“अब, विश्वास आशा की र्हुइ वस्तुओं का निश्चय, और अनदेखी वस्तुओं का प्रमाण है ।” इब्रानियों 11:1
यह हमेशा से भिन्न था। मनस्थिती, माहौल, और आधारभूत शान्ति की समझ, गायकवृन्द के रूप में जिन घरों को हमने मुलाकात की । जब हमने अस्पतालों को भेट दी, रोगियों का साहस बंधाया, वे हमारे पीछे पीछे वार्ड से वार्ड तक आए, जैसे हमने परिचित क्रिसमस गीत गाये । हमने छोटे बच्चों को देखा जो क्रिसमस दिन में अस्पताल में बिस्तर पर पड़े थे, एक बिमारी से या दुसरे से । परन्तु हम तो थोडे समय के लिए वहाँ पर थे, उनकी आँखे जगमगाई, उन्होंने नन्हें हाथों से तालियाँ बजाई, और उन्होंने कॅरोल की आवाज का आनन्द उठाया, हंसी की माला पहने ।
आखरी स्थान जो हमारे सूची पर था, अलग लगा । यह स्थान लाभ का नहीं था; यह आराम का स्थान था । यह ऐसा स्थान नहीं था जहाँ पर अन्टिबायोंटिक्स दवाईयाँ काम करती या जहाँ पर एक अपेक्षित को छुट्टी दे दी जाती है । यह स्थान अफिम के सत्व और दर्द निवारक का था । जैसे मरीज इस संसार को छोडने का इंतजार करते । यह एक धर्मशाला थी । हम उपर चले गए और कतार में वार्ड में जमा हो गए जहाँ पर लोगों ने हमें दर्द की घुटन से हमारी ओर देखा । क्योंकि कसैंर के कोषिकाओं द्वारा उनके शरीर पर आक्रमण हुआ था या तो किसी प्रियजन को खोने का दर्द । “ ऐसे स्थान पर हम कौनसा गीत गाए ?” मैनें सोचा । हमारे प्रदर्शन की सुची में के बहतु से गीत फीके पड गए, मैनें ग्रुप के लिए “ खामोश रात “ गाने को कहा । हमने धीमे आवाज से गाया – यह सबसे उचित लगा, जैसे हमने गानों के साथ समाप्त किया, “स्वर्गीय शान्ति में सो जाओ।” कुछ देर बाद सबने शांति का भंग किया, एक के बाद दूसरा, और उसके बाद विलाप। किसी प्रिय जन ने उस अंतिम बाधा को पार कर लिया था। उस खामोश रात के गीत के संग प्रभु ने उसे अपने पास घर बुलाया था ।
पौलुस के शब्द 1 थिस्स 4:13 याद दिलाते है, कि हमे शोक नहीं करना है जैसे दूसरे करते हैं जिन्हें आशा नहीं।” जब हम क्रिसमस समय में किसी की याद करते या खोते है, यह बहुत ही मुश्किल है, परन्तु यह क्रिसमस के अर्थ को कम नहीं कर सकते। यीशु ने मनुष्य का रूप धारण किया, आशा का मार्ग तयैार करने हेतु; ऐसा मार्ग जिसमें अनंतकाल तक हम उसके साथ फिर से एक हो जाएंगे, और इस आशा के साथ कि दूसरे छोर में हम अपने प्रियजन से मिलगें। इसलिए, यदि यह क्रिसमस आपको आशाहीन लगे तो, होने दे कि मसीह की आशा आप में उभरे । जो जीवन प्रभु ने हमें दिया उसे धन्यवाद के साथ मनाएं, और उस आशा को थामें रहे जो हम को प्रेरित करती है।
प्रिय पिता, मेरी निराशा में, तू मेरी अंनत आशा है; अब तुझ में मैं जीता हूं और चलता हूं और अर्थ खोजता हूँ । धन्यवाद, आमीन।
– पास्टर सेसील क्लिमेन्टस्