मैं शांति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा;क्योंकि,हे यहोवा,केवल तू ही मुझको एकांत में निश्चिंत रहने देता हैI भजन संहिता 4:8 (NIV)
एम्ब्रोस (340-397 ईस्वी) के मिलान के बिशप बनने के बाद,उन्होंने चर्च को एक नये किस्म/तरीके के संगीत से परिचय कराया जो पूर्वी शैली से उधार लिया गया थाI कुछ लोगो ने इस विलक्षण/सुधारवादी विकास को स्वीकार नहीं किया लेकिन इस नए रूप ने जोर पकड़ लियाI एम्ब्रोस के भजन आज भी अस्तित्व में हैI उनमे से एक का अनुवाद इस प्रकार कहता है “दिन समाप्त होने से पहलेI”
हर बुरे सपने से, रात के भय और कल्पनाओं से, हमारी आँखों को बचानाII
ऐसी बातें परमेश्वर के विश्राम को जो उसने हमारे लिए बनाया है उसे डराती/धमकाती है,इसलिए एम्ब्रोस के भजन परमेश्वर से विनती करते है कि जब हम सो रहे है तब भी वे हमारी रक्षा करेI
भजन संहिता 4 में,राजा दाऊद डर के बावजूद भी नींद की अवधारणा को संबोधित करते है शायद हो सकता है अपनी जान बचाने के दौरान दाऊद ने परमेश्वर को पुकारा हो, “मुझ पर अनुग्रह कर और मेरी प्रार्थना सुन लेII” (वचन-1(NIV) और इस गहरी व्यक्तिगत दलील पेश करने के बाद दाऊद अपनी ओर से ध्यान हटाते हुए अपने श्रोताओं/सुननेवालों की ओर मुड़ता है और उनसे विनती करता है कि “अपने अपने बिछौने पर मन ही मन सोचो और चुपचाप रहोI”(वचन-4) ऐसा करने से हमारा ध्यान अपने डर पर नही बल्कि परमेश्वर की ओर केन्द्रित रहता है, जो स्वाभाविक रूप से दाऊद को इस निष्कर्ष पर ले गया था कि “मैं शांति से लेट जाऊंगा और सो जाऊंगा; क्योंकि,हे यहोवा,केवल तू ही मुझको एकांत में निश्चिंत रहने देता हैI” भजन संहिता (वचन-8)
हमें जिन भी बातों से डर या ख़तरा महसूस करते है उनकी प्रतिक्रिया में दाऊद और एम्ब्रोस के प्राचीन गीत हमें शांति प्रदान करते हैI दिन समाप्त होने से पहले अपनी चिंताएं और भय को परमेश्वर के साथ साझा करें, उसे हम परमेश्वर के पास ही छोड़ सकते हैI
आपकी नींद को कौन सी बातें डराती या धमकाती है? दिन के समाप्त होने पर आप किस तरह अपनी चिंताओं को परमेश्वर को सौंप सकते है?
स्वर्गीय पिता,विश्राम देने के लिए धन्यवादI जैसे मैं सोने जाता हूं,मेरी मदद करें की मैं अपने भय और समस्याओं को आपको दे दूं और आप में विश्राम कर सकूंI
भजन संहिता 4:1-8
1 हे मेरे संरक्षक परमेश्वर! मेरी पुकार का मुझे उत्तर दे! जब मैं संकट में था, तब तूने मेरी सहायता की। अब मुझ पर अनुग्रह कर और मेरी प्रार्थना सुन। 2 ओ मानव! कब तक तुम मेरे गौरव को अपमानित करते रहोगे? तुम कब तक निरर्थक बातों की अभिलाषा, और असत्य की खोज करते रहोगे? सेलाह 3 जान लो कि प्रभु अपने भक्त के लिए अद्भुत कार्य करता है: जब मैं प्रभु को पुकारता हूँ, तब वह निस्सन्देह सुनता है। 4 कांपते रहो और पाप मत करो: शैया पर लेटकर हृदय में विचार करो, और शांत हो।सेलाह 5 विधि-सम्मत बलि चढ़ाओ,और प्रभु पर भरोसा करो। 6 अनेक मनुष्य यह कहते हैं, “काश! हम भलाई को देख पाते। प्रभु, अपने मुख की ज्योति हम पर प्रकाशित कर!” 7 तूने मेरे हृदय को उससे कहीं अधिक आनन्द प्रदान किया है, जो उन्हें अंगूर और अन्न की प्रचुरता के समय होता है। 8 मैं शांतिपूर्वक लेटता, और सकुशल सोता हूँ; क्योंकि प्रभु, तू ही मुझे सुरक्षित रखता है।