“परन्तु जब हम सब के उघाड़े चेहरे से प्रभु का प्रताप इस प्रकार पक्रट होता है, जिस पक्रार दर्पण में, तो प्रभु के द्वारा जो आत्मा है, हम उसी तेजस्वी रूप में अंश अंश करके बदलते जाते है । 2 कुरिन्थियों 3:18
क्रिसमस ऐसा समय है जब हवा में जादू होता है। रंगबिरंगी श्रृंखलाबध्द लाइट्स जगमगाती है, सब कुछ उत्साह से भरा हुआ है । सामने रखी हुई निर्जीव वस्तुएं भी जीवित होने का आभास दिए जाती है । मानो हमारी ओर टुकटुकी लगायी हो । एक बालक होने के नाते क्रिसमस के दिनों में मेरा सबसे मनचाहा काम रहता चरनी या पालने को ठीक तरह से सजाना । हर साल,घर की छत में रखे बक्से में से घास में लिपटी मिट्टी के पात्रों को नीचे लाया जाता । हर एक वस्तु गुच्छे से निकाली और खोली जाती थी । उसे बहुत प्रेम और कोमलता से छुआ जाता । और उन्हें मेज के एक ओर रखा जाता, इसमें कोई अनबन नहीं होती कि किसे प्रथम रखा जायेगा, वह तो हमेशा से ही बालक यीशु ही रहता, जो बीचोंबीच अपना स्थान ग्रहण कर लेता । इसके पश्चात नम्बर लगता “नीले रंग में ‘मरीयम’ और छडी के साथ यूसुफ का जो बालक के पास खड़े किये जाते ।
“तीन ज्ञानी पुरुष”, रंगबिरंगी चमकीले वस्त्रों में एक ओर रखे जाते, और बिलकुल दूसरी ओर “चरवाहे” । कुछ भेडे़ यहाँ वहाँ फैला दी जाती थी और सब कुछ सजने के पश्चात एक आत्मसंतुष्टि होती । ऐसा लगता था मानो सारे चरित्र जिन्दा हुए चरणी में कहानी सुनाने, जैसे वे सभी चरित्र हमारे उध्दारकर्ता के इरगिर्द घूमते हुए हमारे (नायक) मसीह को निहार रहे हों । हमारा नायक बालक यीशु, नम्रता और दीनता के साथ लेटा हुआ है । एक सामान्य धागा जो इन सभी चरित्रों को एक साथ पकडे हुए दिखाई देता था, वह है रूपांतरण । जिससे मरियम की चिन्ता और भय पिघल गया, युसूफ का भय और शर्मीन्दगी अब दृढ़ता और परमेश्वरीय योजना में बदली दिखाई दी, विद्वानो के दिलो में चल रही कश्मकश और संदेहास्पद परिस्थितियाँ अब स्वप्नपूर्ति और दृढ आस्था में करवट ले रही थी । साधारण चरवाहों ने परमेश्वर के अधिकारयुक्त हाथों को देखकर आश्चर्य प्रगट किया । यह एक रूपांतरण की सामर्थी कहानी है।
वही मसीह अभी भी हममें अपने आत्मा के द्वारा कार्य करता है। जब हम उसको सच्चाई से खोजते हैं तब हम उसको हमारे जीवन में कार्य करने की अनुमति प्रदान करते है, होने दे कि क्रिसमस हमारे जीवन में एक और बदलाव लाए, जैसे हम उसकी महिमा के बारे में विचार करने, सोचने और पश्चातापी ह्रदय से प्रार्थना करते हैं । आईए इच्छुक होकर अपने जीवन को उसे समर्पित करें, उसके प्रतिरूप में बदलने के लिए ।
प्रिय पिता, मेरे हृदय की पुकार इस पर्व में यह है कि मै आपके निकट आऊँ, ताकि मै यीशू के नाम में रूपांतरित हो जाऊँ ।
– सुसन्ना दिप्थी