भेड़िए को भोजन कराना

वरन प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर की अभिलाशाओं को पूरा करने का उपाय न करो। —रोमियों 13:14

एक बूढ़ा मुखिया अपने पोते के साथ टिमटिमाती हुई आग के सामने बैठा था लड़के ने एक आदिवासी नियम को तोड़ दिया था और उसके दादाजी उसे यह समझाने में मदद करना चाहते थे कि उसने ऐसा क्यों किया? ऐसा लगता है कि हमारे अंदर दो प्रकार के भेड़िए दिए हैं एक अच्छा है और एक बुरा दोनों हमारी आज्ञाकारिता की मांग

करते हैं कौन सा जीता है?

लड़के ने पूछा “हम जिसे त्रिप्त करते हैं!” मुखिया ने कहा।

प्रभु यीशु का प्रत्येक अनुयाई इस संघर्ष से जूझता हुआ दिखाई पड़ता है। हम एक ऐसे युद्ध को लड़ रहे हैं जो शरीर और पाप की वासनाओं के मध्य निरंतर चल रहा है प्रारंभ में वे छोटे और हानि ना पहुंचाने वाली इच्छा प्रतीत होती हैं परंतु अंततः वे बड़े होने लगते हैं और हमें अपने कब्जे में कर लेते हैं। (रोमियों 6:16 )

इससे बचाव के लिए हमें बाइबल पर विश्वास करना चाहिए जैसा वो परीक्षाओं पर प्रबल होने की सामर्थ के विषय बताती है।

हमें पवित्र आत्मा पर भी यह करके विश्वास करना चाहिए कि वे हमारी सहायता इससे छुटकारा दिलाने में करेगी। फिर आता है एक बहुत ही कठिन भाग जबकि एक बुरी इच्छा हमारे जीवन में एक मांग खड़ी करती है। हमें उस समय उसे मना करना है-और हो सकता है कि यह हमें बारंबार कहना पड़े। पौलुस कहता है वरन प्रभु यीशु मसीह को पहिन लो, और शरीर की अभिलाशाओं को पूरा करने का उपाय न करो।

याद रखें, जिस चीज से हम स्वयं को तृप्त करेंगे वही हम पर नियंत्रण कर लेगी।

– डेविड एग्नर

 

 

 

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