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स्वर्ग में स्वामी

सिंगापुर के मिनिस्ट्री ऑफ मैनपावर (जनशक्ति मंत्रालय) ने 2022 में घोषणा की कि सभी प्रवासी घरेलू मज़दूरों को छुट्टी देने के बजाय महीने में कम से कम एक दिन का विश्राम दिया जाना चाहिए, जिसका मुआवज़ा मालिक उन्हें नहीं दे सकते। हालाँकि, मालिक चिंतित थे कि उन दिनों उनके प्रियजनों की देखभाल के लिए उनके पास कोई नहीं होगा। जबकि देखभाल की संचालन व्यवस्था का वैकल्पिक प्रबंध करके हल किया जा सकता था, लेकिन विश्राम की आवश्यकता को न देखने के उनके रवैये को हल करना उतना आसान नहीं था।

दूसरों के साथ विचारपूर्वक व्यवहार करना कोई नया मुद्दा नहीं है। प्रेरित पौलुस जिस समय में रहते थे तब नौकरों को उनके मालिकों की संपत्ति के रूप में देखा जाता था। फिर भी, मसीह–समान घरों को कैसे संचालित करना चाहिए, इस पर कलीसिया को अपने निर्देशों की अंतिम पंक्ति में, वह कहते हैं कि स्वामियों को अपने सेवकों के साथ "न्यायपूर्वक" व्यवहार करना चाहिए (कुलुस्सियों 4:1 ESV)। एक अन्य अनुवाद कहता है, "उनके साथ निष्पक्ष रहें" (THE MESSAGE)।

जैसे पौलुस सेवकों को कहते है "जो कुछ तुम करते हो, तन मन से करो,यह समझकर कि मनुष्यों के लिए नहीं परन्तु प्रभु के लिए करते हो” (3:23), वह स्वामियों को भी उनके ऊपर यीशु के अधिकार की याद दिलाते है: " स्वर्ग में तुम्हारा भी एक स्वामी है" (4:1)I उनका उद्देश्य कुलुस्से के विश्वासियों को उन लोगों के रूप में जीने के लिए प्रोत्साहित करना था जिनका अंतिम अधिकारी मसीह है। दूसरों के साथ हमारे आपसी व्यवहार में - चाहे एक मालिक, कर्मचारी के रूप में, हमारे घरों या समुदायों में - हम परमेश्वर से "सही और निष्पक्ष" काम करने में मदद करने के लिए कह सकते हैं (पद- 1)।

संकट की पुकार

भूकंप के कारण दो मंजिलों के ढहे मलबे के नीचे फंसी पांच वर्षीय सीरियाई लड़की जिनान ने अपने आस पास के मलबे के बीच घिरे हुए अपने छोटे भाई की रक्षा करते हुए उसने बचाव दल को बुलाया, दिल तोड़ देने वाले शब्दों में कहा कि "मुझे यहाँ से बाहर निकालिए; मैं आपके लिए कुछ भी करूंगी, मैं आपकी दासी बन कर रहूंगी।   

संपूर्ण भजन संहिता में संकट की पुकार पाई जाती हैं: "मैं ने सकेती में परमेश्वर को पुकारा ,परमेश्वर ने मेरी सुनकर, मुझे चौड़े स्थान पर पहुँचाया"(118:5)। हालाँकि हम कभी भी भूकंप से ढही इमारतों के कुचले हुए भार का अनुभव नहीं करते हैं, हम सभी चुनौतीपूर्ण रोग, आर्थिक कठिनाई, भविष्य के बारे में अनिश्चितता, या रिश्तों को खोने पर दम घुटने वाली आशंकाओं को जानते हैं।

उन क्षणों में हम मुक्ति के लिए परमेश्वर के सामने समझौते का सौदा या सेवा-शर्त का प्रस्ताव रख सकते है। लेकिन परमेश्वर से मदद के लिए हमें उन्हें राज़ी करने की जरूरत नहीं है। वे उत्तर देने का वादा करते है, और हालांकि हम तुरंत अपनी स्थिति में राहत नहीं पाते है, फिर भी वे हमारी ओर से और हमारे साथ है। हमें मृत्यु सहित किसी भी अन्य खतरे से डरने की ज़रूरत नहीं है। हम भजनकार के साथ कह सकते हैं, “यहोवा मेरी ओर मेरे सहायकों में है; मैं अपने बैरियों पर दृष्टी कर संतुष्ट हूँगा” (पद- 7)। 

हमें उतने प्रभावशाली या नाटकीय बचाव का वादा नहीं किया गया है जितना कि जिनान और उसके भाई ने अनुभव किया था, लेकिन हम अपने वफादार परमेश्वर पर भरोसा कर सकते हैं, जो भजनकार को "चौड़े स्थान पर" ले आए (पद- 5)। वह हमारी स्थिति जानता है और वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा, यहाँ तक कि मृत्यु में भी।

पूरी तरह से मसीह के प्रति समर्पित

1920 में, एक चीनी पादरी की छठी संतान जॉन सुंग को संयुक्त राज्य अमेरिका के एक विश्वविद्यालय में अध्ययन करने के लिए छात्रवृत्ति मिली। उन्होंने सर्वोच्च सम्मान के साथ स्नातक की उपाधि प्राप्त की, मास्टर कार्यक्रम पूरा किया और पीएचडी प्राप्त की। लेकिन पढ़ाई करते-करते वह परमेश्वर से दूर हो गये थे। फिर, 1927 में एक रात, उन्होंने अपना जीवन मसीह को समर्पित कर दिया और उपदेशक बनने के लिए बुलाया गयामहसूस किया।

चीन में उच्चवेतन वाले कई अवसर उसका इंतजार कर रहे थे, लेकिन जहाज से घर लौटते समय, उसे पवित्र आत्मा द्वारा अपनी महत्वाकांक्षाओं को त्यागने के लिए समझाया। अपनी प्रतिबद्धता के प्रतीक के रूप में, उन्होंने अपने सभी पुरस्कार समुद्र में फेंक दिए, अपने माता-पिता को उनके प्रति सम्मान के कारण देने के लिए केवल अपना पीएचडी प्रमाणपत्र ही रखा।

जॉन सुंग ने समझा कि यीशु ने उनके शिष्य बनने के बारे में क्या कहा था: "यदि मनुष्य सारे जगत को प्राप्त करे और अपने प्राण की हानि उठाए, तो उसे क्या लाभ होगा? (मरकुस 8:36) जैसा कि हम स्वयं को अस्वीकार करते हैं और मसीह और उनके नेतृत्व का अनुसरण करने के लिए अपने पुराने जीवन को पीछे छोड़ देते हैं (पद 34-35), इसका मतलब व्यक्तिगत इच्छाओं और भौतिक लाभ का त्याग करना हो सकता है जो हमें उसका अनुसरण करने से विचलित करते हैं।

अगले बारह वर्षों तक, जॉन ने पूरे चीन और दक्षिण पूर्व एशिया में हजारों लोगों को सुसमाचार का प्रचार करते हुए, अपने परमेश्वर द्वारा दिया गयामिशन को पूरे दिल से चलाया। हमारे बारे में क्या ख्याल है? हमें प्रचारक या मिशनरी बनने के लिए नहीं बुलाया जा सकता है, परन्तु अपनी आत्मा के द्वारा हम में कार्य करके, जहाँ कहीं परमेश्वर हमें सेवा करने के लिये बुलाता है, क्या हम पूरी तरह से उसके प्रति समर्पित हो सकते हैं।

एक साधारण अनुरोध

"सोने जाने से पहले कृपया सामने का कमरा साफ कर देना”, मैंने अपनी एक बेटी से कहा। तुरंत उत्तर आया,“ वह क्यों नहीं करती है?” जब हमारी बेटियाँ  छोटी थीं तब हमारे घर में ऐसा हल्का विरोध अक्सर होता था। मेरी प्रतिक्रिया हमेशा एक ही थी: “अपनीबहनोंकेबारेमेंचिंतामतकरो; मैनें आपसे कहा है।"

यूहन्ना 21 में, हम शिष्यों के बीच इस मानवीय प्रवृत्ति को चित्रित करते हुए देखते हैं। पतरस द्वारा तीन बार अपना इन्कार किये जाने के बादयीशु ने पतरस को बहाल कर दिया था (यूहन्ना 18:15-18, 25-27देखें)। अब यीशु ने पतरस से कहा, मेरे पीछे हो ले! (पद 21:19)—एक सरल लेकिन दर्दनाक आदेश। यीशु ने समझाया कि पतरस मृत्यु तक उसका पीछा करेगा (पद 18-19)।

पतरस के पास यीशु के शब्दों को समझने का समय ही नहीं था, इससे पहले उसने उनके पीछे आते शिष्य के बारे में पूछा: " हे प्रभु, इस का क्या?" (पद 21). यीशु ने उत्तर दिया, “यदि मैं चाहूं कि वह मेरे आने तक ठहरा रहे, तो तुझे क्या??”फिर उन्होंने कहा, "तू मेरे पीछे हो ले।" (पद 22)।

कितनी बार हम पतरसकी तरह होते हैं! हम दूसरों की विश्वास यात्राओं के बारे में सोचते हैं न कि परमेश्वर हमारे साथ क्या कर रहे हैं उसके बारे में । अपने जीवन के अंत में, जब यूहन्ना 21 में यीशु की मृत्यु की भविष्यवाणी बहुत करीब थी, पतरस ने मसीह के सरल आदेश को विस्तार से बताया: और “आज्ञाकारी बालकों की नाई अपनी अज्ञानता के समय की पुरानी अभिलाषाओं के सदृश न बनो।पर जैसा तुम्हारा बुलानेवाला पवित्र है, वैसे ही तुम भी अपने सारे चाल चलन में पवित्र बनो।"(1 पतरस 1:14-15)। यह हममें से प्रत्येक को यीशु पर ध्यान केंद्रित रखने के लिए पर्याप्त है, न कि हमारे आस-पास के लोगों पर।

परमेश्वर पर निर्भर हों

कुछ दोस्तों के साथ एक वाटर पार्क में, हमने हवा से भरा(inflatable) प्लेटफ़ॉर्म से बने एक तैरते बाधा मार्ग(obstacle course) को पार करने का प्रयास किया। उछाल भरे, फिसलन भरे प्लेटफार्मों ने सीधे चलना लगभग असंभव बना दिया। जब हम ढलानों, चट्टानों और पुलों के पार अपने रास्ते में लड़खड़ा रहे थे, हमने पाया कि हम चिल्ला रहे थे और हम अनजाने में पानी में गिर गए थे। एक कोर्स/मार्ग पूरा करने के बाद, मेरी सहेली, पूरी तरह से थक गई, अपनी सांस लेने के लिए एक "मीनार/टावर" पर टिक गई। लगभग तुरंत, यह उसके वजन के नीचे दब गया, जिससे वह पानी में उछलकर गिर पड़ी।

 

वाटर पार्क के कमजोर मीनारों/टावरों के विपरीत, बाइबल के समय में, एक मीनार रक्षा और सुरक्षा के लिए एक गढ़ था। न्यायियों 9:50-51 वर्णन करता है कि कैसे तेबेस के लोग अपने शहर पर अबीमेलेक के हमले से बचने के लिए "एक दृढ़ गुम्मट" में भाग गए। नीतिवचन 18:10 में, लेखक ने परमेश्वर कौन है का वर्णन करने के लिए एक मजबूत मीनार की छवि का उपयोग किया—वह जो उन को बचाता है जो उस पर भरोसा रखते हैं।

 

हालाँकि, कभी-कभी, जब हम थक जाते हैं या हार जाते हैं तो परमेश्वर की मजबूत मीनार पर झुकने की बजाय, हम सुरक्षा और समर्थन के लिए अन्य चीज़ें तलाशते हैं—करियर/जीविका, रिश्ते, या भौतिक सुख-सुविधाएँ। हम उस अमीर व्यक्ति से भिन्न नहीं जो अपने धन में ताकत तलाशता था (पद.11)। लेकिन जिस तरह हवा से भरा टावर/मीनार मेरी सहेली की मदद नहीं कर सका, उसी तरह ये चीजें हमें वह नहीं दे सकता जिसकी हमें वास्तव में आवश्यकता है। परमेश्वर—जो सर्वशक्तिमान और सारे परिस्थितियों पर नियंत्रण रखता है—वास्तविक आराम और सुरक्षा प्रदान करता है।

परमेश्वर के लिए अनमोल

एक लड़के के रूप में, जीवन को अपने पिता कठोर और दूरदर्शी लगे। यहां तक कि जब जीवन बीमार था और उसे बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाना पड़ा, तब भी उसके पिता ने शिकायत की कि यह परेशानी भरा है। एक बार, उसने झगड़े में सुना कि उसका पिता उसका गर्भपात कराना चाहते थे। एक अनचाहे बच्चे होने की भावना उसके बड़ा होने तक उसका पीछा करती रही। जब जीवन यीशु में विश्वास करने लगा, तो उसे परमेश्वर से पिता के रूप में जुड़ना मुश्किल हो गया, भले ही वह उसे अपने जीवन के प्रभु के रूप में जानता था।

यदि, जीवन की तरह, हमें अपने सांसारिक पिताओं से प्यार महसूस नहीं हुआ है, तो हमें परमेश्वर के साथ अपने रिश्ते में इसी तरह के संदेह का सामना करना पड़ सकता है। हम सोच सकते है, की क्या मैं एक बोझ हूँ? क्या उसे मेरी परवाह है? परन्तु जब हमारे सांसारिक पिता चुप और दूर रहे होंगे, हमारा स्वर्गीय पिता परमेश्वर निकट आता है और कहता है, " मैं तुझ से प्रेम रखता हूँ" (यशायाह 43:4)।

यशायाह 43 में, परमेश्वर हमारा सृष्टिकर्ता और पिता के रूप में बोलते हैं। यदि सोचते हैं कि क्या वह चाहता है कि आप उसके परिवार के हिस्से के रूप में उसकी देखरेख में रहें, तो सुनें कि उसने अपने लोगों से क्या कहा: "मेरे पुत्रों को दूर से और मेरी पुत्रियों को पृथ्वी के छोर से ले आओ" (पद 6)। यदि आप सोचते हैं कि आप उसके लिए क्या मूल्य रखते हैं, तो उसकी पुष्टि सुनें: "मेरी दृष्‍टि में तू अनमोल और प्रतिष्‍ठित ठहरा है।" (पद 4)

परमेश्वर हमसे इतना प्यार करता है कि उसने पाप का दंड चुकाने के लिए यीशु को भेजा ताकि हम जो उस पर विश्वास करें, हमेशा उसके साथ रह सकें (यूहन्ना 3:16)। वह जो कहता है और उसने हमारे लिए जो किया है, उसके कारण हम पूरा विश्वास रख सकते हैं कि वह हमें चाहता है और हमसे प्यार करता है।

लापरवाह निर्णय

एक नवयुवक लड़का कॉलेज फुटबॉल मैच के बाद अपने दोस्तों का पीछा करते हुए घर पहुंचने की कोशिश में बहुत तेजी से गाड़ी चला रहा था। बहुत तेज़ बारिश हो रही थी, और उसे अपने दोस्त की बाइक चलाने में मुश्किल हो रही थी। अचानक, उसने एक यातायात संकेत देखा रोकने की कोशिश में, वह ब्रेक पर मारा, सड़क से फिसल गया और एक बड़े पेड़ से टकरा गया। उसका मोटरसाइकिल क्षतिग्रस्त हो गया। बाद में वह एक स्थानीय अस्पताल के कोमाटोज़ वार्ड में उठा। हालाँकि, परमेश्वर के अनुग्रह से वह बच गया, उसके लापरवाह तरीके बहुत महंगे साबित हुए।

मूसा ने भी एक लापरवाह निर्णय लिया था जिसकी कीमत उसे बहुत चुकानी पड़ी। हलांकि, उसके खराब विकल्प में पानी की कमी शामिल थी—इसमें से अधिक नहीं (जैसा की मेरे मामले में)। इस्राएली ज़िन रेगिस्तान में, बिना पानी के थे और “वहाँ मण्डली के लोगों के लिये पानी न मिला; इसलिये वे मूसा और हारून के विरुद्ध इकट्ठे हुए। ” (गिनती 20:2)। परमेश्वर ने उस परिश्रांत नेता को चट्टान से बात करने के लिए कहा और वह “वह अपना जल देगी”(8)। बल्कि, उसने “चट्टान पर दो बार मारी;”(11)। परमेश्वर ने कहा, “तुम ने जो मुझ पर विश्‍वास नहीं किया, .... उस देश में पहुँचाने न पाओगे जिसे मैं ने उन्हें दिया है।” (12)।

जब हम लापरवाह निर्णय लेते हैं, तो हम परिणाम भुगतते हैं। “मनुष्य का ज्ञानरहित रहना अच्छा नहीं, और जो उतावली से दौड़ता है वह चूक जाता है।”(नीतिवचन 19:2)। आज हम जो चुनाव और निर्णय लेते हैं, उसमें हम प्रार्थनापूर्वक, सावधानी से परमेश्वर के बुद्धि और अगुआई खोजे

फैक्टरी डिफ़ॉल्ट

हाल ही में मेरा कम्प्युटर क्रैश कर गया, और मैंने उसे खुद जोड़ने का प्रयास किया। मैंने कुछ ‘अपने आप करो’ वाले विडिओ देखा और जब वे प्रयास विफल हुए, मैं मदद के लिए कुछ मित्रों के पास गया। उनके प्रयास भी व्यर्थ साबित हुए। इसलिये अब अपने कम्प्यूटर को सबसे नजदीक सेवा केंद्र ले जाने के अलावा और कोई विकल्प नहीं  था मेरे पास। शुक्र है, की वह अभी भी वारंटी में था।

समस्या का निदान करते हुए तकनीशियन ने निष्कर्ष निकला “हार्ड ड्राइव को बदलने के अलावा मेरे पास कोई विकल्प नहीं बचा, हालाँकि यह सिस्टम को उसके फैक्टरी डिफ़ॉल्ट पर पुनर्स्थापित करेगा”। इसका मतलब यह होगा कि मैं अपना बहुत सारा डेटा खो दूंगा, लेकिन कंप्यूटर उस दिन की तरह काम करेगा, जिस दिन मैंने इसे खरीदा था। बाहर से भले ही टूटी-फूटी दिखाई देगी, लेकिन अंदर की स्थिति पुनर्स्थापित हो गई थी।

परमेश्वर का क्षमा भी उसी के सामान्य है। हम पाप करते है और अपने रास्ते में जाते है। लेकिन जब हम अपने अक्षमता और अपर्याप्तता स्वीकार करते है वह हमारे ‘फैक्टरी डिफ़ॉल्ट पर पुनर्स्थापित कर सकता है।' वह हमें एक नया हृदय के साथ एक नई शुरुआत देता है, एक दूसरा मौका। हमारा शरीर बुढा हो सकता है और टूटे-फूटे चिन्ह दिखा सकता है, लेकिन हमारा हृदय फैक्टरी डिफ़ॉल्ट पर पुनर्स्थापित किया जायेगा---जिस तरह से हम बनाए गये थे। जैसे उसने वादा किया था “मैं तुम को नया मन दूँगा, और तुम्हारे भीतर नई आत्मा उत्पन्न करूँगा, और तुम्हारी देह में से पत्थर का हृदय निकालकर तुम को मांस का हृदय दूँगा।”(यहेजकेल 36:26)

अभिमान और धोखा

प्रेमी परमेश्वर, आपके विनम्र सुधार के लिए धन्यवाद। अपने झुके कंधो के साथ, मैंने उन कठिन शब्दों को बड़बड़ाया। मैं बहुत अहंकारी रहा हूँ, यह सोचकर कि मैं सब अपने आप कर सकता हूँ। महीनों से, मैं सफल कार्य परियोजनाओं का आनंद ले रहा था, और प्रशंसाओं ने मुझे अपनी क्षमताओं पर भरोसा करने और परमेश्वर की अगुवाई को अस्वीकार करने के लिए प्रेरित किया। पर एक चुनौतीपूर्ण परियोजना ने मुझे एहसास दिलाया कि मैं उतना बुद्धिमान नहीं हूँ जितना मैं सोचता हूँ। मेरे घमंडी हृदय ने मुझे यह विश्वास दिलाकर धोखा दिया था कि मुझे परमेश्वर की सहायता की आवश्यकता नहीं है।

एदोम के शक्तिशाली राज्य ने अपने घमंड के कारण परमेश्वर से अनुशासन प्राप्त किया। एदोम पहाड़ी इलाकों के बीच स्थित था, जिससे वह दुश्मनों द्वारा आक्रमण करने के लिए मुश्किल प्रतीत होता था (ओबद्याह 1:3)। एदोम एक समृद्ध राष्ट्र भी था, जो सामरिक व्यापरिक मार्गों के केंद्र में स्थित था और तांबे में समृद्ध था, जो प्राचीन समय में एक अत्यधिक मूल्यवान वस्तु थी। वह अच्छी चीजों से भरा हुआ था किन्तु घमंड से भी। परमेश्वर के लोगों पर अत्याचार करने के बावजूद इसके नागरिकों का मानना था कि उनका राज्य अजेय है (पद 10-14)। परन्तु परमेश्वर ने ओबद्याह भविष्यद्वक्ता का उपयोग उन्हें अपने न्याय के बारे में बताने के लिए किया। राष्ट्र एदोम के खिलाफ उठ खड़े होंगे, और एक राज्य जो पहले शक्तिशाली था रक्षाहीन और तुच्छ होगा (पद 1-2)।

घमंड हमें यह धोखा देता है कि हम सोचें कि हम परमेश्वर के बिना अपना जीवन अपने तरीके से जी सकते हैं। यह हमें अधिकार, सुधार और कमजोरी के प्रति अभेद्य महसूस कराता है। परन्तु परमेश्वर हमें अपने आप को उसके सामने दीन करने के लिए बुलाता है (1 पतरस 5:6)। जब हम अपने अभिमान से मुड़ते हैं और पश्चाताप चुनते हैं, तो परमेश्वर हमें उस पर पूर्ण विश्वास की ओर ले जाता है।