पढ़ें: यिर्मयाह 31:1-14
मैं ने तुझसे अनंतकाल का प्रेम किया है। (पद 3)
एक मित्र की अचानक से मृत्यु हो गई, वह अपने पीछे अपनी पत्नी और कई बच्चे छोड़ गया। उसकी मृत्यु के कुछ ही दिनों बाद मैंने उनकी विधवा (एक प्रिय मित्र भी) से बात की। उसका दिल टूटा हुआ था, लेकिन उसे इस बात का भी आश्चर्य था कि कैसे परमेश्वर ने पहले ही से उसके पति की मृत्यु का उपयोग दो व्यक्तियों को यीशु में उद्धार पाने के लिए किया। फिर उसने बताया कि उसने अपने बच्चों को एक साथ इकट्ठा किया और उनसे कहा: “गुस्सा होना और परमेश्वर के सामने अपनी भावनाओं को व्यक्त करना ठीक है, लेकिन इससे उसमें अपने विश्वास को प्रभावित न होने देना। यह कितनी दुखद बात होगी कि आप लोग परमेश्वर से फिर जाओ जबकि वें लोग परमेश्वर की और मुड़े हो?”
हालाँकि वह दुःख और दर्द में थी, फिर भी वह परमेश्वर और उसके शाश्वत प्रेम से चिपकी हुई थी।
यिर्मयाह और यहूदा के लोग भी पीड़ा और दिल का दर्द जानते थे। वे बेबीलोनिया के उत्पीड़न के अधीन आ गए थे और अपनी मातृभूमि से छीन लिए गए थे। पराजय और विनाश के कारण दु:ख और निराशा आ गई। परन्तु परमेश्वर ने भविष्यवक्ता को आशा के कुछ शब्द दिए: “हे मेरे लोगों, मैं ने तुम से अनंतकाल का प्रेम किया है।अटल करुणा से मैं ने तुम्हें अपनी ओर खींचा है” (यिर्मयाह 31:3)। वह आगे समझाता है कि एक दिन वह फिर उन्हें बसाएगा, पहाड़ों पर अंगूर की बारियां फिर लगाई जाएँगी, और लोग एक बार फिर खुशी और नृत्य का आनंद लेंगे (पद 4-7)। संक्षेप में वह कह रहा था, “रात को रोना पड़े, परन्तु सवेरे आनंद पहुँचेगा” (भजन 30:5)।
मेरे मित्र की पत्नी अपने बच्चों को आशा के बुद्धिमान शब्द व्यक्त कर सकी क्योंकि वह जानती थी कि वह परमेश्वर के प्रेम और प्रावधान पर भरोसा कर सकती है। उसके “भले उपहार” बने रहेंगे (यिर्मयाह 31:14)। और भले ही वह डर और दुःख के डंग का अनुभव कर रही थी, वह उस की बाहों में आराम कर सकती थी जिसने अपने लोगों से कहा है, “मैं तुम्हारे शोक को आनंद में बदल दूंगा” (व. 13)। उसका प्रेम अनंतकाल का है।
—टॉम फेल्टेन
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भजन 23:1-6 पढ़ें और परमेश्वर के आपके प्रति “अचूक प्रेम” पर विचार करें।
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क्या आप ऐसी स्थिति का सामना कर रहे हैं जिसके कारण आपका विश्वास संकट में आ रहा है? यदि अभी नहीं, पर जब आप इसका सामना करे, तो आप स्वयं को परमेश्वर के शाश्वत प्रेम और भलाई की याद कैसे दिला सकते हैं?
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