छुट्टी लेना हर किसी को पसंद होता है। घंटों या दिनों के प्रयास के बाद एक गहरी सांस हमें फिर से जीवित करती है, हमारे विचारों की दिशा को भी सीधा रखती है, और हमें अपने मानसिक और भावनात्मक भंडार को फिर से भरने देती है। यह इतना सही और इतना स्वाभाविक लगता है कि यह निष्कर्ष निकालना कठिन नहीं होगा कि हमारी रातों की नींद से परे….हम बिना विश्राम के जीवन जीने के लिए नहीं बने हैं।
“सेक्रेड रेस्ट” में, डॉ ए. जे. स्वोबोडा हमें विश्राम दिन को फिर से देखने के लिए प्रोत्साहित करते हैं। यह समझने के लिए जो वास्तव में परमेश्वर ने हमारे लिए तैयार किया था और हमें विश्राम करने की आज्ञा भी दी थी। अन्वेषण/ खोज-बीन(explore)करें, कि विश्राम दिन रखने का क्या अर्थ है और हमें हमारे ना रुकने वाले जीवन से एक दिन दूर रखना क्यों महत्वपूर्ण है। परमेश्वर’ने हमें जैसा बनाया है, वैसे ही जिए, और विश्राम के उपहार को स्वीकार करें ।
हमारी प्रतिदिन की रोटी मिनिस्ट्रीज़
स्कूल से घर आने पर मैंने रसोई में दादी, दादा और माँ को खड़ा पाया। मैं दस साल का था। उनके चेहरे एक अलग चमक के साथ चमक रहे थे जो मैंने पहले कभी नहीं देखे थे। इकलौता बच्चा होने के नाते, मैंने निश्चित रूप से मान लिया था कि वे मुझे देखकर रोमांचित थे। मेरा अभिमान जल्द ही टूटने वाला था। उन्होंने मुझे डाइनिंग-रूम की मेज़ पर अखबारों के ऊपर पड़ा एक छोटा सा कागज का टुकड़ा पड़ा हुआ दिखाया।
उस छोटे से कागज़ ने सब कुछ बदल दिया।
कहानी परिवार में अच्छी तरह से जानी जाती है: मेरे दादा-दादी कल शाम को कैलिफोर्निया से गाड़ी चला कर आए थे। ओरेगन सीमा के साथ एक गैस स्टेशन पर रुककर, उन्होंने कुछ स्नैक्स, गैस और, जैसा कि वे अक्सर किया करते थे, एक लॉटरी टिकट खरीदा। यह न सोचते हुए उन्होंने टिकट जेब में रख ली और उत्तर दिशा की ओर चल पड़े। उस रात उनके होटल में दादाजी खबर देखने के लिए रुके थे, जहां वे जल्द ही लॉटरी नंबरों की घोषणा करने वाले थे। जैसे ही गेंदों को एक चक्करदार गोले (globe)से उठाया गया, पहले नंबर का मिलान हो गया। और फिर दूसरे नंबर का। फिर तीसरे नंबर का। उसी समय, दादा ने दादी को जगाने के लिए उन्हें हिलाया। दादी अपनी आँखें पोंछती हुई चौथे, पांचवें, छठे और सातवें नंबर के मिलान को देखती है । सभी सात नंबर मिल गए थे। आश्चर्य से उनके मुंह खुले के खुले रह गए। टीवी स्क्रीन पर जो चमक रहा था, उसे स्वीकार करने के लिए उनका दिमाग संघर्ष कर रहा था। अकल्पनीय! अशोचनीय! उन्होंने कितना जीता? इसका क्या मतलब हो सकता है? मेज़बान ने जीत की राशि की घोषणा की। उसी रात दादा-दादी करोड़पति बन चुके थें।
रात की नींद गवांने के बाद, वे गाड़ी से हमारे घर आए और लॉटरी का टिकट हमारे डाइनिंग-रूम की मेज़ पर रख दिया। 46 लाख ने आर्थिक रूप से हमारे परिवार की बहुत ही गहन तरीके से मदद की। इसने कर्ज चुकाया। छुट्टियों के लिए आर्थिक मदद की। ट्यूशन के लिए आर्थिक मदद प्रदान की । लेकिन कहानी का एक अंधकारमय पक्ष भी है। एक बेहतरीन उपहार जिसने क्षणिक आनंद दिया, अंततः परिवार में झगड़े,कलह-क्लेश और क्रोध का कारण बना। शादी के करीब पचास साल बाद दादी और दादाजी की शादी टूट गई। घरवालों की आपस में बात-चीत बंद हो गई। परिवार में रिश्तों में आत्मीयता समाप्त हो गयी और कड़वाहट भर गयी। मैं किसी एक आत्मा को शर्मसार करने के लिए इस कहानी को दोबारा नहीं सुनाता। परमेश्वर की कृपा से हमारे पारिवारिक संबंधों में चंगाई (सुधार) और आपस में सुलह (मेल-मिलाप) शुरू हो गया है। फिर भी तथ्य यह है: कोई नहीं जानता था कि इस तरह के उपहार का भंडारी /प्रबंधक कैसे बना जाए।
उपहार से ज्यादा महत्वपूर्ण यह बात है कि हम उपहार को कैसे संभालते हैं। हम कुछ अविश्वसनीय, यहां तक कि अकल्पनीय प्राप्त तो कर लेते हैं, परन्तु, यह जानने का कोई तरीका नहीं है कि इसके साथ क्या किया जाए। उपहार का आनंद लेने के बजाय, हम इसके लिए लड़ते हैं। यीशु दाख की बारी में इस समस्या के बारे में चेतावनी देता है (मत्ती 20:1-16)। जैसे ही कहानी आगे बढ़ती है, बेरोजगार पुरुषों के एक समूह को फसल के मौसम के दौरान बहुत जरूरी काम के लिए काम पर रखा जाता है। उनके काम के दिन के बाद, प्रबंधक उन्हें वादा किए गए वेतन के अनुसार मुआवज़ा देता है। लेकिन एक अच्छे दिन के काम और जेब में पैसा दोनों का जश्न मनाने के बजाय, वे कर्मचारी से शिकायत करते हैं कि कम मेहनत करने वाले मजदूरों को भी समान उदारता मिली। यह दृष्टांत दर्शाता है कि यीशु के इतने सारे अनुयायी परमेश्वर के अनुग्रह को पाकर क्या करते हैं। बेहतरीन उपहार का आनंद लेने के बजाय, हम उन लोगों के प्रति परमेश्वर की उदारता के लिए एक स्पष्टीकरण (जवाब तलब) की मांग करते हैं, जिनके बारे में हम मानते हैं कि वे इसके बहुत कम योग्य हैं।
विश्राम एक उपहार है जिसे हम नहीं जानते कि कैसे प्राप्त करें।
ऐसे संसार में जहाँ काम करते रहना,चलते रहना और उत्पादन करते रहना पड़ता है, हमारे पास उस उपहार का उपयोग बहुत कम है जो हमें रुकने के लिए (थमने) के लिए आमंत्रित करता है I परन्तु वह मूल उपहार है: विश्राम का उपहार। बेशक, संसार के प्रारम्भ में, परमेश्वर पूरी सृष्टि को एक उपहार देकर पहला सप्ताह पूरा करते हैं: रुकने, सांस लेने, बंद करने, आनंद लेने, दावत करने का दिन। परमेश्वर ने इसका नाम “विश्राम दिन” रखा।
उस विश्राम दिन ने जो —समय सम्मानित और स्वीकृत है— उसने संसार की उत्पत्ति के बाद से मानव समुदायों और संपूर्ण सृष्टि को बनाए रखा और पोषित किया है। फिर भी, परमेश्वर के कई उपहारों की तरह, हमने इसे प्राप्त करने के लिए संघर्ष किया है। कलीसियाई जीवन में, हम इसकी वैधता पर झगड़ते हैं। हम विश्राम दिन को लेकर बहस करते हैं। हम विश्राम दिन के नियमों और सूक्ष्म सैद्धान्तिक तर्कों में फँस जाते हैं कि क्यों अब हमें इस पर गंभीरता से विचार करने की आवश्यकता नहीं है। हम विश्राम दिन की असहमतियों पर पूरे संप्रदायों की शुरुआत करते हैं। हमें लगता है कि केवल हम ही हैं जो वास्तव में इसका आनंद लेना जानते हैं। न जानते हुए कि हम बार-बार एक ही जाल में फँसते हैं— जब हम ऐसे प्रश्न करते है कि हम किस तरह से आनंद करें–क्योंकि अक्सर ऐसे प्रश्न परमेश्वर और पवित्रशास्त्र के प्रति विश्वासयोग्य रहने की एक वैध चिंता से प्रेरित हो सकते हैं, और फिर भी यह विभाजन और अशांति पैदा करते है।
सब कुछ विचार करने और कहने के बाद,सबसे बुरी चीज जो विश्राम दिन के साथ हुई है वह धर्म है। धर्म उपहारों के प्रति शत्रुतापूर्ण रहता है। धर्म मुफ्त की चीजों से नफरत करता है। धर्म परमेश्वर के अच्छे उपहारों को कमाने/अर्जित करने की कोशिश में उसे बर्बाद कर देता है, यही कारण है कि जब तक हम सोचते हैं कि हमारा धर्म अर्जन के बारे में है, तब तक हम वास्तव में विश्राम के पवित्र दिन का आनंद नहीं उठा पाएंगे।
यह कोई नई बात नहीं है: विश्राम दिन के प्रति शत्रुता लंबे समय से चर्च और संसार के लहू में बह रही है। जस्टिन मार्टियर जैसे कई शुरुआती चर्च के फादर्स (पास्टर) ने विश्राम दिन को यहूदियों के लिए सज़ा के रूप में देखा, जिसके बारे में उनका मानना था कि लोगों को उनकी दुष्टता की याद दिलाने के लिए आज्ञाकारिता के एक दिन की आव्यशकता है। लेकिन क्या विश्राम दिन एक सज़ा है? दूसरों ने इसे पूरी तरह से खारिज/रद्द करके, इसे अवशेष का दर्जा देकर पदावनत(relegate) कर दिया है – प्राचीन, रहस्यमय, समकालीन विचार के अयोग्य, जैसे हमारे किसी “सिद्धांतवादी विश्वासों के धूल भरे मोहरे की दुकान में से निकला हुआ एक विचार।” अन्य इसे यह कर ख़ारिज/रद्द कर देते है कि अगर यह असंभव प्रथा नहीं है तो भी एक आदर्शवादी प्रथा तो है। “वैसे भी विश्राम के लिए समय किसके पास है?” वे पूछते है। “जब मैं मर जाऊँगा तब मैं सोऊँगा। मेरा मतलब है, अगर शैतान कभी विश्राम नहीं करता, तो मैं क्यों करूँ?”
लेकिन ये खोखली धारणाएँ शास्त्र के बजाय मानवीय तर्क पर आधारित हैं। विश्राम दिन हमारे तेज-रफ़्तार, काम के नशे में, उत्पादन-जुनूनी संसार में अनुपयुक्त साबित होता है। फिर भी विश्राम दिन के प्रति हम जो भी संशय रखते हैं, ऐसी अवहेलना बाइबल, यीशु, या चर्च के अधिकांश इतिहास में साझा नहीं की जाती है। परमेश्वर की कहानी मूल रूप से विश्राम दिन के साधारण उपहार की कहानी रही है।
मारवा डॉन ने लिखा है, “त्रियेक ईश्वर में विश्वास के माध्यम से हमें दिए गए आध्यात्मिक संसाधन सबसे अच्छे उपलब्ध खजाने हैं।” विश्राम ऐसा ही एक खजाना है। हमारी समस्या क्या है? हम नहीं जानते कि विश्राम दिन का क्या करें। इस लेख में यही बात समझ में आती है – विश्राम के उपहार को समझना, हम इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं, और इसे प्राप्त करने पर यह संसार के लिए क्या करता है।
पवित्रशास्त्र के खजाने प्रकाशमान महिमा के साथ विश्राम के एक दिन की बात करते हैं – हमें एक उपहार की पेशकश करते हुए जिसमें हमारे अस्तित्व को बदलने की शक्ति है। इस लेख में, मैं उन चार शब्दों या वाक्यांशों को उजागर करना चाहता हूं जो बाइबल विश्राम दिन के बारे में उपयोग करती है जो हमें न केवल इसके महत्व को देखने में मदद करते हैं, बल्कि हमारे जीवन और हमारे संसार को बदलने में इसकी शक्ति को भी देखते हैं।
विश्राम दिन। आखिर इसका क्या मतलब है?
पहला उपहार जो परमेश्वर मानवजाति को सृष्टि के बाद देता है वह विश्राम का उपहार है। आखिर इसका क्या मतलब है? यहीं पर हमारा सामना बाइबल के एक शब्द शब्बत से होता है। इब्रानी भाषा में, इस शब्द का सीधा सा अर्थ है “बंद करो, रुको, या धीमा करो।” यह एक अन्य इब्रानी शब्द मेनुहा से जुड़ा है, जिसका सीधा सा अर्थ है “आराम करना।” दोनों एक ही वास्तविकता से बात करते हैं। जगह खुदी हुई है जो काम, उत्पादकता, संचय या नियंत्रण के लिए नहीं है।
मुझे वह शब्द शब्बत बहुत पसंद है। जब भी मैं शब्बत शब्द सुनता हूं, तो मुझे ऐसा लगता है जैसे कि चुप रहने के आह्वान के साथ यह शब्द पुकार रहा हो कि “शांत हो जाओ।” यह शांतता, परमेश्वर के अविजित समय के लिए एक निमंत्रण है जहां वह प्रभु हैं और हम उनके प्रभुत्व के अधीन हैं। विश्राम करने की यह आज्ञा लगभग तुरंत उत्पत्ति 1-2 में बाइबल की कहानी में आती है। छह दिनों के बाद सृष्टि की रचना करने के बाद, परमेश्वर ने जो कुछ भी बनाया है उसे देखता है और “अच्छा” कहता है, और घोषणा करता है,
♦ और परमेश्वर ने अपना काम जिसे वह करता था सातवें दिन समाप्त किया I और उसने अपने किए हुए सारे काम से सातवें दिन विश्राम किया I और परमेश्वर ने सातवें दिन को आशीष दी और पवित्र ठहराया, क्योंकि उस में उसने अपनी सृष्टि की रचना के सारे काम से विश्राम लिया। (उत्पत्ति 2:2-3) ♦
सृष्टि की कहानी के भीतर इस भाग के दो घटकों पर ध्यान दें। सबसे पहले, ध्यान दें कि परमेश्वर ने सात-दिन की अवधि के आसपास ही समय को व्यवस्थित और संरचित किया है। परमेश्वर सात दिन का सप्ताह बनाता है। यानी सात दिनों की रूपरेखा परमेश्वर के दिव्य आशय/उद्देश्य से भरपूर है। चर्च के पास्टर, धर्मशास्त्री कॉलिन गुनटन का तर्क है कि सात दिनों का आदेश वर्तमान समय और अनंत काल के बीच एक अलग संबंध स्थापित करता है। अर्थात्, सात-दिन का सप्ताह परमेश्वर द्वारा अनंत काल के क्षेत्र का अंतर बताने के लिए बनाया गया था जिसमें परमेश्वर निवास करता है।
जैसा कि कहा गया है, समय, मूल रूप से सब कुछ एक साथ घटित होने से रोकने के लिए परमेश्वर का तरीका है। यही कारण है कि यहूदी विद्वान अब्राहम हेशल ने विश्राम दिन को “अनंत काल का एक दिन” के रूप में वर्णित किया है।
विश्राम दिन क्षण भर के लिए हमारे सीमित, वर्तमान संसार में अनंत महिमा का क्षण है। पवित्रशास्त्र में ज़ोर सृजन के समय पर नहीं दिया गया है, जैसा कि कुछ आसानी से मान लेते हैं, बल्कि समय के निर्माण पर दिया गया है। सात दिन का सप्ताह परमेश्वर की शानदार रचना है, जिसे एक कवि “इब्रानी आत्मा की सबसे शानदार रचना” कहता है।
यह आज्ञा मानव कार्य और मानव विश्राम को संतुलन में रखने का परमेश्वर का तरीका है। पाठ को ध्यान में रखें – परमेश्वर प्रत्येक सप्ताह में एक दिन के विश्राम और छह दिनों के काम की आज्ञा देते हैं। इसलिए, उस ढांचे में, हमें याद रखना चाहिए कि यह आज्ञा विश्राम करने का निमंत्रण और कार्य करने का निमंत्रण दोनों है। कुछ लोगों के लिए, विश्राम दिवस की आज्ञा कम काम करने का निमंत्रण नहीं बल्कि वास्तव में अधिक काम करने का निमंत्रण है। अफसोस की बात है कि कुछ पीढ़ियां अतिरिक्त काम के जूनून की ओर और अन्य आलस्य की ओर झुकी हैं। संतुलन वह है जिसकी आवश्यकता है। छह दिन का काम – एक दिन का विश्राम।
ध्यान दें, दूसरी बात यह है कि सात दिनों की अवधि की लय में आराम की एक बहुत स्पष्ट लय होती है जिसे इस सप्ताह से तैयार किया जाता है। सात में से एक दिन विश्राम को दिया जाना है – विश्राम करना, आनन्दित होना, और परमेश्वर के साथ रहना। हर हफ्ते एक दिन आराम के लिए अलग रखना होता है। परमेश्वर के लिए इतना केंद्रीय है कि विश्राम करने के लिए नैतिक अनिवार्यता है कि यह हत्या, व्यभिचार, तलाक, झूठ, कौटुंबिक व्यभिचार, बलात्कार, ईर्ष्या और बच्चे के बलिदान के विरुद्ध आदेश से पहले पवित्रशास्त्र में स्थापित है। हम विश्राम क्यों करते हैं? उत्पत्ति कहती है कि हम विश्राम दो कारणों से करे : पहला, क्योंकि परमेश्वर ने विश्राम किया और दूसरा, क्योंकि परमेश्वर ने इसे सृष्टि के (D.N.A) डी.एन.ए. में (शरीर में मौजूद वह गुण सूत्र जिसके द्वारा परिवार के वंशज की जानकारी प्राप्त होती है) बनाया, और इसलिए यह कुछ ऐसा है जिसकी रचना को फलने-फूलने के लिए ज़रूरत है।
जबकि नया नियम विश्राम के दिन सिखाना जारी रखता है, ऐसा प्रतीत होता है मानो पौलुस नई वाचा के लोगों को एक विशेष दिन से मुक्त करता है। परमेश्वर ने कभी नहीं चाहा कि जो कुछ उसने हमें उपहार के रूप में दिया है वह लज्जा या ग्लानि का साधन बन जाए। विश्राम दिन हमारे लिए है। हम विश्राम दिन के लिए नहीं हैं। और उस वास्तविकता में हम स्वतंत्रता और आनंद का अनुभव कर सकते हैं। पौलुस के शब्दों को याद रखें: “इसलिये खाने पीने या पर्व या नए चांद, या, या सब्तों के विषय में तुम्हारा कोई फैसला न करे” (कुलुस्सियों 2:16)। न्याय मत करो/न्याय में मत पड़ो, दोस्त। याद रखो, यीशु को छोड़कर किसी ने भी कभी भी विश्राम दिन (सब्त) को पूरी रीति से नहीं रखा है। इसमें अनुग्रह है। अनंत अनुग्रह। हमें बस इतना करना है कि विश्राम में प्रवेश करने के लिए “हर संभव प्रयास” करना है। नए नियम में मुख्य विचार किसी विशिष्ट दिन के बारे में नहीं है, बल्कि इस बारे में है कि क्या हम मसीह के विश्राम में प्रवेश करना शुरू कर रहे हैं।
जैसे परमेश्वर हमें विश्राम दिन के लिए आमंत्रित करता है, हम यह सोचने के लिए परीक्षा में पड़ेंगे कि विश्राम हमारे लिए “काम” नहीं कर सकता। “मेरे पास पूरे दिन विश्राम करने का समय नहीं है,” वर्षों से लोगों ने मुझसे यह बात व्यक्त की है। हालाँकि, बाइबल के अनुसार ऐसा नहीं है। बाइबिल की कहानी हमें बताती है कि सप्ताह में एक दिन आराम करना वास्तव में इंसान होना है, और विश्राम नहीं करना अमानवीय होना है। मनुष्य को विश्राम करने के लिए बनाया गया था। जब हम कहते हैं कि हमारे पास विश्राम करने का समय नहीं है, तो हम कह रहे है कि हमें उस चीज़ के लिए समय नहीं मिल सकता है जो पहले ही मिल चुकी है। जैसा कि डीट्रिच बोन्होफ़र ने एक बार लिखा था, परमेश्वर के साथ, अनिवार्यता एक संकेतक है। अर्थात्, जब परमेश्वर हमें कुछ करने की आज्ञा देता है उसी से पता चलता है कि परमेश्वर कौन है। परमेश्वर हमें विश्राम करने के लिए आमंत्रित करते हैं। और परमेश्वर स्वयं विश्राम करते हैं। क्या हम सामर्थ्यशाली या बुद्धिमान परमेश्वर से बेहतर हैं? जैसा कि सृष्टि की कहानी हमें याद दिलाती है, विश्राम की आवश्यकता ब्रह्मांड के अनुवांशिक ढांचे में अंतर्निहित है, और मानवता की इस तरह अज्ञानता पूरे ब्रह्मांड को ही आनुवंशिक रूप से संशोधित करने की कोशिश कर रही है।
परमेश्वर की बहुत अच्छी रचना – ब्रह्मांड के परमेश्वर – ने सप्ताह बनाया है। लेकिन साथ ही, परमेश्वर ने उस सप्ताह के भीतर एक दिन भी बनाया है जो विश्राम का दिन है। वह कितना सुंदर है? हम सचमुच उस परमेश्वर की आराधना करते हैं जिसने सप्ताहांत(weekend) का आविष्कार किया!
विश्राम दिन के बारे में बाइबल में एक और महत्वपूर्ण शब्द “याद रखना” है। शुक्रवार की शाम को, विश्राम दिन की तैयारी के बाद, हमारा परिवार गाना गाने के लिए एक साथ आता है। कुछ परिवार ल’खाह डोडी गाते हैं, यह एक पारंपरिक यहूदी गीत है जिसे शुक्रवार की रात को गाया जाता है। यह जाता है, “शान्ति से आओ, और आनन्द से आओ, तुम जो दूल्हे की शान हो; आओ, हे दुल्हन, और अपनी वफादार चुनी हुई जाति; पर अपना अनुग्रह बरसाओ, आओ, हे दुल्हन! आओ, हे दुल्हन!”
हमारा परिवार यहूदी परिवार नहीं है। और हमारा गाना बहुत आसान है। हम शब्बत शालोम या “सब्त की शांति” नामक एक गीत गाते हैं। परिवार के प्रत्येक व्यक्ति का नाम है।
शब्बत शालोम, ए. जे. को I
शब्बत शालोम, क्विन को ।
शब्बत शालोम, इलियट को।
हमारे पास बारह मुर्गियां हैं, और हम आमतौर पर उन्हें गाने में भी नाम देते हैं। फिर हम भरपेट खाना खाते हैं, साथ में किताबें पढ़ते हैं और सोने चले जाते हैं। सुबह हम उठते हैं। विश्रामदिन के लिए हमारे पास दो नियम हैं। सबसे पहले, कोई भी अपना बिस्तर नहीं बनाता/सुव्यवस्थित करता है। दूसरा, पेनकेक्स बनाना (pancakes)। पेनकेक्स हमारे विश्राम दिन के लिए आवश्यक हैं। जैसा कि क्विन सोता रहता है, मैं अक्सर इलियट के साथ जल्दी उठता हूं, और साथ में मिलकर हम बहुत ही विशाल आकार के पेनकेक्स बनाते हैं। किचन काउंटर पर बैठकर वह घोल को चलाने में मेरी मदद करता हैं। फिर हम उन्हें पकाते हैं। इलियट अपने पेनकेक्स में बहुत सारा सिरप (syrup) डालता है I फिर हम खाते हैं। यह एक पैनकेक दावत होती है – इसमें होते है स्लैपी केक, बेकन, अंडे, और कॉफी ढेर सारे शहद के साथ ।
जिस तरह से मेरा परिवार विश्राम दिन /सब्त मनाता है उसके लिए पैनकेक आवश्यक होते हैं। मैंने पढ़ा था कि कुछ यहूदी पिता विश्राम/ सब्त के दिन सुबह अपने बच्चों को एक चम्मच शहद देते थे। यह विचार सरल था: कि वे सब्त /विश्राम दिन की मिठास को अपने शेष जीवन में हमेशा याद रखेंगे। यह उस तरह से है जिस तरह से शुरुआती ईसाइयों ने भोज लिया था : दूध और शहद के साथ। यह प्रतीकवाद उन्हें याद दिलाने के लिए था कि मसीह में ही वे प्रतिज्ञा किए गए देश में आए थे। यही मेरी आशा है—कि जब मैं मर जाऊँगा और मेरा लड़का बड़ा हो जाएगा, यदि कोई मेरे बेटे से “सब्त” शब्द फुसफुसाता है, तो उसके मुँह से लार टपकने लगेगी। यह सर्वोच्च क्रम का पावलोवियन प्रयोग है।(रुसी फिजियोलॉजिस्ट पावलोव द्वारा किया गया एक प्रयोग जिसमें उन्होंने कुत्ते को खाना देने से पहले एक घंटी बजायी जिसमे शुरुआत में कुत्ते ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी परन्तु धीरे धीरे आदत पड़ने पर कुत्ते ने घंटी की आवाज़ पर ही लार टपकाना शुरू कर दिया )
हमें विश्राम की आव्यशकता है । लेकिन हमें विश्राम को भी याद रखना सीखना चाहिए। सच तो यह है, चीजें सामने आती हैं। योजनाए/अनुसूचियां व्यस्त हो जाते हैं। जीवन में ऐसा ही होता है। हमारा मन भटक जाता है। हम अपने दिनों को अधिकतम तक निर्धारित करते हैं। तैयारी का दिन धीरे-धीरे हमें याद दिलाता है कि सजग/चौकस रहना प्रामाणिक विश्राम का हिस्सा हैं। इस पर विचार करें: पवित्रशास्त्र में पहली बार विश्राम दिन के नाम का उल्लेख निर्गमन 20:8 में हुआ है। वहाँ, इज़राइल को आज्ञा दी गयी है कि वह “विश्रामदिन को पवित्र मानने के लिये स्मरण रखे।” “इसे पवित्र रखना” का क्या अर्थ होता है?
इब्राहीम हेशेल दृष्टांत से समझाते है कि कुछ पवित्र रखना, या पवित्र करना (हीब्रू ले-कादेश) एक प्रकार से शादी में की जाने वाली तैयारी की भावना रखता है। विशेष रूप से, “रखने के लिए” शब्द का प्रयोग अक्सर दुल्हन को उसकी शादी के दिन की तैयारी करने के लिए किया जाता था। “रखना” “सगाई करना” जैसा ही था। वास्तव में, यहूदी सब्त/ विश्राम के दिन को “दुल्हन” और “रानी” के रूप में बोलते हैं – हम उसके प्रेमी हैं, परन्तु हम उसके द्वारा शासित भी होते हैं। एक आदमी अपनी दुल्हन की तैयारी के लिए क्या- क्या करता है? वह दावत तैयार करता है, घर बनाता है, उसके लिए तैयार होता है। अगर रानी आपके घर आ जाए तो आप क्या करेंगे? आप घर तैयार करते है। वास्तव में, दोनों चित्र तैयारी के बारे में हैं।
यह अत्यंत उल्लेखनीय है—जब हम निर्गमन 20 में दस आज्ञाओं को देखते हैं, तो केवल एक ही आज्ञा है जो “स्मरण रखना” शब्द से शुरू होती है। हमें हत्या के विरूद्ध आज्ञा को “स्मरण” रखने के लिए नहीं कहा गया है। न ही व्यभिचार के विरुद्ध की आज्ञा को स्मरण रखने के लिए। न ही मूर्तिपूजा के विरुद्ध की आज्ञा को स्मरण रखने के लिए I विश्राम दिन की आज्ञा ही एकमात्र ऐसी आज्ञा है जिसे हमें स्मरण रखने की आज्ञा दी गई है। ऐसा लगता है जैसे परमेश्वर जानते थे कि वह किस बारे में बात कर रहे है। क्यों? क्योंकि परमेश्वर जानते थे, दस में से, यह वही आज्ञा है जिसे हम भूल सकते हैं। और सच्चाई यह है—हम भूल चुके है। सभी इरादों और उद्देश्यों के लिए, चर्च अब विश्राम दिन के बारे में चौथी आज्ञा की वैधता और नैतिक महत्व में विश्वास नहीं करता है। हम अनिवार्य रूप से नौ आज्ञाओं और एक महत्वपूर्ण/प्रभावशाली सुझाव में विश्वास करते हैं।
विश्राम दिन को रखने का एक हिस्सा वास्तव में इसे स्मरण रखना है। इसे हमारे दिमाग में डालने के लिए। वाल्टर ब्रूगेमैन इस बात पर जोर देते है कि, “समृद्धि,” “भूलने की बीमारी को जन्म देती है।” अर्थात्, जिनके पास वह सब कुछ है जो वे चाहते हैं वे अक्सर विश्राम दिन के महत्व को नज़रअंदाज़ करके सबसे अधिक खुश होते हैं। जब बैंक खाता भर जाता है, फ्रिज में प्रचुर मात्रा में भोजन रहता है, व्यापार फलफूल रहा है, जीडीपी ऊपर है, और हर कोई खुश दिखता है, हम अपने जीवन को वैसे ही चलाने के लिए ललचाते हैं जैसे वे चले आ रहे हैं। और इसलिए हम विश्राम दिन को भूल जाते हैं जब सब कुछ बढ़िया चल रहा होता है।
विश्राम दिन को रखने का एक हिस्सा वास्तव में इसे स्मरण रखना है। इसे हमारे दिमाग में डालने के लिए। वाल्टर ब्रूगेमैन इस बात पर जोर देते है कि, “समृद्धि,” “भूलने की बीमारी को जन्म देती है।” अर्थात्, जिनके पास वह सब कुछ है जो वे चाहते हैं वे अक्सर विश्राम दिन के महत्व को नज़रअंदाज़ करके सबसे अधिक खुश होते हैं। जब बैंक खाता भर जाता है, फ्रिज में प्रचुर मात्रा में भोजन रहता है, व्यापार फलफूल रहा है, जीडीपी ऊपर है, और हर कोई खुश दिखता है, हम अपने जीवन को वैसे ही चलाने के लिए ललचाते हैं जैसे वे चले आ रहे हैं। और इसलिए हम विश्राम दिन को भूल जाते हैं जब सब कुछ बढ़िया चल रहा होता है।
लेकिन जब हम ऐसा करते हैं, तो हम विश्राम दिन की आज्ञा के मुख्य घटक का पालन करने में असफल हो जाते हैं – बस इसे “स्मरण रखना।”
विश्राम को स्मरण रखने का सरल कार्य हमारे मन को बदल देता है। हम अक्सर निराश हो जाते हैं क्योंकि हम अपने मन, शरीर और आत्मा को विश्राम का दिन नहीं देते हैं। केवल विश्राम के बारे में सोचने से आशा आती है। इसके बारे में सपने देखना। इसके लिए आशा से प्रतीक्षा करना। जीवन कितना बेहतर होता है जब हम जानते हैं कि हमारी छुट्टियाँ आने वाली हैI विश्राम दिन को स्मरण करके भी गहरे आनंद की अनुभूति होती है।
आइए उन पेनकेक्स की गंध को कभी न भूलें!
परमेश्वर केवल “अच्छी” चीजें बनाता है।
इटैलिक( हस्तलिपि की शैली जिसमें अक्षर दाहिनी और तिरछे होते है) या बोल्ड(सुस्पष्ट मोटे अक्षर) टेक्स्ट का उपयोग करने की तकनीकों से बहुत पहले, पुनरावृत्ति (दोहराने की क्रिया) एक विचार को उजागर करने के लिए प्राचीन लेखकों का साहित्यिक उपकरण होता था। इसलिए शास्त्र के लेखक किसी बात को बार-बार दोहराकर अपनी बात रखते थे। इसी वजह से, सृष्टि की कहानी बार-बार दिखाती है कि परमेश्वर अपनी बनाई हर चीज़ की अच्छाई की घोषणा करता है। “यह अच्छा था। . . . वह अच्छा और बहुत ही अच्छा था” (उत्पत्ति 1:4, 10, 12, 18, 21, 25, 31)। जो आडंबरपूर्ण, आत्म-बधाई टिप्पणी के रूप में लग सकता है, हम वास्तव में परमेश्वर की उत्तम रचना की प्रतिभा से उसकी स्वयं की पहचान के ज्ञान से धन्य हैं। वह अच्छी तरह जानता है कि उसने जो बनाया है वह मूल्यवान, सही और अच्छा है। हर दिन इस कथन को दोहराते हुए, बाइबिल का लेखक स्पष्ट करता है कि यह संसार मूल रूप से अच्छा बना है।
एक बार, एक नास्तिक मित्र के साथ अपने विश्वास को साझा करते हुए, मुझे ईश्वर के अस्तित्व के लिए अपना सबसे बड़ा तर्क देने के लिए कहा गया। मैंने एक सरल शब्द बोला: आम। मैं सिर्फ किसी भी आम की बात नहीं कर रहा था। मैं ताज़े, पके, आमों के बारे में बात कर रहा था; जिसके मीठे रस में डूब कर आपकी शर्ट तर-बतर हो जाये । मैंने समझाया, आम, ईश्वर के अस्तित्व के लिए मेरा सबसे बड़ा तर्क था। मैं आज तक एक आम खाकर एकदम सरलता से नहीं कह सकता कि इस सृष्टि का निर्माण किसी मूर्ख ने किया है। या इतनी स्वादिष्ट चीज़ बस यूहीं कही से भी आ गयी है। सृष्टि अच्छी है। क्यों? क्योंकि परमेश्वर अच्छा है। और जो कुछ वह बनाता है, उस से उसकी भलाई प्रकट होती है। एक आम, सृष्टि के हिस्से के रूप में, मानव जाति के लिए ईश्वर का प्रेम पत्र है।
मेरे पड़ोस में बॉलीवुड थिएटर नाम का एक इंडियन रेस्टोरेंट है। एक बार मैं अपने मित्र टॉड माइल्स के साथ दोपहर के भोजन के लिए गया, जो एक स्थानीय धर्मप्रशिक्षणालय (seminary) में एक धर्मशास्त्री थे। हमारे पहले कुछ निवाले लेते हुए, वह अपनी उद्घोषणा से लगभग आश्चर्यचकित हो गया, “आप जानते हैं, ए जे, जब आप इसके बारे में सोचते हैं, तो भोजन को इतना भी अच्छा नहीं होना चाहिए!” कोई यह तर्क दे सकता है कि यह उत्पत्ति के पहले दो अध्यायों के शोध पत्र (thesis) का कथन है – एक अच्छा परमेश्वर एक अच्छी सृष्टि बनाता है। सृष्टि बुरी नहीं है। सृष्टि “बस ठीक” नहीं है। सृष्टि अच्छी है। मार्टिन लूथर के शब्द इस राग को प्रतिध्वनित करते हैं कि: “परमेश्वर केवल बाइबल में ही नहीं, बल्कि पेड़ों पर, और फूलों और बादलों और सितारों में भी सुसमाचार लिखता है।” अगर यह संक्षिप्त शब्दों में कहने के लिए नहीं होता था, तो मैं शर्त लगाता हूं कि लूथर का मतलब आम और भारतीय भोजन को शामिल करना भी था। अपनी भलाई में, परमेश्वर हमें वह भोजन देने में प्रसन्न होता है जिसे इतना अच्छा भी नहीं होना चाहिए था। और फिर भी, अगर हम उसकी अच्छाई को समझ नहीं पाए, तो वह हमें स्वाद कलिकाएँ (taste buds) देने का निश्चय करता है।
भारतीय भोजन आने वाले अच्छे संसार का सिर्फ एक पूर्वाभास है। पुराने अंग्रेजी शहीद जॉन ब्रैडफोर्ड के अंतिम शब्दों पर विचार करें, जिन्होंने कथित तौर पर मरते समय घोषणा की कि : “सृष्टि को देखो – यह सब देखो! यह वह संसार है जिसे परमेश्वर ने अपने शत्रुओं को दिया है; उस संसार की कल्पना करें जो वह अपने दोस्तों को देगा। ब्रैडफोर्ड की बात सही है: हम स्वर्ग के आमों या भारतीय भोजन की कल्पना भी नहीं कर सकते। परमेश्वर का अच्छा संसार प्रसन्नता का संसार है, जो आने वाले भव्य, अकल्पनीय संसार का केवल एक पूर्वावलोकन प्रस्तुत करता है I भलाई और आशीष, खुशी और उदारता का संसार, और निश्चित रूप से, महिमामय विश्राम। क्या विश्राम दिन परमेश्वर और उसके द्वारा हमें भेजे गए सभी प्रेम पत्र हैं पर विचार करने का दिन है? विश्राम दिन एक उत्सव है, जो सृष्टि और सृष्टिकर्ता की अच्छाई/भलाई पर आनन्दित होने का दिन होता है।
अब, सृष्टि की कहानी में परमेश्वर जो कुछ भी बनाता है वह “अच्छा” है। लेकिन सृष्टि की कहानी में केवल एक ही चीज़ है जिसे “पवित्र” कहा जाता है। सृष्टि की कहानी में केवल एक ही चीज़ जिसे परमेश्वर कदोश या “पवित्र” मानता है, वह विश्राम का दिन है। पृथ्वी, अंतरिक्ष, भूमि, तारे, जानवर-यहाँ तक कि लोगों को भी कदोष कह कर नहीं बुलाया गया है(नामित नहीं हैं)। विश्राम का दिन पवित्र था। हेशल विश्राम दिन को “समय के पवित्रीकरण” के रूप में बोलते हैं : “यह एक पुरातन अभ्यस्त धार्मिक सोच का क्रांतिकारी/ सुधारवादी प्रस्थान है। पौराणिक मन आशा करेगा कि, स्वर्ग और पृथ्वी की स्थापना के बाद, परमेश्वर एक पवित्र स्थान-एक पवित्र पर्वत या एक पवित्र झरना-जिस पर एक शरणस्थान स्थापित किया जाना है की रचना करेगा। परन्तु,ऐसा लगता है कि बाइबल के लिए समय की पवित्रता और विश्राम दिन, ही है जो सबसे पहले आते है।”
विश्राम दिन की यह पवित्रता यहूदी धर्मशास्त्र के विशिष्ट चिह्नों में से एक है, हेशेल का तर्क है। वह यह बताते है कि सृष्टि की कहानी में किसी विशिष्ट,पवित्र स्थान का उल्लेख नहीं है। केवल एक पवित्र दिन का है। हालांकि समय और स्थान महत्वपूर्ण होते हैं, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि अदन के बाग के एकदम सटीक स्थान को छोड़ दिया गया है। फिर भी हम जानते हैं कि विश्राम दिन को पवित्र माना गया है।
अब मनुष्य किसी भी चीज़ को पवित्र नहीं बना सकते। दिन की पवित्रता मानी जाती है। उन्हें विश्रामदिन को पवित्र मानना था, जो उनके आने से पहले ही पवित्र था। इसका मतलब यह नहीं है कि ऐसे भी दिन हैं जो पवित्र नहीं हैं। समय अपने आप में ही पवित्र है। हर एक दिन पवित्र दिन है। समय की हमारी धारणाओं के विपरीत, बाइबिल परंपरा कहती है कि सभी समय पवित्र है (भजन 31:15; 139:16; यशायाह 60:22)। यह न केवल अध्यात्मिक रूप से गलत है, बल्कि यह सुझाव देना भी खतरनाक है कि कुछ दिन पवित्र हैं और अन्य नहीं – समय अपने आप में पवित्र के रूप में मनोनीत/नामित पहली चीज है। केवल विश्राम दिन ही नहीं सभी समय पवित्र है, बस विश्राम दिन को एक अनोखी तरह की पवित्रता के रूप में अलग रखा गया है।
जैसा कि हमने पिछले अध्यायों में चर्चा की थी, विश्राम दिन काफी हद तक स्वतंत्रता और एक ऐसे संदर्भ को स्थापित करने के बारे में है जिसमें सारी सृष्टि फल-फूल सकती है। यह स्वतंत्रता, जैसा कि हम देखेंगे, मनुष्यों और संपूर्ण सृष्टि के लिए है। एक बार फिर चौथी आज्ञा सुनिए:
♦ तू विश्राम दिन को पवित्र मानने के लिए स्मरण रखना। छ: दिन तो परिश्रम करके अपना सब काम काज करना; परन्तु सातवां दिन तुम्हारे परमेश्वर यहोवा के लिये विश्रामदिन है। उस में न तो तू किसी भांति का काम काज करना, और न तेरा बेटा, न तेरा बेटी, न तेरा दास, न तेरी दासी, न तेरे पशु, न कोई परदेशी जो तेरे फाटकों के भीतर रहता हो। क्योंकि छ: दिन में यहोवा ने आकाश, और पृय्वी, और समुद्र, और जो कुछ उन में है, सब को बनाया, और सातवें दिन विश्राम किया। इस कारण यहोवा ने विश्रामदिन को आशीष दी और उसको पवित्र ठहराया। (निर्गमन 20:8-11) ♦
एक साल पहले, मैं एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रसिद्ध चर्च में प्रचार कर रहा था। पास्टर विश्राम करने और अपनी आत्मा की देखभाल करने के लिए छुट्टियाँ ले रहे थे। चर्च में कई परिवार उन्हें सेवकाई के लिए आलसी और अनुपयुक्त होने के कारण सार्वजनिक रूप से उन पर निशाना साध रहे थे। मैंने विश्राम दिन-पालन और आध्यात्मिक निर्माण के लिए इसके महत्व पर प्रचार किया। मेरी जानकारी के बिना, पास्टर की पत्नी और बच्चों ने उस रविवार को चर्च आने का फैसला किया था। चर्च की सभा समाप्त होने के बाद, उन्होंने पास्टर के कार्यालय में मुझसे संपर्क किया। उनकी आँखों में आँसू के साथ, बच्चों ने मुझे गले लगाया और अपने पिता को घर आने और उनके साथ रहने की अनुमति देने के लिए मुझे धन्यवाद दिया।
साथ ही, यह भी देखें कि विश्राम हमारे “पुरुष या महिला सेवकों” के लिए है। यह हमारे कर्मचारियों के लिए भी समान होगा। इस सिद्धांत के पीछे एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात है। अर्थात्, जब परमेश्वर हमें विश्राम देता है, तो वह चाहता है कि जो हमारे अधीनस्थ हैं उन्हें भी वही विश्राम दिया जाए। आमतौर पर, जब अधिकारी विश्राम करने के लिए तैयार रहते हैं, तभी वे उन लोगों को भी विश्राम देने में सक्षम होते हैं जो उनकी देखरेख में सेवा करते हैं।
कई साल पहले, टिम नाम का एक युवा पास्टर विश्राम दिन के ऊपर मेरे लेख को पढ़ने के बाद मेरे पास आया। टिम अपने सेवकाई में मर रहा था I वह- सप्ताह में 80-घंटे काम कर रहा था, रुग्ण रूप से मोटा और आनंदहीन। वह यह पूछने के लिए आया था कि वह अपने पास्टर को कैसे बता सकता है कि उसे प्रत्येक सप्ताह विश्राम की आवश्यकता है। मुझसे सलाह लेने के बाद, वह अपने पास्टर से बात करने के लिए चला गया। एक हफ्ते बाद, उसने रोते हुए मुझे वापस फोन किया, कि बातचीत योजना के अनुसार नहीं हुई थी। विश्राम की आवश्यकता व्यक्त करने के बाद, उनके अधिकारी ने उससे कहा:
♦ अगर मुझे एक भी दिन विश्राम की आव्यशकता नहीं है, तो तुम्हे भी नहीं है। ♦
विश्राम दिन की आज्ञा में शक्ति और विश्राम के बीच घनिष्ठ संबंध है। जब अधिकारी विश्राम नहीं करते हैं, तो उनके नीचे काम करने वाले भी आमतौर पर विश्राम नहीं करते हैं। दूसरे तरीके से कहा जाए तो, अगर मेरा विश्राम किसी और की गुलामी करना है, तो मैं उचित रूप से विश्राम नहीं कर रहा हूँ।
हम देखते हैं, कि विश्राम दिन आपके बीच में जो “विदेशी” है उनके लिए भी है। यह एक गहरा रहस्य है और विश्राम के व्यापक दायरे की बात करता है। विश्राम दिन सिर्फ इज़राइल के लिए नहीं था। विश्राम दिन समस्त संसार के लिए था। यहाँ तक कि इज़राइल में किसी को भी (भले ही वे इज़राएली न हों) हर सप्ताह विश्राम का दिन दिया जाना था। इस पर विचार करें। किसी अन्य धर्म का नाम बताइए जिसके पास पूरे विश्व को आशिर्वादित करने के स्पष्ट इरादे के साथ आदेश है।
कल्पना कीजिए कि यदि आपकी धार्मिक परंपरा आपके आस-पास के लोगों को, यहाँ तक कि आपके शत्रुओं को भी, स्वतंत्रता और विश्राम दे तो कैसा होगा। कल्पना कीजिए कि आपके धार्मिक विश्वास/ आस्था ने न केवल धार्मिक प्रथाओं का पालन करने वालों को आशिर्वादित किया बल्कि आपके विश्वास प्रणाली के बाहर के लोगों के लिए भी व्यापक प्रभाव पड़ा। और यीशु के अनुयायियों के लिए, यह पता चला है कि यह प्रभाव डालता है। विश्राम दिन के पालन से सृष्टि के हर पहलू को फायदा होना चाहिए, न कि केवल धार्मिक लोग जो इसे रखते हैं।
प्राचीन यहूदी दार्शनिक फ़िलो ने अपनी किताब “ऑन द सब्बथ” में, समाज में सभी के लिए विश्राम दिन की समृद्धि के बारे में लिखा है: “सातवें दिन हर शहर में लोगों के सामने विवेक, न्याय और अन्य सभी सद्गुणों के असंख्य पाठ पढ़ाए गए। . . और इसलिए सभी के जीवन में सुधार हुआ है। इज़राइल के चारों ओर के राष्ट्रों को आशीष देने का यह तरीका उनके आस-पास के अन्य राष्ट्रों के आर्थिक स्वरूपों के बिल्कुल विपरीत था – विशेष रूप से मिस्र।
फिर, अंत में, विश्राम के दिन, पशुओं को भी एक दिन का विश्राम मिलेगा। “पशु” शब्द सभी घरेलू पशुओं को संदर्भित करता है। नॉर्मन विर्ज़बा लिखते हैं, विश्राम के दिन जानवरों को, “हमारी निरंतर मांगों की अधीनता से बाहर आने की स्वतंत्रता होनी चाहिए, जैसे कि जब जानवरों को विश्राम करने और खुद को तरो-ताज़ा करने के लिए छोड़ दिया जाता है या खेतों को परती (fallow) रहने के लिए छोड़ दिया जाता है। जैसे-जैसे हम अपने नियमित कठिन परिश्रम को पूरा करते हैं, हम मूल्यवान सबक सीखते हैं कि संपूर्ण सृष्टि केवल हमारे लिए और हमारी इच्छाओं को पूरा करने के लिए विशिष्ट रूप से मौजूद नहीं है।
इज़राइल में जानवरों के साथ उचित व्यवहार किया जाना था। जिस प्रकार मनुष्य मजदूरी के योग्य था, उसी प्रकार जब कोई बैल खेत में काम कर रहा हो, तो उसका मुंह नहीं बांधा जा सकता था (व्यवस्थाविवरण 25:4)। और जानवरों को एक विश्राम वर्ष के दौरान परती पड़े खेतों से फल और सब्जियां खाने की अनुमति थी (निर्गमन 23:11)। जानवरों के प्रति इस उच्च दृष्टिकोण के अनुरूप ही विश्राम का आदेश आता है। जानवरों को भी सप्ताह में एक दिन विश्राम करने की आवश्यकता थी जो परमेश्वर के लिए बनाया गया था। जानवरों के विश्राम करने के लिए परमेश्वर की आज्ञा हमें बताती है कि यहूदी परंपरा जानवरों की देखभाल के लिए अत्यंत प्रतिबद्ध है, शायद किसी भी अन्य प्राचीन धर्म से अधिक। यहां तक की यीशु ने एक सिद्ध विश्राम दिन को छोड़ कर पहले एक गड्ढे में गिरे बैल की जरूरतों की देखभाल करने के बारे में सिखाया है (लूका 14:5)।
यह बड़ा विचार सरल है, पर गहरा है। विश्राम आपके लिए है! परन्तु, जब आप विश्राम करते हैं, तो इसका असर आपके आसपास के सभी लोगों तक गूंजता है। यह सिर्फ आपको प्रभावित नहीं करता है। यह हर किसी को और आपके आस-पास की हर चीज को भी प्रभावित करता है!
जैसा कि आप आशा से देख सकते हैं, विश्राम दिन न केवल संसार के लिए परमेश्वर के प्रयोजन के लिए महत्वपूर्ण है; बल्कि, यह हमारी समृद्धि और संपूर्ण सृष्टि की भलाई के लिए समान रूप से महत्वपूर्ण है। इस लेख में, हमने न केवल विश्राम दिन का पता लगाया है, बल्कि विश्राम के कुछ प्रमुख घटकों का भी पता लगाया है।
लेकिन मैं यह भी दावा करूंगा कि विश्राम दिन किसी और भी महान चीज का संकेत है,वह है -सुसमाचार!
सृष्टि के छठे दिन मानव जाति बनाई गई थी।
सातवां दिन वह था जिसमें परमेश्वर उत्पादकता और श्रम को पूरा कर चुका था। आदम और हव्वा के अस्तित्व का पहला पूरा दिन विश्राम का दिन था, काम का नहीं। क्या पहला प्रभाव है! (first impression) सामाजिक वैज्ञानिक बताते हैं कि हम अपनी पहली मुलाकात के पहले 100 मिलीसेकंड में लोगों के बारे में अपना मन बना लेते हैं। दरअसल,पहला प्रभाव मायने रखता है। कल्पना कीजिए कि आदम और हव्वा पर परमेश्वर का क्या पहला प्रभाव पड़ा होगा जब उन्होंने अपने पहले दिन में परमेश्वर की उदारता के बारे में जाना होगा। परमेश्वर और परमेश्वर द्वारा बनाए गए संसार के बारे में उनका पहला ज्ञान यह था कि विश्राम बाद का विचार नहीं था— बल्कि विश्राम का ही सर्वप्रथम महत्व था।
आदम और हव्वा ने इस निःशुल्क/निष्कारण विश्राम के दिन को प्राप्त करने के लिए कोई भी कार्य सम्पन्न नहीं किया था। विश्राम, मेरे अनुमान में, बाइबिल की कहानी में सुसमाचार की पहली छवि है। परमेश्वर का स्वभाव हमेशा पहले विश्राम देना है; काम बाद में आता है। यह हम सभी के जीवन में परिलक्षित होता है। इस संसार में हमारे जीवन के शुरू होने से पहले, हमें गर्भ में नौ महीने का विश्राम मिला। काम करने से पहले, हमें बच्चों के रूप में खेलने के लिए कुछ वर्ष मिलते हैं। और हमारे छह दिन के श्रम से पहले, हमें विश्राम का दिन मिलता है। कार्ल बार्थ ने प्रसिद्ध रूप से बताया कि आदम और हव्वा को उस पहले विश्राम के दिन में परमेश्वर और उसकी सृष्टि का उत्सव मनाना था: “कि परमेश्वर ने सातवें दिन विश्राम किया, और उसे आशीष दी और पवित्र ठहराया, यह पहला दिव्य कार्य है जिसमें मनुष्य को साक्षी के रूप में विशेषाधिकार प्राप्त है। और वह यह है कि मनुष्य स्वयं परमेश्वर के साथ विश्राम दिन का पालन कर सकता है, काम से पूर्णता: स्वतंत्र हो कर,यह मनुष्य से बोला गया पहला शब्द है,और उस पर डाला गया उसका पहला उत्तरदायित्व भी है।
मानव जाति के पास उत्सव मनाने के लिए केवल परमेश्वर की भलाई थी, और कुछ नहीं। काम अभी शुरू भी नहीं हुआ था। अनुग्रह! परमेश्वर का स्वभाव। सृष्टि के परमेश्वर की स्तुति करो जो अपने संसार को काम करने से पहले विश्राम देता है। जिस परमेश्वर ने विश्राम दिन को बनाया वह निश्चित रूप से वही परमेश्वर है जो क्रूस पर अनंत अनुग्रह देता है।
विश्राम दिन हमें सिखाता है कि हम परमेश्वर को प्रसन्न करने के लिए कार्य नहीं करते हैं। बल्कि, हम इसलिए विश्राम करते हैं क्योंकि परमेश्वर पहले से ही मसीह में हमसे प्रसन्न हैं। यह हो सकता है, अगर हम विश्राम दिन के उपहार को ग्रहण करने के लिए तैयार रहें हों जो वह हमें देता रहता है।