1 कुरिन्थियों 1:18
क्रूस का संदेश. . .
परमेश्वर की सामर्थ है।

छिपा खजाना

1989 में दक्षिण कैरोलिना के चार्ल्सटन में तूफान ह्यूगो (Hurricane Hugo) के फटने के बाद, काम करने वाले श्रमिकों को छिपा हुआ खजाना मिला। तबाह चर्च में मलबे की सफाई करते समय, उन्होंने देखा कि क्रॉस अभी भी खड़ा है। इसे हटाने में असमर्थ – एक क्रेन के साथ भी – अंततः उन्होंने पाया कि शुद्ध सोना क्रॉस के अंदर भरा हुआ था। जाहिर तौर पर, अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान लोगों ने अपने सोने को पिघलाया और उसे हमलावर सैनिकों से बचाने के लिए वहां छिपा दिया।

मसीह का क्रूस उन लोगों के लिए सच्चे आत्मिक खजाने का स्थान है जो उस पर विश्वास करते हैं, परन्तु जैसा कि प्रेरित पौलुस ने कुरिन्थुस की कलीसिया को लिखा, इसका संदेश “नाश होनेवालों के लिये मूर्खता है” (1 कुरिन्थियों 1:18)। जो लोग क्रूस पर यीशु की मृत्यु को अस्वीकार करते हैं, वे यह विश्वास करना मूर्खता समझ सकते हैं कि परमेश्वर का पुत्र मरा और हमें हमारे पापों के परिणामों से मुक्त करने के लिए फिर से जी उठा। परन्तु जो विश्वास करते हैं, उनके लिए जो “उद्धार पा रहे हैं,” क्रूस “परमेश्वर की सामर्थ है” (पद 18)। जैसा कि पौलुस कहता हैं, परमेश्वर दुनिया के ज्ञान को मूर्ख बनाता हैं, लेकिन “परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है” (पद 25)।

जब हम परमेश्वर के प्रति समर्पण करते हैं और मसीह के क्रूस के उपहार को स्वीकार करते हैं, तो हम उसके साथ एक गहन रिश्ते का आनंद लेंगे। हमें सोने का खज़ाना नहीं बल्कि उसके साथ बहुतायत और अनंत जीवन का बेहतर उपहार मिलेगा। यह मूर्खता नहीं है!

एमी बाऊचर पाय

आपने कब परमेश्वर की बुद्धि का अनुभव किया है, जिसे संसार मूर्खता समझ सकता है? यीशु का क्रूस आपको उसके लिए जीने के लिए कैसे सशक्त बनाता है?

यीशु हमारे उद्धारकर्ता, आपके राज्य में जीवन के उपहार के लिए धन्यवाद – अब तक का सबसे बड़ा खजाना। इस अद्भुत उपहार को दूसरों के साथ साझा करने में मेरी मदद करें।

आज का शास्त्र | 1 कुरिन्थियों 1:17-25

17 “क्योंकि मसीह ने मुझे बपतिस्मा देने को नहीं, बरन सुसमाचार सुनाने को भेजा है, और यह भी शब्दों के ज्ञान के अनुसार नहीं, ऐसा न हो कि मसीह का क्रूस व्यर्थ ठहरे।”

18 “क्योंकि क्रूस की कथा नाश होनेवालों के निकट मूर्खता है, परन्तु हम उद्धार पाने वालों के निकट परमेश्वर की सामर्थ है।”

19 “क्योंकि लिखा है, कि मैं ज्ञानवानों के ज्ञान को नाश करूंगा, और समझदारों की समझ को तुच्छ कर दूंगा।”

20 कहां रहा ज्ञानवान? कहां रहा शास्त्री? कहां इस संसार का विवादी? क्या परमेश्वर ने संसार के ज्ञान को मूर्खता नहीं ठहराया?

21 “क्योंकि जब परमेश्वर के ज्ञान के अनुसार संसार ने ज्ञान से परमेश्वर को न जाना तो परमेश्वर को यह अच्छा लगा, कि इस प्रकार की मूर्खता के द्वारा विश्वास करने वालों को उद्धार दे।”

22 “यहूदी तो चिन्ह चाहते हैं, और यूनानी ज्ञान की खोज में हैं।”

23 “परन्तु हम तो उस क्रूस पर चढ़ाए हुए मसीह का प्रचार करते हैं जो यहूदियों के निकट ठोकर का कारण, और अन्यजातियों के निकट मूर्खता है।”

24 “परन्तु जो बुलाए हुए हैं क्या यहूदी, क्या यूनानी, उन के निकट मसीह परमेश्वर की सामर्थ, और परमेश्वर का ज्ञान है।”

25 क्योंकि परमेश्वर की मूर्खता मनुष्यों के ज्ञान से ज्ञानवान है; और परमेश्वर की निर्बलता मनुष्यों के बल से बहुत बलवान है।

 

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