“मरियम!” यीशु ने कहा. यहुन्ना 20:16
“जेरेमी” (उसका असली नाम नहीं है) अपनी एक बड़ी घोषणा करने के लिए उत्साहित था,बहुत ज्यादा उत्साहितI उसने अपने अजन्मे बच्चे के लिंग को बताने के लिए रेगिस्तान के सूखे घास के मैदानों में एक दावत रखीI उसने विस्फ़ोटकों और नीले रंग(बच्चा लड़का था) के पाउडर के साथ एक लक्ष्य तैयार किया और फिर लक्ष्य पर निशाना साध दियाI आग का एक धमाका हुआ, इतनी भीषण आग कि उसे बुझाने के लिए 800 दमकल कर्मीयों को पूरे एक हफ़्ते का समय लग गयाI जेरेमी ने कठिन तरीके से यह सीखा कि बड़ा हमेशा बेहतर नहीं होता हैI कभी-कभी एक शालीन या सादे तरीके से की गयी घोषणा सर्वश्रेष्ठ काम करती हैI
यीशु के पुनुरुत्थान पर विचार करेंI उसने किस तरह इस सबसे बड़े समाचार की घोषणा की? यीशु अपने को राजा घोषित करने के लिए न तो राजमहल की ओर भागा न ही आकाश से बिजली गिरवाईI वह अपने बारह चेलों के पास भी पहले नहीं गयाI वह कब्र के पास रुके रहा (लूका 8:2) उन स्त्रीयों की प्रतीक्षा में जिन्हें वह जानता था कि वे उसके शरीर को अभिषेक करने के लिए आ रही हैंI उनमे से एक ने भूल से यीशु को माली समझ लिया और पूछा कि उन्होंने यीशु के शरीर को कहाँ रखा हैIयीशु ने बस इतना कहां “मरियम!” (यहुन्ना 20:16)
यह सच/सही है, यीशु ने एक ही शब्द में अपने पुनुरुत्थान की घोषणा की,एक स्त्री का नाम—स्त्री जो पहले दुष्ट आत्मा से ग्रस्त थीI (लूका 8:2) एक ऐसी स्त्री जिसकी गवाही की प्राचीन दुनिया में कोई ख़ास कीमत नहीं थी,परन्तु,यीशु उस स्त्री से प्रेम करते थे और उन्होंने उसे ही अपना विस्फ़ोटक समाचार की घोषणा सौंपीI
जैसे कि वो अब हम पर भरोसा करता है,हमें शानदार बनने की ज़रुरत नहीं है क्योंकि हमारा संदेश शानदार है, हमें सिर्फ़ यह बताने की ज़रुरत है जो हमने देखा और सुना हैI
आप किसे जानते है जिसे यीशु के बारे में जानने की ज़रूरत है? आपको क्या प्रोत्साहित करता है उनसे दया और आत्मविश्वास से बात करने के लिए?
पिता, कृपया अपने पुत्र के बारे में बताने के लिए मेरे मुँह का इस्तेमाल करेंI
यहुन्ना 20:11-18
11 मरियम कबर के पास, बाहर रोती हुई खड़ी रही। उसने रोते-रोते झुक कर कबर के भीतर दृष्टि डाली 12 और जहाँ येशु का शरीर रखा हुआ था, वहाँ श्वेत वस्त्र पहने दो स्वर्गदूतों को बैठा हुआ देखा : एक को सिरहाने और दूसरे को पैताने। 13 दूतों ने उस से कहा, “हे महिला! आप क्यों रो रही हैं?” उसने उत्तर दिया, “वे मेरे प्रभु को उठा ले गये हैं और मैं नहीं जानती कि उन्होंने उन को कहाँ रखा है।” 14 वह यह कह कर मुड़ी और उसने येशु को वहाँ खड़े हुए देखा, किन्तु वह उन्हें पहचान नहीं सकी कि वह येशु हैं। 15 येशु ने उससे कहा, “हे महिला! आप क्यों रो रही हैं? आप किसे ढूँढ़ रही हैं?” मरियम ने उन्हें माली समझा और यह कहा, “महोदय! यदि आप उन्हें उठा ले गये हैं, तो मुझे बता दीजिए कि आपने उन्हें कहाँ रखा है और मैं उन्हें ले जाऊंगी।” 16 इस पर येशु ने उससे कहा, “मरियम!” उसने मुड़ कर इब्रानी में उनसे कहा, “रब्बोनी”, अर्थात् “गुरुवर”। 17 येशु ने उससे कहा, “चरणों से लिपट कर मुझे मत रोको। मैं अब तक पिता के पास, ऊपर नहीं गया हूँ। मेरे भाइयों के पास जाओ, और उनसे यह कहो कि मैं अपने पिता और तुम्हारे पिता, अपने परमेश्वर और तुम्हारे परमेश्वर के पास ऊपर जा रहा हूँ।” 18 मरियम मगदलेनी ने जा कर शिष्यों को यह संदेश दिया, “मैंने प्रभु को देखा है और उन्होंने मुझ से ये बातें कही हैं।”