Month: फरवरी 2023

निर्णायक समिति 8

“एक आदमी मर गया है। एक और आदमी का जीवन दांव पर है," न्यायधीश ने 1957 की क्लासिक फिल्म 12 एंग्री मेन (हिंदी में एक रूका हुआ फैसला के रूप में भी रीमेक) में गंभीरता से कहा। युवा संदिग्ध के खिलाफ सबूत बहुत गंभीर प्रतीत होते हैं। लेकिन विचार-विमर्श के दौरान, यह निर्णायक समिति का अलगाव है जो सामने आता है। बारह में से एक—निर्णायक सदस्य संख्या 8— " निर्दोष” का मत(वोट) देता हैI एक गरमागरम बहस शुरू हो जाती है, जिसमें एकमात्र निर्णायक सदस्य का मज़ाक उड़ाया जाता है क्योंकि वह गवाही में विसंगतियों को इंगित करता है। भावनाएँ बढ़ती हैं, और निर्णायक सदस्यों की अपनी जानलेवा और पूर्वाग्रही प्रवृत्तियाँ सामने आती हैं। एक-एक करके निर्णायक सदस्यों ने अपने मत(वोट) को “निर्दोष” होने के लिए बदल दिया।

जब परमेश्वर ने इस्राएल के नए राष्ट्र को अपने निर्देश दिए, तो उसने सच्चे साहस पर जोर दिया। "जब तू किसी मुकद्दमे में गवाही दे," परमेश्वर ने कहा, "भीड़ का पक्ष करके न्याय बिगाड़ने की साक्षी न देना" (निर्गमन 23:2) दिलचस्प बात यह है कि अदालत को न तो "गरीब का पक्ष लेना" था (पद. 3) और न ही "अपने दरिद्र लोगों का न्याय चुकाना" (पद. 6) परमेश्वर, धर्मी न्यायी है जो हमारी सारी कार्यवाहियों में हमारी खराई चाहता है।

12 एंग्री मेन में, मत (वोट) देने वाले दूसरे निर्णायक सदस्य ने पहले सदस्य के बारे में कहा, "दूसरों के उपहास को सहते हुए उनके विरूद्ध अकेले खड़े रहना आसान नहीं है।" फिर भी परमेश्वर यही चाहता है। निर्णायक सदस्य नंबर 8 ने वास्तविक साक्ष्य के साथ-साथ परीक्षण पर व्यक्ति की मानवता को देखा। पवित्र आत्मा के कोमल/सौम्य मार्गदर्शन से, हम भी परमेश्वर के सत्य के लिए खड़े हो सकते हैं और शक्तिहीन के लिए आवाज़ उठा /बोल सकते हैं।

आनन्दित प्रेम

ब्रेंडन और केटी एक दूसरे पर मुस्कराए। उनके चेहरों पर सच्चा आनंद देखकर, आपने कभी अनुमान नहीं लगाया होगा कि कोविड-19 प्रतिबंधों के कारण उनकी शादी की कई योजनाओं को नाटकीय रूप से बदल दिया गया था। और सिर्फ पच्चीस परिवार के सदस्यों की उपस्थिति में जब उन्होंने एक-दूसरे के प्रति अपने प्रेम के लिए प्रतिज्ञा ली और उन्हें संभाले कर रखने वाले परमेश्वर के प्रेम के लिए अपनी कृतज्ञता व्यक्त की तब भी उन दोनों में से आनंद और शांति की चमक प्रकट हो रही थीI

एक दूल्हे और दुल्हे की एक दूसरे के प्रति प्रसन्नता की छवि वह चित्र है जिसे भविष्यद्वक्ता यशायाह ने अपने लोगों के लिए परमेश्वर के आनंद और प्रेम के प्रकार का वर्णन करने के लिए चित्रित किया था। परमेश्वर के प्रतिज्ञात छुटकारे के एक सुंदर काव्यात्मक वर्णन में, यशायाह ने अपने पाठकों को याद दिलाया कि परमेश्वर ने उन्हें जो उद्धार प्रदान किया है वह एक टूटे हुए संसार में रहने की वास्तविकता को दर्शाता है - खेदित मन के लोगो को शांति, शोक करने वालों को हर्ष, और उसके लोगों की ज़रूरतों के लिए प्रावधान ( यशायाह 61:1-3) परमेश्वर ने अपने लोगों को मदद की पेशकश की, क्योंकि जैसे एक दूल्हा और दुल्हन एक दूसरे के लिए अपने प्यार का जश्न मनाते हैं, वैसे ही "तेरा परमेश्वर तुम्हारे कारण हर्षित होगा" (62:5)

यह एक उल्लेखनीय सत्य है कि परमेश्वर हमसे प्रसन्न होता है और हमारे साथ एक रिश्ता चाहता है। यहाँ तक कि जब हम एक टूटे हुए संसार में रहने के प्रभावों के कारण संघर्ष करते हैं, तो भी हमारे पास एक परमेश्वर है जो हमसे प्रेम करता है, कुढ़न से नहीं, बल्कि हर्षित, स्थायी प्रेम के साथ जो "सदा बना रहता है" (भजन संहिता 136:1)

जब अत्यधिक दबाव हो

कई साल पहले, एक दोस्त ने मुझे बताया कि एक गली को पार करने की कोशिश करते समय वह कितनी भयभीत थी, जहाँ कई सड़कें मिलती थीं। “मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं देखा; सड़क पार करने के लिए मुझे जो नियम सिखाए गए थे वे अप्रभावी लग रहे थे। मैं इतना डरा हुआ था कि मैं कोने पर खड़ा होकर बस का इंतज़ार करता, और बस ड्राइवर से पूछता कि क्या वह मुझे सड़क के दूसरी तरफ जाने की अनुमति देगा। एक पैदल यात्री के रूप में और बाद में एक चालक के रूप में इस चौराहे को सफलतापूर्वक मार्ग निर्देशन (नेविगेट)करने में मुझे काफी समय लगेगा।

एक पेचीदा ट्रैफिक चौराहा जितना जटिल हो सकता है, जीवन की जटिलताओं का मार्ग निर्देशन (नेविगेट) करना उससे भी अधिक खतरनाक हो सकता है। यद्यपि भजन संहिता 118 में भजनकार की विशिष्ट स्थिति अनिश्चित है, हम जानते हैं कि यह कठिन और प्रार्थना के लिए सही था: "मैंने संकट में परमेश्वर को पुकारा  (पद. 5), भजनहार ने कहा।परमेश्वर पर उसका भरोसा अटूट था: “यहोवा मेरे संग हैं। मैं न डरूँगा.... यहोवा मेरे संग है; वह  मेरा सहायक है” (पद. 6-7)

जब हमें नौकरी या स्कूल या निवास स्थान बदलने की आवश्यकता हो तो भयभीत होना कोई असामान्य बात नहीं है। चिंता तब पैदा होती है जब स्वास्थ्य में गिरता है, संबंध बदलते हैं, या रुपये/पैसे समाप्त हो जाते हैं। परन्तु इन चुनौतियों की व्याख्या परमेश्वर द्वारा परित्याग के रूप में नहीं की जानी चाहिए। जब अत्यधिक दबाव हो तो हम अपने आपको को प्रार्थनापूर्वक उसकी उपस्थिति में पाएँ।

सूचना और प्रमाण

जब डोरिस किर्न्स गुडविन ने अब्राहम लिंकन के बारे में एक किताब लिखने का फैसला किया, उन्हें इस तथ्य ने भयभीत कर दिया था कि अमेरिका के सोलहवें राष्ट्रपति के बारे में लगभग चौदह हजार किताबें पहले ही लिखी जा चुकी थीं, इस प्रिय नेता के बारे में कहने के लिए और क्या बाकि रह सकता है? अविचलित, गुडविन के काम का परिणाम ए टीम ऑफ़ राइवल्स: द पॉलिटिकल जीनियस ऑफ़ अब्राहम लिंकन था। लिंकन की नेतृत्व शैली पर उनकी ताज़ा अंतर्दृष्टि एक टॉप रेटेड और टॉप रिव्यूड वाली पुस्तक बन गई।

प्रेरित यूहन्ना ने एक अलग चुनौती का सामना किया जब उसने यीशु की सेवकाई और जुनून के बारे में अपना विवरण लिखा। यूहन्ना के सुसमाचार का अंतिम पद कहता है, “यीशु ने और भी बहुत से काम किए। यदि वे एक एक करके लिखे जाते तो मैं समझता हूं, कि जो पुस्तकें लिखी जातीं, वे संसार में भी न समाती" (यूहन्ना 21:25) यहुन्ना के पास जितना वह इस्तेमाल कर सकता था उससे कही अधिक तथ्य थे! इसलिए यहुन्ना की रणनीति केवल कुछ चुनिंदा चमत्कारों (संकेतों) पर ध्यान केंद्रित करने की थी जो यीशु के "मैं हूँ" के दावों का समर्थन करते थे। फिर भी इस रणनीति के पीछे यह शाश्वत उद्देश्य था: "ये इसलिये लिखे गए हैं कि तुम विश्वास करो, कि यीशु ही परमेश्वर का पुत्र मसीह है, और विश्वास करके उसके नाम से जीवन पाओ" (पद. 31) सबूतों के पहाड़ों में से, यूहन्ना ने यीशु पर विश्वास करने के लिए बहुत से कारण प्रदान किए। आज आप उसके बारे में किसे बता सकते हैं?

एक अनर्जित उपहार

हाल ही में जब मेरी सहेली ने मुझे एक उपहार दिया तो मैं हैरान रह गयी। मुझे नहीं लगता था कि मैं उससे इतने अच्छे उपहार पाने की हकदार हूं। मेरे काम के कुछ तनाव के बारे में सुनने के बाद उसने इसे भेजा था। फिर भी वह एक वृद्ध माता-पिता, चुनौतीपूर्ण बच्चों, काम में उथल-पुथल, और अपनी शादी में तनाव के साथ, अगर अधिक नहीं तो उतने ही तनाव से गुजर रही थी। मुझे विश्वास नहीं हो रहा था कि उसने स्वयं के बारे में सोचने से पहले मेरे बारे में सोचा था, और उसके साधारण उपहार ने मेरी आँख में आंसू ला दिए थे।

सच में, हम सभी उस उपहार के प्राप्तकर्ता हैं जिसके हम कभी हकदार नहीं हो सकते। पौलुस ने इसे इस तरह से कहा : "मसीह यीशु पापियों का उद्धार करने के लिये जगत में आया - जिनमें सबसे बड़ा मैं हूँ" (1 तीमुथियुस 1:15) हालाँकि वह “एक समय निन्दा करनेवाला, और सतानेवाला, और क्रूर मनुष्य था, . . . हमारे प्रभु का अनुग्रह [उस पर] बहुतायत से उण्डेला गया” (पद. 13-14) पुनुरुत्थित यीशु ने पौलुस को अनुग्रह के मुफ्त उपहार की गहरी समझ दी। परिणामस्वरूप, उसने सीखा कि उस उपहार का अनर्जित प्राप्तकर्ता होने का क्या मतलब है और वह परमेश्वर के प्रेम का एक शक्तिशाली साधन बन गया और उसने बहुत से लोगों को बताया कि परमेश्वर ने उसके लिए क्या किया है।

यह केवल परमेश्वर के अनुग्रह के द्वारा ही है कि हम निंदा के बदले प्रेम और न्याय के बदले दया प्राप्त करते हैं। आज, आइए उस अनर्जित/अपात्र अनुग्रह का उत्सव मनाएं जो परमेश्वर ने दिया है और दूसरों को उस अनुग्रह को प्रदर्शित करने के तरीकों की तलाश में रहें।