एक दूसरे के प्रति कृपालु और करुणामय हो। इफिसियों 4:32

जब मैं बच्चा था तो मैं एल. फ्रैंक बॉम की लैंड ऑफ ओज़(Land Of Oz) किताबों का उत्साही पाठक था। हाल ही में मुझे संयोग से सभी मूल कलाकृति के साथ रिंकिटिंक इन ओज़ पढने का मौका मिला। मैं फिर से बॉम के अदम्य, (जो दब न सकें) नेक दिल राजा रिंकिटिंक की हरकतों पर उसकी सरल व्यावहारिक भलाई पर हंस पड़ा। युवा राजकुमार इंगा ने उनका सबसे अच्छा वर्णन किया: “उनका दिल दयालु और कोमल है और यह बुद्धिमान होने से कहीं बेहतर है।”

कितना सरल और कितना समझदार! फिर भी किसने अपने किसी प्रिय के हृदय को कटु वचन से आहत नहीं किया है? ऐसा करने से, हम उस समय की शांति को भंग कर देते हैं और हम उन लोगों के प्रति किए गए बहुत से अच्छे कामों को बिगाड़/ पूर्ववत कर सकते हैं जिन्हें हम प्यार करते हैं।18वीं सदी की एक अंग्रेज़ी लेखिका हैना मोरे ने कहा, “एक छोटी सी निर्दयता एक बड़ा अपराध है।

यहाँ अच्छी खबर है: कोई भी दयालु बन सकता है। हम एक प्रेरक उपदेश का प्रचार करने, कठिन प्रश्नों का उत्तर देने, या बड़ी संख्या में सुसमाचार प्रचार करने में असमर्थ हो सकते हैं, लेकिन हम सभी दयालु हो सकते हैं।

कैसे? प्रार्थना के द्वारा। यह हमारे ह्रदय को नम्र करने का एकमात्र तरीका है। “हे यहोवा, मेरे मुख पर पहरा बैठा; मेरे होठों के द्वार की रखवाली कर। मेरा मन किसी बुरी बात की ओर फिरने न दें” (भजन 141:3-4)।

एक ऐसे संसार में जिसमें प्रेम ठंडा हो गया है, एक दया जो परमेश्वर के हृदय से आती है वह सबसे अधिक सहायक और चंगाई देने वाली वस्तु है जिसे हम दूसरों को दे सकते हैं।

द्वारा: डेविड एच. रोपर

विचार

यह ज्ञान कि परमेश्वर ने मुझसे असीमित (हद से बढ़कर) प्रेम किया है, मुझे उसी तरह संसार में, दूसरो से प्रेम करने के लिए विवश करेगा। -ऑसवाल्ड चेम्बर्स
मुझे क्षमा करें, परमेश्वर, जब मैं किसी स्थिति में क्रोध लाता हूं। मेरे दिल को नम्र करें और दूसरों को प्रोत्साहित करने के लिए मेरे शब्दों का उपयोग करने में मेरी सहायता करें।

 

 

 

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