मसीह की ओर से अगुवे होने की सेवकाई की सख्त ज़रूरत है जो आश्चर्यजनक रूप से कठिन और संभावित रूप से खतरनाक बुलावट हैI यह पुरुस्कृत अवश्य हो सकता है, परन्तु यह किसी ने नहीं कहा कि यह आसान या सुरक्षित होगा या फिर ऐसा जिसकी हमने अपेक्षा की होI
बिल क्राउडर,आर. बी.सी. डायरेक्टर ऑफ़ चर्च मिनिस्ट्रीज़ ने अपने साथी अगुवों के लिए यथार्थवाद तथा प्रेम के साथ, निम्नलिखित प्रष्ठों में अपना ह्रदय खोल दिया हैI तीमुथियुस को पौलुस द्वारा दिए गए ज्ञान तथा स्वयं के वर्षों के अनुभवों को साथ में जोड़कर बिल अपने शब्दों में बताते है कि “हम क्या करते हैं” “हम कैसे करते हैं” और “हम क्यों करते हैं”- ताकि परमेश्वर के वचन के माध्यम से लोग परमेश्वर के महान और अद्भुत प्रेम को जान सके और ग्रहण कर सकेI
मार्टिन आर.डी.हान II
1950 के दशक में बड़े होने वाले बच्चों के रूप में, मैं उस डिज़नी पीढ़ी का हिस्सा था जो मिकी माउस हाउस क्लब और डिज़नी की अद्भुत दुनिया का अपना पहला अनुभव लेते हुए बड़े हुए थेI मैंने किसी दिन अपने बचपन के तीर्थ स्थान की यात्रा करने का सपना देखा था जो था – “डिज़नीलैंड का जादुई साम्राज्य”
मैं उन वाल्ट डिज़नी नायकों के कारनामों को देखने के लिए सबसे ज्यादा जीता था जो हर सप्ताह पेश किये जाते थे, चाहे वह टेक्सास जॉन स्लॉटर,”ज़ोरो” या फ़िर “स्वाम्प फ़ॉक्स”(फ्रांसिस मारिओंन) मैं कल्पना करता था कि मैं भी उनके साथ न्याय और स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ रहा हूँ, फिर भी डिज़नी के चित्रण डेवी क्रोकेट के कारनामें उन ख़ास पलों से भी कही उत्कृष्ट हुआ करते थे जिन्हें मैं स्तब्ध होकर देखता थाI
मैंने जब से फ़ेस पार्कर को डेवी क्रोकेट के “किंग ऑफ़ द वाइल्ड फ्रंटियर” की मुख्य/शीर्षक भूमिका में देखा था तब से मैं न सिर्फ क्रोकेट पर बल्कि उस शौर्य से भरे अंतिम एपिसोड पर भी मोहित हो गया था जिसमे वे अलामो के युद्ध में जिम बोवी, विलियम बर्रेट ट्रेविस और 180 से भी अधिक टेक्सास निवासियों के साथ स्वतंत्रता की लड़ाई लड़ते हैI मेरी दिलचस्पी और भी बढ़ गयी जब जॉन वेन ने 1960 के प्रारंभ में अलामो के ऊपर एक फ़िल्म बनायीं थी जिसमे उन्होंने स्वयं क्रोकेट मोकासिन्ज़ की भूमिका निभाई थीI
आज भी मैं लगभग कुछ भी पढना जारी रखता हूँ जो मुझे अमेरिकी इतिहास में उस जल विभाजन (वाटरशेड) की घटना के बारे में मिल सकता हैI
लोग अपेक्षा रखते है
मेरे उत्साह की कल्पना कीजिए जब मैंने सुना कि डिज़नी कंपनी अलामो गाथा का एक नया संस्करण फिल्मा रही है जो 2004 में रिलीज होनी थी। उस फिल्म में, बिली बॉब थॉर्नटन (जो वास्तविक क्रॉकेट के पुराने लिथोग्राफ (छाप) के समान दिखते थे) डेवी क्रॉकेट के रूप में उनका एक विशेष दृश्य था जिसने मेरा ध्यान सदा के लिए अपनी ओर खींच लिया।
उस दृश्य में, क्रॉकेट एक दीवार पर खड़े हुए पहरा दे रहा था, जब एक दूत शत्रु की सीमा रेखाओं से फिसल गया और मिशन-किले से दूर सैनिकों की मदद लेने के लिए निकल गया। जैसे ही उन्होंने अपने विकल्पों पर विचार किया, बोवी क्रॉकेट के नियुक्त स्थान पर आए और, जैसे डेवी के दिमाग को पढ़ रहे थे, उन्होंने कहा, “एक आदमी संभावनाओं पर विचार करता है, है ना?”
क्रॉकेट का जवाब अमूल्य था: “लोग अपेक्षा रखते हैं अगर यह सिर्फ मैं होता, टेनेसी का साधारण पुराना ‘डेविड, तब मैं किसी भी रात उस दीवार पर से गिर सकता हूं और खतरा मोल ले सकता हूं। लेकिन वह तो डेवी क्रॉकेट फेलर है – और वे सभी उसे देख रहे हैं। वह तो अपने जीवन के हर दिन इन दीवारों पर ही खड़ा हैं।“
क्रॉकेट के शब्द, “लोग अपेक्षा रखते हैं” मुझे बार बार याद आते रहते हैं।
अपेक्षा की सामर्थ्य
अपेक्षाएँ बहुत सामर्थ्यशाली चीज़ होती हैंI हम स्वयं को उनके प्रति प्रतिक्रिया करते हुए पाते है,उनके अनुरूप जीते हुए,स्वयं को उनके नीचे कुचला हुआ पाते है- यहाँ तक की उनके बारे में शिकायत भी करते हैI एक चीज़ जो हम नहीं कर सकते है वह है उनसे बचनाI लोग अपेक्षा रखते हैI
हम अपेक्षाओं से नहीं बच सकते है, लोग अपेक्षा रखतेहैI
यह बात चर्च के लिए भी सच हैI जो लोग परमेश्वर का वचन सिखाते है,उनका मूल्यांकन कलीसिया द्वारा किया जाता हैI देखने वाली दुनिया के साथ,हमारे अपने लोग भी हमसे अपेक्षा करते हैंI और उन अपेक्षा से निकलने वाला बोझ बहुत भारी हो सकता हैI
हाल ही में एक विदेश यात्रा पर, मैं सहकर्मियों द्वारा किये गए एक अवलोकन से चकित थाI जब हम उनके घर से कार्यालय/ऑफिस गए, तब मेरे मित्र ने मुझसे एक चौकाने वाला प्रश्न पूछाI उसने कहा,”इतने सारे बूढ़े अगुवे/पासवान कटु/कड़वे क्यों होते है?
”इतने सारे बूढ़े अगुवे/पासवान कटु/कड़वे क्यों होते है?
कुछ पल सोचने के बाद,मैंने उत्तर दिया,सबसे पहले एक बूढ़े अगुवे/पासवान के रूप में मैं यह कह सकता हूँ कि सभी बूढ़े पासवान कटु/कड़वे नहीं होते है,लेकिन यह कहने के बाद, मुझे लगता है कि कुछ कारणों की वजह से कई अगुवे/पासवान कटु/कड़वे होते हैI
“पहली बात,अगुवे/पासवानों को बहुत ही कम प्रोत्साहन मिलता हैI फिर भी उन्हें ऐसे लोगों के साथ व्यवहार करना पड़ता है जो अक्सर जीवन के सबसे अँधेरे और सबसे चुनौतीपूर्ण क्षणों में होते हैI यह बहुत ही थका देने वाला काम होता हैI”
“दूसरी बात, यह है कि लोगो को अपने अध्यात्मिक अगुवों से इतनी अधिक अपेक्षाएँ होती है कि असफ़ल होना निश्चित रूप से तय होता हैI वर्षों तक स्वयं को दूसरों की आव्यशक्ताओं तथा कल्याण के लिए देते रहने पर भी की कुछ मनमाने और अनुचित मानकों पर खरे न उतरने के लिए लगातार आलोचना मिलती रहे तो यह पासवानों/अगुवों को व्यथित/परेशान कर सकता हैI यह उन्हें पस्त/थका सकता हैI”
अपेक्षाओं की पुनः जांच करना
लोग अपेक्षा रखते हैI चाहे सही हो या गलत,उचित हो या अनुचित,दयापूर्वक हो या निर्दयतापूर्वक- लोग अपेक्षा रखते हैI और वे अपेक्षाएँ किसी ऐसे व्यक्ति को अपंग/बाधित कर सकती है जिस पर परमेश्वर के झुण्ड/कलिसीया की अगुवाई करने का उत्तरदायित्व हैI
लोगो को अपने अध्यात्मिक अगुवों से इतनी अधिक अपेक्षाएँ होती है कि असफ़ल होना निश्चित रूप से तय होता हैI
ताकि हम अपने ध्यान को स्पष्ट और अपनी प्राथमिकताओं को सीधा/सटीक रख सकेंI हममें से जो लोग मसीह के नाम पर दूसरों की सेवा कर रहे है , वे स्वयं को नियमित रूप से यह याद दिलाने से लाभ उठा सकते हैं कि क्या मायने रखता है और क्योंI हालांकि यह जानना महत्वपूर्ण है कि हमारी कलीसिया हमसे क्या चाहती हैं, इससे भी कही अधिक महत्वपूर्ण यह है कि हम अपनी सोच की पुनः जाँच करे कि परमेश्वर हमसे “क्याँ”,”क्यों” और “कैसे” अपेक्षा रखता हैI
प्रेरित पौलुस ने यह समझा कि स्थानीय कलीसिया का कार्य कितना चुनौती पूर्ण हो सकता हैI प्रेरित पौलुस ने यह भी समझा कि मसीह के सेवकों के लिए (जवान और बूढ़े समान रूप से) पासवानी अगुवाई अपनी सभी अपेक्षाओं के साथ बहुत ही दमनकारी हो सकती हैIयह पौलुस द्वारा हमारे नए नियम की तीन पुस्तकों को लिखने की प्रेरणा का कम से कम हिस्सा है: 1तिमिथीयुस,2तिमिथीयुस,और तीतुस
चिंतित परामर्शदाता
पौलुस ने तिमिथियुस और तीतुस को प्रशिक्षित किया था और उनके अध्यात्मिक और पासवानी विकास में निवेश करना जारी रखना चाहते थाI उन्हें मसीह के प्रभावी सेवक बनने में मदद करने के लिए उसने एक सतत निर्देश लिखा जिसे अक्सर ”पासवानों की पत्री” कहा जाता हैI हम मसीह के इन युवा सेवकों के लिए पौलुस की देखभाल के बारे में कुछ अद्भुत बातें देखते हैI हम पौलुस के शब्दों में देखते है:
• उनके प्रति उसका स्नेह (1 तिम. 1:2; 3:14; 2 तिम. 1:2; 4:9; ति 1:4)
• उनके प्रति उसकी चिंता (1 तिम. 4:12; 5:23; 2 तिम. 1:8; ति. 2:15)
• उनको दी गयी चुनौतिया (1 तिम. 1:18;4:14;6:2-11; २ तिम. 2:1;ति;2:1)
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अपने गहरे स्नेह के आश्वासन और प्रार्थनाओं के साथ, पौलुस इन युवा चरवाहों की मदद करने के लिए प्रतिबद्ध थेI
तिमिथियुस और तितुस, आध्यात्मिक युद्ध की अग्रिम पंक्ति पर पौलुस के साथ जुड़ने जा रहे थे. पौलुस ने जो अंतर्दृष्टि, बुद्धि और अनुभव उनके साथ साझा किया वह अमूल्य था. कई लड़ाइयो के एक अनुभवी के रूप में, पौलुस ने सुसमाचार के कार्य में उन्हें आशा और प्रोत्साहन प्रदान करते हुए उनकी चुनौतियों में उनका मार्गदर्शन कियाI उसने उनकी सैद्धांतिक नींव और ढांचे की पुष्टि कीI सबसे महत्वपूर्ण रूप से उसने उन्हें एक सन्दर्भ बिंदु दिया जिससे वे स्पष्ट रूप से अपने पासवानी के लक्ष्य की अपेक्षाओं और प्राथमिकता को समझ सकतेI इन युवकों के लिए इसका मतलब था कि झूठे सिद्धांतों,व्यक्तिगत भय,यौन प्रलोभन और यहाँ तक कि सहकर्मियों के अध्यात्मिक दोष की चुनौतियों का सामना करते हुए जो सबसे महत्वपूर्ण बात पर ही अपना ध्यान केन्द्रित करनाI
पौलुस ने उन्हें एक सन्दर्भ बिंदु दिया जिससे वे अपने पासवानी के लक्ष्य की अपेक्षा और प्राथमिकता को समझ सकतेI
शुरुआत के लिए एक स्थान
पौलुस ने तिमुथीयुस को अपना पत्र पिता के अभिवादन के साथ कियाI उसने विश्वास में अपने पुत्र के लिए अपनी हार्दिक इच्छा व्यक्त करके प्रारंभ किया कि वह हमारे पिता परमेश्वर, और हमारे प्रभु येशु मसीह की अनुग्रह,दया और शांति को जान सकें(1:2)
उसके बाद आगे बढ़ते हुए जो कुछ भी पौलुस के मन में था वे लिखते गये । उन्होंने अपने युवा शिष्य को उन लोगों के सामने साहस दिखाने की चुनौती दी जो विश्वास के मूलभूत मामलों के बजाय खुद को धार्मिक अटकलों के लिए दे रहे थे जो उन्हें सौंपे गए थेI(vv3-4)
पौलुस के विचारों में सबसे ऊपर यह था की वे तीमुथियुस को यह याद दिलाना चाहते थे कि उन्होंने उसे पहले बताया था। वे खतरनाक और भ्रामक विचारों को कलीसिया में जड़ जमाने नहीं दे सकते थे। जो लोग धार्मिक अटकलों को बढ़ावा देने वाले विचारों को स्वीकार कर रहे थे, वे आध्यात्मिक संकट में थे, और उनके चरवाहे के रूप में यह तीमुथियुस का काम था कि वह उन्हें वापस अंदर खींचने की कोशिश करे।
एक उद्देश्यपूर्ण वक्तव्य (कथन)
इन सभी चुनौतियों के संदर्भ में, पौलुस ने अब तक तैयार किए गए उद्देश्य के सबसे महत्वपूर्ण कथनों में से एक को लिखा।
ऐसा बयान सामयिक है। हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जो संगठित मिशन(कॉर्पोरेट मिशन) के वक्तव्य/कथन को महत्व देती है। ये बयान घोषित करते हैं कि एक संगठन क्यों मौजूद है और वह अपनी जगह संगठित (कॉर्पोरेट) जंगल में कैसे भरने की उम्मीद करता है। चाहे एक बेहतर चूहेदानी बनाना हो, सामान्य सर्दी का इलाज करना हो, या अधिक स्वादिष्ट फास्ट-फूड हैमबर्गर बनाना हो, ये संगठन अपने मिशन के बयानों से जीते और मरते हैं। उद्देश्य की वे घोषणाएं उन सभी पर ध्यान और स्पष्टता देती हैं जो वे अपने संगठित (कॉर्पोरेट) प्रयासों में करते हैं।
पौलुस चाहता था कि युवा तीमुथियुस भी स्थानीय कलीसिया में सेवकाई के प्रति ऐसा ही प्राथमिकता का दृष्टिकोण रखे। इसके लिए, उसका अभिवादन करने और उसे चुनौती देने के बाद, पौलुस ने तीमुथियुस का ध्यान प्रभावशाली सेवकाई के ह्रदय पर केंद्रित किया। उन्होंने उसे पासवानी देखभाल के लिए एक मिशन वक्तव्य दिया जिसमें चरवाहा के कार्य के सभी महत्वपूर्ण तत्वों के साथ-साथ उनके पीछे के कारण भी शामिल हैं। इसमें कार्य को पूरा करने की रणनीति भी शामिल है। 1 तीमुथियुस 1:5 में पौलुस ने अपना विशेष कार्य का वक्तव्य दिया:
“हमारी आज्ञा का सारांश यह है कि शुद्ध मन और अच्छे विवेक, और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो।” (NASB)
वहाँ, एक पद में, हम महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर पाते हैं – क्या, क्यों, और विशेष रूप से कैसे कि हमें मसीह के नाम पर क्या करने के लिए बुलाया गया है। इन सवालों के जवाब इस बात के महत्व की खोज करते हैं कि हम मसीह के लिए अपनी सेवा में क्या करते हैं और प्रभावी सेवकाई के ह्रदय को स्पष्ट परिभाषा देते हैंI
सेवकाई के लिए प्रेरित पौलुस का विशेष कार्य वक्तव्य:
“हमारी आज्ञा का सारांश यह है कि शुद्ध मन और अच्छे विवेक, और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न हो।” 1 तीमुथियुस 1:5 (NASB)
“क्या” प्रश्न का उत्तर देना
पहला चर्च जिसमें में मैंने सेवकाई की थी, उस में हमारा एक सदस्य विशेष रूप से बहु उपयोगी साबित हुआ। बिल्डिंग ट्रेडों से संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में वेन्डेल के पास क्षमताओं की दुनिया थी। उन्हे प्लंबिंग, इलेक्ट्रिकल, हीटिंग और एयर कंडीशनिंग, बढ़ईगीरी और यहां तक कि सामान्य अनुबंध के परियोजना प्रबंधन तत्वों की भी समझ थी। इस कारण से, जब चर्च परिवार ने एक पुरानी सुविधा(जगह) खरीदी और हमारी इमारत को फिर से बनाना शुरू किया गया, तो हम वेंडेल पर बहुत अधिक निर्भर थे। वास्तव में, हमने उसे परियोजना की अवधि के लिए अपने सामान्य ठेकेदार के रूप में काम पर रखा था।
यह परियोजना इतनी सफल साबित हुई कि, जब मैं एक अन्य चर्च के पासवान के लिए कैलिफोर्निया गया, जहां एक बार फिर, निर्माण विशेषज्ञता की आवश्यकता थी, हम वेन्डेल और उनकी पत्नी को नवीनीकरण परियोजना में मार्गदर्शन करने में मदद करने के लिए लाए। वेन्डेल एक सच्चा “जैक-ऑफ-ऑल-ट्रेड”/हरफन्नमौला(एक व्यक्ति जो विभिन्न कार्यों में निष्क्रिय कार्य कर सकता है) था जो बिल्डिंग कोड, स्वयंसेवकों और उप-ठेकेदारों से जूझने में सक्षम था।उन्होंने कई अलग-अलग टोपियां पहनी थीं और असंख्य कार्यों को कुशलतापूर्वक और सफलतापूर्वक किया था। ऐसे पुरुष मुश्किल से मिलते हैं।
कुछ नौकरियां या बुलाहट पासवानी सेवकाई के रूप में ऐसी विविध अपेक्षाएं रखती हैं।
यह कहने के बाद कि, कुछ नौकरियां या पासवानी सेवकाई के रूप में ऐसी विविध अपेक्षाएं रखती हैं। एक चर्च का नेतृत्व करने के लिए बुलाए गए लोगों की मांगों के कारण “जैक-ऑफ-ऑल-ट्रेड” (हरफन्नमौला) की अपेक्षाएं पूरी हो जाती हैं। कई कलीसियाओं में आज, एक पासवान को:
• एक विशेषज्ञ परामर्शदाता, अनुदान संचय, दूरदर्शी, वक्ता, नेता, देखभाल करने वाला, नौकर और सी.ई.ओ होने की आवश्यकता है।
• वरिष्ठ वयस्कों, युवा परिवारों, “बेबी बूमर्स(baby boomers) और जेन एक्सर्स”(GenXers) से जुड़ने के लिए उनसे संबंधित सभी बातों की समझ होने के लिए समान चपलता के साथ सक्षम होने की आवश्यकता है।
• इतिहास, नैतिकता, वर्तमान घटनाओं और पॉप संस्कृति के मामलों पर ज्ञान और अंतर्दृष्टि के साथ टिप्पणी करने में सक्षम होना चाहिए।
इस प्रकार की माँगों के साथ, यह देखना आसान है कि क्यों कई पासवान/अगुवे अभिभूत महसूस करते हैं। सुपरमैन के लिए यह एक कठिन सूची होगी—मिट्टी के पैरों वाले सामान्य लोगों की तो बात ही छोड़ दीजिए, जिनसे परमेश्वर के झुंड का नेतृत्व और भरण-पोषण करने की अपेक्षा की जाती है। यही कारण है कि आध्यात्मिक अगुवे को खुद को सबसे महत्वपूर्ण चीज पर फिर से ध्यान देने की जरूरत है।
कोहरा साफ करना
तीमुथियुस को अपने दिन की विभिन्न अपेक्षाओं के कोहरे से बचाने में मदद करने के लिए, पौलुस ने एक पासवान/अगुवे की विभिन्न भूमिकाओं, कार्यों और जिम्मेदारियों को उठाया और उन्हें एक सामान्य भाजक के लिए तैयार किया, जिसे वाक्यांश में उल्लिखित किया गया था, “हमारे निर्देश का लक्ष्यI “(1:5 NASB)
सेवकाई का सम्बन्ध लोगों के जीवन में परमेश्वर के वचन को शामिल करने से होना चाहिए।
इस तर्क को अत्यधिक सरल बनाने का जोखिम उठाते हुए कहा जा सकता है कि उदहारण सहित वचन द्वारा निर्देश ही सभी सेवकाई का आधार है। कोई फर्क नहीं पड़ता कि और क्या हो रहा है,आध्यात्मिक चरवाहों को प्रभु के लोगों को परमेश्वर के प्रकट वचनों, विचारों और मूल्यों के साथ खिलाने के बारे में चिंतित होना चाहिए। जबकि चर्च अपने लोगों को महत्वपूर्ण सेवाओं की एक श्रृंखला प्रदान करते हैं, बाइबल के ज्ञान और सच्चाई को समझने के लिए जीवन के सभी चरणों और परिस्थितियों में लोगों की मदद करने से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है।ध्यान दें कि पौलुस एक पासवान/अगुवे की शिक्षा की विषय-वस्तु को क्या महत्व देता है।
निर्देश और पासवान/अगुवे की भूमिका।
परमेश्वर के वचन को सिखाना एक पासवान/अगुवे की जिम्मेदारियों के लिए इतना महत्वपूर्ण है कि जब पौलुस ने लिखा, तो दोनों अवधारणाओं को एक साथ जोड़ दिया, “उसने कितनों को भविष्यवक्ता नियुक्त करके,और कितनों को सुसमाचार सुनाने वाले, नियुक्त करके, और कितनों को रखवाले और उपदेशक नियुक्त करके दे दियाI जिस से पवित्र लोग सिद्ध हो जाएँ और सेवा का काम किया जाए,और मसीह की देह उन्नति पाएI जब तक कि हम सब विश्वास में और परमेश्वर के पुत्र के ज्ञान में एकता तक नहीं पहुँच जाते और परिपक्व नहीं हो जाते,मसीह की सम्पूर्णता को प्राप्त कर लेते हैI ” (इफि. 4:11-13)। कुछ बाइबल विद्वानों को लगता है कि इस मार्ग में दो शब्द (पासवान/अगुवे और शिक्षक) एक भूमिका निभाते हैं, वह है पासवान/अगुवे और शिक्षक,क्योंकि एक स्वस्थ झुंड की रखवाली के लिए शिक्षण बहुत आवश्यक है। यह प्राथमिक शिक्षण भूमिका है जो पासवानी सेवकाई के कार्य के अन्य सभी तत्वों के लिए पृष्ठभूमि और आधार दोनों प्रदान करती है।
निर्देश और चर्च का कल्याण।
तीमुथियुस को पौलुस की दूसरी पत्री में, उसने शिक्षक की भूमिका में एक और तत्व जोड़ा। उसने कहा, “वचन का प्रचार करो! जीवन के हर मौसम में तैयार रहो। सब प्रकार की सहनशीलता और शिक्षा के साथ उलाहना दे,और डांट और समझा(2 तीमु 4:2)। यह अनुग्रह से भरे निर्देश की भूमिका में है कि हम समझाने, चुनौती देने और प्रोत्साहित करने के कार्यों को पूरा करने में सक्षम हैं। यह महत्वपूर्ण है क्योंकि हमें नियमित रूप से अपने स्वयं के शब्दों की उपयोगिता की प्राकृतिक सीमाओं की याद दिलाई जाती है। लेकिन जब हम आध्यात्मिक मार्गदर्शन की आवश्यकता वाले लोगों को निर्देश देते हैं, प्रचार करते हैं और सलाह देते हैं, तो परमेश्वर के वचन की जीवन बदलने वाली शक्ति बढ़ जाती है।
निर्देश और विश्वासियों का विकास।
परमेश्वर के वचन के साथ परमेश्वर के लोगों की देखभाल और परिपोषण करना एक दोतरफा संबंध है। पतरस ने सिखाया कि विश्वासियों को स्वयं उन लोगों को जवाब देना चाहिए जो उनका परिपोषण कर रहे हैं: “नए जन्मे हुए बच्चों की नाई निर्मल आत्मिक दूध की लालसा करो,ताकि उसके द्वारा उद्धार पाने के लिए बढ़ते जाओ” (1 पतरस 2:2)। जिस प्रकार एक नवजात शिशु को स्वस्थ तरीके से विकसित होने के लिए पोषण की आवश्यकता होती है, उस प्रकार मसीह के दृष्टिकोण में बढ़ने के लिए विश्वासी का भी सूत्र है। मसीह की स्पष्ट समझ को प्रोत्साहित करने के लिए परमेश्वर के वचन को खोलना (व्यक्त/समझाना) एक पासवान/अगुवे की सर्वोच्च बुलाहट है। पौलुस ने लिखा, “जिस का प्रचार करके हम हर एक मनुष्य को जताते देते है और सारे ज्ञान से हर एक मनुष्य को सिखाते है,कि हम हर एक व्यक्ति को मसीह में सिद्ध करके उपस्तिथ करेI” (कुलु1:28) यह हमारी चुनौती है: विश्वासियों को मसीह की समानता और बाइबिल के चरित्र में बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए पवित्रशास्त्र को खोलना (व्यक्त/समझाना)। पासवान/अगुवे के ‘टूलकिट’ (औज़ारो का बक्सा )के सभी साधनों में से, शास्त्र अप्रतिम महत्व के स्तर तक बढ़ते हैं, क्योंकि वे सत्य की पुष्टि करते हैं और जीवन देते हैं।
पौलुस के पासवानी पत्र लगातार सेवकाई में बाइबिल की प्रधानता पर ध्यान दिलाते है। पवित्रशास्त्र में आत्मा-सक्षम निर्देश चरवाहे की देखभाल का सार है। यह आत्मा को दूध पिलाती है और जीवन का मांस और रोटी प्रदान करती है। तीमुथियुस और तीतुस के लिए पौलुस की चुनौतियाँ स्वयं मसीह द्वारा पतरस को जारी की गई चुनौती की प्रतिध्वनि है जब उसने पतरस को अपने झुंड के परिपोषण के द्वारा उसके लिए अपना प्रेम दिखाने के लिए तीन बार कहा (देखें यूहन्ना 21:15-17)।
हमारे अपने शब्दों का मूल्य सीमित है, लेकिन बाइबल के शब्दों का शाश्वत मूल्य है।
विशेष कार्य (मिशन) को पूरा करना
शिक्षण की प्राथमिकता पर लौटने के लिए हममें से कुछ लोगों के लिए एक क्रांतिकारी बदलाव की आवश्यकता हो सकती है जिन्होंने सेवकाई के कई दबावों को हमारे अध्ययन के समय को खत्म करने की अनुमति दी है। लेकिन ऐसा बदलाव हमारे लिए अच्छा होगा। परमेश्वर के वचन की सेवकाई को सामने और केंद्र में रखना पासवानी देखभाल के बारे में ऐतिहासिक सोच से एक प्रस्थान नहीं होगा, और न ही यह कोई एक सेवकाई संगोष्ठी से निकाले गए नवीनतम “गर्म मुद्दे” के बराबर होगा। इसके बजाय, यह उनके शिष्यों और उनके द्वारा स्थापित की जाने वाली कलीसिया के लिए मसीह के आदेश का एक मूलभूत तत्व है। मत्ती 28:19-20 में, उसने कहा:
“इसलिए तुम जाकर सब जातियों के लोगों को चेला बनाओ, और उन्हें पिता और पुत्र और पवित्र आत्मा के नाम से बपतिस्मा दो, और उन्हें सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी हैं, मानना सिखाओ; और देखो, मैं जगत के अंत तक सदैव तुम्हारे संग हूं।“ आमिन I
यह दिलचस्प है कि कई चर्चों में इस महान कमीशन (विशेष कार्य) को मिशन सम्मेलन सप्ताह के लिए हटा/अलग कर दिया गया है और लगभग विशेष रूप से एक आउटरीच मार्ग के रूप में ही देखा जाता है। लेकिन यह एक दुर्भाग्यपूर्ण और अधूरा दृष्टिकोण है।
इस मार्ग में मुख्य क्रिया हमें बताती है कि क्या करना है: चेला बनाओ! शिष्यों के लिए यूनानी शब्द का अर्थ है “शिक्षार्थी।” हम इन शिष्यों या शिक्षार्थियों को कैसे बनाते हैं? परिच्छेद के तीन कृदंत हमें बताते हैं कि कैसे:
• जाना
• बपतिस्मा देना
• शिक्षण
कलीसिया के प्रभु द्वारा अपने सेवकों को दिए गए अब तक के सबसे सुसमाचार प्रचार कथन में भी, शिक्षा की भूमिका अभी भी महत्वपूर्ण है। एक व्यक्ति द्वारा मसीह में क्षमा की स्वीकृति का अनुसरण किया जाना चाहिए और यह परमेश्वर के वचन के निर्देश और अनुप्रयोग पर आधारित होना चाहिए।
आदर्श/मानक स्थापित करना
हमारे लिए परमेश्वर के वचन के निर्देशों के बारे में चिंतित और प्रतिबद्ध होने के लिए मजबूर करने वाले कारण हैं। यह विश्वासियों को बनाने का एकमात्र तरीका है जो सत्य और त्रुटि के बीच अंतर कर सकते हैं। सच्ची मसीह समानता में बढ़ने का यही एकमात्र तरीका है। दुनिया में मसीह का प्रतिनिधित्व करने के लिए सुसज्जित होने का यही एकमात्र तरीका है। प्रेरित पतरस ने इस संबंध में एक कड़ी चुनौती जारी की जब उसने लिखा:
इसलिए हे प्रियो तुम लोग पहले ही से इन बातों को जान कर चौकस रहो,ताकि अधर्मियों के भ्रम में फँस कर अपनी स्थिरता को हाथ से कहीं खो न दोIआमीन (2 पत. 3:17-18)।
यह हमें परमेश्वर के वचन के शिक्षण सेवकाई के महत्व और उन लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभाव की याद दिलाता है जिनकी हम सेवा करते हैं। हम ह्रदय नहीं बदल सकते, लेकिन परमेश्वर का वचन बदल सकता है। और यही हमारे निर्देश का महत्व है। यह हमें बाइबल की जीवन-परिवर्तनकारी बुद्धि को समझने योग्य और सभी के लिए सुलभ बनाने में परमेश्वर के उपकरण बनने की अनुमति देता है।
“क्यों” प्रश्न का उत्तर देना
एक अभिभावक के रूप में, यह मेरा अनुभव रहा है कि एक बच्चा जो नंबर एक प्रश्न पूछता है – और हमेशा पूछता है – उसमें केवल एक शब्द होता है: “क्यों?”
कोई फर्क नहीं पड़ता कि मुद्दा या चिंता क्या हो सकती है, बच्चे हमेशा जानना चाहते हैं कि क्यों। वास्तव में, उनका इस प्रश्न के साथ पीछे पड़ जाना काफी कठिन हो सकता है। पांच बच्चों के पिता के रूप में, मैं समझता हूं कि कभी-कभी बच्चे हमें तंग करने के लिए इस मुद्दे को आगे बढ़ा सकते हैं (यह एक ऐसा कौशल है जिसके के साथ बच्चे पैदा होते हैं)। लेकिन खोज के मूल में यह समझने के लिए कि आखिर क्या है उस क्यों के पीछे और उसके लिए सतह के सभी चीज़ों को काटने और मामले की तह तक जाने की इच्छा क्यों है। जीवन के सभी क्यों प्रश्नों के उत्तर को समझना जो बुद्धिमान जीवन के मूल में ही पाए जा सकते हैं, ।
रास्ते में कहीं न कहीं, हम “क्यों?” पूछना बंद कर देते हैं। और पूछना शुरू करें “तो क्या?” हम एक कोने में मुड़ जाते हैं और इस बारे में कम चिंतित हो जाते हैं कि चीजें क्यों हैं महत्वपूर्ण हैं और इस बात से अधिक चिंतित हो जाते हैं कि क्या काम करता है या यहां तक कि हम इससे क्या प्राप्त कर सकते हैं। सवाल हमारे होठों को नहीं छोड़ता है, लेकिन अक्सर हमारे दिमाग में बहुत सक्रिय होता है, जिससे हमें आश्चर्य होता है, “इसमें मेरे लिए क्या है?”
सवाल हमारे होठों को नहीं छोड़ता है, लेकिन अक्सर हमारे दिमाग में बहुत सक्रिय होता है: “इसमें मेरे लिए क्या है?”
क्यों “क्यों” अभी भी मायने रखता है
“क्यों” मुद्दों का अनुसरण करके, जो काम करता है उसके व्यावहारिक मुद्दों के साथ व्यस्त रहना आसान है। हालाँकि, बाइबल स्पष्ट करती है कि सेवकाई के “क्या” मुद्दों को “क्यों” के मुद्दों पर दूसरा स्थान लेना चाहिए – यीशु क्यों आये, उन्हें क्यों मरना पड़ा, हम सुसमाचार का प्रचार क्यों करते हैं, अच्छे लोग कभी-कभी क्यों पीड़ित होते हैं, क्यों हमारे दिल के इरादे हमारे कार्यों से ज्यादा जोर से बोलते हैं। इसी तरह, इन सभी चीजों में, पासवानी कार्य के “क्या” तत्वों को करने की हमारी क्षमता को हम इसे “क्यों” करते हैं, यह हमारी समझ पर निर्धारित होता है।
सेवकाई के “क्या” तत्वों में प्रभावी होने की हमारी क्षमता “क्यों” द्वारा निर्धारित है।
“क्यों” यीशु के लिए क्यों महत्वपूर्ण था
यीशु ने अक्सर ह्रदय के इरादों के महत्व पर ज़ोर दिया। वह लगातार अपने अनुयायियों और विरोधियों दोनों को गहराई तक जाने के लिए प्रेरित करते रहे थे—क्या के व्यावहारिक तत्वों से परे जाने के लिए और उद्देश्य और इरादे पर विचार करने के लिए जोर देते थे। यीशु के लिए, यह क्यों इसलिए मायने रखता है क्योंकि यह अधिनियम से आगे बढ़कर ह्रदय के मकसद के पीछे जो मुद्दे रहते है उस पर जाता है।
कर्मों के पीछे के उद्देश्यों की यीशु की खोज के एक छोटे से नमूने पर ध्यान दें:
• • तो तुम क्यो
“वस्त्र के लिए चिंता करते हो?” (मत्ती 6:28)
“तू क्यों अपने भाई की आंख के तिनके को देखता है,और अपने आँख का लट्ठा तुझे नहीं सूझता?” (मत्ती 7:3)
• “हे अल्प विश्वासियों, तूने सन्देह क्यों किया?” (मत्ती 14:31)।
• “तू मुझसे भलाई के विषय में क्यों पूछता है?भला तो एक ही है; पर यदि तू जीवन में प्रवेश करना चाहता है,तो आज्ञाओं को माना करI” (मत्ती 19:17)
• “जब तुम मेरा कहना नहीं मानते,तो क्यों मुझे हे प्रभु,हे प्रभु कहते हो?” (लूका 6:46)।
किसी स्तर पर, मकसद के महत्व को समझना स्वयं मसीह की प्राथमिकताओं को समझना है। मकसद की शुद्धता के लिए जूनून इतना हो कि वे सेवकाई के लिए हमारी सोच को भी पूरी तरह से घेरे लेI
जब “क्यों” सेवकाई को चलाता है
छुटकारे के कार्य के संबंध में पिता परमेश्वर और पुत्र परमेश्वर के उद्देश्यों से परे, एक और महत्वपूर्ण “क्यों” प्रश्न है: हम सेवकाई क्यों करते हैं? हमें क्या अभिप्रेरित करता है, हमें विवश करता है और हमें प्रेरित करता है? शायद यही कारण है कि 1 तीमुथियुस 1:5 सेवकाई के लिए एक ऐसा अद्भुत संतुलित उद्देश्यपूर्ण कथन है। ध्यान दें कि एक उद्देश्य कथन हमें यह समझने में मदद करता है कि हम जो करते हैं वह क्यों करते हैं, और यह भी निर्धारित कर सकते हैं कि हम इसे कैसे करना चाहते हैं।
हम सेवकाई क्यों करते हैं? पौलुस का उत्तर इसकी सरलता में गहरा है: “लक्ष्य . . . प्रेम है।”
यह आश्चर्य की बात है!
पौलुस को एक धर्मशास्त्री के दिमाग के रूप में वर्णित किया गया है, लेकिन एक पुराने नियम के भविष्यवक्ता की मानसिकता वाला। हम उनसे यह सुनने की अपेक्षा कर सकते हैं कि हमारा लक्ष्य लोगों को मसीह के पास आते देखना या मसीह में परिपक्वता की ओर बढ़ना है, या जीवन को प्रभावित करने वाली सेवकाई स्थापित करना, या पवित्रता और सही जीवन को प्रकट करना है। वे सभी चीजें महान और बाइबिल के लक्ष्य हैं, लेकिन पौलुस ने अपने लक्ष्य को प्रेम के रूप में व्यक्त करना चुना। तब बाकी सब कुछ, परमेश्वर के प्रेम का अनुभव करने और उसे अपने पूरे ह्रदय से प्रेम करने का, और अपने पड़ोसी (और यहां तक कि हमारे शत्रु) को अपने समान प्रेम करने का एक साधन बन जाता है।
यह प्राथमिकता परमेश्वर के प्रेम को प्रदर्शित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है, न केवल उस सेवकाई के प्रयासों में जिसमें हम संलग्न हैं, बल्कि उन तरीकों में भी जो हम उन कार्यों को पूरा करने के लिए उपयोग करते हैं। इसका अर्थ है कि परमेश्वर का प्रेम हमारे कार्य के पीछे प्रेरक शक्ति बन जाता है।
यह प्राथमिकता हमारी सेवकाई में परमेश्वर के प्रेम को प्रदर्शित करने की प्रतिबद्धता को दर्शाती है।
इसका एक उदाहरण सुसमाचार प्रचार के प्रति पौलुस की अपनी प्रतिबद्धता में देखा जाता है। 2 कुरिन्थियों 5 में, पौलुस कुरिन्थ की कलीसिया को अधिक सुसमाचारवादी होने की चुनौती दे रहा था। इस तरह के प्रयास के कई अच्छे कारण थे:
•• हम मसीह के न्याय आसन के सामने खड़े होंगेI (व.10)
• लोग अनन्त न्याय का सामना करते हैंI (वव.10-11)
• सो यदि कोई मसीह में है, तो वह नयी सृष्टि हैI (व.17)
• विश्वासियों को परमेश्वर के राजदूत के रूप में सेवा करने के लिए बुलाया गया हैI (व.20).
आउटरीच के लिए हर एक कारण महत्वपूर्ण है। हर एक कारणवजनदार है। फिर भी, इन महत्वपूर्ण सेवकाई मूल्यों के बीच, पौलुस ने यह स्पष्ट किया कि भले ही इनमें से प्रत्येक मुद्दा महत्वपूर्ण है, फिर भी यह वे नहीं थे जो उसे मसीह के संदेश के साथ लोगों तक पहुँचने के लिए प्रेरित करते थे। फिर उसकी प्रेरणा क्या थी?
क्योंकि मसीह का प्रेम हमें विवश करता देता है, इसलिए कि हम यह समझते है,कि हम यह समझते है कि जब एक सब के लिथे मरा, तो सब मर गए; और वह इस निमित्त सब के लिये मरा, कि जो जीवित हैं वे आगे को अपने लिये न जीएं, परन्तु उसके लिये जो उनके लिये मरा और फिर जी उठाI (2 कुरि 5:14-15)
आख़िरकार, जिस बात ने पौलुस को अपनी सेवकाई में वफ़ादार रहने के लिए प्रेरित किया वह था “मसीह का प्रेम।” वास्तव में, उन्होंने कहा कि इस प्रेम ने उन्हें “विवश” किया। यह एक रणनीतिक शब्द है। जो यूनानी भाषा में, दर्शाता है कि एक कर्तव्य जिसे निभाने के लिए एक सैनिक अपने पद पर बना हुआ था। अपनी बाइबिल टिप्पणी में, जैमीसन, फॉसेट और ब्राउन ने सेवा करने के लिए पौलुस की “विवशता” के बारे में कहा:
यह अप्रतिरोध्य शक्ति हमें अन्य विचारों के बहिष्कार के लिए एक महान वस्तु तक सीमित कर देती है। यूनानी भाषा में इसका का अर्थ है ” ऊर्जा को एक चैनल/प्रणाली में जबरन संपीड़ित करें। ” प्रेम किसी भी प्रतिद्वंद्वी वस्तु से ईर्ष्या करता है जो आत्मा का ध्यान खींचती हैI (2 कुरिं 11:1-3)
आख़िरकार, जिस बात ने पौलुस को अपनी सेवकाई में वफ़ादार रहने के लिए प्रेरित किया वह था “मसीह का प्रेम।”
जब मसीह का प्रेम हमारी सेवा की प्रेरक प्रेरणा है, तब वह प्रेम उसके जुनून के साथ हमारे ह्रदयों और विशेषताओं को रंग देगा और प्रभावित करेगा।
“क्यों” क्या दिखता है
पहला कुरिन्थियों 13:4-8 हमें इस प्रेम के चरित्र की याद दिलाता है। यह हमारे जीवन की नब्ज/धड़कन होने के साथ-साथ हममें उनके जीवन की अभिव्यक्ति भी है।
प्रेम धीरजवन्त है, और कृपाल है;प्रेम डाह नहीं करता; प्रेम अपनी बड़ाई नहीं करता,और फूलता नहींI वह अनरीति नहीं चलता,वह अपनी भलाई नहीं चाहता,झुंझलाता नहीं,बुरा नहीं मानता; कुकर्म से आनंदित नहीं होता,परन्तु सत्य से आनंदित होता हैIवह सब बातें सह लेता है,सब बातों की प्रतीति करता है,सब बातों की आशा रखता है,सब बातों में धीरज धरता हैIप्रेम कभी टलता नहींI
प्रेम हमारे सेवकाई प्रयासों में प्रेरक शक्ति होना चाहिए। यह बदल देगा कि हम कौन हैं और हमें उस मसीह के समान बनने में सक्षम करेगा जिसकी हम सेवा करते हैं:
प्रेम बदल देगा कि हम कौन हैं और हमें उस मसीह के समान बनने में सक्षम करेगा जिसकी हम सेवा करते हैं।
• जब हम अपने हृदयों को उसके प्रेम से प्रेरित होने देते हैं, तो यह हमारे चरित्र को प्रभावित करेगा।
• जब हम उसके प्रेम को हमारे चरित्र को ढालने देते हैं, तो यह हमारे मूल्यों और प्राथमिकताओं को प्रभावित करेगा।
• जब हम उसके प्रेम को हमारे मूल्यों और प्राथमिकताओं को बदलने की अनुमति देते हैं, तो यह हमारे अंदर प्रभावी सेवकाई का हृदय विकसित करेगा।
“कैसे” प्रश्न का उत्तर देना
गृह-सुधार संसाधनों की तुलना में आज कुछ चीजें अधिक सामान्य हैं। घर-सुधार गोदामों और आपूर्ति स्टोरों के अलावा, दर्जनों किताबें, वेब साइट, टेलीविजन कार्यक्रम- और कम से कम दो संपूर्ण केबल चैनल (एचजीटीवी/HGTV और डीआईवाई/DIY) हैं –जो लोगों को घर की मरम्मत का तरीका सीखने में मदद करने के लिए समर्पित है। यदि हम अपने घरों में निवेश और हमारे जीवन की गुणवत्ता में सुधार करना चाहते हैं तो ये संसाधन पालन करने के लिए आसान (और सुरक्षित) कदम दिखाते हैं। जब हम “कैसे” पूछते हैं, तो आमतौर पर हम किस प्रकार की चीजों के बारे में सोचते हैं? शायद चीजें जैसे:
• ड्राईवॉल लटकाने के तीन आसान चरण।
• लाइट फिक्स्चर को वायर करने के तीन आसान चरण।
• घर में बगीचा लगाने के तीन आसान चरण।
• छत की मरम्मत के तीन आसान चरण।
• करने के लिए तीन आसान कदम। . . जो भी हो।
मुझे तीन आसान चरण पसंद हैं। लेकिन, पौलुस के मन में, लोगों की चरवाही करने के अद्भुत परन्तु कठिन कार्य में किसी भी चीज़ के लिए तीन आसान चरण नहीं थे। वास्तव में, उनके सोचने के तरीके से, पासवानी के कार्य का “कैसे” का कार्यप्रणाली से बहुत कम लेना-देना था। इसका संबंध चरित्र से था।
ई.एम. बाउंड्स पौलुस के रवैये को प्रतिबिंबित करते हैं जब उन्होंने कथित तौर पर कहा, “चर्च बेहतर तरीकों की तलाश में है, लेकिन परमेश्वर बेहतर पुरुषों की तलाश में है।”
इसके लिए, पौलुस चाहता था कि तीमुथियुस ईश्वरीय चरित्र को हमारी आध्यात्मिक सेवा के अंतिम “कैसे” मुद्दे के रूप में देखे। इस तरह की सेवकाई के लिए मंच क्या है? हम ऐसे शाश्वत महत्वपूर्ण कार्यों को करने के बारे में कैसे जा सकते हैं? पौलुस ने कहा कि इस तरह की सेवकाई मसीह के साथ हमारे रिश्ते में निहित आध्यात्मिक चरित्र के तीन गुणों से प्रवाहित होती है: एक शुद्ध हृदय, एक अच्छा विवेक और एक ईमानदार विश्वास।
“अस्प्रष्ट बर्फ की तरह शुद्ध” किसी ऐसी चीज की सुंदरता का वर्णन करने के लिए एक काफी सामान्य अभिव्यक्ति है जो अछूती और अदूषित है। शायद इसीलिए, मेरे बढ़ते हुए वर्षों में, एक स्थायी विज्ञापन अभियान ने कहा कि “आइवरी सोप 99.44% शुद्ध है।” यह पूर्णता के काफी करीब है इसे बहुत आकर्षक बनाने के लिए। संदेश सरल था: यदि आप स्वच्छ रहना चाहते हैं, तो आपको उस पर भरोसा करना चाहिए जो शुद्ध है।
हालाँकि, शुद्ध केवल स्वच्छ से अधिक है। यह “शुद्ध” है। जब कोई चीज शुद्ध होती है, तो अशुद्धियों को दूर करके उसे शुद्ध किया जाता है। यह न केवल पीने के पानी (“इंस्टाप्योर” फ़िल्टरिंग सिस्टम), 100% शुद्ध वर्जिन जैतून का तेल, या ऑटोमोटिव मोटर ऑयल (प्यूरोलेटर ऑटोमोटिव ऑयल फिल्टर) के लिए काम करता है, यह हमारे ह्रदय के लिए भी उतना ही सच है।
एक शुद्ध हृदय एक ऐसा हृदय है जिसे विश्वास द्वारा शुद्ध किया गया है।
तीमुथियुस को पौलुस की चुनौती में, जो हम दूसरों को मसीह के नाम पर दे रहे हैं, उसके लिए शुरुआती मंच (लॉन्चिंग पैड) “शुद्ध हृदय” है। यह विशेष रूप से एक ऐसे हृदय की बात करता है जो परमेश्वर और मनुष्य दोनों के सामने ईमानदार है। यह आत्मा की एक स्थिति है जो छल और भयावह इरादों से घृणा करती है। यह उन लोगों को संदर्भित करता है जो अपने स्वयं के रुझान के बारे में इतने जागरूक हैं कि वे नियमित रूप से प्रार्थना कर रहे हैं, “हे परमेश्वर, मुझे जांच कर जान ले! मुझे परख कर मेरी चिंताओं को जान ले! और देख, कि मुझ में कोई बुरी चाल है कि नहीं, और अनन्त के मार्ग में मेरी अगुवाई कर!” (भज. 139:23-24)
सार्थक आराधना की कुंजी।
भजन संहिता 24 में, दाऊद ने इस वाक्यांश का प्रयोग उस व्यक्ति का वर्णन करने के लिए किया जो परमेश्वर के पास जाने में सक्षम है: “जिसके हाथ शुद्ध और शुद्ध मन है, जिस ने अपके प्राण को मूरत के साम्हने नहीं खड़ा किया, और न छल की शपथ खाईI” (व.4) शुद्ध हृदय के बिना, अराधना केवल एक यांत्रिक अभ्यास बन जाती है जो जुनून, भावना और भक्ति से रहित होती है। क्यों? क्योंकि हम परमेश्वर की आराधना तब तक नहीं कर सकते जब तक कि हमारे हृदय परमेश्वर के द्वारा शुद्ध नहीं हो जाते।
परमेश्वर के साथ एक सतत संबंध की कुंजी।
पहाड़ी उपदेश में, हमारे प्रभु ने घोषणा की, “धन्य हैं वे जो मन के शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्वर को देखेंगे” (मत्ती 5:8)। हृदय की पवित्रता एक ऐसी चीज है जिसे परमेश्वर हम में उत्पन्न करता है ताकि हम उसके साथ संगति में प्रवेश कर सकें।
एक ईश्वरीय उदाहरण की कुंजी।
पौलुस ने तीमुथियुस को निर्देश दिया कि, अपने विश्वास को जीने में, एक आध्यात्मिक अगुवे के रूप में उसका उदाहरण एक ऐसे हृदय में जड़ें जमाएगा जो परमेश्वर के सम्मुख है। उसने लिखा, “यौवन की अभिलाषाओं से भाग; और जो शुद्ध मन से प्रभु का नाम लेते हैं, उनके साथ धर्म, विश्वास, प्रेम, मेल मिलाप का पीछा कर” (2 तीमु. 2:22)।
परमेश्वर की संतान के हृदय में पवित्रता के महत्व के कई अन्य उदाहरण हैं, लेकिन बात स्पष्ट है – आध्यात्मिक सेवकाई के हमारे “कैसे करें” में एक आवश्यक घटक यह है कि हमें स्वयं उस विश्वास को स्वीकार करना चाहिए जिसे हम लोगों की अगुवाई करना चाहते हैं।यदि हमें दूसरों को उस विश्वास में भाग लेने के लिए नेतृत्व करने में उपयोगी होना है, तो हमें अपने जीवन और हृदय पर जीवित विश्वास के प्रभाव को दिखाने में भी सक्षम होना चाहिए।
यदि हमें दूसरों को उस विश्वास में भाग लेने के लिए नेतृत्व करने में उपयोगी होना है, तो हमें अपने जीवन और हृदय पर जीवित विश्वास के प्रभाव को दिखाने में सक्षम होना चाहिए।
वर्षों पहले, मैंने लाइफ एक्शन मिनिस्ट्रीज के डेल फेहसेनफेल्ड को एक संदेश का प्रचार करते सुना, जिसका शीर्षक था, “फोनी- बालोनी क्रिश्चियन।” इसमें उन्होंने अपनी खुद की आस्था यात्रा साझा करते हुए बताया कि किस तरह वह धार्मिक गतिविधियों के बीच बड़े हुए थे। अपने युवा समूह के अध्यक्ष, फुटपाथ इंजीलवादी (साईडवॉक एवंजेलिस्ट), और “आध्यात्मिक अगुवा,” फेहसेनफेल्ड को मसीह के लिए एक आने वाले डायनेमो के रूप में सम्मानित किया गया था।
जैसा कि डेल ने अपनी खुद की कहानी बताई, हालांकि, उन्होंने यह बताया कि जिस विश्वास की उन्होंने शक्तिशाली रूप से दूसरों को घोषणा की थी, वह अभी तक उनके ह्रदय को नहीं पकड़ पाया था। वह इस स्थल पर पहुंच गये था कि वह पीछे मुड़कर देख सकते है कि वह सभी कुछ सही कह रहे थे और कर भी रहे थे, लेकिन उनका अपना ह्रदय अपरिवर्तित था। जब वह स्वयं मसीह के पास आये तो उन्होंने महसूस किया कि, उनके शब्दों में, वह एक “फोनी- बालोनी क्रिश्चियन” अर्थात “नकली ईसाई” थे। एक बार जब डेल ने मसीह में विश्वास को स्वीकार कर लिया, हालांकि, वह वास्तव में प्रभावी हो चुके थे, और परमेश्वर ने उन्हें शक्तिशाली तरीकों से दूसरों के ह्रदय को प्रभावित करने और धर्म से कई लोगों को जीवित मसीह में विश्वास में लाने के लिए उपयोग किया। मैं भी उनमें से एक था। डेल इस बात से सहमत होने वाले पहले व्यक्ति होंगे कि शुद्ध हृदय होने से ही उनकी सेवकाई में भी अंतर आया था।
फिल्म बॉबी जोन्स: स्ट्रोक ऑफ जीनियस में, एक दृश्य है जहां 1920 के दशक के दिग्गज गोल्फर यूएस ओपन गोल्फ टूर्नामेंट में वाल्टर हेगन के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं। उनका ड्राइव/शॉट फेयरवे से होकर गुजरा था और रफ के पाइन स्ट्रॉ में था। जैसे ही जोन्स अपना अगला शॉट मारने के लिए तैयार हुआ, वह अचानक खड़ा हो गया और अधिकारी को बुलाया। प्रभावी रूप से खुद पर एक-स्ट्रोक का दंड बताते हुए, जोन्स ने समझाया, “सर, मैंने अपनी गेंद को हिलाया,” ।
टूर्नामेंट के अधिकारियों के बीच एक चर्चा हुई, जिसके बाद वे जोन्स के पास लौट आए, उन्हें बताया कि उन्होंने हेगन (उनके प्रतिद्वंद्वी), अन्य अधिकारियों और यहां तक कि भीड़ के कुछ लोगों के साथ मामले के बारे में जांच की थी। किसी ने जोन्स की गेंद को हिलते हुए नहीं देखा था। इसने बॉबी जोन्स को विलक्षण/अपरंपरागत प्रतिभाशाली होने का मौका प्रदान किया जिसे उसने स्वीकार करने से इनकार कर दिया। “नहीं। मुझे यकीन है कि मैं ही इसे हिलाने का कारण बना, “उन्होंने पुष्टि की। अधिकारी ने उत्तर दिया, “युवक, आपकी प्रशंसा की जानी चाहिए।” जिस पर जोन्स ने जवाब दिया, “यह एक बैंक को नहीं लूटने के लिए एक आदमी को बधाई देने जैसा है। यह एकमात्र तरीका है जिससे मुझे पता है कि खेल कैसे खेलना है।” बॉबी जोन्स यू.एस. ओपन को एक ही झटके में हार गए – अपने स्वयं के दंड का परिणाम – लेकिन उनके पास एक स्पष्ट विवेक था।
“खुद के बारे में बुरी राय लेने की तुलना में एक खाली पर्स के साथ एक अच्छा विवेक रखना बेहतर है।” डेवी क्रॉकेट
थ्री रोड्स टू द अलामो पुस्तक में, इतिहासकार विलियम स्मिथ ने जांच की कि कैसे जिम बॉवी, विलियम बैरेट ट्रैविस और डेवी क्रॉकेट ने उस घातक लड़ाई तक पहुंचने के लिए बहुत अलग रास्तों का अनुसरण किया।
क्रॉकेट पर चर्चा करते हुए, स्मिथ कहते हैं कि डेवी ने अपने पूरे जीवन में कर्ज के साथ संघर्ष किया था, लेकिन हमेशा अपने दायित्वों को पूरा करने के लिए दृढ़ थे। वह एक बार एक डॉलर का कर्ज चुकाने के लिए सौ मील से अधिक चले। क्रॉकेट का आदर्श वाक्य? “खुद के बारे में बुरी राय लेने की तुलना में एक खाली पर्स के साथ एक अच्छा विवेक रखना बेहतर है।” निष्पक्षता और अखंडता के लिए क्रॉकेट की प्रतिष्ठा लगभग उतनी ही प्रसिद्ध हो गई जितनी कि उनके सीमांत कारनामे।
हमारी दुनिया में जहां अंत को हमेशा साधनों को सही ठहराने के रूप में देखा जाता है, एक स्पष्ट विवेक के लिए इस तरह की चिंता का विचार विचित्र लगता है, शायद पुरातन भी। यह भी नहीं है। अगर हमें प्रभावी ढंग से जीना है तो एक अच्छा अंतःकरण एक परम आवश्यकता है। और यह और भी अधिक महत्वपूर्ण है जब हम सेवकाई के शुरुआत करते है।
अगर हमें प्रभावी ढंग से जीना है तो एक अच्छा अंतःकरण एक परम आवश्यकता है।
मेरे लिए प्रार्थना करना; क्योंकि हमें भरोसा है, कि हमारा विवेक शुद्ध है; कि और हम सब बातों में अच्छी चाल चलना चाहते हैंI (इब्रानियों 13:18)
जैसे-जैसे पौलुस ने उस चरित्र की तस्वीर को चित्रित करना जारी रखा जो सेवकाई के “कैसे” का निर्माण करता है, एक अच्छे विवेक का यह मुद्दा/विषय अत्याधिक् महत्वपूर्ण है। एक अच्छा विवेक क्या है? यह एक विवेक है जिसे अपराध बोध से मुक्त कर दिया गया है। यह हमारे जीवन को कई तरह से प्रभावित करता है, जैसा कि पौलुस ने युवा चरवाहे तीमुथियुस को लिखे अपने पत्रों में बार-बार जोर दिया:
• “. . . विश्वास और उससे अच्छे विवेक को थामे रहे। जिसे दूर करने के कारण कितनों का विश्वास रुपी जहाज़ डूब गयाI” (1 तीमु. 1:19 N.I.V)
• “. . . पर विश्वास के भेद को शुद्ध विवेक से सुरक्षित रखेंI” (1 तीमु. 3:9)
“जिस परमेश्वर की सेवा में अपने बाप दादों की रीति पर शुद्ध विवेक से करता हूँ,उसका धन्यवाद हो कि अपनी प्रार्थनाओं में तुझे लगातार स्मरण करता हूँI” (2 तीमु.1:3)
इन सबसे बढ़कर, पौलुस ने उस स्वतंत्रता को संजोया जिसे केवल एक स्पष्ट विवेक के द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है। फ़ीलिक्स गवर्नर के सामने अपने बचाव में, पौलुस घोषणा करने में सक्षम था:
इससे से मैं आप भी यतन करता हूँ की,और मनुष्यों की और मेरा विवेक सदा निर्दोष रहेI (प्रेरितों 24:16)
मुझे विश्वास है कि यह अंतिम पाठ वास्तव में तीमुथियुस और उसकी आध्यात्मिक सेवा के लिए पौलुस की चिंताओं के केंद्र में है। याद रखें, पौलुस ने विश्वासियों को सताया था, लोगों को कैद किया था, और आत्म-इच्छा और क्रोध के प्रकरणों को प्रदर्शित किया था। लेकिन वह यह इसलिए कह सकता था जो उसने फ़ीलिक्स से कहा था क्योंकि उसने परमेश्वर के साथ और उन लोगों के साथ जिन्हें उसने चोट पहुंचाई थी, चीजों को ठीक करने का कठिन, आवश्यक कार्य किया था ।
कुछ चीजें इस विश्वास से अधिक मुक्तिदायक हैं कि हम अपने रिश्तों को बनाए रख रहे हैं। . . उचित और सार्थक तरीके से।
यह स्वीकार करना कठिन और शर्मनाक भी हो सकता है कि हम दूसरों को विफल कर चुके हैं। लोग सुलह के हमारे प्रयासों को अस्वीकार कर सकते हैं। लेकिन हमें कोशिश करनी चाहिए। एक अच्छा विवेक रखने का यही एकमात्र तरीका है। कुछ चीजें इस विश्वास से अधिक मुक्तिदायक हैं कि हम अपने परमेश्वर के साथ और एक दूसरे के साथ उचित और सार्थक तरीके से अपने रिश्तों को बनाए हुए हैं। जैसे पौलुस ने फ़ीलिक्स को बताया कि, “अपराध/दोष रहित विवेक” के लिए काम/प्रयास करना पड़ता है।
टूटे हुए रिश्तों के बंधन की तुलना में कुछ चीजें सेवकाई में हमारी प्रभावशीलता के लिए एक बाधा के रूप में अधिक होंगी। एक पासवान के रूप में मेरे 20 से अधिक वर्षों में, यह अक्सर नहीं होता था, परन्तु दुर्लभ अवसरों पर मेरी पत्नी और मेरे बीच रविवार की सुबह चर्च जाने से पहले एक “असहमति” होती। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता था कि कभी-कभी मैं सही था और वह गलत थी- क्या मायने रखता था कि मैं लोगों को परमेश्वर की सुंदरता के बारे में बताने के लिए मंच(पुलपिट) की ओर जा रहा था, जबकि मेरे जीवन के सबसे महत्वपूर्ण रिश्ते में अलगाव की दीवार थी।
जब मैं मंच पर खड़ा होता था, तो ऐसा प्रतीत होता था कि जैसे मैं देख सकता था कि मेरी पत्नी के चेहरे की 20 फुट लंबी छवि थी जिसे मैंने चोट पहुंचाई थी। मैं धीमी गति से सुबह के प्रचार के लिए आगे बढ़ताI पूरे समय इस दौरान व्याकुलता/ध्यान भटकाने वाले बातों से लड़ते हुए यह निश्चित करता की समस्या का समाधान करे बिना शाम की सभा में नहीं जाऊंगाI जब एक बार मैंने मार्लीन के साथ चीजें ठीक कर लीं(सुलह कर ली) और हमारे संबंध बहाल हो गए,तब सेवकाई के लिए और अधिक प्रभावी ढंग से रास्ता साफ हो गया।
हमें एक स्पष्ट अंतःकरण की शक्ति को कभी कम नहीं आंकना चाहिए।
सेवकाई और जीवन में, हमें कभी भी अपने आप को एक स्पष्ट विवेक की शक्ति को कम आंकने की अनुमति नहीं देनी चाहिए।
प्राचीन दुनिया में “एक सच्चे विश्वास” के आह्वान का बहुत महत्व होता। ईमानदार शब्द का अर्थ है “बिना पाखंड के,” यानी बिना मुखौटे के। पाखंडी शब्द का प्रयोग उन अभिनेताओं के लिए किया जाता था जिन्होंने इस समय की आवश्यक भावना को धारण करने वाले विभिन्न मुखौटों का उपयोग करके अपनी भावना और अभिव्यक्ति को बदल दिया। असल में, यह किसी के होने का दिखावा करने की बात करता है जो वह नहीं है। इसने एक युवा व्यक्ति को सलाह देने वाले निंदक के शब्दों को प्रतिध्वनित किया: “गुरु के लिए सबसे कठिन चीज इमानदारी है। एक बार जब आप दिखावा करना या ढोंग करना सीख जाते हो, तब आप इसे (सफलता से) निभा सकते हो। ”
इसके विपरीत, तीमुथियुस को एक सच्चे विश्वास को आदर्श बनाने की चुनौती दी गई थी—वह जो पाखंड रहित हो, और परिणामस्वरूप वास्तविक और प्रामाणिक हो। बाइबल विद्वान विलियम बार्कले ने लिखा:
मसीही विचारक की सबसे बड़ी विशेषता ईमानदारी है। वह सत्य को खोजने की अपनी इच्छा और उसे संसूचित/बताने की अपनी इच्छा दोनों में ईमानदार है।
एक सच्चा विश्वास वह है जो वास्तविक और प्रामाणिक हो – बिना पाखंड के।
ये विचार ईमानदारी से शब्द की गहन परिभाषा देने के लिए गठबंधन करते हैं। यह वास्तविक और प्रामाणिक है, यह मुखौटा नहीं पहनता है या जो नहीं है उसका दिखावा करता है, और इसमें कोई छिपी या गुप्त कार्यसूची (एजेंडा) नहीं है। जब हमारे विश्वास पर लागू किया जाता है, तो यह एक ईमानदार विश्वास है जो उद्धारकर्ता का अनुसरण करना चाहता है ।
सच्चा विश्वास एक ईमानदार विश्वास है जो उद्धारकर्ता का अनुसरण करना चाहता है ।
पौलुस के अंतिम पत्र में, उसने तीमुथियुस को लिख कर प्रोत्साहित किया कि वह उसके जीवन में इस प्रकार के विश्वास को प्रतिरूपित देख रहा था:
और मुझे तेरे उस निष्कपट विश्वास की सुधि आती है,जो पहले तेरी नानी लोइस,और तेरी माता युनिके में थी,और मुझे निश्चय हुआ है,कि तुझ में भी हैI (2 तीमु1:5 NASB)
दादा-दादी और माता-पिता के लिए एक युवा व्यक्ति को देने के लिए क्या ही अद्भुत विरासत है —एक ईमानदार ,सच्चे विश्वास का उदाहरण! एक पासवान/अगुवे के लिए मसीह के झुण्ड के लिए उदाहरण देने के लिए क्या ही शक्तिशाली प्रेरणास्त्रोत!(रोल मॉडल) सच्चा विश्वास रखना एक अद्भुत उपहार है – एक ऐसा उपहार जिसे हम जीते हैं,और देते हैं।
विषय/मुद्दे का योगफल (अंत की बात यह)
इस तरह से आप “कैसे” सेवकाई करते हैं। माना, पौलुस ने हमें तीन आसान चरण नहीं बताए। इसके बजाय, उसने हमें तीन चुनौतीपूर्ण चरित्र गुण दिए और उन्हें एक ऐसा मंच बनाया जिससे जीवन बदलने वाली सेवकाई होती है। इब्रानियों 10:22-23 में लेखक ने इन सभी तत्वों को एक साथ लाया है:
तो आओ; हम सच्चे मन,और पूरे विश्वास के साथ,और विवेक को दोष दूर करने के लिए ह्रदय पर छिडकाव लेकर,और देह को शुद्ध जल से धुलवा कर परमेश्वर के समीप जाएI और अपनी आशा से अंगीकार को दृढ़ता से थामें रहें;क्योंकि जिस ने प्रतिज्ञा किया है,वह सच्चा हैI
यह आसान नहीं है, लेकिन यह सरल(सादा) है। यह मसीह के समान होने का आह्वान है, और उसे उपयोगी पात्र के माध्यम से स्वतंत्र रूप से काम करने देना है – मिट्टी के बर्तन जो प्रामाणिक हैं, साफ किए गए हैं, और इस विश्वास के साथ उपयोग किए जा सकते हैं कि केवल एक स्पष्ट विवेक ही ला सकता है।
हम यही करते है और हम यह इसलिए करते है, ताकि परमेश्वर के वचन के संचार के माध्यम से लोग परमेश्वर के महान प्रेम को जान सके और उसे अपना सकेI
अकैडमी अवार्ड जीतने वाली हॉलीवुड फिल्म ग्लैडिएटर, रोम के एक जनरल की कहानी है जिसका नाम था माक्सिमस डेसीमस मेरिडीएस I माक्सिमस अपने सैनिकों को युद्ध में ले जाने की तैयारी कर रहा था अपने सैनिकों को साहस और सम्मान के साथ रोम के लिए लड़ने के लिए प्रोत्साहित करते हुए माक्सिमस ने कहा था कि जो हम इस जीवन में करते है उसकी गूँज अनंत काल तक सुनाई देती है I
यह शब्द हमारे ह्रदय में बजने चाहिए और हमारे मन में गूंजने चाहिए I परमेश्वर की संतान होने के कारण हमें उसकी सेवा करने का आदेश मिला है – ऐसी सेवा जिसकी गूँज अनंत काल तक हो I इतना महत्त्वपूर्ण कार्य हम ना तो आधा अधूरा छोड़ सकते है न ही हम उसे नज़र अंदाज़ कर सकते है I मसीह ने अपने आप को हमारे लिए दिया है इसलिए हमें भी स्वयं को मसीह कि सेवा में लगाना है | आइज़क वाट्स ने इस विचार को “व्हेन आई सर्वे द वंडरस क्रॉस” भजन में शब्दबद्ध किया जब उन्होंने लिखा: “प्यार इतना अद्भुत, इतना दिव्य, मेरी आत्मा, मेरे जीवन, मेरे सब कुछ की मांग करता है।” (लव सो अमेजिंग,सो डीवाइन,डिमांड्स माय सोल,माय लाइफ,माय ऑल )
“What we do in life echoes in eternity!” ~ Maximus Meridius in Gladiator
हम जो करते हैं वह मायने रखता है कि हमारा उद्धारकर्ता कौन है। यह मायने रखता है कि हमारा विशेष कार्य (मिशन) क्या है। यह मायने रखता है क्योंकि हम जीवन में जो करते हैं वह अनंत काल में प्रतिध्वनित होता है।
इसलिए फिर से, मसीह के नाम पर दूसरों की सेवा करने की हमारी इच्छा में, आइए तीमुथियुस को चुनौती देने वाले पौलुस के शब्दों पर ध्यान से विचार करें।
आज्ञा का सारांश यह है,कि शुद्ध मन और अच्छे विवेक,और कपट रहित विश्वास से प्रेम उत्पन्न होI
(1 तीमु. 1:5 NASB)
आइए प्रार्थनापूर्वक दूसरों के लिए प्रभावी सेवा के हृदय की जाँच करें जिसका वर्णन ये शब्द करते हैं।
यदि आप सक्रिय रूप से आध्यात्मिक सेवा में नहीं लगे हैं, तो क्या आप मसीह के दावों पर विचार करेंगे—और इससे भी महत्वपूर्ण, आपकी ओर से दिया गया उसका बलिदान? क्या वह आपकी सेवा के योग्य नहीं है?
और यदि आप मसीह और उसके अनन्त जीवन के उपहार को नहीं जानते हैं – चाहे आप कभी भी चर्च नहीं गए हों या आप अपने पूरे जीवन में “धार्मिक रूप से सक्रिय” रहे हों – उस उद्धारकर्ता को अपने हृदय को शुद्ध करने दे और आपको क्षमा और अनंत काल का जीवन देने दो। यही उसके आने के पीछे का उद्देश्य और उसके क्रूस के पीछे का जुनून है। आज उस पर भरोसा करें, और फिर प्रभावी सेवकाई के लिए ह्रदय से, शेष समय में, अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचने की हमारी इच्छा में हमारे साथ शामिल हों।
“हमारी शिक्षा का लक्ष्य शुद्ध हृदय से प्रेम, अच्छा विवेक और सच्चा विश्वास है।” 1 तीमुथियुस 1:5 (NASB)