क्योंकि हमारे लिये एक बालक उत्पन्न हुआ, हमे एक पुत्र दिया गया है; और प्रभुता उसके काँधे पर होगी, और उसका नाम अद्भुत युक्ति करनेवाला पराक्रमी परमेश्वर ,अनन्तकाल का पिता, और शान्ति का राजकुमार रखा जाएगा । यशायाह 9:6
पिछली रात को ही तारा लगा दिया जाता था। क्रिसमस मौसम की पारम्परीक शुरूवात में, मेरे पिताजी, भाई और मैं, हम मिलकर हर वर्ष एक बड़ा तारा लगाते थे । जब हम सुबह उठ जाते, हम जानते थे कि खत्ते मे क्या रखा होगा । रसोई घर से आटा गुथने की आवाज हमें ललचाती थी । वह दिन कल-कले बनाने का दिन था । हमने मां की बुलाने की आवाज सुनी ; और मेज की ओर बैठ गए जैसे मानों कुछ न करने की ठानी हो । कल-कले खाने के लिए बढिया परंतु बनाने के लिए दुश्वार ।
काटे के साथ आटे का गोला बनाकर हमारे सामने रख दिया जाता था । इस काम को करने का पुराना तरीका हमें मालूम था – आटे के गोले का थोडा तुकड़ा लेना, उसको बेलना- और उस गोले को काटे की सहायता से फैलाना। हमने आटे के बडे टिले को देखा और कराहने लगे। यह हमें बहुत ही मंहगा पडा, हमारा विश्राम का समय खर्च हुआ; परन्तु हमने कार्य को अंजाम तक पहुंचाया। अचानक से, हमारे बिचोबिच घने बालोंवाला हमारा साथी आ टपका, हमारी पालतु कुत्तिया । वह जानती थी कि टेबल के नीचे बैठकर मजे लेना ही अच्छा है । क्यों? क्यूंकि आज जरूर हमारे कांटे से फिसलकर आटे का टुकड़ा नीचे आ गिरेगा, और फिर सीधे उसके मुँह में चला जायेंगा । आटे का कोई मुल्ल्यामापन नहीं होगा। इसके परिणामस्वरूप काम तेजी से पूरा होता और आटे का पहाड़ ख़त्म होता हुआ दिखाई देता, जबकि दूसरी ओर कल-कले भी बढ़ते दिखेंगे आटा ख़त्म होता चला जाता । और उस शाम तो मेरे कुत्तिया का पेट खराब होना तय होता ।
अब जब मैं एक वयस्क होकर सारी बातों को सोचता हूँ, तो आटे को बेकार कर देना और कुत्तिया को वह आटा खिला खिला कर बेजार कर देना शामिल रहता, इन खुशनुमा यादों को मैंने थामे रखा । हमारे पोर्च में लटकाया एक बडा सा तारा, स्टोव पर तले जानेवाले कल-कले और एक हमारे पैरों के पास भरपेट लेटा हुआ हमारा पालतू पशु, यही हमारा पूरा चित्र होता था । यशायाह, भविष्यद्वक्ता ने पहले ही आनेवाले मसिहा के बारे में बताया था जो कि,”शान्ति का राजकुमार” है। यद्यपि शांति आज दुराग्रह है, जैसे हम देखते है कि हमारे चारों ओर कोलाहल मचा है, यह भी सत्य है कि जब हम यीशु को खोजते है, तो पहली बात हम पाते है कि हमे उपद्रव से भरी हुई परिस्थति में शान्ति प्राप्त होती है। सच्ची शान्ति वही देता है जो संसार नही दे सकता या हमसे ले सकता है। होने दे कि इस पर्व में यह शान्ति आपके घरों में बनी रहे, और दूसरों को प्रभावित करे ।
प्रिय पिता, इस उपद्रवी संसार में, जो शांति आपने मेरे हृदय में रखी है उसे फैलाने के लिए हमें मदत कर, , कृपया मुझे तब तक भर जब तक मैं उमड़ न जाऊँ । आमीन ।
– पास्टर सेसील क्लिमेंन्ट