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Articles by करेन हुआंग

यीशु से लिपटे रहना

 
कार्यालय भवन की सीढ़ियों पर मुझे चक्कर आ गया। मैंने रेलिंग को पकड़ लिया क्योंकि सीढ़ियाँ घूमती हुई लग रही थीं। जैसे ही मेरा दिल धड़कने लगा और मेरे पैर लड़खड़ा गए,  मैं रेलिंग से चिपक गया, इसकी ताकत के लिए आभारी था। मेडिकल टेस्ट से पता चला कि मुझे एनीमिया (खून की कमी) है। हालाँकि इसका कारण गंभीर नहीं था और मेरी  स्थिति ठीक हो गई थी, मैं कभी नहीं भूलूँगा कि उस दिन मैं कितना कमज़ोर महसूस कर रहा था। 
 
इसीलिए मैं उस महिला की सराहना करता हूं जिसने यीशु को छूआ। वह न केवल अपनी कमजोर अवस्था में भीड़ के बीच से गुजरी, बल्कि उसने बाहर निकलकर उनके पास आने का साहस भी किया (मत्ती 9:20-22)। उसके पास डरने का अच्छा कारण था: यहूदी कानून ने उसे अशुद्ध के रूप में परिभाषित किया और दूसरों को उसकी अशुद्धता उजागर करने से उसे गंभीर परिणाम भुगतने पड़ सकते थे (लैव्यव्यवस्था 15:25−27)। लेकिन यह विचार यदि मैं उसके वस्त्र ही को छू लूँगी, उसे प्रेरित करती रही। मत्ती 9:21 में जिस यूनानी शब्द का अनुवाद "छू " के रूप में किया गया है, वह केवल छूना नहीं है, बल्कि इससे गहरा अर्थ "पकड़ना" या "अपने आप को जोड़ना" है। स्त्री ने यीशु को कसकर पकड़ लिया। उसे विश्वास था कि वह उसे ठीक कर सकता है। 
 
यीशु ने भीड़ के बीच में एक महिला का हताश विश्वास को देखा। जब हम भी विश्वास में आगे बढ़कर अपनी ज़रूरतों में मसीह से लिपट जाते हैं, तो वह हमारा स्वागत करता है और हमारी सहायता के लिए आता है। हम उसे अस्वीकृति या सज़ा के डर के बिना अपनी कहानी बता सकते हैं। यीशु आज हमसे कहते हैं, "मुझसे लिपटे रहो।" 
 
—कैरेन हुआंग 
 

आप परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं

जब मेरी बिल्ली मिकी की आंखों में संक्रमण (infection) हुआ, तो मैं उसकी आंखों में रोजाना आँख की दवाई डालता था। जैसे ही मैंने उसे बाथरूम काउंटर पर रखा, वह बैठ गया, मुझे भयभीत आँखों से देखा, और फिर अपने आप को दवाई डलवाने के लिए तैयार कर लिया। "अच्छा लड़का," मैंने कहा। हालाँकि उसे समझ नहीं आया कि मैं क्या कर रहा हूँ, फिर भी उसने  उछल-कूद नहीं की, सिसकारा नहीं, या मुझे खरोंचा नहीं। इसके बजाय, वह मेरे और नज़दीक आ गया, मेरे – जो उसे कष्ट पहुंचा रहा था। वह जानता था कि वह मुझ पर भरोसा कर सकता है। 
जब दाऊद ने भजन 9 लिखा, तो संभवतः उसे पहले से ही परमेश्वर के प्रेम और विश्वासयोग्यता का बहुत अनुभव हो चुका था। वह अपने शत्रुओं से सुरक्षा के लिए उसकी ओर मुड़ा था, और परमेश्वर ने उसकी ओर से कार्य किया था (पद- 3−6)। दाऊद की ज़रूरत के समय में, परमेश्वर ने उसे निराश नहीं किया। परिणामस्वरूप, दाऊद को पता चला कि वह कैसा था—वह शक्तिशाली और धर्मी, प्यारा और वफादार था। और इसलिए, दाऊद ने उस पर भरोसा किया। वह जानता था कि परमेश्वर भरोसेमंद है। 
जिस रात मैंने मिकी को सड़क पर एक छोटे, भूखे बिल्ली के बच्चे के रूप में पाया था, तब से मैंने कई बीमारियों के दौरान उसकी देखभाल की है। वह जानता है कि वह मुझ पर भरोसा कर सकता है—तब भी जब मैं उसके साथ ऐसी चीजें करता हूं जो उसे समझ में नहीं आतीं। इसी प्रकार, हमारे प्रति परमेश्वर की निष्ठा और उसके चरित्र को याद करने से हमें उस पर भरोसा करने में मदद मिलती है जब हम यह नहीं समझ पाते कि वह क्या कर रहा है। हम जीवन के कठिन समय में भी परमेश्वर पर भरोसा बनाए रखें। 
-केरन हुआंग 

हमारी आशा का लंगर

मैंने एक धुंधली गली में गत्ते के टुकड़ों के नीचे सो रहे लोगों की एक तस्वीर उठाई। "उन्हें क्या चाहिए?" मैंने अपनी छठी कक्षा की संडे स्कूल कक्षा से पूछा। "खाना," किसी ने कहा। "पैसा," दूसरे ने कहा। "एक सुरक्षित जगह," एक लड़के ने सोच-समझकर कहा। तभी एक लड़की बोली: "आशा।" 
"आशा अच्छी चीजें होने की उम्मीद करती है," उसने समझाया। मुझे यह दिलचस्प लगा कि उसने अच्छी चीजों की "आशा" करने के बारे में बात की, जबकि चुनौतियों के कारण, जीवन में अच्छी चीजों की उम्मीद न करना आसान हो सकता है। फिर भी बाइबल आशा के बारे में एक तरह से बात करती है जो मेरे छात्र से सहमत है। यदि “विश्वास आशा की हुई वस्तुओं का निश्चय,और अनदेखी हुई चीज़ों का प्रमाण है” (इब्रानियों 11:1) तो हम जो यीशु में विश्वास रखते हैं, अच्छी चीजें होने की आशा कर सकते हैं। 
यह अंतिम भलाई क्या है जिसकी मसीह में विश्वास करने वाले भरोसे के साथ आशा कर सकते हैं?—“उसके विश्राम में प्रवेश करने की प्रतिज्ञा” (4:1)। विश्वासियों के लिए, परमेश्वर के आराम में उसकी शांति, उद्धार का विश्वास, उसकी सामर्थ्य पर निर्भरता और भविष्य के स्वर्गीय घर का आश्वासन शामिल है। परमेश्वर के आश्वासन  और यीशु द्वारा प्रदान किए जाने वाले उद्धार के कारण ही आशा हमारा लंगर बन सकती है, जो हमें ज़रूरत के समय मजबूती से पकड़े रखती है (6:18-20)। दुनिया को वास्तव में आशा की ज़रूरत है: परमेश्वर का सच्चा और निश्चित आश्वासन कि अच्छे और बुरे समय में, अंतिम निर्णय उसका होगा और वह हमें निराश नहीं करेगा। जब हम उस पर भरोसा करते हैं, तो हम जानते हैं कि वह अपने समय में हमारे लिए सभी चीजें ठीक कर देगा।  
-केरन हुआंग 

छोड़ दो

 
किताबों की जिस दुकान में कीथ काम करता था उसका मालिक केवल दो दिनों के लिए छुट्टी पर था लेकिन कीथ, जो उसका सहायक था पहले से ही घबरा रहा था। संचालन ठीक चल रहा था, लेकिन कीथ चिंतित था कि वह स्टोर की देखरेख ठीक से नहीं कर पायेगा । बैचेन होकर, जितना बारीकी से वह  प्रबंधन कर सकता था उसने किया।  उसके बॉस ने आखिरकार उसे एक वीडियो कॉल पर कहा  “ऐसा करना बन्द करो। तुम केवल उन निर्देशों का पालन करो  जो मैं तुम्हें प्रतिदिन ईमेल करता हूँ। चिंता मत करो कीथ। बोझ तुम पर नहीं है, मुझ पर है।” 
 
अन्य राष्ट्रों के साथ संघर्ष के समय में इस्राएल को  परमेश्वर से एक ऐसा ही संदेश मिला था: “चुप हो जाओ” भजन संहिता 46:10 । “संघर्ष करना बंद करो”, उसने संक्षेप में कहा “मैं जो कहता हूं केवल उसका पालन करो। मैं तुम्हारे लिए लड़ूंगा।” परमेश्वर ने इस्राएल को निष्क्रिय या लापरवाह होने के लिए नहीं बल्कि सक्रिय रूप से स्थिर रहने के लिए ऐसा कहा था — स्थिति पर नियंत्रण और अपने प्रयासों के परिणामों को परमेश्वर पर छोड़ते हुए ईमानदारी से परमेश्वर की आज्ञा मानने के लिए कहा जा रहा था। 
 
हमें भी ऐसा करने के लिए बुलाया गया है। और हम यह कर सकते हैं क्योंकि जिस परमेश्वर पर हम भरोसा करते हैं वह संसार के ऊपर प्रभुता करता है। “यदि वह बोलता है तो पृथ्वी पिघल जाती है, और वह पृथ्वी की छोर तक लड़ाइयों को मिटा सकता है”  (पद 6, 9);  तो निश्चित रूप से हम उसकी शरण की सुरक्षा और उसके बल पर भरोसा कर सकते हैं (पद 1)। हमारे जीवन पर नियंत्रण का बोझ हम पर नहीं है — परमेश्वर पर है। 
 
केरन हुआंग 
 

जब आप थके हुए हो

मैंने दिन का अपना काम खत्म किया और चुपचाप शांति में बैठी थी, मेरा लैपटॉप मेरे सामने था। मुझे उस दिन पूरा किए गए काम को लेकर उत्साहित होना चाहिए था, लेकिन मैं नहीं थी । मैं थक गयी थी । काम पर एक समस्या को लेकर चिंता के बोझ से मेरे कंधे दर्द कर रहे थे, और मेरा दिमाग एक परेशान रिश्ते के बारे में सोचने से थक गया था। उस रात इन सबसे बचने के लिए मैं टीवी देखने लगी । लेकिन मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं। “प्रभु,” मैंने फुसफुसाया। मैं अत्यधिक थकान से और अधिक नहीं कह पायी । मेरी सारी थकान उस एक शब्द में चली गई। और किसी तरह, मुझे तुरंत पता चल गया कि इसे यहीं जाना चाहिए।    
यीशु हमसे कहता है, “मेरे पास आओ,” जो थके हुए और बोझ से दबे हुए हुए हो, “मैं तुम्हें विश्राम दूँगा” (मत्ती 11:28) l रात की अच्छी नींद से मिलने वाला आराम नहीं। टेलीविजन द्वारा दी जाने वाली वास्तविकता से विश्राम नहीं। समस्या हल हो जाने पर मिलने वाली राहत भी नहीं। हालाँकि ये आराम के अच्छे स्रोत हो सकते हैं, लेकिन ये जो राहत देते हैं वो थोड़े समय के लिए होती है और हमारी परिस्थितियों पर निर्भर करती है। इसके विपरीत, यीशु जो आराम देते हैं वो स्थायी है और उनके अपरिवर्तनीय चरित्र द्वारा निश्चित है। वे हमेशा अच्छे हैं। वे हमें मुसीबतों के बीच भी हमारी आत्माओं के लिए सच्चा आराम देते हैं क्योंकि हम जानते हैं कि सब कुछ उनके नियंत्रण में है। हम उन पर भरोसा कर सकते हैं और उनके अधीन हो सकते हैं, मुश्किल परिस्थितियों में भी टिक सकते हैं और यहाँ तक कि सफल भी हो सकते हैं क्योंकि सिर्फ़ वे ही ताकत और बहाली दे सकते हैं।   
“मेरे पास आओ,” यीशु हमसे कहता है l “मेरे पास आओ l” 
—केरेन ह्वांग 

मेरा उद्देश्य क्या है?

हेरोल्ड ने कहा, "मुझे ऐसा मेहसूस होता की मैं किसी काम का नहीं हूँ।" "विधुर और सेवानिवृत्त, बच्चे अपने परिवार में व्यस्त, शांत दोपहरें दीवार पर परछाइयाँ देखते हुए बिताते।" वह अक्सर अपनी बेटी से कहते थे, "मैं बूढ़ा हो गया हूं और पूरा जीवन जी चुका हूं। अब मेरा कोई उद्देश्य नहीं है। ईश्वर मुझे किसी भी समय ले जा सकते हैं।” 
हालाँकि, एक दोपहर, एक बातचीत ने हेरोल्ड के मन को बदल दिया। हेरोल्ड ने कहा, "मेरे पड़ोसी को अपने बच्चों से कुछ समस्या थी, इसलिए मैंने उसके लिए प्रार्थना की।" “बाद में, मैंने उसके साथ सुसमाचार बाँटा। इस तरह मुझे एहसास हुआ कि मेरा अभी भी एक उद्देश्य है! जब तक ऐसे लोग हैं जिन्होंने यीशु के बारे में नहीं सुना है, मुझे उन्हें उद्धारकर्ता के बारे में अवश्य बताना है।" 
जब हेरोल्ड ने एक आम, साधारण मुलाकात का जवाब अपने विश्वास को साझा करके दिया, तो उसके पड़ोसी का जीवन बदल गया। 2 तीमुथियुस 1 में, प्रेरित पौलुस ने दो महिलाओं का उल्लेख किया है जिनका उपयोग परमेश्वर ने एक अन्य व्यक्ति के जीवन को बदलने के लिए किया था: पौलुस के युवा सहकर्मी, तीमुथियुस का जीवन। लोइस, तीमुथियुस की नानी, और यूनिस, उसकी माँ, के पास " निष्कपट विश्वास" था जिसे उन्होंने उसे दिया था (पद 5)। एक साधारण घर में प्रतिदिन के कार्यों के द्वारा, युवा तीमुथियुस ने एक सच्चा विश्वास सीखा यह यीशु के एक विश्वासयोग्य शिष्य के रूप में उसके विकास को आकार देने के लिए था और अंततः, इफिसुस में कलीसिया के अगुवे के रूप में उसकी सेवकाई को भी। 
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हमारी उम्र, पृष्ठभूमि या परिस्थितियाँ क्या हैं, हमारा एक उद्देश्य है—दूसरों को यीशु के बारे में बताना। 
 

जब आप अकेले हों

 
शाम 7 बजे, हुई–लियांग अपनी रसोई में था, वह चावल और बचे हुए मछली के कोफते खा रहा था। अगले अपार्टमेंट में चुआ परिवार भी रात का खाना खा रहा था, और उनकी हंसी और बातचीत हुई–लियांग के घर की चुप्पी को बेध रही थी, जहां वह अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद से अकेले रह रहे थे। वर्षों से उसने अकेलेपन के साथ जीना सीख लिया था, अकेलेपन का तीखा दर्द अब हल्का पड़ गया था। लेकिन आज रात, उसकी मेज पर एक कटोरी और चॉपस्टिक के जोड़े को देखकर उसे गहरा आघात लगा। 
उस रात सोने से पहले, हुई–लियांग ने भजन संहिता 23 पढ़ा, जो उसका पसंदीदा भजन था। उसके लिए जो शब्द सबसे अधिक मायने रखते थे, वे केवल चार शब्दांश हैं: “तू मेरे साथ रहता है” (पद 4)। चरवाहे द्वारा भेड़ों की देखभाल के व्यावहारिक कार्यों से अधिक, भेड़ों के जीवन की हर बात पर उसकी अटल उपस्थिति और प्रेम भरी दृष्टि थी (पद 2−5) जिसने हुई–लियांग को शांति दी। 
केवल यह जानना कि कोई है, कोई हमारे साथ है, हमारे अकेले पलों में बहुत शान्ति देता है। परमेश्वर अपने बच्चों से वादा करता है कि उसका प्यार हमेशा हमारे साथ रहेगा (भजन संहिता 103:17), और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा (इब्रानियों 13:5)। जब हम अकेला और अनदेखा महसूस करते हैं — चाहे अपने शांत रसोई में, काम से घर जाने वाली बस में, या भीड़ वाले सुपरमार्केट में भी, हम जान सकते हैं कि चरवाहा हमेशा हमें देख रहा है। हम कह सकते हैं, “तू मेरे साथ रहता हैं।” 

आपको सुना जाता है

 
भौतिक-शास्त्र की पुस्तक में, लेखक चार्ल्स रिबोर्ग मान और जॉर्ज रैनसम ट्विस पूछते हैं: "जब एक सुनसान जंगल में एक पेड़ गिरता है, और कोई जानवर इसे सुनने के लिए पास में नहीं होता है, तो क्या वह आवाज करता है?" वर्षों से, इस प्रश्न ने ध्वनि, समझ और अस्तित्व के बारे में दार्शनिक और वैज्ञानिक चर्चाओं को प्रेरित किया है। हालाँकि, एक निश्चित उत्तर अभी तक सामने नहीं आया है। 
एक रात, जब मैं किसी समस्या के बारे में अकेला और उदास महसूस कर रहा था, जिसे मैंने किसी के साथ साझा नहीं किया था, तो मुझे यह प्रश्न याद आया। जब मदद के लिए मेरी पुकार कोई नहीं सुनता, तो मैंने सोचा, क्या परमेश्वर सुनता है? 
मृत्यु के खतरे का सामना करते हुए और संकट से उबरते हुए, भजन संहिता 116 के लेखक ने त्यागा हुआ महसूस किया होगा। इसलिए उसने परमेश्वर को पुकारा—यह जानते हुए कि वह सुन रहा है और उसकी सहायता करेगा। भजनकार ने लिखा, “उसने मेरी सुन ली,” उसने दया के लिए मेरी दोहाई सुनी। . . . [उसने] मेरी ओर कान लगाया” (पद. 1-2)। जब हमारा दर्द कोई नहीं जानता, तब परमेश्वर जानता है। जब कोई हमारी पुकार नहीं सुनता, तब परमेश्वर सुनता है।  
यह जानते हुए कि परमेश्वर हमें अपना प्रेम और सुरक्षा दिखाएगा (पद. 5-6), हम कठिन समय में आराम से रह सकते हैं (पद. 7)। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद "विश्राम" (मनोआख) किया गया है, वह शांति और सुरक्षा के स्थान का वर्णन करता है। हम शांति से रह सकते हैं, परमेश्वर की उपस्थिति और मदद के आश्वासन से मजबूत हो सकते हैं। 
मान और ट्विस द्वारा पूछे गए प्रश्न के कई उत्तर मिले। लेकिन इस प्रश्न का उत्तर, क्या परमेश्वर सुनता है? बस हाँ है। 

हमेशा भरोसेमंद

 
मैं एक चिंता करने वाली  हूँ।  सुबह की शुरुआत ख़राब होती है क्योंकि मैं अपने विचारों के साथ अकेली होती हूं। इसलिए मैंने अपने बाथरूम के शीशे पर हडसन टेलर (चीन जाने वाले एक ब्रिटिश मिशनरी) के इस उद्धरण को चिपका दिया, जहां मैं इसे तब देख सकती हूं जब मैं कमजोर महसूस कर रही हूं : “परमेश्वर एक जीवित परमेश्वर है। उसने बाइबल के द्वारा हमसे बात की हैं। वह जो कहता है उसका मतलब होता है। और वह अपने हर वायदे को पूरा करेगा।”  
टेलर के शब्द परमेश्वर के साथ वर्षों चलने के अनुभव से आए हैं और हमें याद दिलाते हैं कि परमेश्वर कौन है और वह हमारी बीमारी,  गरीबी,  अकेलेपन और दुःख के समय में क्या कर सकता है। वह केवल यह नहीं जानते थे कि परमेश्वर भरोसे के योग्य है—उन्होंने उसकी विश्वासयोग्यता का अनुभव किया था। और क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के वादों पर भरोसा किया था और उसकी आज्ञा मानी थी, हजारों चीनी लोगों ने यीशु को अपना जीवन दिया।  
परमेश्वर और उसके  तौर तरीकों का अनुभव करने से दाऊद को यह जानने में मदद मिली कि वह भरोसेमंद है। उसने भजन 145 लिखा –  परमेश्वर की स्तुति का एक गीत जिसे उसने अनुभव किया कि वह अच्छा,  दयालु और अपने सभी वादों के प्रति वफादार है। जब हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं और उसका अनुसरण करते हैं,  तो हम महसूस करते हैं (या बेहतर समझते हैं) कि वह वही है जो वह कहता है कि वह है और वह अपने वचन के प्रति विश्वासयोग्य है (पद. 13)। और,  दाऊद की तरह,  हम उसकी स्तुति करने और दूसरों को उसके बारे में बताने के द्वारा प्रत्युत्तर देते हैं (पद. 10-12)। जब हम चिंताजनक समय का सामना करते हैं,  तो परमेश्वर हमारी सहायता कर सकता है कि हम उसके साथ चलने में न डगमगाएं,  क्योंकि वह भरोसे के योग्य है (इब्रानियों 10:23)।