अपने देश के दूसरे देश पर अकारण आक्रमण के बारे में लिखने के “अपराध” के लिए मुकदमा चलाते हुए, पत्रकार ने अपना अंतिम बयान दिया। फिर भी उसने अपना बचाव नहीं किया। इसके बजाय, उसने निर्भीकता से बात की। उसने कहा, ”वह दिन आएगा जब हमारे देश का अंधेरा धूल जाएगा, जब आधिकारिक स्तर पर यह मान्यता हो जाएगी कि दो गुणा दो अभी भी चार है; जब युद्ध को युद्ध कहा जाएगा।” अदम्य आत्मविश्वास के साथ, उसने आगे कहा: “यह दिन अनिवार्य रूप से आएगा जैसे सबसे ठंडी सर्दी के बाद भी वसंत आता है।”
विश्व की घटनाएँ अक्सर अपरिवर्तनीय रूप से धूमिल प्रतीत होती हैं। झूठ और हिंसा संसार का चलन है। यह कोई नई बात नहीं है। यीशु के क्रूस पर चढ़ने से एक हजार साल पहले, भजनकार दाऊद ने उस मसीहा के बारे में लिखा था जिसकी उसे प्रतीक्षा थी: “यहोवा और उसके अभिषिक्त के विरुद्ध …पृथ्वी के राजा मिलकर युद्ध की तैयारी करते है” (भजन 2:2)। प्रभु उनको ठट्ठों में उड़ाएगा (पद 4)। सच्चा राजा एक दिन “उन्हें लोहे के डण्डे से टुकड़े टुकड़े करेगा” (पद 9)। दाऊद ने लिखा, “हे पृथ्वी के न्यायियो, सावधान रहो! डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और काँपते हुए मगन हो” (पद. 10-11)।
यीशु की गिरफ़्तारी और सूली पर चढ़ाना अब तक का सबसे बुरा मानवाधिकार अत्याचार था, फिर भी न्याय के उस उपहास के माध्यम से मसीह ने पाप और मृत्यु पर विजय प्राप्त की और हमें आशा प्रदान की। यह निश्चित है कि जैसे वसंत शीत ऋतु के बाद आता है, वैसे ही अंधकार धीरे-धीरे दूर हो रहा है, जगत की ज्योति के सामने भाग रहा है। “धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है!” (पद. 12).
-टिम गुस्ताफसन
कौन सी घटनाएँ आपको निराशा की ओर आकर्षित करती हैं? आज आप जगत की ज्योति का अनुभव कहाँ और कैसे करते हैं?
प्रिय उद्धारकर्ता, आपकी रोशनी इस अंधेरी दुनिया में व्याप्त हो जाए और हमें आपके साथ भविष्य की आशा दे।
भजन संहिता 2
1 जाति जाति के लोग क्यों हुल्लड़ मचाते हैं, और देश देश के लोग व्यर्थ बातें क्यों सोच रहे हैं?
2 यहोवा और उसके अभिषिक्त के विरुद्ध पृथ्वी के राजा मिलकर, और हाकिम आपस में सम्मति करके कहते हैं,
3 “आओ, हम उनके बन्धन तोड़ डालें, और उनकी रस्सियों को अपने ऊपर से उतार फेकें।”
4 वह जो स्वर्ग में विराजमान है, हँसेगा; प्रभु उनको ठट्ठों में उड़ाएगा।
5 तब वह उनसे क्रोध में बातें करेगा, और क्रोध में कहकर उन्हें घबरा देगा,
6 “मैं तो अपने ठहराए हुए राजा को अपने पवित्र पर्वत सिय्योन की राजगद्दी पर बैठा चुका हूँ।”
7 मैं उस वचन का प्रचार करूँगा : जो यहोवा ने मुझ से कहा, “तू मेरा पुत्र है, आज तू मुझ से उत्पन्न हुआ।
8 मुझ से माँग, और मैं जाति जाति के लोगों को तेरी सम्पत्ति होने के लिये, और दूर दूर के देशों को तेरी निज भूमि बनने के लिये दे दूँगा।
9 तू उन्हें लोहे के डण्डे से टुकड़े टुकड़े करेगा, तू कुम्हार के बर्तन के समान उन्हें चकनाचूर कर डालेगा।”
10 इसलिये अब, हे राजाओ, बुद्धिमान बनो; हे पृथ्वी के न्यायियो, यह उपदेश ग्रहण करो।
11 डरते हुए यहोवा की उपासना करो, और काँपते हुए मगन हो।
12 पुत्र को चूमो, ऐसा न हो कि वह क्रोध करे, और तुम मार्ग ही में नष्ट हो जाओ, क्योंकि क्षण भर में उसका क्रोध भड़कने को है। धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है।
भजन संहिता 2:12
धन्य हैं वे जिनका भरोसा उस पर है।
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