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Articles by करेन हुआंग

परमेश्वर के घर आओ

एक शाम जब मैं अपने पड़ोस में एक निर्माण स्थल के पास जॉगिंग कर रही थी, तो एक दुबला-पतला, गंदा सा  बिल्ली का बच्चा मुझसे म्याऊं-म्याऊं करते हुए मेरे पीछे-पीछे घर आ गया। आज, मिकी एक स्वस्थ, सुंदर वयस्क बिल्ला है, हमारे घर में एक आरामदायक जीवन का आनंद ले रहा है और मेरे परिवार से बहुत प्यार करता है। जब भी मैं उस सड़क पर टहलती हूँ जहाँ मैंने उसे पाया था, मैं अक्सर सोचती हूँ, धन्यवाद, परमेश्वर मिकी को सड़कों पर रहने से बख्शा गया। उसके पास अब एक घर है।

भजन 91 उन लोगों के बारे में बात करता है जो " परमप्रधान के छाए हुए स्थान में बैठा [निवास] रहे " (पद. 1) जो परमेश्वर के साथ अपना घर बना रहे हैं। यहाँ बैठा रहने के लिए इब्रानी शब्द का अर्थ है "रहना, स्थायी रूप से रहना।" जब हम उसमें बने रहते हैं, तो वह हमें उसकी बुद्धि के अनुसार जीने और सबसे बढ़कर उससे प्रेम करने में मदद करता है (पद. 14; यूहन्ना 15:10) परमेश्वर हमें अनंत काल तक उसके साथ रहने के आराम का वादा करता है, साथ ही सांसारिक कष्टों के माध्यम से हमारे साथ रहने की सुरक्षा का वादा करता है। हालाँकि मुसीबतें आ सकती हैं, हम उसकी संप्रभुता, ज्ञान और प्रेम में, और हमें बचाने और छुटकारे के उसके वादों में आराम कर सकते हैं।

जब हम परमेश्वर को अपना शरणस्थान बनाते हैं, तो हम"सर्वशक्तिमान की छाया में" रहते हैं (भजन संहिता 91:1) उनके अनंत ज्ञान और प्रेम की अनुमति के बिना कोई भी परेशानी हमें छू नहीं सकती है। यह हमारे घर के रूप में परमेश्वर की सुरक्षा है।

कोई नुकसान नहीं

मेरे दोस्त रूएल ने एक पूर्व सहपाठी के घर में आयोजित एक हाई स्कूल पुनर्मिलन में भाग लिया। नदी–तट पर बनी यह हवेली दो सौ उपस्थित लोगों को समायोजित कर सकती थी।  इससे  रूएल को छोटा महसूस हुआ । रूएल ने मुझसे कहा, “मुझे दूर–दराज के ग्रामीण चर्चों में सेवकाई करने के कई सुखद वर्ष मिले हैं, और भले ही मुझे पता है कि मुझे ऐसा नहीं करना चाहिएए लेकिन मैं अपने सहपाठी की धन सम्पति से ईर्ष्या किए बिना नहीं रह सका। मेरे विचार भटक गए कि अगर मैं अपनी डिग्री का उपयोग व्यवसायी बनने के लिए करता तो जीवन कितना अलग हो सकता था।  लेकिन बाद में मैंने खुद को याद दिलाया कि ईर्ष्या करने के लिए कुछ भी नहीं है”; रूएल ने एक मुस्कान के साथ कहना जारी रखा, “मैंने अपना जीवन परमेश्वर की सेवा में लगा दिया, और इसके परिणाम अनंत काल तक रहेंगे।” जब उसने ये शब्द कहे तो मैंने उसके चेहरे पर शांति का जो भाव देखा वह मुझे हमेशा याद रहेगा।

रूएल ने मत्ती 13: 44–46 में यीशु के दृष्टान्तों से शांति प्राप्त की। वह जानता था कि परमेश्वर का राज्य सबसे असली धन  है। उसके राज्य की तलाश करना और उसके लिए जीना विभिन्न रूप ले सकता है। कुछ के लिए, इसका अर्थ पूर्ण समय की सेवकाई हो सकता है, जबकि अन्य के लिए, यह एक धर्मनिरपेक्ष कार्यस्थल में सुसमाचार को दिखाना हो सकता है। इस बात की परवाह किए बिना कि परमेश्वर हमें कैसे उपयोग करना चाहता है, यीशु के दृष्टांतों में मनुष्यों की तरह उस अविनाशी धन का मूल्य जो हमें दिया गया है हम उसके नेतृत्व पर भरोसा करना और उसका पालन करना जारी रख सकते हैं। परमेश्वर का अनुसरण करने से हमें जो कुछ भी प्राप्त होता है, उसकी तुलना में इस दुनिया में हर चीज का मूल्य असीम रूप से कम है (1 पतरस 1:4–5)। हमारा जीवन जब उसके हाथों में दिया जाता है, अनन्त फल उत्पन्न कर सकता है।

जब आप भयभीत हो

मेरी एक चिकित्सा जांच होनी थी, और यद्दपि हाल ही में मुझे कोई स्वास्थ्य सम्बन्धी समस्या नहीं थी, फिर भी मैं इस जांच को लेकर भयभीत थी। मैं बहुत पहले एक अप्रत्याशित रोगनिदान की यादों से परेशान थी। जबकि मुझे पता था कि परमेश्वर मेरे साथ है और मुझे बस उन पर भरोसा करना चाहिए, मुझे फिर भी डर लग रहा था।

मैं अपने विश्वास की कमी और भय के कारण निराश थी। यदि परमेश्वर हमेशा मेरे साथ है, तो मुझे ऐसी घबराहट महसूस क्यों हो रही थी? फिर एक सुबह मुझे विश्वास है कि उन्होंने मुझे गिदोन की कहानी की ओर लेकर गए। “शूरवीर सूरमा”(6:12) कहलाये जाने वाला, गिदोन मिद्यानियों पर आक्रमण करने की अपनी नियुक्‍ति से भयभीत था। जबकि परमेश्वर ने उसे अपनी उपस्थिति और विजय का वादा किया था, फिर भी गिदोन ने कई आश्वासनों को ढ़ूंढा (v. 16−23, 36−40)।

हालाँकि, परमेश्वर ने गिदोन को उसके भय के लिए दोषी नहीं ठहराया। आक्रमण की रात, उन्होंने गिदोन को फिर से जीत का आश्वासन दिया, और उसे अपने भय को शांत करने का एक रास्ता भी दिया (7:10-11)। 

परमेश्वर ने मेरे डर को भी समझा। उनके आश्वासन ने मुझे उन पर भरोसा करने की हिम्मत दी। मैंने उनकी शांति को अनुभव किया, ये जानते हुए कि परिणाम चाहे कुछ भी हो वह मेरे साथ है। अंत में, मेरी जाँच सामान्य निकली।

हमारे पास एक परमेश्वर है जो हमारे हर एक डर को समझता और पवित्रशास्त्र और पवित्र आत्मा के द्वारा हमें आश्वस्त करता है। (भजन 23:4; यूहन्ना 14:16−17)। हम कृतज्ञता से उनकी आराधना करें, जैसे गिदोन ने की थी (न्यायियों 7:15)।

परमेश्वर हमारा दुःख हर लेता है

ऑलिव ने अपने मित्र को अपनी कार में दन्त चिकित्सा उपकरण लादते देखा l एक साथी दन्त चिकित्सक ने उससे बिलकुल नई आपूर्ति (सप्लाइज/supplies) खरीदी थी l ऑलिव का एक दन्त चिकित्सक के रूप में अपना खुद का चिकित्सा व्यवसाय करना (प्रैक्टिस) वर्षों से उसका सपना रहा था, लेकिन जब उसका बेटा काइल दिमागी पक्षाघात (सेरिब्रल पैल्सी/cerebral palsy) के साथ जन्म लिया, तो उसने महसूस किया कि उसे उसकी देखभाल के लिए उसे अपना काम बंद करना होगा l 

“यदि मेरे पास लाखों जीवनकाल होते, तो भी मैं वही चुनाव करती,” मेरी सहेली ने मुझसे कहा l “लेकिन दन्त चिकित्सा छोड़ना कठिन था l यह एक सपने की मृत्यु थी l”

हम अक्सर ऐसी कठिनाइयों से गुज़रते हैं जो हमारी समझ से परे होती है l ऑलिव को, उसके बच्चे की अनापेक्षित चिकित्सीय स्थिति और उसकी अपनी आकांक्षाओं को त्यागने का दुःख था l नाओमी को, उसके सम्पूर्ण परिवार से बिछड़ने की पीड़ा थी l रूत 1:21 में वह विलाप करती है, “सर्वशक्तिमान् ने मुझे दुःख दिया है l”

 

लेकिन नाओमी जो देख सकती थी उसकी कहानी में उससे अधिक था l परमेश्वर ने उसे त्यागा नहीं, उसने उसे  एक पोता, ओबेद प्रदान करके उसे पुनर्स्थापन दिया (रूत 4:17) l ओबेद केवल नाओमी के पति और पुत्र का नाम ही आगे बढ़ाने वाला नहीं था, लेकिन उसके द्वारा, वह अपने पूर्वज(बोअज) के माध्यम से स्वयं यीशु की एक सम्बन्धी बनने वाली थी (मत्ती 1:5, 16) l 

परमेश्वर ने नाओमी का दुःख हर लिया l उसने ऑलिव को तंत्रिका सम्बन्धी (न्यूरोलॉजिकल) स्थितियों वाले बच्चों के लिए एक सेवा आरम्भ करने में सहायता करके उसकी पीड़ा को भी हर लिया l हम पीड़ादायक समय का अनुभव कर सकते हैं, लेकिन परमेश्वर की आज्ञा मानते और उसका अनुसरण करते हुए, हम भरोसा कर सकते हैं कि वह हमारी पीड़ा दूर करेगा l अपने प्रेम और बुद्धिमत्ता में, वह इससे अच्छाई उत्पन्न कर सकता है l

सुसमाचार की खातिर

वर्ष 1916  था और नेल्सन ने अमेरिका में मेडिकल स्कूल से स्नातक की उपाधि प्राप्त की थी उस वर्ष बाद में, वह और उनकी छह महीने की दुल्हन चीन पहुंचे। बाईस साल की उम्र में वह एक चीनी अस्पताल में सर्जन बन गए, जो कम से कम दो मिलियन चीनी निवासियों के क्षेत्र में एकमात्र अस्पताल था। नेल्सन, अपने परिवार के साथ, चौबीस वर्षों तक इस क्षेत्र में रहे, अस्पताल चलाते रहे, सर्जरी करते रहे, और हजारों लोगों के साथ सुसमाचार साझा करते रहे। एक समय पर विदेशियों पर अविश्वास करने वालों द्वारा "विदेशी शैतान" कहे जाने के बाद, नेल्सन बेल को बाद में "बेल जो चीनी लोगों का प्रेमी है" के रूप में जाना गया। आगे जाकर उनकी बेटी रूथ की शादी सुसमाचार प्रचारक बिली ग्रैहम से हुई।

हालांकि नेल्सन एक शानदार सर्जन और बाइबल शिक्षक थे, लेकिन यह उनका कौशल नहीं था जो कई लोगों को यीशु की ओर आकर्षित करता था, यह उनका चरित्र था और जिस तरह से वह सुसमाचार को जीते थे। तीतुस को लिखे पत्र में, एक युवा अन्यजाति नेता, जो क्रेते की कलीसिया की देखभाल कर रहा था, प्रेरित ने कहा कि मसीह की तरह जीना महत्वपूर्ण है क्योंकि यह सुसमाचार को "आकर्षक" बनाता है (तीतुस 2:10)। फिर भी हम यह अपनी सामर्थ्य से नहीं कर सकते। परमेश्वर का अनुग्रह हमें "संयम और धर्म और भक्ति.. जीवन" जीने में मदद करता है (पद 12), जो हमारे विश्वास की सच्चाई को दर्शाता है (पद 1)।

हमारे आस-पास बहुत से लोग अभी भी मसीह के सुसमाचार को  नहीं जानते हैं, लेकिन वे हमें जानते हैं। वह हमारी सहायता करें कि उसके सन्देश को आकर्षित तरीकों से प्रकट और प्रकाशित करें।

क्या तुम फिर भी मुझसे प्रेम करोगे?

दस वर्षीय लिन-लिन को आखिरकार गोद ले लिया गया, लेकिन वह डरी हुई थी। जिस अनाथालय में वह पली-बढ़ी थी, उसमें थोड़ी सी भी गलती होने पर उसे सजा दी जाती थी। लिन-लिन ने अपनी दत्तक माँ से पूछा, जो मेरी दोस्त थी: "माँ, क्या तुम मुझसे प्यार करती हो?" जब मेरे दोस्त ने हां में जवाब दिया, तो लिन-लिन ने पूछा, "अगर मैं कोई गलती करूं, तो क्या तुम तब भी मुझसे प्यार करोगी?"

हालांकि अनकहा, हम में से कुछ यही सवाल पूछते होंगे जब हमें लगता है कि हमने परमेश्वर को निराश किया है: "क्या आप अब भी मुझसे प्यार करेंगे?" हम जानते हैं कि जब तक हम इस दुनिया में रहेंगे, हम असफल होंगे और कई बार पाप भी करेंगे। और हम सोचते है, क्या मेरी गलतियाँ मेरे प्रति परमेश्वर के प्रेम को प्रभावित करती हैं?

यूहन्ना 3:16 हमें परमेश्वर के प्रेम का आश्वासन देता है। उसने अपने पुत्र यीशु को हमारी जगह मरने के लिए दे दिया ताकि यदि हम उस पर विश्वास करें, तो हम अनन्त जीवन प्राप्त करें। लेकिन क्या होगा यदि हम उस पर भरोसा करने के बाद भी उसे विफल करते हैं? यही वह समय है जब हमें यह याद रखने की आवश्यकता है कि " जब हम पापी ही थे तभी मसीह हमारे लिए मरा" (रोमियों 5:8)। अगर वह हमसे हमारे सबसे खराब समय पर भी प्रेम कर सकता है, तो आज हम उसके प्रेम  पर कैसे शक कर सकते हैं जबकि अब हम उसके बच्चे हैं?

जब हम पाप करते हैं, तो हमारा पिता प्रेमपूर्वक हमें सुधारता और अनुशासित करता है। यह अस्वीकार करना नहीं  है (8:1); यह  प्रेम है (इब्रानियों 12:6)। हम परमेश्वर के प्यारे बच्चों के रूप में रहें, इस आशीषित आश्वासन में विश्राम करते हुए कि हमारे लिए उनका प्रेम अटल और चिरस्थायी है।

उसके नाम पर भरोसा रखें

एक बच्चे के रूप में, एक समय था जब मुझे स्कूल जाने में डर लगता था। कुछ लड़कियां मेरे साथ क्रूर शरारतें कर मुझे धमका रही थीं। तो अवकाश के दौरान, मैं लाइब्ररी में शरण लेती थी, जहाँ मैं मसीही कहानियों की एक श्रृंखला पढ़ी। मुझे याद है जब मैंने पहली बार "यीशु" नाम पढ़ा था। किसी न किसी तरह, मुझे यह पता था की यह उस व्यक्ति का नाम है जो मुझसे प्रेम करता है। उसके बाद के महीनों में, जब भी मैं आने वाली पीड़ा से डरकर स्कूल में प्रवेश करता, मैं प्रार्थना करता था, "यीशु, मेरी रक्षा करें।" मैं मजबूत और शांत महसूस करता था, यह जानते हुए कि वह मुझे देख रहा है। समय के साथ, लड़कियां मुझे धमकाने से थक गईं और बंद कर दी।

कई साल बीत गए, और उसके नाम पर भरोसा करना मुझे कठिन समय में निरंतर बनाए रखता है। उसके नाम पर भरोसा रखना यह विश्वास करना है की वह अपने चरित्र के बारे में जो कहते है वह सत्य है, मुझे उसमें आराम करने की अनुमति देता है।

दाऊद भी, परमेश्वर के नाम पर भरोसा करने की सुरक्षा को जानता था। जब वह भजन 9 लिखा, वह परमेश्वर को सर्व शक्तिमान प्रभु के रूप में जो न्यायी और विश्वासयोग्य है पहले से ही अनुभव कर चूका था। (7-8, 10,16)। इस तरह दाऊद ने अपने शत्रुओं के विरुद्ध युद्ध में जाकर परमेश्वर के नाम पर अपना भरोसा दिखाया, अपने हथियारों या सैन्य कौशल पर भरोसा नहीं, लेकिन परमेश्वर पर जो की फलस्वरूप उसके पास एक “पिसे हुओं के लिये ऊँचा गढ़”(9) के द्वारा आए।

एक छोटी सी बच्ची के रूप में, मैंने उनके नाम को पुकारा और अनुभव किया कि वह किस प्रकार इस पर खरा उतरा। हम हमेशा उनके नाम—यीशु—उस व्यक्ति का नाम जो हमसे प्यार करता है पर भरोसा रख सकें।

जब आपको सहायता की आवश्यकता हो

सोमवार की सुबह थी, लेकिन मेरा दोस्त दीपक दफ्तर में नहीं था। वह घर पर बाथरूम की सफाई कर रहा था। एक महीना बेरोजगार, उसने सोचा, और नौकरी का कोई अता-पता नहीं। कोविद-१९ महामारी के कारण उनकी फर्म बंद हो गई थी और भविष्य की चिंताओं ने दीपक को भय से भर दिया था। मुझे अपने परिवार को सम्हालना है, उसने सोचा। मैं मदद के लिए कहां जा सकता हूं?

भजन संहिता १२१:१ में, यरूशलेम जाने वाले तीर्थयात्रियों ने एक ऐसा ही प्रश्न पूछा कि सहायता कहाँ से प्राप्त करें।पवित्र नगर में सिय्योन पर्वत पर की लंबी और संभावित रूप से खतरनाक यात्रा थी, जिसमें यात्रियों को एक कठिन चढ़ाई का सामना करना पड़ता था। उन्हें जिन चुनौतियों का सामना करना पड़ा, वे आज हमारे जीवन में कठिन यात्राओं की तरह ही लग सकती हैं - ऐसे रास्ते पर चलना जहाँ बीमारी, रिश्तों की समस्याएं, शोक, काम पर तनाव या दीपक के मामले में, आर्थिक कठिनाई और बेरोजगारी।

परन्तु हम इस सच्चाई से आनंदित हो सकते हैं कि स्वर्ग और पृथ्वी का सृष्टिकर्ता स्वयं हमारी सहायता करता है (पद २)। वह हमारे जीवन को देखता है (वव. ३,५,७-८) और वह जानता है कि हमारी क्या ज़रूरते है। "निगरानी करने" का इब्रानी शब्द, शमर है, जिसका अर्थ है "पहरा देना।" ब्रह्मांड का सृष्टिकर्ता हमारा संरक्षक है। हम उसकी सुरक्षा में हैं। दीपक ने हाल ही में साझा किया, "परमेश्वर ने मेरा और मेरे परिवार का ख्याल रखा "और सही समय पर, उन्होंने एक शिक्षक की नौकरी प्रदान की।"

जब हम अपनी यात्रा के प्रत्येक चरण में परमेश्वर पर भरोसा करते हैं और उसका पालन करते हैं, तो हम आशा के साथ आगे देख सकते हैं, यह जानते हुए कि हम उसकी बुद्धि और प्रेम की सुरक्षात्मक सीमाओं के भीतर हैं।