परिवर्तन का खेल
हाथ मिलाने ने बहुत कुछ कह दियाl1963 में मार्च की एक रात को, कॉलेज के दो बास्केटबॉल खिलाड़ियों ने—एक अश्वेत, एक श्वेत—अलगाववादियों की नफरत को झुठलाया और हाथ मिलाकर, मिसिसिपी राज्य के इतिहास में पहली बार चिन्हित किया कि इसकी सभी श्वेत पुरुषों की टीम एक एकीकृत(integrated) टीम के खिलाफ खेलीl एक राष्ट्रीय टूर्नामेंट में लोयोला यूनिवर्सिटी शिकागो के खिलाफ “परिवर्तन के खेल/game of change” में प्रतिस्पर्धा करने के लिए,मिसिसिपी राज्य टुकड़ी(squad) ने अपने राज्य को छोड़ने के लिए नकली खिलाड़ियों का उपयोग करके उन्हें रोकने के लिए निषेधाज्ञा से परहेज किया l इस बीच, लोयोला के अश्वेत खिलाड़ियों ने, पॉपकॉर्न और बर्फ की मार, और यात्रा के दौरान बंद दरवाजों का सामना करते हुए, पूरे सीजन(उप्युक्त् काल/ अवधि) में नस्लीय अपमान सहा था l
इसके बावजूद युवक खेलते रहे l “लोयोला रैम्बलर्स” ने “मिसिसिपी स्टेट बुलडॉग” को 61-51 से पराजित किया, और लोयोला ने आख़िरकार राष्ट्रीय चैंपियनशिप जीत ली l लेकिन उस रात वास्तव में किसकी जीत हुयी? नफरत से प्यार की ओर एक कदम l जैसा कि यीशु ने सिखाया, “अपने शत्रुओं से प्रेम रखो, जो तुम से बैर करें, उनका भला करो” (लूका 6:27)
परमेश्वर का निर्देश जीवन बदलने वाली अवधारणा थी l अपने शत्रुओं से प्रेम करने के लिए जैसा कि मसीह ने सिखाया है, हमें परिवर्तन के उनके क्रांतिकारी आदेश का पालन करना चाहिए l जैसा कि पौलुस ने लिखा, “यदि कोई मसीह में है, तो वह नयी सृष्टि है : पुरानी बातें बीत गयी हैं; देखो, सब बातें नयी हो गयी हैं” (2 कुरिन्थियों 5:17) लेकिन हमारे भीतर उसका नया तरीका पुराने को कैसे पराजित करता है? प्रेम से l फिर, एक दूसरे में, हम अंततः उसे देख सकते हैं l
जो मायने रखता है उसके लिए दौड़ना
युक्रेन की घिरी हुयी राजधानी कीव में अपना घर छोड़ने के कुछ ही दिनों बाद 2022 में पोस्ट किया गया, मेरी सहेली इरा के स्टेटस अपडेट पर आँसू न आना असंभव था l उसने एक दौड़ प्रतियोगिता(running event) पूरा करने के बाद अपने देश का झंडा उठाते हुए खुद की एक पुरानी तस्वीर साझा की l उसने लिखा, “हम सभी अपनी सर्वश्रेष्ठ क्षमताओं के साथ दौड़ रहे हैं जिसे जीवन कहा जाता है l चलिए इसे इन दिनों उससे भी बेहतर दौड़ते हैं l ऐसी चीज़ के साथ जो हमारे दिलों में कभी नहीं मरती l” बाद के दिनों में, मैंने देखा कि मेरी सहेली ने कई तरीकों से उस दौड़ को दौड़ना जारी रखा, क्योंकि उसने हमें अपने देश में पीड़ित लोगों के लिए प्रार्थना करने और उनका समर्थन करने के बारे में अपडेट रखाl (हालात की ताज़ा जानकारी से अवगत कराये रखा)
इरा के शब्दों ने इब्रानियों 12 में विश्वासियों को “धीरज से दौड़ने” (पद.1) की बुलाहट में नयी गहराई दी l यह बुलाहट अध्याय 11 के मार्मिक विवरण के बाद है विश्वास के नायकों,“गवाहों का बड़ा बादल” (12:1) जो साहसी,निरंतर विश्वास के साथ जीते थे—यहाँ तक कि अपने जीवन को जोखिम में डालकर भीI(11:33-38)हालाँकि उन्होंने “सिर्फ दूर से देखा ....और [परमेश्वर की प्रतिज्ञाओं] को दूर से मान लिया” (पद.13) वे उस अनंत वस्तु के लिए जी रहे थे, जो कभी नहीं मिटती है l
यीशु में सभी विश्वासियों को उसी तरह जीने के लिए बुलाया गया है l क्योंकि शालोम—परमेश्वर के राज्य की शांति का फलना-फूलना—हमारा सब कुछ उसके लिए देने के लायक है l और यह मसीह का उदाहरण और सामर्थ्य ही है जो हमें संभालता है (12:2-3)
मित्र और शत्रु
विद्वान केनेथ ई. बेली ने एक अफ़्रीकी राष्ट्र के नेता के बारे में बताया जिसने अन्तरराष्ट्रीय समुदाय में एक असामान्य स्थान बनाए रखना सीखा था l उसने इस्राएल और उसके आस-पास के राष्ट्रों दोनों के साथ एक अच्छा सम्बन्ध स्थापित किया था l जब किसी ने उनसे पूछा कि उनका देश इस नाजुक संतुलन को कैसे बनाए रखता है, तो उन्होंने उत्तर दिया, “हम अपने दोस्त चुनते हैं l हम अपने मित्रों को हमारे शत्रु [हमारे लिए] चुनने के लिए प्रोत्साहित नहीं करते हैं l”
यह बुद्धिमानी है—और सच में व्यवहारिक है l उस अफ़्रीकी देश ने जो एक अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नमूना पेश किया, वही पौलुस ने अपने पाठकों को व्यक्तिगत स्तर पर करने के लिए प्रोत्साहित किया l मसीह द्वारा बदले गए जीवन की विशेषताओं के एक लम्बे विवरण के बीच में, उसने लिखा, “जहाँ तक हो सके, तुम भरसक सब मनुष्यों के साथ मेल मिलाप रखो” (रोमियों 12:18) वह हमें याद दिलाते हुए दूसरों के साथ हमारे व्यवहार के महत्व को सुदृढ़ करने के लिए आगे कहता है कि यहाँ तक कि जिस तरह से हम अपने शत्रुओं के साथ व्यवहार करते हैं (पद. 20-21) वह परमेश्वर और उसकी परम देखभाल में हमारे भरोसे और निर्भरता को दर्शाता है l
हर किसी के साथ शांति से रहना हमेशा संभव नहीं हो सकता (आखिरकार,पौलुस “भरसक” कहता है) लेकिन यीशु में विश्वासियों के रूप में हमारी जिम्मेदारी उसकी बुद्धि को हमारे जीवन का मार्गदर्शन करने की अनुमति देना है (याकूब 3:17-18) ताकि हम अपने आसपास के लोगों को शांतिदूतों के रूप में सम्मिलित
संगीतात्मक औषधि
दाऊद वीणा लेकर बजाता; और शाऊल चैन पाकर अच्छा हो जाता थाl 1 शमुएल 16:23
जब पांच साल की बेल्ला को अमेरिका के नॉर्थ डकोटा में कैंसर के लिए अस्पताल में भर्ती किया गया, तो उसके इलाज के हिस्से के रूप में उसे संगीत चिकित्सा दी गयीl बहुत से लोगों ने मूड/मिज़ाज पर संगीत के शक्तिशाली प्रभाव का अनुभव किया है,बिना यह समझे कि ऐसा क्यों है, लेकिन शोधकर्ताओं ने हाल ही में एक नैदानिक(clinical) लाभ का प्रमाण प्रस्तुत किया है l बेल्ला जैसे कैंसर रोगियों और पार्किंसन रोग/parkinson, मनोभ्रंश/dementia और आघात(trauma) से पीड़ित लोगों के लिए अब संगीत इलाज के तौर पर नुस्खा में दिया जा रहा है l
जब राजा शाऊल पीड़ा अनुभव कर रहा था तो वह संगीत के नैदानिक नुस्खे के लिए पहुंचा l उसके परिचारकों ने उसमें शांति की कमी देखी और सुझाव दिया कि वे किसी को उसके लिए वीणा बजाने के लिए इस आशा में खोजें कि वह “अच्छा हो जाए” (1 शमुएल 16:16) l उन्होंने यिशै के पुत्र दाऊद को बुलवाया, और शाऊल उस से प्रसन्न हुआ और उस से बिनती की, कि वह “[उसकी] सेवा में बना रहे” (पद.22) l दाऊद ने शाऊल के अशांति के क्षणों में उसके लिए वीणा बजाया, जिससे उसे उसकी पीड़ा से राहत मिली l
हम शायद जिसे केवल वैज्ञानिक रूप से ही खोज रहे हों वह परमेश्वर पहले से ही जानता है कि संगीत हमें कैसे प्रभावित कर सकता हैl जैसा कि हमारे शरीर और संगीत दोनों के रचयिता और सृष्टिकर्ता के रूप में,उसने हमारे स्वास्थ्य के लिए एक नुस्खा प्रदान किया जो सभी के लिए सरलता से उपलब्ध है, इससे फर्क नहीं पड़ता कि हम किस युग में रहते हों या डॉक्टर के पास जाना कितना आसान ही क्यों न हो l यहाँ तक कि जब सुनने का कोई तरीका नहीं है, तब भी हम अपने आनंद और संघर्ष के बीच में परमेश्वर के लिए गा सकते हैं,अपना खुद का संगीत बना सकते हैं (भजन 59:16; प्रेरितों 16:25) l
प्रोत्साहन का जल
मैं इसे “खाली/धूसर से हरियाली (lean to green) चमत्कार कहता हूँ l यह पंद्रह वर्षों से अघिक समय से हर वसंत में होता हैl सर्दियों के महीनों के समाप्त होने के बाद, हमारे आंगन में घास धूल से भरी और भूरी होती है, इतनी अधिक कि,एक आकस्मिक राहगीर जो उधर से गुज़र रहा हो उसे यह विश्वास हो सकता है कि यह सूख चुकी है l कोलोराडो, अमेरिका का एक पश्चिमी राज्य है जहाँ पहाड़ों पर बर्फ होती है, लेकिन मैदानी इलाकों “द फ्रंट रेंज”(the Front Range) पर मौसम सूखा होता है-— अधिकाँश गर्म महीने सूखे की चेतावनी से भरे होते है l लेकिन हर साल मई के अंत के आसपास, मैं स्प्रिंकलर/फौवारा(sprinkler) चालू करता हूँ—पानी की भारी मात्रा नहीं बल्कि कम, और लगातार सिंचाई के साथ, लगभग दो सप्ताहों में, जो सूखा और भूरा दिखता था वह प्रचूर और हरा हो जाता है l
वह हरी घास मुझे याद दिलाती है कि प्रोत्साहन कितना महत्वपूर्ण है l इसके बिना, हमारा जीवन और हमारा विश्वास लगभग निर्जीव जैसा हो सकता है l लेकिन यह आश्चर्जनक है कि लगातार प्रोत्साहन हमारे हृदय, दिमाग और आत्माओं के लिए क्या कर सकता है l थिस्सलुनीकियों को लिखी पौलुस की पहली पत्री इस सच्चाई पर ज़ोर देती है l लोग चिंता और भय से जूझ रहे थे l पौलुस ने देखा कि उन्हें उनके विश्वास को मजबूत करने की आवश्यकता है l उसने उनसे एक दूसरे को प्रोत्साहन देने और एक दूसरे की उन्नति के अच्छे काम को जारी रखने का आग्रह किया (1 थिस्सलुनीकियों 5:11) वह जानता था कि ऐसी ताजगी के बिना, उनका विश्वास मुरझा सकता है l पौलुस ने इसे प्रत्यक्ष रूप से अनुभव किया, क्योंकि वही थिस्सलुनीकियों के विश्वासी उसके लिए भी प्रोत्साहन थे, उसका निर्माण कर रहे थे l आपके और मेरे पास प्रोत्साहन करने का समान अवसर है—एक दूसरे को फलने-फूलने और बढ़ने में मदद करने का l