और अपने शरीर में बैर अर्थात वह व्यवस्था जिस की आज्ञाएं विधियों की रीति पर थी,मिटा दिया,कि दोनों से अपने में एक नया मनुष्य उत्पन्न करके मेल करा देI इफिसियों 2:15

वॉटर लिलीज़,(नीलकमल) क्लौड मोनेट की पेंटिंग्स की सबसे प्रसिद्ध श्रृंखलाओं में से एक है जो उसके आँगन के पिछवाड़े में बने तालाब के शांत फूलों को दर्शाता हैI उसने यह दर्शकों को देने के लिए “एक शांतिपूर्ण साधना का शरणस्थल” बनाया थाI यह लक्ष्य 1920 के दशक में हासिल किया गया था जब पेरिस के ऑरेंजरी म्यूजियम में दो गैलरी बनायीं गयी थी जहां मोनेट की आठ पेंटिंग्स को रखा गया था जो प्रथम विश्व युद्ध के विनाश के बाद शांति का स्वर्ग बना रहा थाI

विडंबना यह थी कि जिन वॉटर लिलीज़ ने असंख्य लोगों को शांति प्रदान की थी,उन्हें बनाते समय मोनेट शायद ही कभी शांतिपूर्ण रहे होंगेI आँधी उनके कैनवास को उड़ा देती,तो कभी सड़क की धूल उन फूलों(वॉटर लिलीज़) पर जमा हो जाती जो उनके लिए गहरी निराशा पैदा कर देती थीI दर्जनों पेंटिंग्स को उन्होंने कुचला या फाड़ दिया होगा जो उन्हें पसंद नहीं आयीI “मैं अक्सर यातनाएं झेलता हूं जब मैं पेंटिंग बनाता हूं” जिस शांति का आनंद हम उनकी पेंटिंग्स के द्वारा उठाते है वह एक कीमत चुकाने पर आयी हैI

इफ़िसियों 2 में पौलुस यहूदियों और अन्य जाति के लोगों के बीच मौजूद शत्रुता को याद करता है, इससे पहले कि यीशु ने उनका एक दूसरे के साथ और परमेश्वर के साथ मेल-मिलाप किया थाI (वचन11-15) यह लड़ाई जीती गयी हालाँकि एक बहुत भारी कीमत को चुका करI उस क्षमा के कारण जिससे परमेश्वर के साथ संबंध स्थापित हुआ और वह मेल-मिलाप जो अब हम सभी के बीच में संभव हुआ है,वह यीशु की यातनापूर्ण/दर्दनाक मृत्यु के द्वारा हमें प्राप्त हुआ हैI

मैं इस बात को याद रखना चाहता हूं जब कभी मैं अगली बार मोनेट की वॉटर लिलीज़ देखूI परमेश्वर और एक दूसरे के साथ हम जिस शांति का आनंद ले रहे है वह यीशु के पीड़ादायक कार्य के कारण ही हमें मिली हैI

आपने कब और कहाँ अपने आपको परमेश्वर के निकटतम महसूस किया है?आप किस प्रकार से अपने आप को यह याद दिला सकते है कि यह शांति जो आपको मिली है वह क्रूस पर यीशु के कार्य के कारण मौजूद है?

यीशु, मुझे, मेरी शांति आपकी पीढ़ा की कीमत पर मिली हैI मैं इसे कभी भी हल्के रीति से नहीं लेना चाहता हूं, धन्यवादI

इफिसियों 2:11-18

11आप जन्‍म से गैर-यहूदी हैं और उन लोगों द्वारा “बेखतने वाले” कहे जाते हैं, जिनके शरीर में खतना किया गया है। 12 आप स्‍मरण रखें कि पहले आप मसीह से अलग थे, इस्राएल के समुदाय के बाहर थे। आप परमेश्‍वर की प्रतिज्ञा के अनुसार ठहराए गए विधानों से अपरिचित थे, इस संसार में आशा से वंचित और परमेश्‍वर से रहित थे। 13 आप लोग पहले दूर थे, किन्‍तु येशु मसीह से संयुक्‍त हो कर आप अब मसीह के रक्‍त द्वारा निकट आ गये हैं; 14 क्‍योंकि वही हमारी शान्‍ति हैं। उन्‍होंने यहूदियों और गैर-यहूदियों को एक कर दिया है। दोनों में जो भेद डालने वाली शत्रुता की दीवार थी, उसे उन्‍होंने गिरा दिया है और अपनी मृत्‍यु द्वारा 15 विधि-निषेधों की व्‍यवस्‍था को रद्द कर दिया। इस प्रकार, उन्‍होंने यहूदियों तथा गैर-यहूदियों को अपने से मिला कर एक नयी मानवता की सृष्‍टि की और शान्‍ति स्‍थापित की है। 16 उन्‍होंने क्रूस द्वारा दोनों का एक ही देह में परमेश्‍वर के साथ मेल कराया और इस प्रकार शत्रुता को नष्‍ट कर दिया। 17 तब उन्‍होंने आकर दोनों को शान्‍ति का शुभसमाचार सुनाया : आप लोगों को, जो दूर थे और उन लोगों को, जो निकट थे; 18 क्‍योंकि उनके द्वारा हम दोनों एक ही आत्‍मा से प्रेरित हो कर पिता के पास पहुँच सकते हैं।