पढ़ें: लैव्यव्यवस्था 19:1-18, 33-34
यदि कोई परदेशी तुम्हारे देश में तुम्हारे संग रहे, तो उसको दु:ख न देना। जो परदेशी तुम्हारे संग रहे वह तुम्हारे लिये देशी के समान हो, और उससे अपने ही समान प्रेम रखना; क्योंकि तुम भी मिस्र देश में परदेशी थे (पद 33-34)।
बेल्जियम में गील अनूठी आबादी वाला एक आकर्षक शहर है – वहां बहुत सारे लोग मानसिक बीमारी से पीड़ित हैं । इन व्यक्तियों के मेजबान परिवारों को उनके मेहमानों के रोग की पहचान का कोई विवरण नहीं दिया जाता है। इसके बजाय, वे सामान्य व्यक्ति की तरह अपने मेहमानों का समुदाय में स्वागत करते हैं। एक समीक्षक ने वर्णन किया, “मैंने एक कैफे में कॉफी परोसते देखा है, जिसमें सक्रिय रूप से भ्रान्ति वाले मनोरोगियों को उतना ही सम्मान दिया जाता है, जितना किसी और को।” इसमें आश्चर्य की बात नहीं है कि मानसिक बीमारी से पीड़ित लोग गील में समृद्ध हैं।
यह अनोखा शहर “दूसरों से वैसे ही प्रेम करो जैसा तुम अपने आप से करते हो”, की एक सुन्दर छवि प्रस्तुत करता है। क्योंकि गील के निवासी मानसिक रूप से बीमार व्यक्तियों को केवल लोगों के रूप में देखते हैं, वे उनके लिए समुदाय में खुशहाल, संपूर्ण जीवन जीने के लिए जगह बनाते हैं। इसी प्रकार, जब परमेश्वर ने अपने लोगों को दूसरों के साथ व्यवहार करने के बारे में दिशानिर्देश दिए, तो उसने उन्हें याद दिलाया कि जो लोग उनसे सबसे अलग दिखते थे – परदेशी – वे परदेशी नहीं थे, क्योंकि वे भी एक समय परदेशी थे (लैव्यव्यवस्था 19:33)। दूसरों को अपने जैसा देखना, दूसरों के साथ न्यायपूर्ण व्यवहार करने के परमेश्वर के आदेशों की नींव थी, जिसमें परदेशीओं से प्यार करना और उनके साथ “मूल निवासी इस्राएलियों की तरह” व्यवहार करना शामिल था (पद 33-34)।
अक्सर हमारी संस्कृतियाँ लोगों को मतभेदों के आधार पर नाम देती हैं और विभाजित करती हैं – अमीर या गरीब, रूढ़िवादी या उदारवादी, जातीय बहुसंख्यक या अल्पसंख्यक। इस प्रक्रिया में, हम सभी की साझा की गयी मानवता को भूल सकते हैं। सभी लोगों के लिए समान आधार और न्याय के लिए काम करने के बजाय, हम रूढ़िबद्ध हो सकते हैं और अपने से अलग लोगों को नज़रअंदाज़ करते हैं। हममें से प्रत्येक के लिए, अपने पड़ोसी से प्रेम करने की लैव्यव्यवस्था 19 की आज्ञा हमें नाम देने को तोड़ने और दूसरों के साथ जीवन साझा करने के लिए काम करने की याद दिलाती है। जैसे हम परमेश्वर के प्रेम को जीते हैं, जो हमें उसकी छवि में बने दूसरों के साथ जोड़ता है, वह हमेशा उस चीज़ से बड़ा होता है जो हमें विभाजित करने का ख़तरा पैदा करती है।
—मोनिका ब्रांड्स
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यह देखने के लिए निर्गमन 22:21 और व्यवस्थाविवरण 10:19 पढ़ें कि कैसे परमेश्वर ने इस्राएल को बार-बार उनके अतीत की याद दिलाई ताकि वे उन लोगों से प्रेम करें जो परदेशी थे।
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क्या होता है जब आप इस बात पर ज़ोर देने के बजाय कि आपको क्या एकजुट करता है, अपने और अन्य लोगों के समूहों के बीच मतभेदों पर ध्यान केंद्रित करते हैं ? आप उन लोगों के साथ जीवन साझा करने के लिए क्या कदम उठा सकते हैं जिनसे आप अतीत में बचते रहे होंगे?
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