जो समाचार तुमने आरम्भ से सुना, वह यह है,कि हम एकदूसरे से प्रेम रखेंI 1यहुन्ना 3:11

1962 में, एल्बनी सिटी हॉल के सामने एक प्रार्थना सभा का नेतृत्व करने के बाद,डॉ. रेवरेंड मार्टिन लूथर किंग जूनियर ने दो हफ़्तों से अधिक समय जेल में बितायाI इस अन्यायपूर्ण व्यवहार को सहने के दौरान उन्होंने शत्रुओं से प्रेम करने के बारें में उपदेश/प्रवचन लिखे जो बाद में उनकी लिखी पुस्तक प्रेम करने का सामर्थ का हिस्सा बन गएI उनके प्रभावशाली सन्देश ने सामाजिक और राजनीतिक बदलाव के लिए प्रेम को मुख्य स्त्रोत घोषित कियाI
वर्षों से डॉ.किंग की शिक्षा से प्रेरित होकर मैं अपने बाईरेशिअल (दो जातियों से मिलकर या संयोजन करके) बेटों के लिए प्रार्थना किया करती थी जो अब व्यस्क आदमी बन चुके हैI मैंने और मेरे पति ने उन्हें नफरत को प्यार से जीतना सिखाया है जो हमेशा आसान नहीं होता हैI जब ऐसा प्रतीत होता है की नफरत जीत रही है,मैं परमेश्वर को पुकारती हूँ,कब तक परमेश्वर हम इसी तरह से नफ़रत से बंटे रहेंगे जब कि हम जानते है की आपने हमें अपने प्रतिरूप में बनाया है और आज्ञा दी है कि हम आप से और एक दूसरे से भी प्रेम करे?

परमेश्वर ने अपने लोगों को निर्देश दिया है “आरम्भ से” (1यहुन्ना 3:11)उसने घोषणा की “जो कोई अपने भाई से बैर रखता है,वह हत्यारा है; और तुम जानते हो,की किसी हत्यारे में अनंत जीवन नहीं रहताI”(वचन15 )परमेश्वर अपने लोगों से निवेदन करता है कि अपने शब्द, अपने काम, और अपने व्यव्हार के द्वारा एक दूसरे के प्रति प्रेम दर्शायेंI (वचन-16-18)

जैसे हम अन्याय के ख़िलाफ़ खड़े होते है पवित्र आत्मा परमेश्वर के लोगों को सशक्त करेगा कि “उसके पुत्र यीशु मसीह के नाम पर विश्वास करें और जैसी उसने हमें आज्ञा दी है उसी के अनुसार आपस में प्रेम रखेंI” (वचन23) हम प्रेम करने के लिए बनाये गए हैंI

परमेश्वर ने आपकी कैसे मदद की है ऐसे लोगों को प्रेम करने के लिए जो आप से अलग हैं? यह क्यों इतना महत्वपूर्ण है कि हम नफ़रत के लिए अपनी प्रतिक्रिया प्रेम से ही दे?

प्यारे सृष्टिकर्ता और निर्वाहक,जैसे मैं आपकी सुंदर विविध प्रकार और उद्देश्यपूर्ण रूप से जुड़े लोगों के साथ हमारी समानताओं और असमानताओं दोनों का जश्न मनाती/मनाता हूं,आप मेरी मदद करें कि मैं आपसे और दूसरों से भी प्रेम कर सकूंI

1यहुन्ना 3:11-24

11 जो सन्‍देश तुम ने प्रारम्‍भ से सुना है, वह यह है कि हमें एक दूसरे से प्रेम करना चाहिए। 12 हम काइन की तरह नहीं बनें। वह दुष्‍ट की सन्‍तान था और उसने अपने भाई की हत्‍या की। उसने उसकी हत्‍या क्‍यों कर दी? क्‍योंकि उसके अपने कर्म बुरे थे और उसके भाई के कर्म धार्मिक।13 भाइयो और बहिनो! यदि संसार तुम से बैर करे, तो उस पर आश्‍चर्य मत करो। 14 हम जानते हैं कि हमने मृत्‍यु से निकल कर जीवन में प्रवेश किया है; क्‍योंकि हम अपने भाई-बहिनों से प्रेम करते हैं। जो प्रेम नहीं करता, वह मृत्‍यु में बना रहता है। 15जो कोई अपने भाई अथवा बहिन से बैर करता है, वह हत्‍यारा है और तुम जानते हो कि किसी भी हत्‍यारे में शाश्‍वत जीवन नहीं होता।16 हम प्रेम का मर्म इसी से पहचान गये कि येशु ने हमारे लिए अपना प्राण अर्पित किया तो हमें भी अपने भाई-बहिनों के लिए अपना प्राण अर्पित करना चाहिए। 17 किसी के पास संसार की धन-दौलत हो और वह अपने भाई अथवा बहिन को तंगहाली में देख कर उस पर दया न करे, तो परमेश्‍वर का प्रेम उस में कैसे बना रह सकता है? 18 बच्‍चो! हम शब्‍दों और बातों से नहीं, किन्‍तु कामों और सत्‍य द्वारा प्रेम करें। 19 इसी से हम जान जायेंगे कि हम सत्‍य की सन्‍तान हैं। और जब कभी हमारा अन्‍त:करण हम पर दोष लगायेगा, तो हम परमेश्‍वर के सामने अपने को आश्‍वासन दे सकेंगे; 20 क्‍योंकि परमेश्‍वर हमारे अन्‍त:करण से बड़ा है और वह सब कुछ जानता है। 21 प्रियो! यदि हमारा अन्‍त:करण हम पर दोष नहीं लगाता है, तो हम परमेश्‍वर पर पूरा भरोसा रख सकते हैं। 22 हम उस से जो कुछ माँगेंगे, वह हमें वही प्रदान करेगा; क्‍योंकि हम उसकी आज्ञाओं का पालन करते हैं और वही करते हैं, जो उसे अच्‍छा लगता है। 23 और उसकी आज्ञा यह है कि हम उसके पुत्र येशु मसीह के नाम में विश्‍वास करें और एक दूसरे से प्रेम करें, जैसा कि मसीह ने हमें आज्ञा दी है। 24 जो परमेश्‍वर की आज्ञाओं का पालन करता है, वह परमेश्‍वर में निवास करता है और परमेश्‍वर उस में। और हम जानते हैं कि वह हम में निवास करता है, क्‍योंकि उसने हम को अपना आत्‍मा प्रदान किया है।