“लड़के को मेरे पास ले आओ”
मार्क ने कहा “ मैं विश्वास नहीं करता और मैं नहीं जाऊंगा”
ऐमी इस बात को पचा नहीं पा रही थी की उसका खुशहाल बेटा अब किसी भी चीज में सहयोग नहीं कर रहा था और जीवन एक रणभूमि और रविवार का दिन अब भयानक बन चुका था जबकि मार्क अब चर्च नहीं जाने को कह रहा था। अंततः चिंतित मां बाप ने एक सलाहकार की सलाह ली जिसने बताया कि “मार्क को अपने विश्वास को सुने साधना होगा आप उसे राज्य में धकेल कर नहीं ले जा सकते परमेश्वर को कार्य करने दें। संयम से प्रार्थना करते रहें।“
ऐमी ने संयम से प्रार्थना की। एक दिन प्रार्थना के समय उसके कानों में यीशु के वह शब्द गूंजने लगे जिसे उसने पढ़ा था।यीशु के चेले एक अशुद्ध आत्मा से भरे बालक को चंगा ना कर पाए परंतु यीशु ने कहा “लड़के को मेरे पास ले आओ” (मरकुस 9:19)। यदि यीशु ऐसी परिस्थिति में चंगा कर सकता है तो वह मेरी परिस्थिति में भी काम कर सकता है। फिर उसने स्वयं को पीछे हटाया और अपने बेटे को उसके हाथों में छोड़ दिया जो उसे सबसे ज्यादा प्रेम करता है।
उसने प्रत्येक दिन मार्क प्रार्थना द्वारा परमेश्वर के हाथों में सौंपा। उस वायदे पर उसने स्थिर रहते हुए कि वह मार्क की आवश्यकताओं को जानता है और वह अपने समय पर अपने तरीके से उन्हें पूरा करेगा।
– मारियन
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