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Articles by जेम्स बैंक्स

ये सब विपत्तियाँ मेरे ऊपर आ पड़ी हैं

“आज सुबह मेरे मन में विचार आया कि मेरा मूल्य बहुत अधिक है; और इस समय मुझे नहीं पता कि मेरे पास एक डॉलर भी है।”” अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति यूलिसिस एस. ग्रांट ने ये शब्द उस दिन कहे थे, जब एक बिजनेस पार्टनर ने उनके जीवनभर की बचत को ठग लिया था। कई महीनों के बाद पता चला कि ग्रांट को लाइलाज कैंसर है। अपने परिवार के लिए प्रबंध करने के बारे में चिंतित होकर, उन्होंने अपने उन संस्मरणों को जिनको उन्होंने अपनी मृत्यु से एक सप्ताह पहले पूरा किया था,प्रकाशित करने के लिए लेखक मार्क ट्वेन की ओर से मिले एक प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया।

बाइबल हमें एक और व्यक्ति के बारे में बताती है जिसने गम्भीर कठिनाइयों का सामना किया था। याकूब ने विश्वास कर लिया था कि उसके पुत्र यूसुफ को किसी “जंगली पशु” के द्वारा “फाड़” डाला गया था (उत्पत्ति 37:33)। बाद में उसके पुत्र शिमोन को पराए देश में बंधुआ बना लिया गया, और याकूब को इस बात का डर था कि उसका पुत्र बिन्यामीन भी उससे ले लिया जाएगा। इनसे बहुत अधिक परेशान होकर ,वह चिल्ला उठा, “ये सब विपत्तियाँ मेरे ऊपर आ पड़ी हैं!” (42:36)।

परन्तु ऐसा नहीं था। याकूब को मालूम नहीं था कि उसका पुत्र यूसुफ अभी भी जीवित है और परमेश्वर उसके परिवार को बहाल करने के लिए “पर्दे के पीछे” से काम कर रहा है। उनकी कहानी उदाहरण के साथ इस बात की व्याख्या करती है कि भले ही हम अपनी परिस्थितियों में उसका हाथ न देख पाएँ, पर उस समय भी परमेश्वर पर भरोसा किया जा सकता है। 

ग्रांट के संस्मरण एक बड़ी सफलता साबित हुए और उनके परिवार की अच्छी देखभाल हुई। यद्यपि वह इसे देखने के लिए जीवित नहीं रहे, परन्तु उनकी पत्नी ने यह देखा। हमारी दृष्टि सीमित है, परन्तु परमेश्वर की नहीं। और हमारी आशा के रूप में यीशु के साथ, “यदि परमेश्‍वर हमारी ओर है, तो हमारा विरोधी कौन हो सकता है?” (रोमियों 8:31) आइए हम आज उस पर अपना भरोसा रखें।

प्रोत्साहन का उपहार

“आपकी मधुमक्खियाँ जानेवाली हैं!” मेरी पत्नी मुझे बतायी जो कोई भी मधुमक्खी पालक सुनना पसंद नहीं करता l मैं बाहर जाकर हज़ारों मधुमक्खियों को अपने छत्ते से निकलकर ऊँचे चीड़ पर जाते देखा जो फिर लौटने वाली नहीं थीं l

मैंने संकेत थोड़ी देर से पढ़ी कि मधुमक्खियाँ झुण्ड बनाकर छत्ता छोड़ने वाली थीं; आंधी ने मेरे निरीक्षणों को बाधित कर दिया था l जिस सुबह तूफ़ान थमा, मधुमक्खियाँ जा चुकी थीं l छत्ता नया और स्वस्थ था, और मधुमक्खियाँ वास्तव में एक नयी शुरुआत करने के लिए छत्ते को विभाजित कर रही थीं l एक अनुभवी मधुमक्खी पालक ने मेरी निराशा को देखकर ख़ुशी से बोला, “अपने आप पर कठोर मत बनो l” “यह किसी के साथ भी हो सकता है!”

प्रोत्साहन एक सुखद उपहार है l जब दाऊद निराश हुआ, क्योंकि शाऊल उसको मारने हेतु उसका पीछा कर रहा था, तब शाऊल का पुत्र योनातान ने दाऊद को उत्साहित किया l योनातान ने कहा, “मत डर; क्योंकि तू मेरे पिता शाऊल के हाथ में न पड़ेगा; और तू इस्राएल का राजा होगा, और मैं तेरे नीचे हूँगा; और इस बात को मेरा पिता शाऊल जानता है” (1 शमुएल 23:17) l

ये आश्चर्यजनक रूप से निःस्वार्थ शब्द हैं जो सिंहासन के सीध में खड़े किसी व्यक्ति के हैं l यह संभव है कि योनातान ने पहचाना कि परमेश्वर दाऊद के साथ था, इसलिए उसने विश्वास के विनम्र हृदय से बात की l

हमारे चारों ओर ऐसे लोग हैं जिन्हें उत्साहवर्धन चाहिए l परमेश्वर उनकी सहायता करने में हमारी मदद करेगा जब हम उसके सामने स्वयं को दीन करते हैं और उससे हमारे द्वारा उन्हें प्रेम करने के लिए कहते हैं l

परिणामों से परे आशा

क्या आपने गुस्से में कभी कुछ ऐसा किया है जिसके लिए बाद में आपको पछतावा हुआ? जब मेरा बेटा नशे की लत से जूझ रहा था, मैंने उसके पसंद के प्रतिक्रिया में कुछ कड़वी बातें बोला। मेरे गुस्से ने उसे केवल और अधिक हतोत्साहित कर दिया। लेकिन अंत में वह विश्वासियों से मिला जिन्होंने उस से जीवन और आशा की बातें कीं, और कुछ समय में वह स्वतन्त्र हो गया। 

यहाँ तक कि मूसा जैसे विश्‍वास में अनुकरणीय व्यक्‍ति ने भी कुछ ऐसा किया जिसे उसने बाद में पछताया। जब इस्राएल के लोग मरुभूमि में थे और पानी की कमी थी, तब उन्होंने कटु होकर कुड़कुड़ाया। इसलिए परमेश्वर ने मूसा और हारून को विशेष निर्देश दिए: “ ...उस चट्टान से बातें कर, तब वह अपना जल देगी;...” (गिनती 20:8) लेकिन मूसा ने क्रोध में प्रतिक्रिया व्यक्त किया, चमत्कार के लिए परमेश्वर के बजाय खुद को और हारून को श्रेय दिया: “हे बलवा करनेवालों, सुनो; क्या हमको इस चट्टान में से तुम्हारे लिये जल निकालना होगा?” (पद 10). फिर उसने सीधे परमेश्वर का अवज्ञा किया और “तब मूसा ने हाथ उठाकर लाठी चट्टान पर दो बार मारी;” (पद 11)।

भले ही पानी बहा, लेकिन इसका दुखद परिणाम हुआ। न मूसा और न ही हारून को उस देश में प्रवेश करने का अनुमति मिला जिसे परमेश्वर ने अपने लोगों से वादा किया था। परन्तु वह फिर भी दयालु थे, उन्होंने मूसा को इसे दूर से देखने का अनुमति दीया (27:12-13)। 

मूसा की तरह, परमेश्वर अभी भी उसके प्रति हमारी अनाज्ञाकारिता के रेगिस्तान में हमसे दयापूर्वक मिलता है। यीशु के मृत्यु और पुनरुत्थान के द्वारा, वह हमें क्षमा और आशा प्रदान करता है। भले ही हम कहीं रहे हो या हमने कुछ किया हो, यदि हम उसकी ओर मुड़ें, तो वह हमें जीवन की तरफ अगुआई करेगा।

एक साल में बाइबिल

मेरे सामने के दरवाजे के बाहर जीवन की सुंदरता और उसकी संक्षिप्तता की याद देखने को मिलती है। पिछले वसंत में, मेरी पत्नी ने वहां मूनफ्लॉवर बेलें लगाईं थीं   उनके बड़े और गोल सफेद फूलों के खिलने के कारण उसका नाम मूनफ्लॉवर दिया गया है जो एक पूरे चांद जैसा दिखाई देता है। प्रत्येक फूल एक रात के लिए खिलता है और फिर अगली सुबह तेज धूप में मुरझा जाता है, और फिर कभी नहीं खिलता। लेकिन पौधा हरा भरा रहता है, और हर शाम यह ताजे फूलों से भर जाता है। हर दिन आते जाते हम इसे देखना पसंद करते हैं  और सोचते हैं कि जब हम लौटेंगे तो कौन सी नई सुंदरता हमारा स्वागत करेगी।

ये नाज़ुक फूल पवित्र शास्त्र के एक  सच की याद दिलाते हैं। प्रेरित पतरस ने भविष्यद्वक्ता यशायाह के शब्दों को याद करते हुए लिखा, तुमने नाशमान नहीं, परन्तु अविनाशी बीज से परमेश्वर के जीवते और सदा ठहरनेवाले वचन के द्वारा नया जन्म पाया है। क्योंकि, सब लोग घास के समान हैं, और उनकी सारी शोभा घास के फूल के समान हैघास सूख जाती है और फूल झड़ जाते हैं1”(पतरस 1:23–25। लेकिन वह हमें विश्वास दिलाता है कि परमेश्वर अपने वादों को हमेशा के लिए पूरा करता है! (पद 25)।

एक बगीचे में फूलों की तरह, अनंत काल की तुलना में पृथ्वी पर हमारा जीवन संक्षिप्त छोटा है। लेकिन परमेश्वर ने हमारी संक्षिप्तता में सुंदरता बोली है। यीशु के सुसमाचार के द्वारा, हम परमेश्वर के साथ एक नई शुरुआत करते हैं और उनकी प्रेमपूर्ण उपस्थिति में असीमित बहुतायत के जीवन के उसके वादे पर भरोसा करते हैं। जब पृथ्वी के सूर्य और चंद्रमा केवल एक यादगार स्मृति होगे तब भी हम उसकी स्तुति करेंगे।

आशा जो पकडे रखती है

"मुझे पता है कि पिताजी घर आ रहे हैं क्योंकि उन्होंने मुझे फूल भेजे हैं।" ये मेरी सात साल की बहन के शब्द थे जब पिताजी युद्ध के दौरान कार्रवाई में गायब थे। इससे पहले कि पिताजी अपने मिशन के लिए रवाना होते, उन्होंने मेरी बहन के जन्मदिन के लिए पहले से फूलों का ऑर्डर दिया, और जब वे गायब थे तब वे आ गए। लेकिन वह सही थी: पिताजी घर लौट आए - एक कठिन युद्ध की स्थिति के बाद। और दशकों बाद भी वह फूलदान रखती है जिसमें फूलों को हमेशा आशा रखने के लिए एक अनुस्मारक के रूप में रखा जाता है।

कभी-कभी टूटे हुए, पापी संसार में आशा को थामे रहना आसान नहीं होता है। पिताजी हमेशा घर नहीं आते और बच्चों की इच्छा कभी-कभी अधूरी रह जाती है। लेकिन प्रभु सबसे कठिन परिस्थितियों में आशा देता है। युद्ध के एक अन्य समय में, भविष्यवक्ता हबक्कूक ने यहूदा पर बाबेल के आक्रमण की भविष्यवाणी की थी (हबक्कूक 1:6; 2 राजा 24 देखें) लेकिन फिर भी पुष्टि की कि परमेश्वर हमेशा अच्छा है (हबक्कूक 1:12-13)। अतीत में अपने लोगों के लिए परमेश्वर की दया को याद करते हुए, हबक्कूक ने घोषणा की: “चाहे अंजीर के वृक्ष में अंजीर न लगें, और न दाखलताओं में दाखें लगें, चाहे जलपाई के पेड़ सूख जाएं, और खेतों में कुछ अन्न न उपजे, और बाड़े में भेड़ें न हों। और थानों में गाय-बैल न हों, तौभी मैं यहोवा के कारण आनन्दित रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर के कारण मगन हूं" (3:17-18)।

कुछ टीकाकारों का मानना है कि हबक्कूक के नाम का अर्थ "चिपकना" है। हम परीक्षाओं में भी अपनी परम आशा और आनन्द के रूप में परमेश्वर से लिपटे रह सकते हैं क्योंकि वह हमें थामे रहता है और कभी जाने नहीं देगा।

पूंछ और जीभ हिलाना

अखबार ने घोषणा की कि पेप ने गवर्नर की पत्नी की बिल्ली की जान ले है - लेकिन उसने ऐसा नहीं किया। एक बात जिसका वह दोषी हो सकता था वह थी के गवर्नर की हवेली में सोफा चबाने का।

पेप 1920 के दशक में पेंसिल्वेनिया के गवर्नर गिफोर्ड पिंचोट के स्वामित्व वाला एक तेजतर्रार युवा लैब्राडोर कुत्ता था। कुत्ते को वास्तव में ईस्टर्न स्टेट पेनिटेंटरी भेजा गया था, जहां कैदी की पहचान संख्या के साथ उसकी तस्वीर ली गई थी। जब एक अखबार के रिपोर्टर ने इसके बारे में सुना तो उसने बिल्ली की कहानी बनाई। क्योंकि उनकी रिपोर्ट अखबार में छपी थी, कई लोगों का मानना था कि पेप वास्तव में एक बिल्ली-हत्यारा था।

इसराएल का राजा सुलैमान अच्छी तरह जानता था कि गलत जानकारी की ताकत क्या होती है। उसने लिखा, “कानाफूसी करनेवाले के वचन स्वादिष्ट भोजन की नाईं लगते हैं; वे पेट में पच जाते हैं।” (नीतिवचन 18:8)। कभी-कभी हमारा पतित मानव स्वभाव हमें दूसरों के बारे में उन बातों पर विश्वास करने के लिए प्रेरित करता है जो सत्य नहीं हैं।

फिर भी जब दूसरे हमारे बारे में झूठ पर विश्वास करते हैं, तब भी परमेश्वर हमें भलाई के लिए उपयोग कर सकते हैं। वास्तव में, गवर्नर ने पेप को जेल भेज दिया ताकि वह वहां के कैदियों का दोस्त बन सके- और उसने कई वर्षों तक अग्रणी चिकित्सा कुत्ते के रूप में सेवा की।

दूसरे क्या कहते या सोचते हैं, इसकी परवाह किए बिना हमारे जीवन के लिए परमेश्वर के उद्देश्य अभी भी कायम हैं। जब दूसरे हमारे बारे में कानाफूसी करते हैं, तो याद रखें कि उसके विचार—और हमारे लिए उसका प्रेम—ही है जो अत्यधिक मायने रखता है।

स्तुति देना याद रखे

जब हमारी कलीसिया ने हमारी पहली इमारत का निर्माण किया, तो लोगों ने आभारी अनुस्मारक लिखे, दीवार के स्टड (इमारत के ढाँचे को सहारा देने वाले शुष्क दीवार के पीछे लंबवत बीम) और इमारत के इंटीरियर के समाप्त होने से पहले कंक्रीट के फर्श पर । स्टड से शुष्क दीवार को वापस खींच लें और आप उन्हें वहां पाएंगे। पवित्रशास्त्र से एक के बाद एक पद, स्तुति की प्रार्थनाओं के साथ लिखे गए हैं जैसे "आप कितने भले हैं!" हमने उन्हें भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक साक्षी के रूप में छोड़ दिया कि हमारी चुनौतियों के बावजूद, परमेश्वर दयालु बने रहे और हमारी देखभाल करते रहे।

हमें यह याद रखना चाहिए कि परमेश्वर ने हमारे लिए क्या किया है और दूसरों को इसके बारे में बताना चाहिए। यशायाह ने इसका उदाहरण दिया जब उसने लिखा, "मैं यहोवा की दया और अत्यन्त करूणा करके उस ने हम से जितनी भलाई, कि उस सब के अनुसार मैं यहोवा के करूणामय कामों का वर्णन और उसका गुणानुवाद करूंगा।" (यशायाह 63:7)। बाद में, भविष्यवक्ता पूरे इतिहास में अपने लोगों के लिए परमेश्वर की करुणा को भी याद करता है, यहाँ तक कि यह भी बताता है कि कैसे "उनके सारे संकट में उस ने भी संकट उठाया" (पद.9)। परन्तु यदि आप अध्याय पढ़ते रहेंगे, तो आप देखेंगे कि इस्राएल फिर से संकट के समय में है, और भविष्यवक्ता परमेश्वर के हस्तक्षेप के लिए तरस रहा है।

परमेश्वर की पिछली दयालुता को याद करना कठिन समय में मदद करता है I चुनौतीपूर्ण मौसम आते हैं और चले जाते हैं, लेकिन उसका विश्वासयोग्य चरित्र कभी नहीं बदलता। जब हम उनके द्वारा किए गए सभी कामों की याद में कृतज्ञ हृदय से उनकी ओर मुड़ते हैं, तो हमें नए सिरे से पता चलता है कि वह हमेशा हमारी प्रशंसा के योग्य हैं।

भाई शाऊल

हे प्रभु, कृपया मुझे कहीं भी भेज दें लेकिन वहां नहीं l” एक वर्ष के लिए एक विदेशी विनिमय छात्र (foreign exchange student) के रूप में आरम्भ करने से पहले एक किशोर के रूप में यही मेरी प्रार्थना थी l मुझे नहीं पता था कि मैं कहाँ जाने वाला था, लेकिन मुझे पता था कि मैं कहाँ नहीं जाना चाहता था l मैं उस देश की भाषा नहीं बोलता था, और मेरा मन उसके रीति-रिवाजों और लोगों के प्रति पूर्वाग्रहों(prejudices) से भरा हुआ था l इसलिए मैंने ईश्वर से मुझे कहीं और भेजने के लिए कहा l 

लेकिन ईश्वर ने अपनी असीम बुद्धि में मुझे ठीक वहीँ भेजा जहाँ मैंने नहीं जाने के लिए कहा था l मुझे बहुत ख़ुशी है कि उसने ऐसा किया! चालीस साल बाद भी, उस देश में मेरे प्रिय मित्र हैं l जब मेरी शादी हुयी, तो मेरा बेस्ट मैन(best man) स्टीफन वहां से आया l जब उसकी शादी हुयी, तो मैं उपकार लौटाने के लिए वहां हवाई जहाज़ से गया l और हम जल्द ही एक और यात्रा की योजना बना रहे हैं l 

सुन्दर चीजें घटित होती हैं जब परमेश्वर हृदय परिवर्तन का कारण बनता है! इस तरह के परिवर्तन को केवल दो शब्दों द्वारा चित्रित किया गया है : “भाई शाऊल” (प्रेरितों 9:17) 

वे शब्द एक विश्वासी, हनन्याह के थे, जिसे परमेश्वर ने शाऊल के ह्रदय परिवर्तन के तुरंत बाद उसकी दृष्टि ठीक करने के लिए बुलाया था (पद.10-12) शाऊल के हिंसक अतीत के कारण पहले तो हनन्याह ने विरोध किया, और प्रार्थना की : “मैं ने इस मनुष्य के विषय में बहुतों से सुना है कि इसने . . . तेरे पवित्र लोगों के साथ बड़ी-बड़ी बुराइयाँ की हैं” (पद.13)

लेकिन हनन्याह आज्ञाकारी था और चला गया l और क्योंकि उसका ह्रदय परिवर्तन हो चुका था, हनन्याह ने विश्वास में एक नया भाई प्राप्त किया, शाऊल पौलुस के रूप में जाना जाने लगा, और यीशु का सुसमाचार सामर्थ्य के साथ फैलता गयाl सच्चा परिवर्तन हमेशा उसके द्वारा संभव है!

परमेश्वर के सामने चुप रहना

एक जीवित व्यक्ति की पहली तस्वीर 1838 में लुई डागुएरे द्वारा ली गयी थी l तस्वीर में दोपहर के मध्य पेरिस में अन्यथा खाली सड़क पर एक आकृति को दर्शाया गया है l लेकिन इसके बारे में एक स्पष्ट रहस्य है; सड़क और फुटपाथों पर दिन के उस समय गाड़ियों और पैदल चलने वालों के यातायात से हलचल होनी चाहिए थी, फिर भी कोई दिखाई नहीं देता है l 

वह आदमी अकेला नहीं था l लोग और घोड़े भी बुलवर्ड ड्यू टेम्पल(Boulevard du Temple) में मौजूद थे, वह लोकप्रिय क्षेत्र जहाँ यह तस्वीर ली गयी थी l वे तस्वीर में दिखे ही नहीं l तस्वीर को तैयार करने के लिए संसर्ग समय(exposure)(जिसे डागरेरोटाइप के रूप में जाना जाता है) को एक छवि लेने में सात मिनट लग गए, जो उस समय के दौरान स्थिर/अचल रहना था l ऐसा प्रतीत होता है कि फूटपाथ पर मौजूद व्यक्ति अकेला व्यक्ति था जिसकी फोटो खिंची गयी थी क्योकि वह ही स्थिर खड़ा था—वह अपने जूते पोलिश करा रहा था l 

कभी-कभी स्थिरता वह कर देती है जो गति और प्रयास नहीं कर सकते l भजन 46:10 में परमेश्वर अपने लोगों से कहता है, “चुप हो जाओ और जान लो कि मैं ही परमेश्वर हूँ l” यहाँ तक कि जब राष्ट्र “झल्ला उठते हैं” (पद.6) और “पृथ्वी” चाहे उलट जाए (पद.2), तब भी जो चुपचाप उस पर भरोसा करते हैं, वे उसमें “अति सहज से मिलनेवाला सहायक” पाएँगे (पद.1) 

इब्रानी भाषा की क्रिया(verb) “चुप रहो” का अनुवाद “प्रयास करना बंद करो” भी किया जा सकता है l जब हम अपने सीमित प्रयासों पर निर्भर रहने के बजाय परमेश्वर में विश्राम करते हैं, तो हम पाते हैं कि वह हमारा अजेय “शरणस्थान और बल” हैI (पद.1)