आत्मा आप ही हमारी आत्मा के साथ गवाही देता है, कि हम परमेश्वर की सन्तान हैं। रोमियो 8:16

जान सोवर्स अपनी पुस्तक फादरलेस जनरेशन वित्त रहित पीढ़ी में लिखते हैं कि उन्होंने किसी भी पीढ़ी में इतने स्वेच्छा धारी पिता नहीं देखें जितने इस पीढ़ी में जहां पर ढाई करोड़ बच्चों के पास केवल एक ही अभिभावक है। मेरे अपने अनुभव अनुसार यदि भीड़ में आज मैं अपने पिता से मिलू तो शायद ही उन्हें पहचान पाऊंगा क्योंकि जब मैं एक शिशु था तभी मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था और मेरे पिता की सारी तस्वीरें जला दी गई थी इसलिए कई वर्षों तक मैंने स्वयं को पितारहित समझा। 13 वर्ष की आयु में मैंने पहली बार प्रभु की प्रार्थना सुनी और कहा तुम्हारे पास पृथ्वी पर मानवीय पिता ना हो लेकिन तुम्हारे पास स्वर्गीय पिता है। (मत्ती 6:9-13)

मत्ती 6:9 में हमें प्रार्थना करना सिखाया गया है हे हमारे पिता तू जो स्वर्ग में है तेरा नाम पवित्र माना जाए प्रसाद हमें पहले से बताता है कि जब हम प्रार्थना करें तो इसे अर्थ हीन रूप से ना दोहराएं और हम अचंभा भी न कि यह पद कैसे एक दूसरे से संबंधित हैं। मैंने एहसास किया कि परमेश्वर सब बातों को याद रखता है और मुझे कुछ भी दोहराने की आवश्यकता नहीं। वह सब कुछ अच्छे से समझता है और हमें उसे समझाने की कोई आवश्यकता नहीं उसके पास एक दया से परिपूर्ण हृदय हैं और इसलिए हमें उसकी भलाई पर शक करने की आवश्यकता नहीं। वह हर बात को अंत से लेकर प्रारंभ तक जानता है इसलिए वह उस बात को पूरे होने का समय भी जानता है। उसका समय उचित है।

क्योंकि परमेश्वर हमारा पिता है तो अपने कार्य को कराने के लिए हमें उससे धकेलने कि आवश्यकता नहीं (पद 7)। प्रार्थना द्वारा हम अपने पिता से वार्तालाप करते हैं जो हमें प्रेम करता और हमारा ख्याल रखता है और उसने हमें यीशु द्वारा अपना बालक बना लिया है।

-अल्बर्ट ली

विचार

आपने अपनी प्रार्थना में परमेश्वर को अधिक शब्दों के प्रयोग से कब धकेलने कि कोशिश की? उसके साथ एक पिता का संबंध रखने के द्वारा आपको उस पर भरोसा रखने में कैसे सहायता मिली?
प्रिय स्वर्गीय पिता मे धन्यवाद करता हूं कि तूने मुझे अपनी संतान बनाया और प्रार्थना करते समयजो मुझे अपनी उपस्थिति में मेरा स्वागत करता है।

 

 

 

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