““क्योंकि तमु को दासत्व की आत्मा नहीं मिली, कि फिर भयभीत हो परन्तु लेपालकपन की आत्मा मिली है, जिस से हम हे अब्बा, हे पिता कह कर पुकारते है ।” रोमियों 8:15
बढ़े होते हुए, क्रिसमस दिन की चर्च सभा से जुडी मेरी सारी यादे आज भी उत्साह से भरी हुई और तरोताजा है । मुझे याद है कि मेरी मां हमे भोर के सुबह 2:00 बजे उठाकर सभा के लिए तैयार करती । हम हमारे चमकीले और उत्तम वस्त्र पहनकर तैयार होते थे, और मेरे पिता हमे अंधेरे में चर्च ले जाते थे, खाली सडक़ो पर उनकी मोटरसायकल पर । सुन्दर तरिके से सजाई गई कलीसिया, रोषणाई से भरपूर, जैसे मानो आकाशदीप की गहरे अंधकार से टक्कर में खड़ा हो । लोग अपने ठाठबाठ में कपडे पहने हुए, मानो रंगो का मेला लगा हो । बैठने की जगह रेशम और गहनों से सजाई जाती थी । जैसे सभा आगे बढ़ती, मेरा भाई और मैं रूक-रूक कर झपकी लेने लगते सभा समाप्त होने पर हम उठ जाते थे । और “बडा दिन मुबारक” की घोषणा की होती । उसके बाद परिवार और मित्र एक दूसरे को गले लगाते, चुंबते और सभा समाप्त हो जाती और होती थी क्रिसमस के दिन की शुरुवात । वे अद्भूत और खुशि के पल थे।
एक वर्ष बाद, माता-पिता होने के नाते खुद, मै यह समझ गया कि जो बलीदान मेरे माता-पिता ने किया, अकेले की कमाई पर जो क्रिसमस की खुशी का प्रयोजन हमारे लिये किया । जैसे मै पीछे मुड़कर उन दिनों को देखता हूँ, वयस्क होते हुए और मेरे अपने बच्चे होने के बाद, मै उस भावना को पूर्ण रिती से महसूस कर सकता हूँ कि हमारे बच्चों को उत्तम मिले यही हमारी चाहत बन गई है । हम अपने आप का और अपनी इच्छाओ का इन्कार करने के लिए तैयार हैं । ताकि बच्चे उस आनन्द को प्राप्त करें जो हम नहीं कर पाएं। यीशु ने मत्ती 7:11 में कहा “सो जब तुम बुरे होकर, अपने बच्चों को अच्छी वस्तुएं देना जानते हो, तो तुम्हांरा स्वर्गीय पिता अपने मांगने वालों को अच्छी वस्तुएं क्यो न देगा ?
इस क्रिसमस के मौसम में, हमारे परिवार के लिए विशेष है, होने दे कि हम हमारे स्वर्गीय पिता को याद करें जो हम में आनन्दित होता है। जो हमारे लिए उत्तमता की इच्छा करता है, फिर चाहे हम जो हमेशा चाहते है वह हमे प्राप्त न हो सके । वह हमेशा हमारी आवश्यकताओंको पूरा करता है। उसके पत्रु और पुत्रियां होने के नाते हम इस बात में आश्वस्त हो जाये यह जानते हुए कि वह हमारे लिए जो उत्तम है उसकी इच्छा रखता है। ऐसा हो कि हम बडे हर्ष के साथ इस आशा के उत्सव को विश्वास के साथ मनाए।
प्रिय पिता , मेरी पहचान आप में जो आपकी संतान के रूप में है, मुझे विस्मित करती है। यह सत्य मुझे आपकी भलाई जो मेरा जीवन है उसे हर दिन समझने में मेरी सहायता करें । आमीन ।
– जसमिन डेविड