“और प्रेम, और भले कामों में उस्काने (बढ़ाने के लिए)के लिये एक दूसरे की चिन्ता किया करें। और एक दूसरे के साथ इकट्ठा होना ने छोड़ें, जैसे कि कितनों की रीति है, पर एक दूसरे को समझाते रहें; और ज्यों ज्यों उस दिन को निकट आते देखो, त्यों त्यों और भी अधिक यह किया करो।” – इब्रानियों 10:24-25

विलियम नामक एक कॉलेज के पादरी को शहर के एक चर्च में प्रचार करने के लिए आमंत्रित किया गया था। आराधना ढाई घंटे तक चली, जब यह अंततः समाप्त हो गई, तो विलियम्स थक गए और उन्होंने पादरी से पूछा, “आप इन लोगों को इतने लंबे समय तक चर्च में कैसे रोक पाते हैं?”

उनके मित्र ने उत्तर दिया, “यहां बेरोजगारी लगभग 50 प्रतिशत तक है। इसका मतलब यह है कि जब हमारे लोग सप्ताह के दौरान घूमते हैं, तो वे जो कुछ भी देखते और सुनते हैं, वह उनसे कहता है: ‘आप असफल हैं। आप कुछ भी नहीं हैं क्योंकि आपके पास अच्छी नौकरी नहीं है, आपके पास गाड़ी नहीं है, आपके पास पैसे नहीं हैं।’ इसलिए मुझे उनकी निगाहें मसीह पर केंद्रित करानी होंगी। भजनों, प्रार्थनाओं, उपदेशों के माध्यम से, मैं उनसे कहता हूं, ‘यह झूठ है! आप राजसी (राज परिवार के) हो सकते हैं! आप परमेश्वर के राज्य के नागरिक हो सकते हैं!’ मुझे उन्हें सही करने में बहुत समय लगता है क्योंकि दुनिया उन्हें बहुत बुरी तरह पथ भ्रष्ट कर देती है।”

दुनिया लगातार हम पर उसके मूल्यों के अनुरूप चलने का दबाव डाल रही है। हमें यह समझने के लिए कि हम वास्तव में कौन हैं और यह देखने के लिए कि यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के माध्यम से परमेश्वर ने हमें अपने परिवार में कैसे रहने की अनुमति दी है, हमें परमेश्वर के वचन को पढ़ने की आवश्यकता है।

चर्च क्यों जाएं? क्योंकि परमेश्वर हमें आश्वस्त करने के लिए मसीही लोगों के प्रोत्साहन और प्रेम का उपयोग करते हैं कि दुनिया का संदेश झूठ है और परमेश्वर का सुसमाचार सच है।

– डेनिस जे डी हान