सदैवकालीन पुष्प


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सदैवकालीन पुष्प

घास तो सूख जाती, और फूल मुर्झा जाता है; परन्तु हमारे परमेश्‍वर का वचन सदैव अटल रहेगा। – यशायाह 40: 8

एक समय जब मेरा बेटा सेवियर छोटा ही था तो उसने मुझे नकली फूलों का एक सुंदर गुलदस्ता दिया। उसने मुस्कुराते हुए हल्के पीले रंग की लिली पीले सूरजमुखी फूलों और बैंजनी फूलों को एक शीशे के गुलदस्ते में सजाया। “ देखो मां यह कभी नाश नहीं होंगे मैं तुम्हें इतना ही प्रेम करता हूं” उसने यह कहते हुए मां को यह फूल दिए।

अब मेरा बेटा जवान हो गया है। वह रेशम की पत्नियां मुरझा चुकी है और रंग हल्के पड़ चुके हैं। अब भी सदैवकालीन पुष्प मुझे उसके उन शब्दों को याद दिलाते हैं और मेरे दिमाग में कुछ और बातें भी आती हैं -एक बात जो सदैव स्थिर रहती है- परमेश्वर का वह असीम व अनंतकालीन प्रेम जो उसके अविनाशी और स्थिर वचन में देखने को मिलता है (यशायाह 40:8)।

जबकि इसराइली ने सताव को निरंतर सहा जैसा यशायाह ने उन्हें परमेश्वर के स्थिर वचन द्वारा सांत्वना प्रदान की। उन्होंने भविष्यवक्ता पर विश्वास किया क्योंकि उसका ध्यान परिस्थितियों पर नहीं परंतु परमेश्वर पर केंद्रित था।

यह दुनिया जो अस्थिरता, पीड़ाओं से भरी है हमारी भावनाएं सदा बदलती रहती व क्षणभंगुर हैं (पद 6-7)। फिर भी हम परमेश्वर के ना बदलने वाले प्रेम और चरित्र को जिसे उसके असीम और सदैव सत्य बनें रहने वाले वचन में प्रदर्शित किया गया है, विश्वास कर सकते हैं।

– औचिल

 

 

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