Month: जनवरी 2023

अतिरिक्त प्रयास करना

पने चारों ओर देखो। आप क्या देखते हैं? आप किसे देखते हैं? जब यीशु इस संसार में था तब उसने लोगों को वैसे देखा जैसे वे थे, और उनकी सबसे बड़ी जरूरत के समय उन तक पहुंचा— शारीरिक और भावनात्मक मुद्दों से लेकर उनके गहरे से गहरे आत्मिक मुद्दों तक, यीशु ने दूसरों की ज़रूरतों को पूरा किया। यीशु ने…

हृदय परेशानी

“क्या आप इसे देखते हैं, भाई टिम?”  मेरे मित्र, घाना के एक पादरी ने मिट्टी की झोपड़ी की ओर झुकी हुई एक नक्काशीदार वस्तु पर अपनी टार्च की रोशनी डाली। उसने चुपचाप कहा, “वह गाँव की मूर्ति है।”प्रत्येक मंगलवार की शाम, पादरी सैम, इस सुदूर गाँव में बाइबल साझा करने के लिए  इस झाड़ी में जाता था।

यहेजकेल की पुस्तक में, हम देखते हैं कि कैसे मूर्तिपूजा ने यहूदा के लोगों को नष्ट   किया। जब यरूशलेम के अगुवे यहेजकेल भविष्यद्वक्ता से मिलने आएए तो परमेश्वर ने उससे कहा, “इन लोगों ने अपने मन में मूरतें गढ़ी हैं” (14:3)। परमेश्वर उन्हें केवल लकड़ी और पत्थर से तराशी गई मूर्तियों के विरुद्ध चेतावनी नहीं दे रहा था। वह उन्हें बता  रहा था कि  मूर्तिपूजा दिल की समस्या है। हम सब इससे जूझते हैं।

बाइबिल शिक्षक एलिस्टेयर बेग एक मूर्ति का वर्णन इस प्रकार करते हैं— “परमेश्वर के अलावा और कुछ भी, जिसे हम अपनी शांति, अपनी आत्म–छवि, अपनी  संतुष्टि, या  अपनी स्वीकार्यता के लिए आवश्यक मानते हैं।”  यहां तक कि  जो चीजें देखने में भली लगती हैं वे भी हमारे लिए मूर्ति बन सकती हैं। जब हम जीवित परमेश्वर के अलावा किसी और चीज में आराम या आत्म सम्मान की तलाश करते हैं, तो हम मूर्तिपूजा करते हैं।

“पश्चाताप!” परमेश्वर ने कहा। “अपनी मूरतों से फिरो और अपने सब घिनौने कामों को त्याग दो!” (पद 6)। इस्राइल ऐसा करने में असमर्थ साबित हुआ। शुक्र है, परमेश्वर के पास इसका समाधान था। मसीह के आने और पवित्र आत्मा के उपहार की प्रतीक्षा करते हुए, उसने प्रतिज्ञा की, “मैं तुम्हें नया मन दूंगा, और तुम में नई आत्मा डालूंगा” (36:26) । यह हम अकेले नहीं कर सकते।

कभी देरी नहीं

एक छोटे से पश्चिम अफ्रीकी शहर के आगंतुक के रूप में, मेरे अमेरिकी पादरी ने रविवार की सुबह 10 बजे की आराधना के लिए समय पर पहुंचना सुनिश्चित किया; हालाँकि, उन्होने  कमरा खाली पाया  तो उन्होने  इंतजार किया। एक घंटा। दो घंटे। अंत में, लगभग 12:30 बजे, जब स्थानीय पादरी  एक लंबी दूरी तय करने के बाद वहां पहुंचे, उनके बाद  कुछ गाना गानेवाले और शहर के मित्रवत लोगों का एक समूह आया — आराधना  समय की परिपूर्णता में शुरू हुई, जैसा कि मेरे पादरी ने बाद में कहा था “आत्मा ने हमारा स्वागत किया, और परमेश्वर को देर नहीं हुई।” मेरे पादरी समझ गए थे कि यहां की संस्कृति अपने कुछ अच्छे कारणों से अलग है।

समय तुलनाल्मक लगता है, लेकिन परमेश्वर के सिद्ध, समय पूर्वक स्वभाव की पुष्टि पूरे पवित्रशास्त्र में की गई है। लाजर के बीमार होने और मरने के बाद, यीशु चार दिन बाद आया, लाजर की बहनों ने पूछा,  “क्यों हे प्रभु? मार्था ने यीशु से कहा, “यदि तुम यहाँ होते, तो मेरा भाई न मरता” (यूहन्ना 11:21)। हम भी ऐसा ही सोच सकते हैं, यह सोचकर कि परमेश्वर हमारी समस्याओं को ठीक करने के लिए जल्दी क्यों नहीं करते। इसके बजाय उसके उत्तरों और शक्ति के लिए विश्वास से प्रतीक्षा करना बेहतर है।

जैसा कि धर्मशास्त्री हॉवर्ड थुरमन ने लिखा है, “हम प्रतीक्षा करते हैं, हमारे पिता, जब तक कि आपकी ताकत का कुछ हमारी ताकत नहीं बन जाता, आपके दिल का कुछ हमारा दिल नहीं बन जाता है, आपकी क्षमा का कुछ हमारी क्षमा नहीं बन जाता है। हम प्रतीक्षा करते हैं, हे परमेश्वर4 हम प्रतीक्षा करते हैं।” फिर, जैसा कि लाजर के साथ हुआ जब परमेश्वर जवाब देता है, तो हम चमत्कारिक रूप से उस चीज़ से आशीषित होते हैं जो आखिरकार देरी नहीं थी।

तृप्त हो जाओ

डॉ• मार्टिन लूथर किंग जूनियर की भीषण हत्या उस समय हुई थी जब 1960 के अमेरिकी नागरिक अधिकार आंदोलन बुलंदी पर था। लेकिन सिर्फ चार दिन बाद, उनकी विधवा कोरेटा स्कॉट किंग ने साहसपूर्वक अपने पति की जगह ले ली, और एक शांतिपूर्ण विरोध जुलुस का नेतृत्व किया। कोरेटा में न्याय के प्रति गहरी लगन थी और वह कई  अभियानों की प्रबल समर्थक थी।

यीशु ने कहा, “धन्य हैं वे जो  धार्मिकता के भूखे और प्यासे हैं, क्योंकि वे तृप्त होंगे” (मत्ती 5:6)। हम जानते हैं कि किसी दिन परमेश्वर न्याय देने और हर गलत को सही करने के लिए आएगा, लेकिन उस समय तक हमारे पास, कोरेटा की तरह ही, पृथ्वी पर परमेश्वर के न्याय को एक वास्तविकता बनाने के काम में भाग लेने का अवसर है। यशायाह 58 में परमेश्वर अपने लोगों को जो करने के लिए बुलाता है, इसका एक स्पष्ट  चित्र चित्रित करता है: अन्याय सहने वालों का जुआ तोड़ो, उत्पीड़ितों को मुक्त करो, भूखे के साथ अपना भोजन साझा करो, मारे मारे फिरते हुये को आश्रय दो, नंगे को वस्त्र पहिनाओ, और उन लोगों से जिन्हें सहायता की आवश्यकता है दूर मत हो जाना  (पद 6–7)। उत्पीड़ित और कमजोर लोगों के लिए न्याय की तलाश करना एक तरीका है जिससे हमारा जीवन ईश्वर की ओर इशारा करता है। यशायाह लिखता है कि  न्याय की खोज करने वाले उसके लोग भोर के प्रकाश की तरह हैं और उनके लिए और साथ ही दूसरों के लिए भी चंगाई का परिणाम है (पद 8)।

आज, परमेश्वर हमें यहाँ पृथ्वी पर अपनी धार्मिकता के लिए भूख (लालसा) पैदा करने में मदद करें। जब हम उसके तरीके से और उसकी शक्ति में न्याय की तलाश करते हैं, तो बाइबल कहती है कि हम संतुष्ट होंगे।

विलाप से स्तुति तक

मोनिका ने अपने बेटे के लिए प्रभु के पास लौटने के लिए  बहुत उत्तेजना से प्रार्थना की। वह  उसके गलत  तौर तरीकों पर रोती थी और यहां तक कि उन विभिन्न शहरों में भी उसे ढूंढती थी जहां उसने रहना चुना था। स्थिति निराशाजनक लग रही थी। फिर एक दिन ऐसा हुआ: उसके बेटे का प्रभु से आमना सामना हो गया। और वह कलीसिया के सबसे महान धर्मशास्त्रियों में से एक बन गया। हम उसे हिप्पो के बिशप, ऑगस्टाइन के नाम से जानते हैं।

“कब तक प्रभु?” हबक्कूक 1:2। भविष्यवक्ता हबक्कूक ने सत्ता में बैठे लोगों के बारे में परमेश्वर की निष्क्रियता पर शोक व्यक्त किया जिन्होंने न्याय को बिगाड  कर रखा था(पद 4) । उस समय के बारे में सोचें जब हम हताशा में परमेश्वर की ओर मुड़े हैं—अन्याय के कारण अपने विलाप को उसके सामने व्यक्त किया, एक निराशाजनक चिकित्सीय यात्रा, न रुकने वाले खर्चों से  संघर्ष, या बच्चे जो परमेश्वर से दूर चले गए हैं।

जब भी हबक्कूक विलाप करता, परमेश्वर ने उसकी दोहाई सुनी। जब हम विश्वास में प्रतीक्षा करते हैं, तो हम अपने विलाप को स्तुति में बदलने के लिए भविष्यवक्ता से सीख सकते हैं, क्योंकि उसने कहा, “मैं प्रभु में आनन्दित रहूंगा, मैं अपने उद्धारकर्ता परमेश्वर में आनन्दित रहूंगा” (3:18)। वह परमेश्वर के तरीकों को नहीं समझता था, लेकिन उसने उस पर भरोसा किया। विलाप और स्तुति दोनों ही विश्वास के कार्य हैं, विश्वास की अभिव्यक्ति हैं। हम उसके चरित्र के आधार पर प्रभु से एक बिनती के रूप में विलाप करते हैं। और उसके बारे में हमारी स्तुति इस पर आधारित है कि वह कौन है– हमारा अद्भुत, सर्वशक्तिमान परमेश्वर। एक दिन उनकी कृपा से हर विलाप स्तुति में बदल जाएगा।