वह मेरी महिमा करेगा। यूहन्ना 16:14
आजकल के धार्मिक संग्राम में नए नियम की शुद्र वास्तविकता देखने को नहीं मिलती ना ही लगता है की यीशु मसीह की मृत्यु अनिवार्य थी। मात्र एक धर्मी लगने वाला वातावरण ही अनिवार्य प्रतीत होता है देश में प्रार्थना और आराधना सम्मिलित है। इस प्रकार के अनुभव में कुछ भी अलौकिक और चमत्कारी नहीं और ना ही इसमें परमेश्वर की करुणा का कोई मूल्य दिखाई देती है, ना ही उसने मैंने के लहू के साथ एक रंग होना है, ना ही उसमें पवित्र आत्मा की मुहर का लगना है। ना ही मनुष्य पर उस चिन्ह का लगना है जिसे पाकर वह दुश्मन और अचंभे से भर जाते-“यह तो सर्वशक्तिमान परमेश्वर का कार्य है।” यह वही है जिन्हें छोड़ नया नियम अन्य विषयों की चर्चा नहीं करता।
नया नियम जिस प्रकार की नसीहत के विषय बताता है वह तो प्रभु यीशु के साथ व्यक्तिगत और प्रेममय विलीन्तारूपी आराधना है। बाकी के सभी अन्य मसीह अनुभव यीशु मसीह से संबंधित नहीं है। जिस राज्य में यीशु मसीह रहते हैं न तो नया किया जाना और ना ही नया जन्म पाना है लेकिन मात्र एक सोच है जिसमें यीशु को जीने का नमूना माना जाता है। नए नियम में इससे पहले कि यीशु मसीह को एक नमूना समझा जाए वह एक उद्धारकर्ता है। आज के समय में उसे मात्र एक धर्म का प्रतीक माना जाता है जो कि मात्र एक उदाहरण बन के रह गया। वह है परंतु हमारी समझ से कहीं बढ़कर। वह स्वयं में ही उद्धार है, वही तो परमेश्वर का सुसमाचार है।
यीशु ने कहा जब समझ की आत्मा आएगा तो वह मुझे महिमानवित्त करेगा। जब मैंने स्वयं को नए नियम में उपलब्ध वाचा के अधीन समर्पित करता हूं तो मैं परमेश्वर से पवित्र आत्मा का दान प्राप्त करता हूं और वह मुझे बताना शुरू करता है कि यीशु ने क्या किया और आज भी कर रहा है जिसके द्वारा मेरे जीवन में उसका कार्य प्रमाणित होने पाए।
-ओसवाल्ड चैंबर्स से ज्ञान
विचार
हम परमेश्वर के राज्य में हमारे द्वारा पूछे गए प्रश्नों के उत्तरों के आधार पर प्रवेश नहीं पाते परंतु अपने समर्पण द्वारा प्रवेश पाते हैं।
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