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Articles by करेन हुआंग

प्रार्थना में लगे रहो

एक बेकरी सहायक, माईला ने, स्वयं को बचाने में बहुत असहाय महसूस किया जब उसके निरीक्षक ने उस पर कुछ किशमिश की रोटी चुराने का आरोप लगाया l निराधार दावा और सम्बंधित वेतन कटौती उसके निरीक्षक के कई गलत कार्यों में से केवल दो थे l “परमेश्वर, कृपया मदद करें, “माईला ने हर दिन प्रार्थना की l “उसके अधीन काम करना बहुत कठिन है, लेकिन मुझे इस नौकरी की ज़रूरत है l”

यीशु एक विधवा के बारे में बताता है जिसने खुद को असहाय महसूस किया और “अपने मुद्दई के खिलाफ न्याय माँगा”(लूका 18:3) l वह अपने मामले को सुलझाने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति के पास गयी जिसके पास अधिकार था—एक न्यायधीश के पास l यह जानने के बावजूद कि न्यायधीश अन्यायी था, वह उसके पास जाती रही l 

न्यायाधीश की अंतिम प्रतिक्रिया(पद.4-5) हमारे स्वर्गिक पिता की प्रतिक्रिया से बिलकुल भिन्न है, जो प्रेम और सहायता के साथ तुरंत प्रतिक्रिया देता है(पद.7) l यदि दृढ़ता के कारण एक अन्यायी न्यायाधीश विधवा का मामला हल कर सकता है, तो परमेश्वर न्यायी न्यायाधीश है, हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है और करेगा(पद.7-8)? हम “उसके चुने हुओं का न्याय” चुकाने के लिए(पद.7) उस पर भरोसा कर सकते हैं और प्रार्थना में लगातार बने रहना हमारे विश्वास को दिखाने का एक तरीका है l हम कायम हैं क्योंकि हमें विश्वास है कि परमेश्वर हमारी स्थिति पर पूर्ण बुद्धिमत्ता से प्रतिक्रिया देगा l 

अंततः, अन्य कर्मचारियों द्वारा उसके व्यवहार के बारे में शिकायत करने के बाद माईला के निरीक्षक ने इस्तीफा दे दिया l जब हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलते हैं, आइए प्रार्थना करते रहें, यह जानते हुए कि हमारी प्रार्थनाओं की सामर्थ्य उसमें निहित है जो सुनता है और हमारी मदद करता है l 

पिछली सीट पर बाइबल

एंड्रू की वोक्सवैगेन(Volkswagen) कार रुक गयी, और सुरक्षा गार्ड सामने आ गए l उन्होंने प्रार्थना की जैसे उन्होंने अतीत में कई बार की थी : हे परमेश्वर जब आप पृथ्वी पर थे, तो आपने अंधी आँखों को देखने लायक बना दिया l अब, कृपया देखने वाली आँखों को अँधा कर दें l गार्डों ने कार की तलाशी ली और सामान में बाइबल के बारे में कुछ नहीं कहा l एंड्रू ने सीमा पार की और सामान लेकर उन तक पहुंचे जो बाइबल प्राप्त नहीं कर सकते थे l 

एंड्रू वैन डेर बिज्ल, या ब्रदर एंड्रू(Brother Andrew), उस असंभव कार्य के लिए परमेश्वर की सामर्थ्य पर भरोसा करते थे जिसके लिए परमेश्वर ने उन्हें बुलाया था—पवित्रशास्त्र को उन देशों में ले जाना जहाँ मसीहियत गैरकानूनी था l उन्होंने अपनी सीमित शिक्षा और धन की कमी पर जोर देते हुए कहा, “मैं एक साधारण व्यक्ति हूँ l” “मैंने जो किया, कोई भी कर सकता है l” आज उनकी संस्था, ओपन डोर्स इंटरनेशनल(Open Doors International), पूरे संसार में यीशु में सताए गए विश्वासियों की सेवा करती है l 

जब यहूदा के राज्यपाल जरूब्बाबेल को यहूदियों के निर्वासन से लौटने के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण के असंभव कार्य का सामना करना पड़ा, तो वह निराश हो गया l लेकिन परमेश्वर ने उसे याद दिलाया कि वह मानवीय शक्ति या ताकत पर नहीं, बल्कि उसकी आत्मा पर भरोसा करे(जकर्याह 4:6) l उसने उसे नबी जकर्याह को निकट के जैतून के पेड़ों से तेल से आपूर्ति किये गए दीवट के एक दर्शन के द्वारा उत्साहित किया(पद.2-3) l जिस प्रकार तेल की लगातार आपूर्ति के कारण दीपक जल सकते थे, उसी प्रकार जरूब्बाबेल और इस्राएली उसकी सामर्थ्य की निरंतर आपूर्ति पर भरोसा करके परमेश्वर का कार्य कर सकते थे l 

जब हम परमेश्वर पर निर्भर रहते हैं, आइये हम उस पर भरोसा करें और वही करें जो वह हमें करने के लिए कहता है l 

 

विश्वास से हाँ कहना

जब मुझसे पुछा गया कि क्या मैं कार्यस्थल पर एक नया उत्तरदायित्व स्वीकार करूंगी, तो मैं नहीं कहना चाहती थी l मैंने चुनौतियों के बारे में सोचा और उन्हें संभालने में अपर्याप्त महसूस किया l लेकिन जब मैंने प्रार्थना की ओर बाइबल और अन्य विश्वासियों से मार्गदर्शन माँगा, तो मुझे एहसास हुआ कि परमेश्वर मुझे हाँ कहने के लिए बुला रहा था l पवित्रशास्त्र के द्वारा, मुझे भी उसकी सहायता का आश्वासन मिला l इसलिए, मैंने कार्य स्वीकार कर लिया, लेकिन फिर भी कुछ डर के साथ l 

मैं स्वयं को इस्राएलियों और उन दस जासूसों में देखती हूँ जो कनान पर कब्ज़ा करने से पीछे हट गए थे(गिनती 13:27-29, 31-33; 14:1-4) l उन्होंने भी कठिनाइयों को देखा, और सोच रहे थे कि वे देश के शक्तिशाली लोगों को कैसे हरा सकते हैं और उनके गढ़वाले शहरों को अपने अधीन कर सकते हैं l जासूसों ने कहा(13:33), “हम . . . उनके सामने टिड्डे के समान दिखायी पड़ते थे,” और इस्राएलियों ने कुड़कुड़ाया, “यहोवा हम को उस देश में ले जाकर क्यों तलवार से मरवाना चाहता है?”(14:3) l 

कालिब और यहोशू को याद था कि परमेश्वर ने पहले ही प्रतिज्ञा की थी कि वह कनान को अपने लोगों को देगा(उत्पत्ति 17:8; गिनती 13:2) l उन्होंने परमेश्वर की उपस्थिति और प्रकाश में आगे आने वाली कठिनाइयों को देखकर, उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा जताया l वे उसकी सामर्थ्य, सुरक्षा और संसाधनों से कठिनाइयों का सामना करने वाले थे, न कि अपनी शक्ति से(गिनती 14:6-9) l 

परमेश्वर ने मुझे जो काम दिया वह आसान नहीं था—लेकिन उसने इसमें मेरी सहायता की l हालाँकि हम हमेशा उसके कार्यों में कठिनाइयों से नहीं बचेंगे, हम—कालिब और यहोशू की तरह—यह जानते हुए उनका सामना कर सकते हैं, “यहोवा हमारे संग है”(पद.9) l 

यीशु में एक साथ

व्हिटियर, अलास्का के तीन सौ निवासियों में से अधिकांश एक बड़े अपार्टमेंट परिसर में रहते हैं, और इसीलिए व्हिटियर को "एक छत के नीचे का शहर" कहा जाता है। एमी, एक पूर्व निवासी, कहती है, "मुझे बिल्डिंग के बाहर कदम रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी - किराने की दुकान, नोटरी पब्लिक, स्कूल और डाकघर हमारी निचली मंजिल पर ही थे, बस एक लिफ्ट से पहुँच जाओ!"  एमी बताती हैं, "क्योंकि वहां जीवन बहुत आरामदायक था, मैं अक्सर अपने तक ही सीमित रहना चाहती थी, यह सोचकर कि मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है।" ““लेकिन निवासी बहुत मिलनसार और स्नेही हैं। वे एक दूसरे की खबर रखते हैं।  मैंने सीखा कि उन्हें मेरी ज़रूरत है, और मुझे उनकी ज़रूरत है।'' ।''

एमी की तरह, हम कभी-कभी अपने तक ही सीमित रहना चाहते हैं और समुदाय से बचना चाहते हैं। भले ही समुदाय कम तनावपूर्ण लगता हो! लेकिन पवित्रशास्त्र कहता है कि यीशु में विश्वास करने वाले को अन्य विश्वासियों के साथ संगति और एकांत के समय के बीच स्वस्थ संतुलन रखना चाहिए। प्रेरित पौलुस विश्वासियों के देह  की तुलना मानव शरीर से करता है। जिस प्रकार शरीर के प्रत्येक अंग का एक अलग कार्य होता है, उसी प्रकार प्रत्येक विश्वासी की भी एक अलग भूमिका होती है (रोमियों 12:4)। जिस प्रकार शरीर का कोई अंग अकेले अस्तित्व में नहीं रह सकता, उसी प्रकार एक विश्वासी भी विश्वास का जीवन अलगाव में नहीं जी सकता (पद 5)। यह समुदाय के बीच में है कि हम अपने वरदानों का उपयोग करते हैं (पद 6-8; 1 पतरस 4:10) और यीशु की समानता में बढ़ते हैं (रोमियों 12:9-21)।

हमें एक दूसरे की जरूरत है; हमारी एकजुटता मसीह में है (पद 5)। उसकी सहायता से, जब हम "एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं", इसके द्वारा हम उसके साथ एक गहरा रिश्ता विकसित कर सकते हैं और दूसरों को उसका प्रेम दिखा सकते हैं।

एक अच्छी बिरयानी

वर्षा की फूड स्टॉल पर सबसे ज्यादा बिकने वाली डिश उसकी बिरयानी थी। वह प्याज को बहुत सावधानी से भूनती थी जब तक कि उसका रंग सुनहरा भूरा न हो जाए। इसलिए, वह चौंक गई जब एक नियमित ग्राहक ने कहा, “आपकी बिरयानी का स्वाद अलग लग रहा है, स्वाद में कुछ कमी लग रही है।" वर्षा की नई सहयोगी ने इस बार इसे तैयार किया था और बताया कि यह अलग क्यों थी: “मैंने प्याज उतनी देर तक नहीं भुनी जितनी देर रेसिपी में कहा गया था क्योंकि मैं इसे घर पर इसी तरह करती हूँ। मैंने मिर्ची पाउडर भी थोड़ा ज्यादा डाला था। मेरी राय में, इस तरह इसका स्वाद बेहतर लगता है।" उसने तय किया कि बताई गयी रेसिपी को नजरअंदाज करके वह इसे अपने तरीके से बनाएगी।

इसी तरह मैं भी कभी-कभी परमेश्वर के निर्देशों के साथ करती हूँ। पवित्रशास्त्र में दी गई उनकी आज्ञाओं का पूरी तरह से पालन करने के बजाय, मैं उन्हें अपनी राय के अधीन करती हूँ और अपने रास्ते पर आगे बढ़ती हूँ।

सीरियाई सेना का सेनापति नामान भी ऐसी ही गलती करने की कगार पर था।उसका कुष्ठ रोग ठीक हो जाए,  इसके लिए एलीशा नबी के द्वारा यरदन में खुद को धोने के लिए परमेश्वर का निर्देश पाने पर, अभिमानी सेनापति क्रोधित हो गया। उसकी अपनी अपेक्षाएँ थीं कि उसकी आवश्यकता को कैसे संबोधित किया जाना चाहिए, यह मानते हुए कि उसकी राय परमेश्वर की आज्ञा से बेहतर थी (2 राजा 5:11-12)। हालाँकि, उसके सेवकों ने उसे एलीशा की बात सुनने के लिए मना लिया (पद 13)। परिणामस्वरूप, नामान चंगा हो गया।

जब हम परमेश्वर के तरीके से काम करते हैं, तो हमें एक ऐसी शांति का अनुभव होता है जो अवर्णनीय है। आइए उसके उद्देश्यों को पूरा करने में उसके साथ काम करें।

दूसरों पर हमारा प्रभाव

जब मेरे सेमिनरी प्रोफेसर डॉ.ली ने देखा कि हमारे स्कूल के संरक्षक(custodian) बेंजी को हमारे दोपहर के भोजन समारोह में शामिल होने में देर हो जाएगी, तो उन्होंने चुपचाप उनके लिए भोजन की एक प्लेट अलग रख दी l जब मैं और मेरे सहपाठी बात कर रहे थे, डॉ. ली ने चुपचाप चावल के केक का आखिरी टुकड़ा भी उनके लिए एक डिश पर रख दिया—स्वादिष्ट टॉपिंग के रूप में कुछ कसा हुआ नारियल भी डाल दिया l एक प्रख्यात धर्मशास्त्री का यह दयालु कार्य अनेक कार्यों में से एक था—और इसे मैं डॉ. ली की ईश्वर के प्रति निष्ठां का अधिकता मानता हूँ l बीस वार्षों के बाद भी उन्होंने मुझ पर जो गहरी छाप छोड़ी वह आज भी कायम है l 

प्रेरित यूहन्ना का एक प्रिय मित्र था जिसने कई विश्वासियों पर गहरी छाप छोड़ी l उन्होंने गयुस के बारे में बात की जो परमेश्वर और धर्मग्रंथों(Scriptures) के प्रति विश्वासयोग्य था और लगातार “सत्य” पर चलता था (3 यूहन्ना 1:3) l गयुस ने यात्रा करने वाले सुसमाचार के प्रचारकों का अतिथि सत्कार किया, भले ही वे अजनबी थे(पद.5) l परिणामस्वरूप, यूहन्ना ने उससे कहा, “उन्होंने कलीसिया के सामने तेरे प्रेम की गवाही दी है” (पद.6) l गयुस की परमेश्वर और यीशु में अन्य विश्वासियों के प्रति निष्ठा ने सुसमाचार को आगे बढाने में मदद की l 

मेरे शिक्षक का मुझ पर जो प्रभाव पड़ा और गयुस ने अपने समय में जो प्रभाव डाला, वे शक्तिशाली अनुस्मारक/ताकीद हैं जो हम दूसरों पर छोड़ सकते हैं—जिसका उपयोग परमेश्वर उन्हें मसीह की ओर आकर्षित करने में कर सकता है l जैसे हम परमेश्वर के साथ ईमानदारी से चलते हैं, आये इस तरह से जीएं और कार्य करें जिससे अन्य विश्वासियों को भी उसके साथ विश्वासयोग्यता से चलने में मदद मिल सके l  

हमारा सच्चा शरणस्थान यहोवा हैं

अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद, फ्रेड को लगा कि जब तक वह अपने दोस्तों के साथ सोमवार का नाश्ता करेगा तब तक वह दर्द सहन कर सकता है। उनके साथी सेवानिवृत्त लोगों ने उनका उत्साह बढ़ाया। जब भी उदासी आती, फ्रेड अगली बार फिर से उनकी संगति का आनंद लेने के बारे में सोचता। कोने की उनकी मेज सुरक्षित जगह थी जहां उसका दुख कम होता था ।

हालाँकि, समय के साथ, यह मिलना जुलना समाप्त हो गया। कुछ मित्र बीमार हो गये; अन्य का निधन हो गया । खालीपन ने फ्रेड को परमेश्वर में सांत्वना खोजने के लिए प्रेरित किया, जिससे वह अपनी युवावस्था में मिला था। वह कहते हैं, ''अब मैंने अकेले ही नाश्ता किया है, लेकिन मुझे इस सच्चाई को बनाए रखना याद है कि यीशु मेरे साथ हैं। और जब मैं भोजनालय छोड़ता हूं, तो मैं अपने बाकी दिनों का सामना अकेले नहीं करता। भजनकार    की तरह, फ्रेड ने परमेश्वर की उपस्थिति की सुरक्षा और आराम की खोज की: “वह मेरा शरणस्थान है। मैं उस पर भरोसा रखूंगा।"” (भजन 91:2)। फ्रेड ने सुरक्षा को छिपने के लिए एक भौतिक स्थान के रूप में नहीं, बल्कि परमेश्वर की दृढ़ उपस्थिति के रूप में जाना, जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं और आराम कर सकते हैं (पद . 1)। फ्रेड और भजनकार दोनों ने पाया कि उन्हें अकेले कठिन दिनों का सामना नहीं करना पड़ा। हम भी परमेश्वर की सुरक्षा और सहायता के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं। जब हम उस पर भरोसा करते हैं, तो वह जवाब देने और हमारे साथ रहने का वादा करता है (पद. 14-16)।

क्या हमारे पास कोई सुरक्षित जगह है, एक "कोने की मेज" जिस पर हम तब जाते हैं जब जीवन कठिन होता है? यह टिकेगा नहीं लेकिन परमेश्वर टिकेगा । वह हमारे सच्चे शरणस्थान, वह इंतज़ार करता है कि हम उसके पास जाएँ । 

 

तुझे इससे क्या?

“जब उसके पास अंगूर है तो मुझे स्ट्रॉबेरी लॉलीपॉप क्यों मिलना चाहिए?” मेरी छह वर्षीय भतीजी ने पुछा l मेरी भांजियों और भांजे ने मुझे शुरू से ही सिखाया था कि बच्चे अक्सर जो उन्हें दिया जाता है उसकी तुलना दूसरों को जो मिलता है उससे करते हैं l इसका मतलब यह है कि दयालु मौसी के रूप में, मेरे लिए अच्छा निर्णय लेना होगा!

मैं भी कभी-कभी उन चीज़ों की तुलना करती हूँ जो ईश्वर ने मुझे दी हैं और जो उसने दूसरों को दी हैं l “मेरे पास यह क्यों है, और उसके पास वह है?” मैं परमेश्वर से पूछती हूँ l मेरा प्रश्न मुझे याद दिलाता है कि शमौन पतरस ने गलील के झील के पास यीशु से क्या पूछा था l यीशु ने अभी-अभी पतरस को उसके पिछले इनकार के लिए पुनर्स्थापना और क्षमा दी थी और अब वह उससे कह रहा था कि वह शहीद की मृत्यु मरकर परमेश्वर की महिमा करेगा (यूहन्ना 21:15-19) l हालाँकि, अपने पीछे चलने के यीशु के निमंत्रण का हाँ में उत्तर देने के बजाय, पतरस ने पुछा, “हे प्रभु, इसका [यूहन्ना का] क्या?”(पद.21) l 

यीशु ने उत्तर दिया, “तुझे इससे क्या?” और कहा, “तू मेरे पीछे हो ले”(पद.22) l मेरा मानना है कि यीशु भी हमसे यही कहेगा l जब वह पहले से ही हमें हमारे जीवन के किसी क्षेत्र में दिशा दे चुका है, तो वह हमारा विश्वास चाहता है l हमें अपने मार्ग की तुलना दूसरों के मार्ग से नहीं करनी चाहिए, बल्कि हमें बस उसका अनुसरण करना है l 

तीस से अधिक वर्षों तक, प्रेरित पतरस ने आरंभिक चर्च के एक साहसी अगुआ के रूप में परमेश्वर का अनुसरण किया l ऐतिहासिक अभिलेखों से यह भी पता चलता है कि उसने दुष्ट सम्राट नीरो के अधीन निडर होकर मृत्यु को गले लगा लिया l हम भी परमेश्वर का अनुसरण करने, उसके प्रेम और दिशा-निर्देश पर भरोसा करने में दृढ़ और निर्विवाद रहें l 

 

नया और निश्चित

तीन वर्ष तक, घरेलु ज़रूरतों के अलावा, सुज़न ने अपने लिए कुछ भी नहीं ख़रीदा l कोविड-19 महामारी ने मेरे मित्र की आय को प्रभावित किया और उसने एक साधारण जीवन शैली अपना ली l उसने बताया, “एक दिन, अपने अपार्टमेन्ट की सफाई करते समय, मैंने देखा कि मेरी चीज़ें कितनी जर्जर और फीकी दिख रही थीं l” “तभी मुझे नयी चीज़ों की कमी महसूस होने लगी—ताज़गी और उत्साह की अनुभूति l मेरा परिवेश थका हुआ और नीरस लग रहा था l मुझे ऐसा लगा जैसे आगे देखने के लिए कुछ भी नहीं है l” 

सुज़न को बाइबल की एक अविश्वसनीय पुस्तक में प्रोत्साहन मिला l यरूशलेम के बेबीलोन के कब्जे में आने के बाद यिर्मयाह द्वारा लिखित, विलापगीत नबी और लोगों द्वारा सहे गए दुःख  के खुले घाव का वर्णन करता है l हालाँकि, दुःख की निराशा के बीच, आशा के लिए निश्चित आधार है—परमेश्वर का प्रेम l यिर्मयाह ने लिखा, “उसकी दया अमर है l प्रति भोर वह नयी होती रहती है”(3:22-23) l 

सुज़न को स्मरण आया कि परमेश्वर का गहरा प्यार हर दिन नए सिरे से आता है l जब परिस्थितियाँ हमें यह महसूस कराती हैं कि अब आगे देखने के लिए कुछ नहीं है, तो हम उसकी विश्वासयोग्यता को स्मरण कर सकते हैं और आशा कर सकते हैं कि वह हमारे लिए कैसे प्रबंध/प्रदान करेगा l हम विश्वास के साथ परमेश्वर पर आशा रख सकते हैं, यह जानते हुए कि हमारी आशा कभी व्यर्थ नहीं जाती(पद.24-25) क्योंकि यह उसे दृढ़ प्रेम और करुणा में सुरक्षित है l 

सुज़न कहती है, “परमेश्वर का प्यार मेरे लिए हर दिन कुछ नया है l” “मैं आशा के साथ आगे देख सकती हूँ l”