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Articles by करेन पिम्पो

जीवन को चुनना

नेथन एक मसीही-विश्वास वाले घर में बड़ा हुआ, लेकिन एक कॉलेज छात्र के रूप में वह अपने बचपन के विश्वास के विपरीत शराब पीने और पार्टी करने जैसी चीज़ों में भटकने लगा l उसने कहा, “परमेश्वर ने मुझे तब अपने पास लौटा ले आया जब मैं इसके लायक नहीं था l” समय के साथ, नेथन ने गर्मियों में प्रमुख शहरों की सड़कों पर अजनबियों के साथ यीशु को साझा करने में बिताया, और अब वह अपने चर्च में युवा सेवकाई में आवासीय अभ्यास/प्रशिक्षण प्राप्त कर रहा है l नेथन का लक्ष्य युवाओं को मसीह के लिए न जीकर समय बर्बाद करने से बचने में मदद करना है l 

नेथन की तरह, इस्राएली अगुवा मूसा के पास अगली पीढ़ी के लिए हृदय/मोह था l यह जानते हुए कि वह जल्द ही नेतृत्व छोड़ देगा, मूसा ने लोगों को परमेश्वर के अच्छे नियम बताए और फिर आज्ञाकारिता या आज्ञा उल्लंघन के परिणामों को सूचीबद्ध किया : आज्ञाकारिता के लिए और आशीष और जीवन, आज्ञा उल्लंघन के लिए शाप और मृत्यु l “जीवन ही को अपना ले, कि तू और तेरा वंश दोनों जीवित रहें,” उसने उनसे कहा, “क्योंकि तेरा जीवन . . . यही[यहोवा] है”(व्यवस्थाविवरण 30:19-20) l मूसा ने उनसे परमेश्वर से प्रेम करने, “उसकी बात [मानने], और उससे लिपटे [रहने]” का आग्रह किया(पद.20) l 

पाप को चुनने से परिणाम मिलते हैं l लेकिन जब हम अपना जीवन फिर से परमेश्वर को समर्पित करते हैं, तो वह निश्चित रूप से दया करेगा(पद.2-3) और हमें बहाल करेगा(पद.4) l यह प्रतिज्ञा इस्राएल के इतिहास के सारे लोगों में पूरा हुआ, बल्कि हमें परमेश्वर के साथ संगति में लाने के लिए क्रूस पर यीशु के अंतिम कार्य से भी पूरा हुआ l आज हमारे पास भी विकल्प है और हम जीवन चुनने के लिए स्वतंत्र हैं l

परमेश्वर हमें देखता है

मिशिगन राज्य में 40 लाख पेड़ हैं, जिनमें से अधिकाँश सर्वाधिक मानकों के हिसाब से काफी सामान्य हैं l फिर भी राज्य एक वार्षिक “बिग ट्री हंट(Big Tree Hunt)” का आयोजन करता है, जो उन पेड़ों की पहचान करने के लिए एक प्रतियोगिता है जो सबसे पुराने और सबसे बड़े हैं, ऐसे पेड़ जिन्हें जीवित मील के पत्थर(landmark) के रूप में सम्मानित किया जा सकता है l प्रतियोगिता सामान्य पेड़ों को दूसरे स्तर पर ले जाती हैं : किसी भी जंगल के अन्दर एक पुरस्कार विजेता हो सकता है, बस ध्यान दिए जाने का इंतजार कर रहा है l 

अधिकाँश लोगों के विपरीत, ईश्वर हमेशा सामान्य बातों पर ध्यान देता है l वह इस बात की परवाह करता है कि दूसरे क्या और किसकी अनदेखी करते हैं l राजा यारोबाम के शासनकाल के दौरान परमेश्वर ने आमोस नाम के एक आम आदमी को इस्राएल भेजा l आमोस ने अपने लोगों को बुराई से दूर रहने और न्याय की तलाश करने के लिए प्रोत्साहित किया लेकिन उसे बहिस्कृत कर दिया गया और चुप रहने को कहा गया l “हे दर्शी, यहाँ से निकलकर यहूदा देश में भाग जा . . . और वहीँ भविष्यवाणी किया कर”(आमोस 7:12) l आमोस ने उत्तर दिया, “मैं न तो भविष्यद्वक्ता था, और न भविष्यद्वक्ता का बेटा; मैं तो गाय-बैल का चरवाहा, और गूलर के वृक्षों का छाँटनेवाला था l और यहोवा ने मुझे भेड़-बकरियों के पीछे पीछे फिरने से बुलाकर कहा, ‘जा, मेरी प्रजा इस्राएल से भविष्वाणी कर’” (पद.14-15) l

परमेश्वर ने आमोस को तब जाना और उस पर ध्यान दिया जब वह एक सामान्य चरवाहा था, जो भेड़-बकरियों और पेड़ों की देखभाल करता था l सैकड़ों साल बाद, यीशु ने देखा और अंजीर और गूलर के पेड़ों के पास साधारण नतनएल(यूहन्ना 1:48) और जक्कई(लूका 19:4-5) को बुलाया l इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि हम कितना अस्पष्ट महसूस करते हैं, वह हमें देखता है, हमसे प्यार करता है और हमें अपने उद्देश्यों के लिए उपयोग करता है l 

न्याय का परमेश्वर

एक किशोर के रूप में, रेयान ने अपनी माँ को कैंसर के कारण खो दिया l उसने खुद को बेघर पाया और जल्द ही स्कूल छोड़ दिया l वह निराश महसूस करता था और अक्सर भूखा रहता था l वर्षों बाद, रेयान ने एक गैर-लाभकारी संस्था की स्थापना की जो दूसरों को, विशेष रूप से छोटे बच्चों को, अपने बगीचे में उगाए गए आहार को रोपने, फसल काटने और तैयार करने के लिए सशक्त बनाती है l संगठन इस विश्वास पर बना है कि किसी को भी भोजन के बिना नहीं रहना चाहिए और जिनके पास कुछ है उन्हें उन लोगों की देखभाल करनी चाहिए जिनके पास नहीं है l दूसरों के लिए रेयान की चिंता न्याय और दया के लिए ईश्वर के हृदय से प्रतिध्वनित होती है l 

हम जिस दर्द और पीड़ा का सामना करते हैं, ईश्वर उसकी बहुत परवाह करता है l जब उसने इस्राएल में भयानक अन्याय देखा, तो उसने उनके पाखण्ड को उजागर करने के लिए नबी आमोस को भेजा l जिन लोगों को परमेश्वर ने एक बार मिस्र में उत्पीडन से बचाया था, वे अब अपने पड़ोसियों को एक जोड़ी जूती के लिए गुलामी में बेच रहे थे (आमोस 2:6 ) l उन्होंने निर्दोष लोगों को धोखा दिया, उत्पीड़ितों को न्याय देने से इनकार कर दिया, और गरीबों के “सर पर की धूल का भी लालच करते [थे]”(पद.6-7), जबकि ये सब भेंट और पवित्र दिनों के साथ परमेश्वर की उपासना करने का दिखावा करते थे (4:4-5) l 

आमोस ने लोगों से विनती की, “बुराई को नहीं, भलाई को ढूढ़ों, ताकि तुम जीवित रहो; और तुम्हारा यह कहना सच ठहरे कि सेनाओं का परमेश्वर यहोवा तुम्हारे संग है” (5:14) l रेयान की तहर, हममें से प्रत्येक ने जीवन में दूसरों से जुड़ने और सहायता करने में सक्षम होने के लिए पर्याप्त दर्द और अन्याय का अनुभव किया है l समय “भलाई की तलाश” करने और हर प्रकार के न्याय को स्थापित करने में उसके साथ शामिल होने का है l 

अदृश्य राजा

पिलग्रिम एक संगीतमय गीत है जो द पिलग्रिम्स प्रोग्रेस पर आधारित, जो यीशु में विश्वास करने वाले के जीवन का एक रूपक है। कहानी में आत्मिक जगत की सभी अदृश्य शक्तियां दर्शकों को दिखाई देती हैं। परमेश्वर का प्रतिनिधित्व करने वाला राजा का चरित्र लगभग पूरे शो के दौरान मंच पर मौजूद रहता है। वह सफेद कपड़े पहने हुए है और सक्रिय रूप से दुश्मन के हमलों को रोकता है, दर्द में पड़े लोगों को कोमलता से पकड़ता है और दूसरों को अच्छे काम करने के लिए प्रेरित करता है। अपनी परम आवश्यक भूमिका के बावजूद, मुख्य मानवीय पात्र राजा को शारीरिक रूप से नहीं देख सकते हैं, केवल वह जो करता है उसका प्रभाव देख सकते हैं। 

क्या हम ऐसे जीते हैं जैसे सच्चा राजा हमारे जीवन में सक्रिय है, तब भी जब हम उसे शारीरिक रूप से नहीं देख सकते? ज़रूरत के समय में, भविष्यवक्ता दानिय्येल को एक स्वर्गीय दूत से एक दर्शन मिला (दानिय्येल 10:7) जिसे उसकी वफादार प्रार्थनाओं के सीधे जवाब में भेजा गया था (पद 12)। दूत ने समझाया कि आत्मिक युद्ध के कारण उसके आने में देरी हुई और स्वर्गीय सहायता को भेजना पड़ा (पद 13)। दानिय्येल  को याद दिलाया गया कि भले ही वह परमेश्वर को नहीं देख सका, फिर भी वह उसकी देखभाल और ध्यान के साक्ष्य से घिरा हुआ था। "डरो मत,  आप अत्यधिक सम्मानित हैं ," दूत ने उसे प्रोत्साहित किया ( पद 19)। पिलग्रिम के अंत में, जब मुख्य पात्र कई कष्टों के बाद स्वर्ग के दरवाजे पर पहुँचता है, तो वह पहली बार खुशी से चिल्लाता है, "मैं राजा को देख सकता हूँ!" जब तक हम उसे स्वर्ग में अपनी नई आँखों से नहीं देखते, हम आज अपने जीवन में उसके कार्य की तलाश करते हैं।

भले कामों में धनी

एक धोबिन के रूप में सात दशकों की कड़ी मेहनत——हाथ से कपड़े साफ़ करना, सुखाना और प्रेस करना——के बाद, ओसियोला मैक्कार्टी अंततः छियासी वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होने के लिए तैयार थी l उन्होंने इतने वर्षों में ईमानदारी से अपनी अल्प कमाई बचाई थी, और अपने समुदाय को आश्चर्यचकित करते हुए, उन्होंने ज़रूरतमंद छात्रों के लिए छात्रवृत्ति कोष बनाने के लिए पास के विश्वविद्यालय को $150,000(लगभग 1.24 करोड़) का दान दिया l उनके निस्वार्थ उपहार से प्रेरित होकर, सैकड़ों लोगों ने उनकी निधि को तीन गुना करने के लिए पर्याप्त दान दिया l 

ओसियोला समझ गयी कि उसकी संपत्ति का असली मूल्य उसे अपने लाभ के लिए उपयोग करने में नहीं, बल्कि दूसरों को आशीर्वाद देने में है l प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को उत्साहित किया कि वह उन लोगों को आज्ञा दे जो इस वर्तमान संसार में धनी हैं, “भले कामों में धनी बने”(1 तीमुथियुस 6:18) l हममें से प्रत्येक को प्रबंधन के लिए धन दिया गया है, चाहे वह वित्तीय साधनों के रूप में हो या अन्य संसाधनों के रूप में l अपने संसाधनों पर भरोसा करने के बजाय, पौलुस हमें केवल परमेश्वर पर आशा रखने (पद.17) और “उदार और सहायता देने में तत्पर” (पद.18) बनकर स्वर्ग में धन इकठ्ठा करने की चेतावनी देता है l 

परमेश्वर की अर्थव्यवस्था में, रोक के रखना और उदार न होना केवल खालीपन की ओर ले जाता है l प्रेम से दूसरों को देना पूर्णता का मार्ग है l अधिक के लिए प्रयास करने के बजाय, हमारे पास जो कुछ है उसमें भक्ति और संतुष्टि दोनों रखना, महान लाभ है (पद.6) l ओसियोला की तरह अपने संसाधनों के प्रति उदार होना हमारे लिए कैसा रहेगा? आइये आज हम अच्छे कामों से समृद्ध होने का प्रयास करें क्योंकि परमेश्वर हमारी अगुआई करता है l 

 

प्रार्थना मायने रखती है

"आगामी मस्तिष्क स्कैन के लिए प्रार्थना।" "कि मेरे बच्चे चर्च वापस आ जाये।" "डेव के लिए सांत्वना, जिसने अपनी पत्नी को खो दिया।" हमारी कार्ड मंत्रालय टीम को इस तरह के प्रार्थना अनुरोधों की एक साप्ताहिक सूची प्राप्त होती है ताकि हम प्रार्थना कर सकें और प्रत्येक व्यक्ति को एक हस्तलिखित नोट भेज सकें। अनुरोध बहुत अधिक होते हैं, और हमारे प्रयास छोटे और ध्यान न दिए जाने वाले लगते हैं। यह तब बदल गया जब मुझे हाल ही में शोक संतप्त पति डेव से उसकी प्रिय पत्नी की मृत्युलेख की एक कॉपी के साथ हार्दिक धन्यवाद कार्ड मिला। मुझे एक ताज़ा एहसास हुआ कि प्रार्थना मायने रखती है।

यीशु ने स्वंम नमूना दिया कि हमें दृढ़ता से, अक्सर और आशापूर्ण विश्वास के साथ प्रार्थना करनी चाहिए। पृथ्वी पर उनका समय सीमित था, लेकिन अकेले जाकर प्रार्थना करने को उन्होंने प्राथमिकता दी (मरकुस 1:35; 6:46; 14:32)।

सैकड़ों वर्ष पहले, इस्राएल के राजा हिजकिय्याह ने भी यह सबक सीखा था। उसे बताया गया था कि एक बीमारी जल्द ही उसकी जान ले लेगी (2 राजा 20:1)। संकट में और फूट-फूट कर रोते हुए, हिजकिय्याह ने "दीवार की ओर मुंह करके यहोवा से प्रार्थना की" (पद 2)। इस उदाहरण में, परमेश्वर की प्रतिक्रिया तत्काल थी। उसने हिजकिय्याह की बीमारी को ठीक किया, उसके जीवन में पंद्रह वर्ष जोड़े, और राज्य को एक शत्रु से बचाने का वादा किया (पद 5-6)। परमेश्वर ने उसकी प्रार्थना का उत्तर इसलिए नहीं दिया क्योंकि हिजकिय्याह एक अच्छा जीवन जी रहा था, बल्कि "[अपने] सम्मान के लिए और [अपने] सेवक दाऊद के लिए" (पद 6 एनएलटी)। हो सकता है कि हमें हमेशा वह न मिले जो हम मांगते हैं, लेकिन हम निश्चिंत हो सकते हैं कि परमेश्वर हर प्रार्थना में और उसके माध्यम से काम कर रहा है।

 

मसीह में समुदाय

जॉर्डन ने कहा, "मैं जानता था कि सफल होने का एकमात्र तरीका घर और अपनी पत्नी, बेटे और बेटी के बारे में भूल जाना है।" “मैंने पाया है कि मैं ऐसा नहीं कर सकता। वे मेरे दिल और आत्मा के ताने-बाने में बुने हुए हैं।" एक दूरदराज के इलाके में अकेले, जॉर्डन एक रियलिटी शो में भाग ले रहा था जहां प्रतियोगियों को यथासंभव लंबे समय तक न्यूनतम आपूर्ति के साथ बाहर रहने के लिए कहा जाता है। जिस चीज़ ने उसे हार मानने के लिए मजबूर किया, वह भयानक भालू, जमा देने वाला तापमान, चोट या भूख नहीं थी, बल्कि अत्यधिक अकेलापन और अपने परिवार के साथ रहने की इच्छा थी।

हमारे पास जंगल में रहने के लिए आवश्यक सभी जीवित रहने के कौशल हो सकते हैं, लेकिन खुद को समुदाय से अलग करना असफल होने का एक निश्चित तरीका है। सभोपदेशक के बुद्धिमान लेखक ने कहा, “एक से दो बेहतर हैं, क्योंकि . . . एक दूसरे की मदद कर सकता है” (4:9-10)। मसीह का सम्मान करने वाला समुदाय, अपनी सारी कमजोरियों बावजूद, हमारी समृद्धि के लिए आवश्यक है। यदि हम इस संसार की परीक्षाओं से स्वयं ही निपटने का प्रयास करें तो हमारे पास कोई मौका नहीं है। जो अकेले परिश्रम करता है, उसका परिश्रम व्यर्थ हो जाता है (पद 8)। समुदाय के बिना, हम खतरे के प्रति अधिक संवेदनशील हैं (पद 11-12)। एक धागे के विपरीत, "तीन धागों की डोरी जल्दी नहीं टूटती" (पद 12)। एक प्रेमपूर्ण, मसीह-केंद्रित समुदाय का उपहार वह है जो न केवल प्रोत्साहन प्रदान करता है, बल्कि चुनौतीपूर्ण परिस्थितियों के बावजूद हमें आगे बढ़ने की ताकत भी देता है। हम एक दूसरे की जरूरत हैं।

 

प्रभु यीशु मसीह को धारण कर लो

मैं पहली बार अपना नया चश्मा पहनने के लिए बहुत उत्साहित था, लेकिन कुछ ही घंटों के बाद मैं उसे फेंक देना चाहता था। नए नुस्खे के साथ तालमेल बिठाने से मेरी आँखों में दर्द होने लगा और सिर में दर्द होने लगा। अपरिचित फ़्रेमों से मेरे कान दुखने लगे थे। अगले दिन जब मुझे याद आया कि मुझे उन्हें पहनना है तो मैं कराह उठी। मुझे अपने शरीर को अनुकूल बनाने के लिए हर दिन बार-बार अपने चश्मे का उपयोग करना पड़ता था। इसमें कई सप्ताह लग गए, लेकिन उसके बाद, मुझे ध्यान ही नहीं आया कि मैंने उन्हें पहन रखा है। 

कुछ नया पहनने के लिए समायोजन की आवश्यकता होती है, लेकिन समय के साथ हम इसमें विकसित होते हैं, और यह हमारे लिए बेहतर होता है। हम वे चीज़ें भी देख सकते हैं जो हमने पहले नहीं देखी थीं। रोमियों 13 में, प्रेरित पौलुस ने मसीह के अनुयायियों को "ज्योति के कवच पहनने" (पद 12) और सही जीवन जीने का अभ्यास करने का निर्देश दिया। वे पहले से ही यीशु पर विश्वास कर चुके थे, लेकिन ऐसा लगता था कि वे "सो” गए थे और अधिक आत्मसंतुष्ट हो गए थे; उन्हें "जागने" और कार्रवाई करने, शालीनता से व्यवहार करने और सभी पापों को त्यागने की आवश्यकता थी (पद 11-12)। पौलुस ने उन्हें यीशु को धारण अर्थात् अपने विचारों और कार्यों में उनके जैसा बनने के लिए प्रोत्साहित किया (पद 14)।

हम रातोंरात यीशु के प्रेमपूर्ण, सौम्य, दयालु और वफादार तरीकों को प्रतिबिंबित करना शुरू नहीं करते हैं। हर दिन "प्रकाश का कवच पहनना" चुनना एक लंबी प्रक्रिया है, तब भी जब हम ऐसा नहीं चाहते क्योंकि यह असुविधाजनक है। समय के साथ, वह हमें बेहतरी के लिए बदलता है।

 

प्रेम द्वारा प्रेरित

जिम और लेनिडा कॉलेज के दिनों से एक दूसरे से प्रेम करते थे l उनका विवाह हो चुका था और कई वर्षों तक जीवन सुखमय रहा l फिर लेनिडा ने अजीब व्यवहार करना आरम्भ कर दी, खोयी हुए लगने लगी और नियत कार्य भूलने लगी l सैंतालिस वर्ष की उम्र में ही पता चला कि उसे अल्जाइमर/Alzheimer disease(मानसिक बिमारी) हो गया है l एक दशक तक उसकी प्राथमिक देखभाल के बाद, जिम यह कह सका, “अल्जाइमर ने मुझे अपनी पत्नी को उन तरीकों से प्यार करने और सेवा करने का अवसर दिया है जो अकल्पनीय थे जब मैंने कहा, “मैं करता हूँ l’ ”

पवित्र आत्मा के वरदानों की व्याख्या करते हुए, प्रेरित पौलुस ने प्रेम के गुण पर विस्तार से लिखा (1 कुरिन्थियों 13) l उसने सेवा के रटे-रटाए कार्यों की तुलना प्रेमपूर्ण हृदय से उमड़ने वाले कार्यों से की l प्रभावशाली बोलना अच्छा है, पौलुस ने लिखा, लेकिन प्रेम के यह अर्थहीन शोर की तरह है (पद.1) l “यदि मैं . . . अपनी देह जलाने के लिए दे दूँ, और प्रेम न रखूँ, तो मुझे कुछ भी लाभ नहीं” (पद.3) l पौलुस ने अंततः लिखा, “सबसे बड़ा(उपहार) प्रेम है”(पद.13) l 

अपनी पत्नी की देखभाल करने के कारण जिम की प्रेम और सेवा के विषय समझ गहरी हो गयी l केवल गहरा और स्थायी प्यार ही उसे प्रतिदिन उसका समर्थन करने की शक्ति दे सकता था l अंततः, एकमात्र स्थान जहाँ हम इस बलिदानी प्रेम को पूरी तरह से प्रतिरूपित देखते हैं, वह हमारे लिए परमेश्वर का प्रेम है, जिसके कारण उसने यीशु को हमारे पापों के लिए मरने के लिए भेजा (यूहन्ना 3:16) l प्रेम से प्रेरित, बलिदान के उस कार्य ने हमारे संसार को हमेशा के लिए बदल दिया है l