ब सुज़ाना चोंग को अपनी दूसरी गर्भावस्था के दौरान रुक-रुक कर रक्तस्राव का अनुभव हुआ, तो डॉक्टरों ने उसे आनुवंशिक परीक्षण कराने का आग्रह किया। उसे चिंता थी कि कही उसका दूसरा बच्चा भी उसके पहले बच्चे जैसा तो नहीं होगा, जिस की कई विकलांगताओं के बारे में बचपन में पता चला था और तब से वह चलने या बात करने में सक्षम नहीं है।

हालाँकि, सुज़ाना ने दृढ़ता से इनकार कर दिया और इन चिकित्सीय जांचों के बिना गर्भावस्था जारी रखने का निर्णय लिया।

“अगर परमेश्वर चाहते हैं कि मैं फिर से उस परिस्तिथि से गुजरूं जैसे कि मैं अपने पहले बच्चे के समय गुज़री थी, तो मैं ऐसा फिर से कर सकती हूँ ।”

उनका सबसे छोटा बेटा, कुआन यी, अब 11 साल का एक सक्रिय और स्वस्थ बालक की तरह बड़ा हो गया है।

कुआलालंपुर से YMI से बात करते हुए, सुज़ाना ने इस अनुभव को याद करते हुए हँसते हुए कहा, “मुझे बिल्कुल भी पता नहीं है कि मुझमें इतनी निडरता क्यों थी, लेकिन किसी तरह परमेश्वर ने मेरे ह्रदय में साहस की यह लहर पैदा की है।” और वास्तव में, वह अपने पहले बेटे कुआन यू के जन्म के बाद से एक लंबा सफर तय कर चुकी है, जो अब 19 साल का है।

तब उस समय, सुज़ाना और उनके पति की शादी को छह साल हो चुके थे और वे एक बच्चे के लिए उत्सुक थे। उसका कुशल चाहने वाले दोस्तों ने उसे सुझाव दिया था कि वह एक बच्चे के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करें, लेकिन उसने इस विचार को खारिज कर दिया, यह विश्वास करते हुए कि अगर परमेश्वर की ईच्छा होगी तो वह उसे एक बच्चा प्रदान करेंगे।

लेकिन एक दिन, काम पर जाते समय ट्रेन में, उसने महसूस किया कि पवित्र आत्मा उससे पूछ रहें है कि क्या वह अपने बच्चे को प्रभु को समर्पित करने को तैयार है। पवित्र आत्मा के साथ हुई इस मुलाकात के बारे में अपने पति से साझा करने के बाद, वह दंपति प्रार्थनापूर्वक ऐसा करने के लिए सहमत हुआ।

पांच दिन बाद, सुज़ाना को पता चलता है कि वह गर्भवती है।

दंपत्ति यह जानने के लिए उत्साहित थे कि परमेश्वर ने उनके बेटे के लिए क्या रखा है, यह सोचकर कि शायद उनके बेटे को मिशनरी बनने के लिए बुलाया जा सकता है। इस बात को ध्यान में रखते हुए, सुज़ाना परमेश्वर के लिए पूर्णरूप से तैयार और अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाहती थी। उस समय, वह किताब की दुकान किनोकुनिया में काम कर रही थी, और इसलिए उसने बच्चों की देखभाल के बारे में जितना संभव हो सके सीखने के लिए प्रसवपूर्व देखभाल और गर्भावस्था पर ढेर सारी किताबें खरीदीं।

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नौ महीने बाद, कुआन यू का अच्छे से जन्म हुआ। हालाँकि, लगभग दो महीने के बाद, उसे एसिड रिफ्लक्स (अम्ल प्रतिवाह) और उल्टी होने लगी, 24 घंटों में 88 बार। इसके बाद के महीनों में, सुज़ाना ने ध्यान दिया कि उसका बेटा सामान्य तौर पर बढ़ नहीं रहा है जैसे वह उनके पुकारने पर कोई प्रतिक्रिया नहीं देता था और ना  वजन ही उसका वजन ही बढ़ रहा था। आख़िरकार पांचवें महीने में, एक विशेषज्ञ ने निदान (diagnose) किया की कुआन यू को मस्तिष्क क्षति (brain damage) हुआ है। तब सुज़ाना और उसके पति को बताया गया कि वह सामान्य बच्चों की तरह बात नहीं कर पाएगा और ना ही चल पाएगा 17 साल की उम्र में प्रमाणिक रूप से यह निदान किया गया कि कुआन यू को कार्डियोफैसियोक्यूटेनियस /सीएफसी) (cardiofaciocutaneous /CFC) सिंड्रोम है।

“जब मैंने यह खबर सुनी तो मेरी दुनिया पूरी तरह से बिखर गई। मेरा सब कुछ लुट गया था,”

सुज़ाना ने कहा, जो उन दर्दनाक घटनाओं को याद करके सुनाते हुए रो पड़ीं। फिर उसने कुआन यू की देखभाल के लिए अपनी नौकरी छोड़ दी, और खुद को अलग करना भी शुरू कर दिया। वह भोजन के समय लगातार रोती रहती थी, यहाँ तक कि अपने पति से भी अपने आँसू छिपाती थी, जिसके बारे में वह जानती थी कि वह स्वयं भी उतने ही कठिन समय से गुज़र रहे है।

कुछ महीनों तक यूंही चलता रहा, जब तक कि उसके बड़े भाई के फोन ने उसे सचेत नहीं किया।

इस बात से चिंतित होकर कि वह खुद को दुनिया से दूर कर रही है, उसके भाई ने उसे समझाया कि कुआन यू को उसकी जरूरत है क्योंकि वह खुद की देखभाल करने में असमर्थ है। अब 10 महीने के हो चुके कुआन यू का वज़न केवल 4 किलोग्राम था और तेज या ऊँची आवाज़ों से उसे तकलीफ़ होती थी अपनी हालत के कारण वह रात में केवल 45 मिनट ही सो पाता था।

अपने बेटे को देखते हुए, सुज़ाना ने उस समय स्थिति का डटकर सामना करने का फैसला किया, काउंसलिंग (परामर्श) के लिए जाकर और कुआन यू की देखभाल करने के लिए उसे जो भी करना पड़े वह करेगी। और हर सुबह, कुआन यू को सैर के लिए ले जाते समय, वह परमेश्वर को अपने संघर्षों के बारे में बताती थी, और परमेश्वर उसे सांत्वना देते थे और उसे अपनी सामर्थ दिखाते थे, और इस तरह धीरे-धीरे उसे अंधेरे से बाहर निकालते थे।

“सुज़ाना ने कहा, “यह वास्तव में परमेश्वर की कृपा थी कि मैं अवसाद में नहीं पड़ी।” “मैं गहरी घाटी में थी, लेकिन उन्होंने मुझे हर एक कदम पर बाहर निकाला।”

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निर्णायक मोड़ मार्च 2012 में आया, जब सुज़ाना एक विशेष आवश्यकता सेवकाई का निरीक्षण करने के लिए ताइवान गईं। ताइवान में विशेष आव्यशक्ताओं (special needs) वाले बच्चों को कितनी अच्छी तरह से स्वीकार किया जाता है और समुदाय के भीतर विशेष जरूरतों के बारे में बढ़ती जागरूकता से वह दंग रह गईं। मलेशिया लौटने के पांच महीने बाद, सुज़ाना ने अपने स्थानीय चर्च के अगुवे के निमंत्रण पर एक विशेष आवश्यकता ग्रुप (समूह) शुरू किया। इसकी शुरुआत एक छोटी सभा के रूप में हुई, लेकिन चर्च ने चर्च परिसर का उपयोग करने और स्वयंसेवकों की भर्ती में मदद करके उनका समर्थन किया। उन्होंने समूह को गैर-मसीही सहित सभी के लिए खुला रखा।

ताइवान में विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के शिविर का अनुकरण करते हुए, सुज़ाना ने विभिन्न विकलांगताओं वाले बच्चों, मसीही और गैर-मसीही परिवारों की जरूरतों को पूरा करने के लिए वार्षिक शिविर आयोजित करने के लिए अन्य विशेष आवश्यकता वाले विशेषज्ञों और माता-पिता के साथ मिलकर काम करना भी शुरू कर दिया। हर बार लगभग 40 परिवार शामिल हो सकते थे और विशेषज्ञों और अन्य परिवारों से सीख सकते थे कि अपने बच्चों की बेहतर देखभाल कैसे करें।

अपनी भागीदारी के माध्यम से, सुज़ाना ने देखा कि कैसे ये कैंप (शिविर) अक्सर परिवारों में प्रभावशाली बदलाव लाने में मददगार साबित होते थे क्योंकि इनमें से बहुत से लोग अपने साथ बहुत सारे अनकहे दुख और दर्द लेकर आते थे, उन्हें लगता था कि कोई भी उन्हें समझ नहीं सकता है। वे जो कुछ भी सह रहे हैं उसमें अक्सर शर्मिंदगी भी होती है, जिसके कारण अक्सर वे बाहरी दुनिया से दूर चले जाते हैं।

“इन माता-पिता को यह एहसास होने लगा कि वे अकेले नहीं हैं। इससे यह भी बदल गया कि वे अपने बच्चे को किस प्रकार से देखते थे, उन्हें शापित नहीं बल्कि धन्य मानते थे, और उन्हें यह भी देखने में मदद मिली कि वे किस प्रकार से परमेश्वर के प्रेम द्वारा अपने बच्चों को सिखा सकते हैं I”

जैसे ही कैंप (शिविर) अपने 10वें वर्ष में प्रवेश कर रहा है, सुज़ाना यह देखकर प्रसन्न है कि कैसे यह पूरे मलेशिया में विशेष आवश्यकताओं के बारे में अधिक जागरूकता लाना जारी रखता है, जिसकी शुरुआत 100 से अधिक स्वयंसेवकों से हुई, जिन्हें शिविरों के लिए भर्ती किया गया था और अब वे विशेष आवश्यकता वाले समुदाय की चुनौतियों के बारे में और अधिक जागरूक हो गए हैं।

प्रभु ने विशेष आवश्यकता वाले समुदाय के लिए अपनी सेवकाई के माध्यम से सुज़ाना के जीवन में परिवर्तनकारी कार्य किया है। उसने जल्द ही कुआन यू के बारे में साहसपूर्वक साझा करने के लिए मंच पर कदम रखना शुरू कर दिया और बताया कि कैसे परमेश्वर ने उसे अपने बिना शर्त के प्यार के बारे में सिखाया है क्योंकि उसने भी कुआन यू से बिना शर्त के प्यार करना सीखा।

“मुझे मॉल (mall) में लोगों का मेरे बेटे को घूरना पसंद नहीं था, लेकिन 10 साल बाद, अब मुझे इससे कोई फ़र्क नहीं  पड़ता। सुज़ाना ने कहा, ”मुझे उसकी मां होने पर बहुत गर्व है और मुझे उसे बाहर लाने में कोई परेशानी नहीं है।” “मैंने यह देखना सीखा कि कुआन आपके, मेरे और मेरे परिवार के लिए यह परमेश्वर की विशेष योजना है।”

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सुज़ाना ने विशेष आवश्यकता वाले बच्चों के माता-पिता से आग्रह किया कि वे हार न मानें और अपने बच्चों के लिए सहायता प्राप्त करने के लिए पहला साहसिक कदम उठाएं। वह उन्हें यह दिखाने की उम्मीद करती है कि परमेश्वर की नज़र में, वे अन्य सभी बच्चों से अलग नहीं हैं, भले ही उनकी क्षमताएं और सामर्थ्य अलग-अलग हों। वह माता-पिता को इस विचार के साथ प्रोत्साहित करना चाहती है कि विशेष आवश्यकता वाले बच्चों का परमेश्वर के साथ एक रिश्ता होता है, भले ही वे इसे देख न सकें।

“सुज़ाना ने कहा, “जब परमेश्वर की आत्मा उनकी आत्मा से बात करती है, तो कुछ आश्चर्यजनक घटित होता है जिसे हम नहीं जानते या देख सकते हैं,”

उन्होंने कहा कि परमेश्वर ने कुआन यू को एक उर्जावान और उत्साही हार्दिक हंसी दी है जो कमरे को रोशन कर देती है और किसी भी उदास माहौल को ख़ुशी से भर देती है।

अंततः, जैसा कि सुज़ाना ने पुष्टि की है, बच्चे परमेश्वर का उपहार हैं और वे उसी के हैं। पिछले साल ही, कुआन यू को मिर्गी के कारण गंभीर हालत में दो महीने के लिए अस्पताल में रखा गया था। इस घटना ने उसे याद दिलाया कि कुआन यू परमेश्वर का एक विशेष उपहार है जो उन्हें समर्पित किया गया है। इसका मतलब यह था कि उसे अपने बेटे को पूरी तरह से परमेश्वर के हाथों में सौंप देना था।

सुज़ाना ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि कुआन यू का समय कब पूरा होगा, यह देखते हुए कि वह पहले ही 19 साल की उम्र तक उनकी उम्मीद से अधिक जीवित रह चुका था। हालांकि, उसका यह भी दृढ़ विश्वास है कि कुआन यू के जीवन के 19 साल अच्छे से बीते हैं, क्योंकि उसने हर दिन परमेश्वर के साक्षी के रूप में जीया है। हालाँकि सुज़ाना को कुआन यू के भविष्य की चिंता है कि अगर वह उससे पहले इस दुनिया से चली गई तो उसका क्या होगा, उसने इस चिंता को प्रभु को देने का फैसला किया।

बदले में, प्रभु ने उससे पूछा: “जब तुम मुझे देखती हो तो क्या देखती हो?” कुछ देर सोचने के बाद सुज़ाना ने जवाब दिया कि वह देखती है।

“विश्वास, प्रेम और आशा”

“तब परमेश्वर ने मुझसे कहा कि यह कुआन यू का भविष्य है, जो विश्वास, प्रेम और आशा से भरा है। . . यह वह आश्वासन है जो उन्होंने मुझे दिया है, और मुझे उसके भविष्य के बारे में चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।”

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