एक अच्छी बिरयानी
वर्षा की फूड स्टॉल पर सबसे ज्यादा बिकने वाली डिश उसकी बिरयानी थी। वह प्याज को बहुत सावधानी से भूनती थी जब तक कि उसका रंग सुनहरा भूरा न हो जाए। इसलिए, वह चौंक गई जब एक नियमित ग्राहक ने कहा, “आपकी बिरयानी का स्वाद अलग लग रहा है, स्वाद में कुछ कमी लग रही है।" वर्षा की नई सहयोगी ने इस बार इसे तैयार किया था और बताया कि यह अलग क्यों थी: “मैंने प्याज उतनी देर तक नहीं भुनी जितनी देर रेसिपी में कहा गया था क्योंकि मैं इसे घर पर इसी तरह करती हूँ। मैंने मिर्ची पाउडर भी थोड़ा ज्यादा डाला था। मेरी राय में, इस तरह इसका स्वाद बेहतर लगता है।" उसने तय किया कि बताई गयी रेसिपी को नजरअंदाज करके वह इसे अपने तरीके से बनाएगी।
इसी तरह मैं भी कभी-कभी परमेश्वर के निर्देशों के साथ करती हूँ। पवित्रशास्त्र में दी गई उनकी आज्ञाओं का पूरी तरह से पालन करने के बजाय, मैं उन्हें अपनी राय के अधीन करती हूँ और अपने रास्ते पर आगे बढ़ती हूँ।
सीरियाई सेना का सेनापति नामान भी ऐसी ही गलती करने की कगार पर था।उसका कुष्ठ रोग ठीक हो जाए, इसके लिए एलीशा नबी के द्वारा यरदन में खुद को धोने के लिए परमेश्वर का निर्देश पाने पर, अभिमानी सेनापति क्रोधित हो गया। उसकी अपनी अपेक्षाएँ थीं कि उसकी आवश्यकता को कैसे संबोधित किया जाना चाहिए, यह मानते हुए कि उसकी राय परमेश्वर की आज्ञा से बेहतर थी (2 राजा 5:11-12)। हालाँकि, उसके सेवकों ने उसे एलीशा की बात सुनने के लिए मना लिया (पद 13)। परिणामस्वरूप, नामान चंगा हो गया।
जब हम परमेश्वर के तरीके से काम करते हैं, तो हमें एक ऐसी शांति का अनुभव होता है जो अवर्णनीय है। आइए उसके उद्देश्यों को पूरा करने में उसके साथ काम करें।
दूसरों पर हमारा प्रभाव
जब मेरे सेमिनरी प्रोफेसर डॉ.ली ने देखा कि हमारे स्कूल के संरक्षक(custodian) बेंजी को हमारे दोपहर के भोजन समारोह में शामिल होने में देर हो जाएगी, तो उन्होंने चुपचाप उनके लिए भोजन की एक प्लेट अलग रख दी l जब मैं और मेरे सहपाठी बात कर रहे थे, डॉ. ली ने चुपचाप चावल के केक का आखिरी टुकड़ा भी उनके लिए एक डिश पर रख दिया—स्वादिष्ट टॉपिंग के रूप में कुछ कसा हुआ नारियल भी डाल दिया l एक प्रख्यात धर्मशास्त्री का यह दयालु कार्य अनेक कार्यों में से एक था—और इसे मैं डॉ. ली की ईश्वर के प्रति निष्ठां का अधिकता मानता हूँ l बीस वार्षों के बाद भी उन्होंने मुझ पर जो गहरी छाप छोड़ी वह आज भी कायम है l
प्रेरित यूहन्ना का एक प्रिय मित्र था जिसने कई विश्वासियों पर गहरी छाप छोड़ी l उन्होंने गयुस के बारे में बात की जो परमेश्वर और धर्मग्रंथों(Scriptures) के प्रति विश्वासयोग्य था और लगातार “सत्य” पर चलता था (3 यूहन्ना 1:3) l गयुस ने यात्रा करने वाले सुसमाचार के प्रचारकों का अतिथि सत्कार किया, भले ही वे अजनबी थे(पद.5) l परिणामस्वरूप, यूहन्ना ने उससे कहा, “उन्होंने कलीसिया के सामने तेरे प्रेम की गवाही दी है” (पद.6) l गयुस की परमेश्वर और यीशु में अन्य विश्वासियों के प्रति निष्ठा ने सुसमाचार को आगे बढाने में मदद की l
मेरे शिक्षक का मुझ पर जो प्रभाव पड़ा और गयुस ने अपने समय में जो प्रभाव डाला, वे शक्तिशाली अनुस्मारक/ताकीद हैं जो हम दूसरों पर छोड़ सकते हैं—जिसका उपयोग परमेश्वर उन्हें मसीह की ओर आकर्षित करने में कर सकता है l जैसे हम परमेश्वर के साथ ईमानदारी से चलते हैं, आये इस तरह से जीएं और कार्य करें जिससे अन्य विश्वासियों को भी उसके साथ विश्वासयोग्यता से चलने में मदद मिल सके l
हमारा सच्चा शरणस्थान यहोवा हैं
अपनी पत्नी की मृत्यु के बाद, फ्रेड को लगा कि जब तक वह अपने दोस्तों के साथ सोमवार का नाश्ता करेगा तब तक वह दर्द सहन कर सकता है। उनके साथी सेवानिवृत्त लोगों ने उनका उत्साह बढ़ाया। जब भी उदासी आती, फ्रेड अगली बार फिर से उनकी संगति का आनंद लेने के बारे में सोचता। कोने की उनकी मेज सुरक्षित जगह थी जहां उसका दुख कम होता था ।
हालाँकि, समय के साथ, यह मिलना जुलना समाप्त हो गया। कुछ मित्र बीमार हो गये; अन्य का निधन हो गया । खालीपन ने फ्रेड को परमेश्वर में सांत्वना खोजने के लिए प्रेरित किया, जिससे वह अपनी युवावस्था में मिला था। वह कहते हैं, ''अब मैंने अकेले ही नाश्ता किया है, लेकिन मुझे इस सच्चाई को बनाए रखना याद है कि यीशु मेरे साथ हैं। और जब मैं भोजनालय छोड़ता हूं, तो मैं अपने बाकी दिनों का सामना अकेले नहीं करता। भजनकार की तरह, फ्रेड ने परमेश्वर की उपस्थिति की सुरक्षा और आराम की खोज की: “वह मेरा शरणस्थान है। मैं उस पर भरोसा रखूंगा।"” (भजन 91:2)। फ्रेड ने सुरक्षा को छिपने के लिए एक भौतिक स्थान के रूप में नहीं, बल्कि परमेश्वर की दृढ़ उपस्थिति के रूप में जाना, जिस पर हम भरोसा कर सकते हैं और आराम कर सकते हैं (पद . 1)। फ्रेड और भजनकार दोनों ने पाया कि उन्हें अकेले कठिन दिनों का सामना नहीं करना पड़ा। हम भी परमेश्वर की सुरक्षा और सहायता के प्रति आश्वस्त हो सकते हैं। जब हम उस पर भरोसा करते हैं, तो वह जवाब देने और हमारे साथ रहने का वादा करता है (पद. 14-16)।
क्या हमारे पास कोई सुरक्षित जगह है, एक "कोने की मेज" जिस पर हम तब जाते हैं जब जीवन कठिन होता है? यह टिकेगा नहीं लेकिन परमेश्वर टिकेगा । वह हमारे सच्चे शरणस्थान, वह इंतज़ार करता है कि हम उसके पास जाएँ ।
तुझे इससे क्या?
“जब उसके पास अंगूर है तो मुझे स्ट्रॉबेरी लॉलीपॉप क्यों मिलना चाहिए?” मेरी छह वर्षीय भतीजी ने पुछा l मेरी भांजियों और भांजे ने मुझे शुरू से ही सिखाया था कि बच्चे अक्सर जो उन्हें दिया जाता है उसकी तुलना दूसरों को जो मिलता है उससे करते हैं l इसका मतलब यह है कि दयालु मौसी के रूप में, मेरे लिए अच्छा निर्णय लेना होगा!
मैं भी कभी-कभी उन चीज़ों की तुलना करती हूँ जो ईश्वर ने मुझे दी हैं और जो उसने दूसरों को दी हैं l “मेरे पास यह क्यों है, और उसके पास वह है?” मैं परमेश्वर से पूछती हूँ l मेरा प्रश्न मुझे याद दिलाता है कि शमौन पतरस ने गलील के झील के पास यीशु से क्या पूछा था l यीशु ने अभी-अभी पतरस को उसके पिछले इनकार के लिए पुनर्स्थापना और क्षमा दी थी और अब वह उससे कह रहा था कि वह शहीद की मृत्यु मरकर परमेश्वर की महिमा करेगा (यूहन्ना 21:15-19) l हालाँकि, अपने पीछे चलने के यीशु के निमंत्रण का हाँ में उत्तर देने के बजाय, पतरस ने पुछा, “हे प्रभु, इसका [यूहन्ना का] क्या?”(पद.21) l
यीशु ने उत्तर दिया, “तुझे इससे क्या?” और कहा, “तू मेरे पीछे हो ले”(पद.22) l मेरा मानना है कि यीशु भी हमसे यही कहेगा l जब वह पहले से ही हमें हमारे जीवन के किसी क्षेत्र में दिशा दे चुका है, तो वह हमारा विश्वास चाहता है l हमें अपने मार्ग की तुलना दूसरों के मार्ग से नहीं करनी चाहिए, बल्कि हमें बस उसका अनुसरण करना है l
तीस से अधिक वर्षों तक, प्रेरित पतरस ने आरंभिक चर्च के एक साहसी अगुआ के रूप में परमेश्वर का अनुसरण किया l ऐतिहासिक अभिलेखों से यह भी पता चलता है कि उसने दुष्ट सम्राट नीरो के अधीन निडर होकर मृत्यु को गले लगा लिया l हम भी परमेश्वर का अनुसरण करने, उसके प्रेम और दिशा-निर्देश पर भरोसा करने में दृढ़ और निर्विवाद रहें l
नया और निश्चित
तीन वर्ष तक, घरेलु ज़रूरतों के अलावा, सुज़न ने अपने लिए कुछ भी नहीं ख़रीदा l कोविड-19 महामारी ने मेरे मित्र की आय को प्रभावित किया और उसने एक साधारण जीवन शैली अपना ली l उसने बताया, “एक दिन, अपने अपार्टमेन्ट की सफाई करते समय, मैंने देखा कि मेरी चीज़ें कितनी जर्जर और फीकी दिख रही थीं l” “तभी मुझे नयी चीज़ों की कमी महसूस होने लगी—ताज़गी और उत्साह की अनुभूति l मेरा परिवेश थका हुआ और नीरस लग रहा था l मुझे ऐसा लगा जैसे आगे देखने के लिए कुछ भी नहीं है l”
सुज़न को बाइबल की एक अविश्वसनीय पुस्तक में प्रोत्साहन मिला l यरूशलेम के बेबीलोन के कब्जे में आने के बाद यिर्मयाह द्वारा लिखित, विलापगीत नबी और लोगों द्वारा सहे गए दुःख के खुले घाव का वर्णन करता है l हालाँकि, दुःख की निराशा के बीच, आशा के लिए निश्चित आधार है—परमेश्वर का प्रेम l यिर्मयाह ने लिखा, “उसकी दया अमर है l प्रति भोर वह नयी होती रहती है”(3:22-23) l
सुज़न को स्मरण आया कि परमेश्वर का गहरा प्यार हर दिन नए सिरे से आता है l जब परिस्थितियाँ हमें यह महसूस कराती हैं कि अब आगे देखने के लिए कुछ नहीं है, तो हम उसकी विश्वासयोग्यता को स्मरण कर सकते हैं और आशा कर सकते हैं कि वह हमारे लिए कैसे प्रबंध/प्रदान करेगा l हम विश्वास के साथ परमेश्वर पर आशा रख सकते हैं, यह जानते हुए कि हमारी आशा कभी व्यर्थ नहीं जाती(पद.24-25) क्योंकि यह उसे दृढ़ प्रेम और करुणा में सुरक्षित है l
सुज़न कहती है, “परमेश्वर का प्यार मेरे लिए हर दिन कुछ नया है l” “मैं आशा के साथ आगे देख सकती हूँ l”
पिज़्ज़ा के माध्यम से दया
मेरे चर्च के अगुवे हेरोल्ड और उनकी पत्नी, पाम के रात्रि भोज के निमंत्रण ने मेरे दिल को प्रसन्न किया, लेकिन साथ ही मुझे घबराहट भी हुई। मैं एक कॉलेज बाइबल अध्ययन समूह में शामिल हो गई थी जो ऐसे विचार सिखाता था जो बाइबल की कुछ शिक्षाओं के विपरीत थे। क्या वे मुझे इस बारे में व्याख्यान देंगे?
पिज़्ज़ा खाने के दौरान, उन्होंने अपने परिवार के बारे में बताया और मेरे परिवार के बारे में पूछा। जब मैं घर के कामों, अपने कुत्ते और उस लड़के के बारे में बात कर रही थी जिस पर मुझे क्रश था, तो वे मेरी बात सुनते रहे। बाद में ही उन्होंने धीरे से मुझे उस समूह के बारे में सावधान किया जिसमें मैं जा रही थी और बताया कि उसकी शिक्षाओं में क्या गलत है।
उनकी चेतावनी मुझे बाइबल अध्ययन में प्रस्तुत झूठ से दूर और पवित्रशास्त्र की सच्चाइयों के करीब ले गई। अपने पत्र में, यहूदा ने झूठे शिक्षकों के बारे में कड़ी भाषा का उपयोग किया है, विश्वासियों से "विश्वास के लिए संघर्ष करने" का आग्रह किया है (यहूदा 1:3)। उसने उन्हें स्मरण दिलाया कि अन्तिम समय में ठट्ठा करनेवाले होंगे। . . ये वे है जो फूट डालते है . . . और उनमें आत्मा नहीं है” (पद 18-19)। हालाँकि, यहूदा विश्वासियों से "संदेह करने वालों के प्रति दयालु होने" (पद 22) का भी आह्वान करता है, उनके साथ आकर, सच्चाई से समझौता किए बिना दया दिखाएँ।
हेरोल्ड और पाम को पता था कि मैं अपने विश्वास पर दृढ़ नहीं हूं, लेकिन मुझे आंकने के बजाय, उन्होंने पहले अपनी दोस्ती और फिर अपनी बुद्धिमत्ता प्रदान की। परमेश्वर हमें भी ऐसा ही प्रेम और धैर्य दे, ज्ञान और करुणा का उपयोग करते हुए हम उन लोगों के साथ बातचीत करें जो संदेह में है।
परमेश्वर द्वारा बुलाए और सुसज्जित किए गए
मेरे बॉस ने मुझसे कहा, "अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक प्रदर्शनी के लिए तुम्हारा काम एक ऑनसाइट रेडियो प्रसारण की व्यवस्था करना है।" मुझे डर लग रहा था क्योंकि यह मेरे लिए नया क्षेत्र था। मैंने प्रार्थना की, परमेश्वर, मैंने कभी ऐसा कुछ नहीं किया। कृपया मेरी सहायता करें।
परमेश्वर ने मेरा मार्गदर्शन करने के लिए संसाधन और लोग उपलब्ध कराए: अनुभवी तकनीशियन और प्रसारक, साथ ही एक्सपो के दौरान उन विवरणों के अनुस्मारक जिन्हें मैंने अनदेखा कर दिया था। पीछे मुड़कर देखने पर, मुझे पता है कि प्रसारण अच्छा हुआ क्योंकि परमेश्वर जानते थे कि क्या आवश्यक है और उन्होंने मुझे उन प्रवीणताओं का उपयोग करने के लिए प्रेरित किया जो उन्होंने मुझे पहले ही दे दिए थे।
जब परमेश्वर हमें किसी कार्य के लिए बुलाते हैं, तो वह हमें इसके लिए तैयार भी करते हैं। जब उसने बसलेल को तम्बू पर काम करने के लिए नियुक्त किया, तो बसलेल पहले से ही एक कुशल कारीगर था। परमेश्वर ने उसे अपनी आत्मा, बुद्धि, प्रवीणता और ज्ञान से और भी सुसज्जित किया (निर्गमन 31:3)। परमेश्वर ने उसे ओहोलीआब में एक सहायक के साथ-साथ एक कुशल कार्यबल भी दिया (पद 6)। उनकी सक्षमता से, टीम ने तम्बू को, उसके सामान को और याजकों के कपड़ों को रूपांकित किया और बनाया। ये इस्राएलियों की परमेश्वर की उचित आराधना में सहायक थे (पद 7-11)।
बसलेल का अर्थ है "परमेश्वर की छाया [सुरक्षा] में।" शिल्पकार ने परमेश्वर की सुरक्षा, शक्ति और प्रावधान के तहत जीवन भर की परियोजना पर काम किया। जब हम किसी कार्य को पूरा करते हैं तो आइए साहसपूर्वक उसके निर्देशों का पालन करें। वह जानता है कि हमारी आवश्यकता क्या है और उसे कब और कैसे पूरी करनी है।
परमेश्वर हमारी आवश्यकताओं को जानता है
मनीला में एक जीपनी (फिलीपींस में सार्वजनिक परिवहन का एक रूप) चालक लैंडो ने सड़क किनारे एक दुकान पर कॉफी पी। कोविड-19 लॉकडाउन के बाद दैनिक यात्री फिर से वापस आ गए थे। और आज खेल आयोजन का मतलब है अधिक यात्री, उसने सोचा। मुझे खोई हुई आय वापस मिल जाएगी। अंततः, मैं चिंता करना बंद कर सकता हूँ।
वह गाड़ी चलाना शुरू करने ही वाला था कि उसने रॉनी को पास की एक बेंच पर देखा। सड़क पर सफ़ाई करने वाला व्यक्ति परेशान लग रहा था, जैसे उसे बात करने की ज़रूरत हो। लेकिन हर मिनट मायने रखता था, लैंडो ने सोचा। जितने अधिक यात्री, उतनी अधिक आय। मैं देर नहीं कर सकता, लेकिन उसने महसूस किया कि परमेश्वर चाहता था कि वह रॉनी के पास आये, इसलिए उसने ऐसा किया।
यीशु ने समझा कि चिंता न करना कितना कठिन है (मत्ती 6:25-27), इसलिए उन्होंने हमें आश्वासन दिया कि हमारा स्वर्गीय पिता ठीक-ठीक जानता है कि हमें क्या चाहिए (पद 32)। हमें याद दिलाया गया है कि चिंतित न हों, बल्कि उस पर भरोसा करें और जो वह हमसे करवाना चाहता है उसे करने के लिए खुद को समर्पित करें (पद 31-33)। जैसे ही हम उसके उद्देश्यों को अपनाते हैं और उनका पालन करते हैं, हम विश्वास कर सकते हैं कि हमारा पिता जो "मैदान की घास को, जो आज यहाँ है और कल आग में झोंकी जाएगी, पहिनाता है" अपनी इच्छा के अनुसार हमारा भरण-पोषण करेगा—जैसे वह सारी सृष्टि को प्रदान करता है (पद 30)।
रॉनी के साथ लैंडो की बातचीत के कारण, सड़क के सफाई कर्मचारी ने अंततः मसीह में विश्वास करने के लिए प्रार्थना की। "और परमेश्वर ने उस दिन भी पर्याप्त यात्री उपलब्ध कराए," लैंडो ने साझा किया। "उसने मुझे याद दिलाया कि मेरी ज़रूरतें उसकी चिंता थीं, मेरी ज़रूरतें बस उसका अनुसरण करना था।"
मसीह के लिए हृदय
मैंने खुद से कहा, जब तक मैं अपना मुंह बंद रखूंगी, मैं कुछ भी गलत नहीं करूंगी। एक सहकर्मी द्वारा कही गई बातों की गलत व्याख्या करने के बाद मैं बाहरी तौर पर उसके प्रति अपना गुस्सा दबा रहा थी । चूँकि हमें हर दिन एक-दूसरे से मिलना होता था, इसलिए मैंने अपनी बातचीत को केवल उसी तक सीमित रखने का निर्णय लिया जो आवश्यक था (और अपने मौन व्यवहार से प्रतिशोध लेता थी)। शांत आचरण गलत कैसे हो सकता है?
यीशु ने कहा कि पाप हृदय से शुरू होता है (मत्ती 15:18−20)। मेरी चुप्पी ने लोगों को मूर्ख बनाया होगा कि सब कुछ ठीक है, परन्तु परमेश्वर मूर्ख नहीं बने। वह जानते थे । कि मैं क्रोध से भरा हृदय छिपा रही हूँ। मैं उन फरीसियों के समान थी जो होठों से तो परमेश्वर का आदर करते थे, परन्तु उनके हृदय परमेश्वर से दूर थे (पद 8)। भले ही मेरा बाहरी रूप मेरी सच्ची भावनाओं को नहीं दर्शाता था, लेकिन मेरे अंदर कड़वाहट पनप रही थी। अपने स्वर्गीय पिता के साथ जो आनंद और निकटता मुझे हमेशा महसूस होती थी, वह ख़त्म हो गई। पाप को पालना और छुपाना यही यह सब उत्पन्न करता है।
परमेश्वर की कृपा से, मैंने अपने सहकर्मी को बताया कि मैं कैसा महसूस कर रही हूं और माफी मांगी। उसने बड़ी दयालुता से मुझे माफ कर दिया और अंततः हम अच्छे मित्र बन गये। यीशु कहते हैं, "बुरे विचार मन से निकलते हैं" (पद 19)। हमारे हृदय की स्थिति मायने रखती है क्योंकि वहाँ रहने वाली बुराई हमारे जीवन में प्रवेश कर सकती है। हमारा बाहरी और आंतरिक दोनों ही मायने रखता है।