“शमौन पतरस ने उनसे कहा, “मैं मछली पकड़ने जा रहा हूँ l” उन्होंने उससे कहा, “हम भी तेरे साथ चलते हैं l” अतः वे निकलकर नाव पर चढ़े, परन्तु उस रात कुछ न पकड़ा l ” यूहन्ना 21: 3
“हाय्, क्या चल रहा है? यह मध्य रात्री है l सब ठीक तो है?” मैंने अपनी सहेली से पूछा जो फ़ोन कॉल के दूसरी छोर पर थी l
“हाँ, हम सब ठीक हैं,” वह रुक गयी l “केवल मेरा हृदय भारी है और मैं सो न सकी l मुझे किसी से बात करने की ज़रूरत है l”
जैसे-जैसे बातचीत आगे बढ़ी, मैं समझ गयी कि मेरी सहेली, जो एक अग्रणी आईटी फर्म में मानव संसाधन की प्रमुख थी, को एक बहुत ही असहज स्थिति में मजबूर किया गया था – लॉक-डाउन के बाद उसे लगभग 350 कर्मचारियों को नौकरी से छुट्टी करनी पड़ी थी l COVID- 19 महामारी के कारण वित्तीय कठिनाई पहले से ही जीवनों की तुलना में अधिक आजीविकाओं को समाप्त करने लगी थी, और परमेश्वर की संतान के रूप में इतने सारे परिवारों को पीड़ित देखकर उसे गहरी चोट लगी थी l यदि वह इसे करने से इनकार भी करती, तो भी यह अपरिहार्य था l
वित्तीय विशेषज्ञों ने पहले से ही इस महामारी की दूसरी तरफ आसन्न मंदी के लिए अपने पूर्वानुमान लगाए हैं l कई विशेषज्ञ इस आर्थिक उथल-पुथल में जीवित रहने के बारे में सलाह दे रहे हैं l आनिश्चिताता आज की संकेतावली (Code Word) है l आने वाला कल ही हमें बताएगा कि क्या हमें नौकरी भी मिलेगी l हमारे वेतन के खिलाफ लिया गया ऋण; भविष्य के हमारे अनुमान के आधार पर की गयी प्रतिबद्धताएं – हमारी बहुत से योजनाएं ध्वस्त हो गयी हैं l इस वर्तमान स्थिति ने हमें यह महसूस करने में मदद की है कि हमने ऐसे अनिश्चित आधारों पर जीवन की अपनी उम्मीदों को कैसे बनाया है l
यीशु के शिष्यों ने बदलाव को हममें से कईयों से बेहतर समझा l उदाहरण के लिए, शमौन पतरस ने यीशु का अनुसरण करने के लिए मछुआ के रूप में एक एक महत्वपूर्ण आजीविका त्याग दिया था – और याकूब, यूहन्ना, और अन्द्रियास भी l उनमें से सभी ने यीशु की बुलाहट का सरलता से प्रत्युत्तर दिया था जब उसने कहा था, “मेरे पीछे आओ, मैं तुम को मनुष्यों के मछुवे बनाऊँगा” (मरकुस 1:17) l हम जानते हैं कि शमौन पतरस का परिवार था और प्रतिबद्धताएं थीं – आप और मेरे जैसे – जो उसे रोक सकती थीं जब यीशु ने उसे बुलाया था l लेकिन नासरत से इस ‘नए रब्बी’ के अनुसरण की अनिश्चितता से पीछे हटने के बजाय, उसने उस उच्च बुलाहट पर भरोसा करके उत्साहपूर्वक चल दिया l
तेजी से अगले तीन साल बीते और शिष्यों ने कई आश्चर्यक्रम देखे l वे वहां थे जब 5000 से अधिक की भीड़ को खिलाया गया था l वे वहाँ थे जब बड़ी संख्या में लोग चंगे हुए थे l उन्होंने लाज़र को मरे हुओं में से जीवित होते भी देखा था l निकट और दूर से लोग आने-वाले ‘मसीहा(Messiah)’ को देखने आए, और ये मछुए जो किसी समय अज्ञात थे अब आगे बढ़कर उस समय इस्राएल में सबसे अधिक होने वाले आन्दोलन के लिए कार्य कर रहे थे l शमौन पतरस इतना प्रसिद्द था कि वह यीशु पर मुकदमा चलाए जाने और क्रूसीकरण के समय एक सेविका लड़की द्वारा “नासरी यीशु”(मरकुस 14:67) के शिष्य के रूप में पहचान लिया गया l
लेकिन रात भर में, सब कुछ बदल गया l यीशु को क्रूस पर एक अपराधी की तरह चढ़ाया गया l एक समय प्रचलित रहे इन लोगों को छिपने के लिए मजबूर होना पड़ा और पुनरुत्थान के बाद भी, शिष्यों ने भविष्यवाणी नहीं की या पुनरुत्थित प्रभु के दर्शन की उम्मीद की l वास्तव में, जीवन पहले जैसा कभी नहीं होगा l
अपनी जीविका के एक चौराहे पर, पतरस एक बंद गली में पहुँच गया l अनिश्चिता भीतर आ गयी और मुझे आश्चर्य होता है कि क्या उसने अपने परिवार के बारे में और अपने अनेक प्रतिबद्धताओं के विषय सोचा होगा l तीन साल तक वह अपना जाल भूल गया था l तीन साल तक उसने यीशु का अनुसरण किया था l तीन साल के लिए उसने उम्मीद की थी कि समय और प्रयास का उसका निवेश उसके भविष्य को गारंटी देगा l फिर भी अब, उसके पास केवल अनिश्चितता की बहुतायत थी l इसलिए, वह अपने मुताबिक सर्वोत्तम अर्थात् मछली पकड़ने की ओर लौटने का निर्णय लेता है l
अपने पूर्व सहयोगियों के साथ मिलकर वह नाव पर वापस जाता है; पूरी रात मेहनत करता है लेकिन परिणाम शून्य l भोर के समय निरुत्साहित और भूखा वह एक आदमी को किनारे पर देखता है जो उससे एक सरल सवाल पूछता है, “हे बालकों, क्या तुम्हारे पास कुछ मछलियाँ हैं?” (यूहन्ना 21: 5). l शायद उसने सोचा, “यहाँ एक ग्राहक है ओर मेरे पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं है l” लेकिन असामान्य निर्देशों के परिणामस्वरूप मछली की जबरदस्त पकड़ होती है l उसके बाद शिष्य प्रभु को पहचान लेते हैं l क्या वास्तव में यीशु ने ऐसा नहीं किया था जब उसने पतरस को उसका अनुसरण करने के लिए बुलाया था? पतरस किनारे पर स्वामी से मिलने के लिए पानी में से शीघ्रता से निकलता है और क्या देखता है! किस वस्तु से उसका स्वागत होना था, भुनी मछली और रोटी की स्वादिष्ट खुशबू से! यह ध्यान रखना दिलचस्प है कि यीशु ने पहले से ही आग जलाई थी और उस पर कुछ मछलियाँ रखी थी लेकिन वह अभी भी पतरस को उसके द्वारा पकड़ी मछली में से कुछ जोड़ने के लिए कहता है l उसकी भूख मिट जाती है, यीशु फिर से पतरस के सामने “मूल कार्य” का प्रस्ताव रखता है l “मेरे पीछे आओ l”
पतरस के “मसीह” का अनुसरण करने का निमंत्रण हमारे लिए भी विस्तारित है l इन समयों में, भयावह संसार की घटनाओं और वित्तीय अनिश्चितता के केंद्र में होने के कारण, हमें यह जानने में सुरक्षा है कि मसीह का “अनुसरण” करने की हमारी बुलाहट एक नहीं लौटने वाला प्रस्ताव है l सांसारिक नौकरियाँ हमें धोखा दे सकती हैं और हमारे बैंक खाते खाली हो सकते हैं लेकिन हम जानते हैं कि हमारा भविष्य यह जानने में सुरक्षित है कि हम ऐसे परमेश्वर की सेवा करते हैं जो हमारी प्रत्येक ज़रूरत का ध्यान रखता है l भजन 23:1 हमें आश्वस्त करता है “यहोवा मेरा चरवाहा है, मुझे कुछ घटी नहीं होगी l” परमेश्वर हमारे अच्छे चरवाहा’ के रूप में, हमारे लिए अपना प्रावधान, करुणा, और उद्देश्य/मिशन पहुंचाता है l वह हमारे जांच के समय को विजय की गवाही में बदलने में माहिर है l वह केवल हमसे चाहता है कि हम भोजन में जोड़ें l थोड़ा सा विश्वास, बहुत सारी आशा और उसके अनंत प्रेम में पूरा भरोसा l जिस प्रकार चार्ल्स स्पर्जन इसे स्पष्ट रूप से बोलते हैं …
“हम हमेशा परमेश्वर के हाथ का पता नहीं लगा सकते, लेकिन हम हमेशा परमेश्वर के हृदय पर भरोसा कर सकते हैं l”
-रेबेका विजयन