पढ़ें: यिर्मयाह 3:12-22

प्रभु कहता है, “मेरे भटके हुए बच्चों, मेरे पास लौट आओ, और मैं तुम्हारे भटके हुए हृदयों को चंगा करूंगा” (पद 22)।

अमेरिकी गृहयुद्ध के दौरान, जनरल स्टोनवेल जैक्सन ने उस घर में एक छोटी लड़की से दोस्ती की, जहाँ वह सर्दियाँ बिता रहे थे। पांच साल की जेनी कॉर्बिन जैक्सन को इतना पसंद करती थी कि वह अपने बालों में जनरल की टोपी से लिया गया एक सोने का टुकड़ा अपनी चोटी में गूँधती थी।

मार्च 1863 में, छोटी जेनी को तेज़ ज्वर हो गया और उसकी मृत्यु हो गई। आमतौर पर शांत रहने वाले जैक्सन उसकी मौत की खबर पर फूट-फूटकर रोए। उस पल के सिनेमाई विवरण में उनका एक आदमी कहता है, “मुझे विश्वास है कि वह हम सभी के लिए रो रहे है।” जैक्सन ने कई मौत देखी है।

भविष्यवक्ता यिर्मयाह ने भी काफी मृत्यु देखी थी। वह उस समय प्रभु की सेवा कर रहा था जब यरूशलेम परमेश्वर के प्रति पूर्ण विद्रोह में था, इसलिए उसे यहूदा के सामने आने वाले न्याय के बारे में भविष्यवाणी करनी थी। फिर वह उसमे जिया भी।

अपने लोगों के लिए यिर्मयाह के आँसू स्वयं परमेश्वर के दुःखी हृदय को दर्शाते हैं। “मैं तुम्हें अपने बच्चों की तरह रखना चाहता हूँ!” परमेश्वर ने यिर्मयाह के द्वारा कहा। “परन्तु तुम मेरे साथ विश्वासयोग्य नहीं रहें” (यिर्मयाह 3:19-20)। इसलिए परमेश्वर ने अपने दिल की गहराइयों से उनसे कहा: “‘मेरे भटके हुए बच्चों! . . मेरे पास लौट आओ” (पद 22)।

यह विलाप यीशु के शब्दों में भी सुनाई पड़ता है, क्रूस पर अपनी मृत्यु का सामना करने से कुछ समय पहले। “हे यरूशलेम, हे यरूशलेम,” वह चिल्लाया। “कितनी बार मैंने चाहा कि जैसे मुर्गी अपने बच्चों को अपने पंखों के नीचे इकट्ठा करती है, वैसे ही मैं भी तेरे बच्चों को इकट्ठा कर लूँ, परन्तु तुमने न चाहा” (मत्ती 23:37)।

जीवन के पास तरीका हो सकता है दुःख के ऊपर दुःख इकट्ठा करने का। जब ऐसा होता है, तो हमें कुछ समय के लिए ‘टुकड़े-टुकड़े हो जाने’ की अनुमति मिलती है। जैसा कि कवि-योद्धा दाऊद ने लिखा है, “[परमेश्वर] हमारे सभी दुखों का हिसाब रखता है,” और उसने “हमारे सभी आंसुओं को [अपनी] कुप्पी में इकट्ठा किया है” (भजन 56:8)। हमारा प्रेमी पिता हम सभी के लिए रोया है, और वह हमारे साथ भी रोता है।

-टिम गुस्ताफसन

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पढ़ें विलापगीत 3:46-57 में यरूशलेम के खंडहर होने पर यिर्मयाह के आँसू, उसके दर्द और उसके आराम के स्रोत को देखने के लिए ।

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हाल ही में आपको किस कारण से दुःख हुआ है? यह आपको यह जानने के लिए कैसे प्रोत्साहित करता है कि परमेश्वर भी आपके दुःख में आपके साथ दुखी है ?