जो दया करे वह हर्ष से करें (पद-8)। (रोमियों 12:1-8)
पिछले वर्ष एक शनिवार को, मेरा परिवार अपनी बाइक(bike) से शहर के बाज़ार गया। प्रत्येक सप्ताहांत (weekend) में यह बाजार एक कार पार्किंग की जगह पर लगता है और विक्रेताओं की छोटी सी दुकानों के एक विविध समूह को प्रस्तुत करता है। यह स्थान जैविक उत्पाद, बेकरी(bakery) के सामान और हर कल्पनीय कारीगर शिल्प निर्माण (आभूषण, पेंटिंग, लकड़ी का काम और बहुत कुछ) के सामान के साथ भरा होता है।
मेरे बेटे की नज़र एक बड़े आकार के मफ़िन (muffin)पर पड़ी। उसके लिए पैसे देने की तैयारी करते हुए, मैं एक बुजुर्ग महिला के पीछे कतार में खड़ा हो गया। वे लंबी कद की, लेकिन थोड़ी झुकी हुई थी, उन्होंने एक फीकी डेनिम शर्ट और नीली स्कर्ट पहनी हुई थी। उनके चांदी के सामान सफ़ेद बाल उनके कंधों को छू रहे थे, उनकी सुंदरता उनकी उम्र के कारण कम नहीं हुई थी। मेज से दूर जाने का प्रयास करते हुए वे अचानक मेरी ओर मुड़ी जिसके के लिए मैं तैयार नही था और मैं अपने स्थान पर मानो जैसे जम गया था। हम एक दूसरे आमने-सामने खड़े थे, हमारे बीच केवल 2 या 3 इंच का अंतर था। बिना किसी हिचकिचाहट के, एक बड़ी सी मुस्कान के साथ उन्होंने मेरी दाढ़ी पर उंगली उठाई। “ओह,हो” वह हँसी – उनकी दयालु, कर्कश आवाज एक फुसफुसाहट के सामान ही थी। “क्या यह प्यारी मूंछें नहीं हैं!” कहते हुए वे मुझसे आगे निकल गई।
उस साधारण मानवीय आदान-प्रदान ने मुझे आने वाले दिनों के लिए आनंदित कर दिया था । उस प्यारी महिला के लिए मेरे चेहरे पर अपना हाथ रखना, मेरी आँखों में आँखे डाल कर देखना, प्रसन्नता के शब्द बोलना सबसे स्वाभाविक बात थी। पौलुस ऐसी ही सरल (सीधी सादी) मानवता की शक्ति को जानते थे, जो है दया – जो पवित्र आत्मा द्वारा प्रेरित होकर – उन सभी लोगों तक फैली हुई है जिनको हम मिलते हैं। “हम सब एक दूसरे के हैं”, प्रेरित (पौलुस) हमें याद दिलाते है (रोमियों 12:5)। हमें एक दूसरे की जरूरत है। हम मानवीय शब्दों, स्पर्श और करुणा करने के उद्देश्य रखते है। और यह (मुख्य रूप से) भव्य, अभिभूत करने वाले कार्य या बलिदान का आह्वान(बुलावा) नहीं है। बल्कि यह सरल (सीधी सादी) दया, विस्तृत आतिथ्य और गर्मजोशी से स्वागत करने जैसे कार्य का है।
“यदि आपके पास दया दिखाने का उपहार है,” पौलुस कहते हैं, “तो हर्ष से करो” (व.8)। परमेश्वर की दया हमारे माध्यम से दूसरों तक प्रवाहित हो।
द्वारा: विन्न कोल्लियर
विचार
पढ़ें: रोमियों 12:9-10 आपको क्या लगता है कि दूसरों से प्रेम करने का दिखावा करने में और वास्तव में उन्हें प्रेम करने में क्या अंतर है?
जब किसी ने आप पर सच्ची दया दिखाई तो आप पर क्या प्रभाव पड़ा? परमेश्वर ने आपको अपनी दया कब प्रदान की? आज आप कहाँ (और किसको) दया दिखायेंगे?
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