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Articles by करेन हुआंग

आपको सुना जाता है

 
भौतिक-शास्त्र की पुस्तक में, लेखक चार्ल्स रिबोर्ग मान और जॉर्ज रैनसम ट्विस पूछते हैं: "जब एक सुनसान जंगल में एक पेड़ गिरता है, और कोई जानवर इसे सुनने के लिए पास में नहीं होता है, तो क्या वह आवाज करता है?" वर्षों से, इस प्रश्न ने ध्वनि, समझ और अस्तित्व के बारे में दार्शनिक और वैज्ञानिक चर्चाओं को प्रेरित किया है। हालाँकि, एक निश्चित उत्तर अभी तक सामने नहीं आया है। 
एक रात, जब मैं किसी समस्या के बारे में अकेला और उदास महसूस कर रहा था, जिसे मैंने किसी के साथ साझा नहीं किया था, तो मुझे यह प्रश्न याद आया। जब मदद के लिए मेरी पुकार कोई नहीं सुनता, तो मैंने सोचा, क्या परमेश्वर सुनता है? 
मृत्यु के खतरे का सामना करते हुए और संकट से उबरते हुए, भजन संहिता 116 के लेखक ने त्यागा हुआ महसूस किया होगा। इसलिए उसने परमेश्वर को पुकारा—यह जानते हुए कि वह सुन रहा है और उसकी सहायता करेगा। भजनकार ने लिखा, “उसने मेरी सुन ली,” उसने दया के लिए मेरी दोहाई सुनी। . . . [उसने] मेरी ओर कान लगाया” (पद. 1-2)। जब हमारा दर्द कोई नहीं जानता, तब परमेश्वर जानता है। जब कोई हमारी पुकार नहीं सुनता, तब परमेश्वर सुनता है।  
यह जानते हुए कि परमेश्वर हमें अपना प्रेम और सुरक्षा दिखाएगा (पद. 5-6), हम कठिन समय में आराम से रह सकते हैं (पद. 7)। जिस इब्रानी शब्द का अनुवाद "विश्राम" (मनोआख) किया गया है, वह शांति और सुरक्षा के स्थान का वर्णन करता है। हम शांति से रह सकते हैं, परमेश्वर की उपस्थिति और मदद के आश्वासन से मजबूत हो सकते हैं। 
मान और ट्विस द्वारा पूछे गए प्रश्न के कई उत्तर मिले। लेकिन इस प्रश्न का उत्तर, क्या परमेश्वर सुनता है? बस हाँ है। 

हमेशा भरोसेमंद

 
मैं एक चिंता करने वाली  हूँ।  सुबह की शुरुआत ख़राब होती है क्योंकि मैं अपने विचारों के साथ अकेली होती हूं। इसलिए मैंने अपने बाथरूम के शीशे पर हडसन टेलर (चीन जाने वाले एक ब्रिटिश मिशनरी) के इस उद्धरण को चिपका दिया, जहां मैं इसे तब देख सकती हूं जब मैं कमजोर महसूस कर रही हूं : “परमेश्वर एक जीवित परमेश्वर है। उसने बाइबल के द्वारा हमसे बात की हैं। वह जो कहता है उसका मतलब होता है। और वह अपने हर वायदे को पूरा करेगा।”  
टेलर के शब्द परमेश्वर के साथ वर्षों चलने के अनुभव से आए हैं और हमें याद दिलाते हैं कि परमेश्वर कौन है और वह हमारी बीमारी,  गरीबी,  अकेलेपन और दुःख के समय में क्या कर सकता है। वह केवल यह नहीं जानते थे कि परमेश्वर भरोसे के योग्य है—उन्होंने उसकी विश्वासयोग्यता का अनुभव किया था। और क्योंकि उन्होंने परमेश्वर के वादों पर भरोसा किया था और उसकी आज्ञा मानी थी, हजारों चीनी लोगों ने यीशु को अपना जीवन दिया।  
परमेश्वर और उसके  तौर तरीकों का अनुभव करने से दाऊद को यह जानने में मदद मिली कि वह भरोसेमंद है। उसने भजन 145 लिखा –  परमेश्वर की स्तुति का एक गीत जिसे उसने अनुभव किया कि वह अच्छा,  दयालु और अपने सभी वादों के प्रति वफादार है। जब हम परमेश्वर पर भरोसा करते हैं और उसका अनुसरण करते हैं,  तो हम महसूस करते हैं (या बेहतर समझते हैं) कि वह वही है जो वह कहता है कि वह है और वह अपने वचन के प्रति विश्वासयोग्य है (पद. 13)। और,  दाऊद की तरह,  हम उसकी स्तुति करने और दूसरों को उसके बारे में बताने के द्वारा प्रत्युत्तर देते हैं (पद. 10-12)। जब हम चिंताजनक समय का सामना करते हैं,  तो परमेश्वर हमारी सहायता कर सकता है कि हम उसके साथ चलने में न डगमगाएं,  क्योंकि वह भरोसे के योग्य है (इब्रानियों 10:23)। 

सुसमाचार के लिए

वर्ष था 1917, केवल तेईस वर्ष की उम्र में, नेल्सन ने अपने मूल स्थान वर्जिनिया में मेडिकल स्कूल से स्नातक किया था l और फिर भी वे चीन में “लव एंड मर्सी” अस्पताल के नए अधीक्षक के रूप में थे, कम से कम बीस लाख चीनी निवासियों के क्षेत्र में वह एकमात्र अस्पताल था l नेल्सन ने अपने परिवार के साथ,चौबीस वर्षों तक उस क्षेत्र में रहते हुए,अस्पताल चलाया, और हज़ारों लोगों को सुसमाचार साझा करते रहे थेl एक बार विदेशियों पर अविश्वास करने वालों द्वारा “विदेशी शैतान/foreign devil” कहे जानेवाले, नेल्सन बेल (Nelson Bell) बाद में “बेल जो चीनी लोगों का प्रेमी है” के रूप में जाने जाने लगे l कुछ समय पश्चात  उनकी बेटी रुथ का विवाह सुसमाचार प्रचारक बिली ग्राहम से हुआ थाl 

यद्यपि नेल्सन एक प्रतिभाशाली शल्यचिकित्सक/सर्जन और बाइबल शिक्षक थे, यह उनका कौशल नहीं था जो बहुतों को यीशु की ओर आकर्षित करता था; यह उनका चरित्र था और जिस तरह से उन्होंने सुसमाचार को जीया l तीतुस को लिखे पौलुस के पत्र में, युवा गैरयहूदी अगुवा से जो क्रेते में चर्च की देखभाल कर रहा था, प्रेरित ने कहा कि मसीह के समान जीवन जीना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुसमाचार को “शोभायमान” बनाता है (तीतुस 2:10) फिर भी हम इसे अपनी सामर्थ से नहीं करते हैंl परमेश्वर का अनुग्रह हमें “संयम और धर्म और भक्ति से जीवन” बिताने में सहायता करता है (पद.12) हमारे विश्वास की सच्चाइयों को प्रतिबिंबित करता हैI (पद.1) 

हमारे आस-पास के बहुत से लोग अभी भी मसीह के सुसमाचार को नहीं जानते हैं, परन्तु वे हमें जानते हैं l वे (मसीह) हमें अपने सन्देश को शोभायमान तरीके से प्रतिबिंबित करने और प्रकट करने में सहायता करे l 

परमेश्वर के घर आओ

एक शाम जब मैं अपने पड़ोस में एक निर्माण स्थल के पास जॉगिंग कर रही थी, तो एक दुबला-पतला, गंदा सा  बिल्ली का बच्चा मुझसे म्याऊं-म्याऊं करते हुए मेरे पीछे-पीछे घर आ गया। आज, मिकी एक स्वस्थ, सुंदर वयस्क बिल्ला है, हमारे घर में एक आरामदायक जीवन का आनंद ले रहा है और मेरे परिवार से बहुत प्यार करता है। जब भी मैं उस सड़क पर टहलती हूँ जहाँ मैंने उसे पाया था, मैं अक्सर सोचती हूँ, धन्यवाद, परमेश्वर मिकी को सड़कों पर रहने से बख्शा गया। उसके पास अब एक घर है।

भजन 91 उन लोगों के बारे में बात करता है जो " परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा [निवास] रहे " (पद. 1) जो परमेश्वर के साथ अपना घर बना रहे हैं। यहाँ बैठा रहने के लिए इब्रानी शब्द का अर्थ है "रहना, स्थायी रूप से रहना।" जब हम उसमें बने रहते हैं, तो वह हमें उसकी बुद्धि के अनुसार जीने और सबसे बढ़कर उससे प्रेम करने में मदद करता है (पद. 14; यूहन्ना 15:10) परमेश्वर हमें अनंत काल तक उसके साथ रहने के आराम का वादा करता है, साथ ही सांसारिक कष्टों के माध्यम से हमारे साथ रहने की सुरक्षा का वादा करता है। हालाँकि मुसीबतें आ सकती हैं, हम उसकी संप्रभुता, ज्ञान और प्रेम में, और हमें बचाने और छुटकारे के उसके वादों में आराम कर सकते हैं।

जब हम परमेश्वर को अपना शरणस्थान बनाते हैं, तो हम"सर्वशक्तिमान की छाया में" रहते हैं (भजन संहिता 91:1) उनके अनंत ज्ञान और प्रेम की अनुमति के बिना कोई भी परेशानी हमें छू नहीं सकती है। यह हमारे घर के रूप में परमेश्वर की सुरक्षा है।

कोई नुकसान नहीं

मेरे दोस्त रूएल ने एक पूर्व सहपाठी के घर में आयोजित एक हाई स्कूल पुनर्मिलन में भाग लिया। नदी–तट पर बनी यह हवेली दो सौ उपस्थित लोगों को समायोजित कर सकती थी।  इससे  रूएल को छोटा महसूस हुआ । रूएल ने मुझसे कहा, “मुझे दूर–दराज के ग्रामीण चर्चों में सेवकाई करने के कई सुखद वर्ष मिले हैं, और भले ही मुझे पता है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिएए लेकिन मैं अपने सहपाठी की धन सम्पति से ईर्ष्या किए बिना नहीं रह सका। मेरे विचार भटक गए कि अगर मैं अपनी डिग्री का उपयोग व्यवसायी बनने के लिए करता तो जीवन कितना अलग हो सकता था।  लेकिन बाद में मैंने खुद को याद दिलाया कि ईर्ष्या करने के लिए कुछ भी नहीं है”; रूएल ने एक मुस्कान के साथ कहना जारी रखा, “मैंने अपना जीवन परमेश्वर की सेवा में लगा दिया, और इसके परिणाम अनंत काल तक रहेंगे।” जब उसने ये शब्द कहे तो मैंने उसके चेहरे पर शांति का जो भाव देखा वह मुझे हमेशा याद रहेगा।

रूएल ने मत्ती 13: 44–46 में यीशु के दृष्टान्तों से शांति प्राप्त की। वह जानता था कि परमेश्वर का राज्य सबसे असली धन  है। उसके राज्य की तलाश करना और उसके लिए जीना विभिन्न रूप ले सकता है। कुछ के लिए, इसका अर्थ पूर्ण समय की सेवकाई हो सकता है, जबकि अन्य के लिए, यह एक धर्मनिरपेक्ष कार्यस्थल में सुसमाचार को दिखाना हो सकता है। इस बात की परवाह किए बिना कि परमेश्वर हमें कैसे उपयोग करना चाहता है, यीशु के दृष्टांतों में मनुष्यों की तरह उस अविनाशी धन का मूल्य जो हमें दिया गया है हम उसके नेतृत्व पर भरोसा करना और उसका पालन करना जारी रख सकते हैं। परमेश्वर का अनुसरण करने से हमें जो कुछ भी प्राप्त होता है, उसकी तुलना में इस दुनिया में हर चीज का मूल्य असीम रूप से कम है (1 पतरस 1:4–5)। हमारा जीवन जब उसके हाथों में दिया जाता है, अनन्त फल उत्पन्न कर सकता है।

प्रार्थना में लगे रहो

एक बेकरी सहायक, माईला ने, स्वयं को बचाने में बहुत असहाय महसूस किया जब उसके निरीक्षक ने उस पर कुछ किशमिश की रोटी चुराने का आरोप लगाया l निराधार दावा और सम्बंधित वेतन कटौती उसके निरीक्षक के कई गलत कार्यों में से केवल दो थे l “परमेश्वर, कृपया मदद करें, “माईला ने हर दिन प्रार्थना की l “उसके अधीन काम करना बहुत कठिन है, लेकिन मुझे इस नौकरी की ज़रूरत है l”

यीशु एक विधवा के बारे में बताता है जिसने खुद को असहाय महसूस किया और “अपने मुद्दई के खिलाफ न्याय माँगा”(लूका 18:3) l वह अपने मामले को सुलझाने के लिए किसी ऐसे व्यक्ति के पास गयी जिसके पास अधिकार था—एक न्यायधीश के पास l यह जानने के बावजूद कि न्यायधीश अन्यायी था, वह उसके पास जाती रही l 

न्यायाधीश की अंतिम प्रतिक्रिया(पद.4-5) हमारे स्वर्गिक पिता की प्रतिक्रिया से बिलकुल भिन्न है, जो प्रेम और सहायता के साथ तुरंत प्रतिक्रिया देता है(पद.7) l यदि दृढ़ता के कारण एक अन्यायी न्यायाधीश विधवा का मामला हल कर सकता है, तो परमेश्वर न्यायी न्यायाधीश है, हमारे लिए कितना कुछ कर सकता है और करेगा(पद.7-8)? हम “उसके चुने हुओं का न्याय” चुकाने के लिए(पद.7) उस पर भरोसा कर सकते हैं और प्रार्थना में लगातार बने रहना हमारे विश्वास को दिखाने का एक तरीका है l हम कायम हैं क्योंकि हमें विश्वास है कि परमेश्वर हमारी स्थिति पर पूर्ण बुद्धिमत्ता से प्रतिक्रिया देगा l 

अंततः, अन्य कर्मचारियों द्वारा उसके व्यवहार के बारे में शिकायत करने के बाद माईला के निरीक्षक ने इस्तीफा दे दिया l जब हम परमेश्वर की आज्ञाकारिता में चलते हैं, आइए प्रार्थना करते रहें, यह जानते हुए कि हमारी प्रार्थनाओं की सामर्थ्य उसमें निहित है जो सुनता है और हमारी मदद करता है l 

पिछली सीट पर बाइबल

एंड्रू की वोक्सवैगेन(Volkswagen) कार रुक गयी, और सुरक्षा गार्ड सामने आ गए l उन्होंने प्रार्थना की जैसे उन्होंने अतीत में कई बार की थी : हे परमेश्वर जब आप पृथ्वी पर थे, तो आपने अंधी आँखों को देखने लायक बना दिया l अब, कृपया देखने वाली आँखों को अँधा कर दें l गार्डों ने कार की तलाशी ली और सामान में बाइबल के बारे में कुछ नहीं कहा l एंड्रू ने सीमा पार की और सामान लेकर उन तक पहुंचे जो बाइबल प्राप्त नहीं कर सकते थे l 

एंड्रू वैन डेर बिज्ल, या ब्रदर एंड्रू(Brother Andrew), उस असंभव कार्य के लिए परमेश्वर की सामर्थ्य पर भरोसा करते थे जिसके लिए परमेश्वर ने उन्हें बुलाया था—पवित्रशास्त्र को उन देशों में ले जाना जहाँ मसीहियत गैरकानूनी था l उन्होंने अपनी सीमित शिक्षा और धन की कमी पर जोर देते हुए कहा, “मैं एक साधारण व्यक्ति हूँ l” “मैंने जो किया, कोई भी कर सकता है l” आज उनकी संस्था, ओपन डोर्स इंटरनेशनल(Open Doors International), पूरे संसार में यीशु में सताए गए विश्वासियों की सेवा करती है l 

जब यहूदा के राज्यपाल जरूब्बाबेल को यहूदियों के निर्वासन से लौटने के बाद मंदिर के पुनर्निर्माण के असंभव कार्य का सामना करना पड़ा, तो वह निराश हो गया l लेकिन परमेश्वर ने उसे याद दिलाया कि वह मानवीय शक्ति या ताकत पर नहीं, बल्कि उसकी आत्मा पर भरोसा करे(जकर्याह 4:6) l उसने उसे नबी जकर्याह को निकट के जैतून के पेड़ों से तेल से आपूर्ति किये गए दीवट के एक दर्शन के द्वारा उत्साहित किया(पद.2-3) l जिस प्रकार तेल की लगातार आपूर्ति के कारण दीपक जल सकते थे, उसी प्रकार जरूब्बाबेल और इस्राएली उसकी सामर्थ्य की निरंतर आपूर्ति पर भरोसा करके परमेश्वर का कार्य कर सकते थे l 

जब हम परमेश्वर पर निर्भर रहते हैं, आइये हम उस पर भरोसा करें और वही करें जो वह हमें करने के लिए कहता है l 

 

विश्वास से हाँ कहना

जब मुझसे पुछा गया कि क्या मैं कार्यस्थल पर एक नया उत्तरदायित्व स्वीकार करूंगी, तो मैं नहीं कहना चाहती थी l मैंने चुनौतियों के बारे में सोचा और उन्हें संभालने में अपर्याप्त महसूस किया l लेकिन जब मैंने प्रार्थना की ओर बाइबल और अन्य विश्वासियों से मार्गदर्शन माँगा, तो मुझे एहसास हुआ कि परमेश्वर मुझे हाँ कहने के लिए बुला रहा था l पवित्रशास्त्र के द्वारा, मुझे भी उसकी सहायता का आश्वासन मिला l इसलिए, मैंने कार्य स्वीकार कर लिया, लेकिन फिर भी कुछ डर के साथ l 

मैं स्वयं को इस्राएलियों और उन दस जासूसों में देखती हूँ जो कनान पर कब्ज़ा करने से पीछे हट गए थे(गिनती 13:27-29, 31-33; 14:1-4) l उन्होंने भी कठिनाइयों को देखा, और सोच रहे थे कि वे देश के शक्तिशाली लोगों को कैसे हरा सकते हैं और उनके गढ़वाले शहरों को अपने अधीन कर सकते हैं l जासूसों ने कहा(13:33), “हम . . . उनके सामने टिड्डे के समान दिखायी पड़ते थे,” और इस्राएलियों ने कुड़कुड़ाया, “यहोवा हम को उस देश में ले जाकर क्यों तलवार से मरवाना चाहता है?”(14:3) l 

कालिब और यहोशू को याद था कि परमेश्वर ने पहले ही प्रतिज्ञा की थी कि वह कनान को अपने लोगों को देगा(उत्पत्ति 17:8; गिनती 13:2) l उन्होंने परमेश्वर की उपस्थिति और प्रकाश में आगे आने वाली कठिनाइयों को देखकर, उसकी प्रतिज्ञा पर भरोसा जताया l वे उसकी सामर्थ्य, सुरक्षा और संसाधनों से कठिनाइयों का सामना करने वाले थे, न कि अपनी शक्ति से(गिनती 14:6-9) l 

परमेश्वर ने मुझे जो काम दिया वह आसान नहीं था—लेकिन उसने इसमें मेरी सहायता की l हालाँकि हम हमेशा उसके कार्यों में कठिनाइयों से नहीं बचेंगे, हम—कालिब और यहोशू की तरह—यह जानते हुए उनका सामना कर सकते हैं, “यहोवा हमारे संग है”(पद.9) l 

यीशु में एक साथ

व्हिटियर, अलास्का के तीन सौ निवासियों में से अधिकांश एक बड़े अपार्टमेंट परिसर में रहते हैं, और इसीलिए व्हिटियर को "एक छत के नीचे का शहर" कहा जाता है। एमी, एक पूर्व निवासी, कहती है, "मुझे बिल्डिंग के बाहर कदम रखने की ज़रूरत नहीं पड़ती थी - किराने की दुकान, नोटरी पब्लिक, स्कूल और डाकघर हमारी निचली मंजिल पर ही थे, बस एक लिफ्ट से पहुँच जाओ!"  एमी बताती हैं, "क्योंकि वहां जीवन बहुत आरामदायक था, मैं अक्सर अपने तक ही सीमित रहना चाहती थी, यह सोचकर कि मुझे किसी की ज़रूरत नहीं है।" ““लेकिन निवासी बहुत मिलनसार और स्नेही हैं। वे एक दूसरे की खबर रखते हैं।  मैंने सीखा कि उन्हें मेरी ज़रूरत है, और मुझे उनकी ज़रूरत है।'' ।''

एमी की तरह, हम कभी-कभी अपने तक ही सीमित रहना चाहते हैं और समुदाय से बचना चाहते हैं। भले ही समुदाय कम तनावपूर्ण लगता हो! लेकिन पवित्रशास्त्र कहता है कि यीशु में विश्वास करने वाले को अन्य विश्वासियों के साथ संगति और एकांत के समय के बीच स्वस्थ संतुलन रखना चाहिए। प्रेरित पौलुस विश्वासियों के देह  की तुलना मानव शरीर से करता है। जिस प्रकार शरीर के प्रत्येक अंग का एक अलग कार्य होता है, उसी प्रकार प्रत्येक विश्वासी की भी एक अलग भूमिका होती है (रोमियों 12:4)। जिस प्रकार शरीर का कोई अंग अकेले अस्तित्व में नहीं रह सकता, उसी प्रकार एक विश्वासी भी विश्वास का जीवन अलगाव में नहीं जी सकता (पद 5)। यह समुदाय के बीच में है कि हम अपने वरदानों का उपयोग करते हैं (पद 6-8; 1 पतरस 4:10) और यीशु की समानता में बढ़ते हैं (रोमियों 12:9-21)।

हमें एक दूसरे की जरूरत है; हमारी एकजुटता मसीह में है (पद 5)। उसकी सहायता से, जब हम "एक-दूसरे का ख्याल रखते हैं", इसके द्वारा हम उसके साथ एक गहरा रिश्ता विकसित कर सकते हैं और दूसरों को उसका प्रेम दिखा सकते हैं।