“मैं ने तो घबराकर कहा था कि मैं यहोवा की दृष्टि से दूर हो गया। तौभी जब मैं ने तेरी दोहाई दी, तब तू ने मेरी गिड़गिड़ाहट को सुन लिया।” – भजन 31:22

अंटार्कटिका की 9 महीने लंबी सर्दियों के दौरान, महाद्वीप अंधेरे में डूबा रहता है और तापमान शून्य से -82 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। फरवरी के अंत से नवंबर तक हवाई उड़ानें रोक दी जाती हैं, जिससे बिखरे हुए अनुसंधान स्टेशनों के कर्मचारी अलग-थलग पड़ जाते हैं और बाहरी मदद से सम्पर्क लगभग टूट जाता है (दूर हो जाते हैं)। फिर भी 2001 के दौरान, दो साहसी बचाव अभियानों ने ध्रुवीय सर्दियों में प्रवेश किया और गंभीर चिकित्सा स्थितियों वाले लोगों को सुरक्षा के लिए हवाई जहाज़ से बाहर निकाला।

हम सभी कभी-कभी असहाय और अलग-थलग महसूस करते हैं। ऐसा लग सकता है कि मदद के लिए हमारी पुकार परमेश्वर भी नहीं सुनते या जवाब नहीं देते। मुसीबत के समय भजनकार दाऊद का यह डर था: “मैं यहोवा की दृष्टि से दूर हो गया!” फिर भी उसे पता चला कि प्रभु उसे नहीं भूले थे और वह आनन्दित हो सका: “तौभी जब मैंने तेरी दोहाई दी, तब तू ने मेरी गिड़गिड़ाहट को सुन लिया॥” (भजन संहिता 31:22 )।

आज कौन सी परिस्थितियाँ आपको असहाय या निराश महसूस कराती हैं? ख़राब स्वास्थ्य? टूटे हुए रिश्ते? परिवार में कोई सदस्य बहुत अधिक जरूरतमन्द है? यीशु मसीह में, परमेश्वर ने अपने उद्धार करने वाले प्रेम के माध्यम से एक साहसी बचाव में हमारी दुनिया की अंधेरी सर्दी में प्रवेश कर लिया है। इसलिए वह सबसे विकट परिस्थितियों में हम तक पहुंचने और हमारे डर को शांत करने में सक्षम है। हम परमेश्वर की शक्तिशाली शक्ति और स्थायी शांति से कभी अलग नहीं होते हैं।

– डेविड सी मैककैसलैंड