रवैया परमेश्वर के प्रति प्रार्थनापूर्ण समर्पण का नहीं था, बल्कि सवाल और गुस्से का था lकोई आराम नहीं मिलने पर, मैं बैठ गया और एक बड़ी खिड़की के बाहर रात के आकाश को घूरने लगा lमेरा ध्यान अप्रत्याशित रूप से तारों पर केन्द्रित हो गया – वे तीन तारे जो पूरी तरह से व्यवस्थित हैं और जो अक्सर स्पष्ट रातों में दिखाई देते हैं l मैं खगोल विज्ञान सेबस इतना समझ सकता था कि वे तीन तारे एक दूसरे से सैंकड़ों प्रकाश वर्ष(light years)दूर हैं l

मुझे अहसास हुआ कि मैं उन तारों के जितना करीब जाऊँगा, वे उतना ही कम पंक्तिबद्ध दिखाई देंगे l फिर भी मेरे दूर के दृष्टिकोण से, वे आकाश में सावधानी से पंक्तिबद्ध दिखायी देते थेl उस पल, मुझे अहसास हुआ कि मैं यह देखने के लिए अपने जीवन के बहुत करीब था कि परमेश्वर क्या देखता है l उसकी बड़ी तस्वीर में, सब कुछ सही पंक्ति में है l

प्रेरित पौलुस, जब परमेश्वर के अंतिम उद्देश्यों का सारांश पूरा करता है, उसके अन्दर से प्रशंसा का एक भजन फूटता है (रोमियों 11:33-36) l उसके शब्द हमारे परम परमेश्वर के की ओर हमारी निगाहें उठाते हैं, जिनके तरीके समझने या खोजने की हमारी सीमितक्षमतासे परे हैं (पद.33) l फिर भी जो आकाश में और पृथ्वी पर सभी चीजों को एक साथ थामता है, वह हमारे जीवन के प्रत्येक विवरण के साथ बहुत निकट से और प्रेमपूर्वक शामिल है (मत्ती 5:25-34; कुलुस्सियों 1:16) l

जब चीजें भ्रामक लगें, परमेश्वर की दिव्य योजनाएं हमारी भलाई और परमेश्वर के आदर और महिमा के लिए खुलती है l

घंटी

जॉनसन ने बचपन से एक नौसेना कमांडो बनने का सपना देखा था – एक महत्वकांक्षा जिसने वर्षों तक शारीरिक अनुशासन और आत्म-बलिदान का नेतृत्व किया l अंततः उसने ताकत और धीरज के भीषण परीक्षणों का सामना किया, जिसमें प्रशिक्षुओं द्वारा संदर्भित “नरक सप्ताह” भी शामिल था l 

जॉनसन शारीरिक रूप से थकानेवाले प्रशिक्षण को पूरा करने में असमर्थ रहा, और कमांडर और अन्य प्रशिक्षुओं को कार्यक्रम छोड़ने के अपने चुनाव के विषय सूचित करने के लिए अनिच्छा से एक घंटी बजा दी l ज्यादातर के लिए, यह एक विफलता की तरह महसूस होता l लेकिन अत्यधिक निराशा के बावजूद, जॉनसन ने बाद में अपने सैन्य विफलता को अपने जीवन के काम की तैयारी के रूप में देख पाया l  

प्रेरित पतरस ने असफलता के अपने रूप का अनुभव किया l उसने साहसपूर्वक यह घोषणा की कि वह जेल या मृत्यु तक भी यीशु के प्रति वफादार रहेगा (लूका 22:33) l फिर भी बाद में वह फूट-फूट कर रोने लगा जब उसने इनकार किया कि वह यीशु को जानता था (60-62)  l लेकिन परमेश्वर के पास उसकी असफलता से परे योजनाएँ थीं l पतरस के इनकार करने से पहले, यीशु ने उसे सूचित किया, “मैं तुझ से सच कहता हूँ कि तू पतरस है, और मैं इस पत्थर पर अपनी कलीसिया बनाऊँगा, और अधोलोक के फाटक उस पर प्रबल नहीं होंगे” (मत्ती 16:18; लूका 22:31-32 को भी देखें) l 

क्या आप असफलता से जूझ रहे हैं जिससे आप आगे बढ़ने के लिए अयोग्य या अपात्र महसूस कर रहे हैं? असफलता की बजती हुयी घंटी को आप के लिए परमेश्वर के बड़े उद्देश्यों को छोड़ने का कारण न बनने दें l

अपनी आवाज़ का उपयोग करें

मुझे एक विश्वविख्यात पियानोवादक से मुलाकात करने के लिए आमंत्रित किया गया l इसलिए कि संगीत में ही मेरी परवरिश हुयी – वायलिन और पियानो बजाना, और मुख्यतः चर्च और अन्य अवसरों के लिए एकल गीत गाना – मैं इस अवसर के लिए अति आनंदित था l  

जब मैं पियनो वादक से मिलने पहुँचा, मैंने पता चला कि वह अंग्रेजी कब बोलते थे; और मैं चकित हुआ जब उन्होंने मुझे बजाने के लिए सेलो दी l वायलिन के परिवार का एक वाद्ययंत्र जिसे मैंने कभी स्पर्श तक नहीं किया था l उन्होंने जिद्द की कि मैं सेलो बजाऊँ और वह मेरा साथ देंगे l मैंने कुछ एक सुर बजाते हुए, अपने वायलिन प्रशिक्षण की नकल उतारने की कोशिश की l अंततः स्वीकारते हुए कि मैं भटक गया हूँ, हम जुदा हुए l

मुझे होश आया कि वह परिदृश्य एक सपना था l परन्तु इसलिए कि मेरे सपने में उपस्थित संगीत पृष्ठभूमि वास्तविक थी, मेरे मन में ये शब्द देर तक रहे, तुमने उनको क्यों नहीं बताया कि तुम गा सकते हो?

परमेश्वर दूसरों के लिए हमारे स्वाभाविक गुणों और हमारे आत्मिक वरदानों को विकसित करने के लिए सज्जित करता है (1 कुरिन्थियों 12:7) l बाइबल के प्रार्थनामय पठन के द्वारा और दूसरों के बुद्धिमान सलाह से, हम आत्मिक वरदान (या वरदानों) को जो अद्वतीय रूप से हमारे हैं बेहतर समझ सकते हैं l प्रेरित पौलुस हमें स्मरण दिलाते हैं कि जो भी हमारे आत्मिक वरदान हैं, हमें समय निकलकर उन्हें खोजना है और उनका उपयोग करना है, यह जानते हुए कि आत्मा “जिसे जो चाहता है” उसे बाँट देता है (पद.11) l

आइए हम पवित्र आत्मा द्वारा हमें दी गयी “आवाजों” को परमेश्वर का आदर करने और यीशु में विश्वासियों की सेवा करने में उपयोग करें l

रात को जागना

मेरे कॉलेज के दिनों में, गर्मियों के मेरे दिन कोलोराडो के बेहद सुन्दर पहाड़ो के एक अतिथि फार्म/बड़े खेत पर काम करते हुए बीतते थे l बारी के आधार पर, कर्मचारियों को – सोते हुए अतिथियों की सुरक्षा हेतु जंगल की आग पर ध्यान रखने के लिए - “रात को जागने” की ड्यूटी दी जाती थी l जो पहले एक थका देनेवाला और कृतघ्न काम महसूस होता था मेरे लिए शांत रहकर, चिंतन करने, और परमेश्वर की उपस्थिति के ऐश्वर्य में आराम पाने का एक अद्भुत अवसर बन गया l

राजा दाऊद उत्सुकता से परमेश्वर की उपस्थिति को अपने बिछौने पर से और “रात के एक एक पहर में” (पद.6) ढूढ़ता था और उसके लिए प्यासा था (भजन 63:1) l भजन स्पष्ट करता है दाऊद परेशान था l ऐसा संभव है कि इस भजन के शब्द उसके पुत्र अबशालोम के विद्रोह पर उसका गहरा दुःख प्रगट कर रहे हों l फिर भी यह रात दाऊद के लिए “[परमेश्वर] के पंखों की छाया में” (पद.7) – उसकी सामर्थ्य और उपस्थिति में - सहायता और आरोग्यता/तरोताज़गी पाने का समय बन गया l

शायद आप अपने जीवन में किसी संकट या कठिनाई से निकल रहे है, और रात को जागना विश्राम देनेवाला नहीं रहा है l शायद आपका “अबशालोम” आपके हृदय और आत्मा पर भारी है l या परिवार, कार्य, या आपकी आय का बोझ आपके विश्राम के समय को नष्ट कर रहा है l यदि ऐसा है, इन अनिद्र क्षणों को परमेश्वर को पुकारने और उससे लिपटने का अवसर बना लें – उसके प्रेमी बाहों को आपको थामने दे (पद.8) l