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राष्ट्रों से प्रेम करना

मध्य और दक्षिण अमेरिका के दो प्यारे और मेहनती माता-पिता की बेटी होने के नाते, मैं आभारी हूँ कि उनमें बेहतर अवसरों के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रवास करने वाले अपने परिवार के पहले व्यक्ति होने का साहस था l वे न्यूयॉर्क शहर में युवा वयस्कों के रूप में मिले, विवाह किया, उनके पास मेरी बहन और मैं थी, और वे आगे बढ़कर अपना-अपना व्यवसाय चलाने लगे l 

न्यूयॉर्क के मूल निवासी के रूप में, मैं अपनी हिस्पैनिक/Hispanic(लातिनी अमरिकी) विरासत को अपनाते हुए बड़ी हुयी हूँ और विविध पृष्ठभूमि के लोगों से आकर्षित हुयी हूँ l उदाहरण के लिए, मैंने एक बार एक बहुसांस्कृतिक(multicultural) चर्च में एक शाम की आराधना में विश्वास की अपनी कहानी साझा की थी जो एक पूर्व ब्रॉडवे थिएटर(Broadway theater) में इकठ्ठा होती है l परमेश्वर के प्रेम के बारे में एक बहुसांस्कृतिक समूह से बात करना केवल इस बात की एक झलक है कि स्वर्ग कैसा होगा जब हम विभिन राष्ट्रों के लोगों को मसीह की देह के रूप में एक साथ मिलते देखेंगे l 

प्रकाशितवाक्य में, प्रेरित यूहन्ना हमें स्वर्ग का यह अद्भुत चित्र देता है : “मैंने दृष्टि की, और देखो, हर एक जाति और कुल और लोग और भाषा में से एक ऐसी बड़ी भीड़, जिसे कोई गिन नहीं सकता था . . . मेमने के सामने खड़ी है”(प्रकाशितवाक्य 7:9) l हमारे उद्धारकर्ता परमेश्वर को “स्तुति और महिमा’ प्राप्त होगी और इससे भी अधिक वह “युगानुयुग बनी रहे”(पद.12) l 

अभी तो हमें बस एक झलक मिली है कि स्वर्ग कैसा होगा l लेकिन एक दिन, हम जो यीशु में विश्वास करते हैं, उनके साथ और विभिन्न देशों, संस्कृतियों और भाषाओं के लोगों के साथ एकजुट होंगे l चूँकि परमेश्वर राष्ट्रों से प्रेम करता है, आइये हम भी मसीह में अपने वैश्विक परिवार से प्रेम करें l 

प्रार्थना करने के लिए ठहर जाएँ

मिसिसिपी(Mississippi) में एक मौसम विज्ञानी 24 मार्च, 2023 को अपने मौसम पूर्वानुमान के दौरान छह सरल लेकिन गहन शब्द बोलने के लिए वायरल हो गया l मैट लॉभैन एक भयंकर तूफ़ान पर नज़र रख रहे थे जब उन्हें एहसास हुआ कि एमोरी(Amory) शहर में एक विनाशकारी बवंडर(tornado) आने वाला था l तभी लॉभैन ने लाइव टीवी पर रूककर संसान भर में सुनी जा सकने वाली इस प्रार्थना को कहा : “प्रिय यीशु, उनकी मदद करें l आमीन l” कुछ दर्शकों ने बाद में कहा कि प्रार्थना ने उन्हें छिपने के लिए प्रेरित किया l उनकी सहज और हृदय की प्रार्थना ने अनगिनित लोगों की जान बचाने में मदद की होगी l 

हमरी प्रार्थनाएं भी फर्क ला सकती हैं l उन्हें उबाऊ होने की ज़रूरत नहीं है l वे संक्षिप्त और मधुर हो सकते हैं और दिन के किसी भी समय कहे जा सकते हैं l चाहे हम काम पर हों, काम-काज कर रहे हों, या छुट्टियों पर हों, हम “निरंतर प्रार्थना” कर सकते हैं(1 थिस्सलुनीकियों 5:17) l 

परमेश्वर को पूरे दिन हमारी प्रार्थना सुनना अच्छा लगता है l प्रेरित पौलुस हमें याद दिलाता है कि हमें चिंता या भय का कैदी नहीं बनना है, बल्कि हम अपनी सभी चिंताओं और देखभाल को परमेश्वर तक पहुँचा सकते हैं : “किसी भी बात की चिंता मत करो, परन्तु हर एक बात में तुम्हारे निवेदन, प्रार्थना और विनती के द्वारा धन्यवाद के साथ परमेश्वर के सम्मुख उपस्थित किये जाएं l तब परमेश्वर की शांति, जो सारी समझ से परे है, तुम्हारे हृदय और तुम्हारे विचारों को मसीह यीशु में सुरक्षित रखेगी”(फिलिप्पियों 4:6-7) l 

चाहे हम धुप वाले दिन का आनंद ले रहे हों या जीवन के शाब्दिक या प्रतीकात्मक तूफानों से प्रभावित हो रहे हों, आइये पूरे दिन थोड़ा ठहर कर और प्रार्थना करना याद रखें l 

 

परमेश्वर का प्रबंध

जून 2023 में जब एक से तेरह साल की उम्र के चार भाई-बहन कोलोम्बिया के अमेज़न जंगल में जीवित पाए गए तो संसार आश्चर्यचकित रह गया l एक विमान दुर्घटना के बाद भाई-बहन चालीस दिनों तक जंगल में जीवित रहे, जिसमें उनकी माँ की मृत्यु हो गयी थी l बच्चे, जो जंगल के कठोर इलाके से परिचित थे, जंगली जानवरों से पेड़ों के तनों में छिपते थे, झरनों और बारिश से पानी बोतलों में इकठ्ठा करते थे, और मलबे से कसावा/tapioca(एक प्रकार का जड़) का आटा खाते थे l वे यह भी जानते थे कि कौन से जंगली फल और बीज खाने के लिए सुरक्षित हैं l 

परमेश्वर ने भाई-बहनों को सहारा दिया l 

उनकी अविश्वसनीय कहानी मुझे याद दिलाती है कि कैसे परमेश्वर ने चालीस वर्षों तक मरुभूमि में इस्राएलियों को चमत्कारिक ढंग से जीवित रखा था, जो कि निर्गमन और गिनती की पुस्तकों में अंकित है और पूरे बाइबल में उल्लेख किया गया है l उसने उनके प्राणों की रक्षा की ताकि वे जानें कि वह उनका परमेश्वर है l 

परमेश्वर ने कड़वे झरने के पानी को पीने योग्य बना दिया, चट्टान से दो बार पानी उपलब्ध कराया, और दिन में बादल के खम्भे और रात में आग के खम्भे में अपने लोगों का मार्गदर्शन किया l उसने उनके लिए मन्ना भी उपलब्ध कराया l “मूसा ने उनसे कहा, ‘यह वही भोजन वस्तु है जिसे यहोवा तुम्हें खाने के लिए देता है l जो आज्ञा यहोवा ने दी है वह यह है : तुम उसमें से अपनी आवश्यकता के अनुसार खाने के लिए बटोरा करना’”(निर्गमन 16:15-16) l 

वही परमेश्वर हमें “हमारी प्रतिदिन की रोटी” देता है(मत्ती 6:11) l हम उस पर भरोसा कर सकते हैं कि वह “उस धन के अनुसार जो महिमा सहित मसीह यीशु में है, तुम्हारी हर एक घटी को पूरी करेगा”(फिलिप्पियों 4:19) l हम कितने सामर्थी परमेश्वर के उपासक हैं!

दयालुता के साधारण कार्य

जब मेरी माँ वृद्धों के अस्पताल(hospice) में और पृथ्वी पर अपने जीवन के आखिरी दिनों में थीं, तो एक नर्सिंग होम देखभाल कर्मी की वास्तविक दयालुता ने मुझे छू लिया l मेरी कमजोर माँ को धीरे से कुर्सी से उठाकर बिस्तर पर लिटाने के बाद, नर्सिंग सहायक ने माँ के सर को सहलाते हुए उन पर झुकते हुए बोली, “आप बहुत प्यारी हैं l” फिर उसने पुछा कि मैं कैसी हूँ l उसकी दयालुता ने मुझे तब भी रुलाया था और आज भी रुलाता है l 

उसकी दयालुता का एक साधारण कार्य था, लेकिन यह वही था जिसकी मुझे उस पल आवश्यकता थी l इससे मुझे इससे सामना करने में मदद मिली, यह जानकार कि इस महिला की नज़र में मेरी माँ सिर्फ एक मरीज़ नहीं थी l वह उसकी देखभाल करती थी और उसे एक बहुत ही मूल्यवान व्यक्ति के रूप में देखती थी l 

जब नाओमी और रूत अपने पतियों को खोने के बाद बेघर हो गयीं, तो बोअज़ ने रूत को कटाई करने वालों के पीछे बचा हुआ अनाज बीनने की अनुमति देकर उस पर दया दिखायी l यहाँ तक कि उसने कटाई करने वालों को उसे अकेला छोड़ देने की भी आज्ञा दी(रूत 2:8-9) l उसकी दयालुता नाओमी के लिए रूत की देखभाल से प्रेरित थी : “जो कुछ तू ने . . . अपनी सास से किया है . . . सब मुझे विस्तार के साथ बताया गया है”(पद.11) l उसने उसे एक विदेशी या विधवा के रूप में नहीं बल्कि एक आवश्यकतामंद महिला के रूप में देखा l 

परमेश्वर चाहता है कि हम “करुणा, दया, नम्रता, और सहनशीलता धारण करें”(कुलुस्सियों 3:12) l जब परमेश्वर हमारी मदद करता है, दयालुता के हमारे साधारण कार्य दिलों को खुश कर सकते हैं, आशा  ला सकते हैं और दूसरों में दयालुता को प्रेरित कर सकते हैं l 

परमेश्वर के परिवार में जोड़े गए

कुछ साल पहले मैं अपने  पिता के साथ उनके प्रिय शहर गई थी और उस पारिवारिक खेत का दौरा किया जहाँ वह पले-बढ़े थे। मैंने अजीब पेड़ों का एक समूह देखा। मेरे पिताजी ने समझाया कि जब बचपन में उन्हें शरारत करने की सूझती, तो वह एक फल के पेड़ से एक टूटी हुई शाखा लेते, एक अलग प्रकार के फल के पेड़ में चीरा लगाते, और टूटी हुई शाखा को तने से बाँध देते थे, जैसा की उन्होंने बड़ो को करते देखा था। उनकी शरारतों पर तब तक ध्यान नहीं गया जब तक कि उन पेड़ों पर उम्मीद से अलग फल लगने नहीं लगे। 

जैसे ही मेरे पिताजी ने ग्राफ्टिंग की प्रक्रिया का वर्णन किया(जिसमे दो अलग-अलग पौधों के तनों को एक साथ जोड़ा जाता है, और वें एक ही पौधे के रूप में विक्सित होने लगते है), मुझे एक तस्वीर दिखी यह दर्शाते हुए कि परमेश्वर के परिवार में जोड़े जाने का हमारे लिए क्या मतलब है। मैं जानती हूँ कि मेरे दिवंगत पिता अब स्वर्ग में हैं क्योंकि यीशु में विश्वास के द्वारा उन्हें परमेश्वर के परिवार में जोड़ा गया था।

अंततः हमें भी स्वर्ग में होने का आश्वासन मिला है। प्रेरित पौलुस ने रोम में विश्वासियों को समझाया कि परमेश्वर ने अन्यजातियों, या गैर-यहूदियों के लिए एक मार्ग बनाया है जिससे परमेश्वर और उनका मेल-मिलाप हो सके: " उनकी जगह पर कलम लगाये गये और जैतून के रस के भागीदार बने  हुए।” (रोमियों 11:17)। जब हम मसीह में अपना विश्वास रखते हैं, तो हम उसके साथ जुड़ जाते हैं और परमेश्वर के परिवार का हिस्सा बन जाते हैं। "यदि तुम मुझ में बने रहो और मैं तुम में, तो तुम बहुत फल फलोगे" (यूहन्ना 15:5)।

जोड़े गए पेड़ों के समान, जब हम मसीह पर भरोसा करते हैं, तो हम एक नई रचना बन जाते हैं और बहुत फल पैदा कर सकते हैं।

आपके हाथ में क्या है?

उद्धार प्राप्त करने और अपना जीवन परमेश्वर को समर्पित करने के कुछ वर्षों के बाद, मैंने महसूस किया कि वह मुझे अपनी पत्रकारिता आजीविका(journalism career) त्यागने का निर्देश दे रहा है l जैसे ही मैंने अपनी कलम रखी और मेरी लेखनी छुप गयी, मैं यह महसूस किए बिना नहीं रह सका कि एक दिन परमेश्वर मुझे अपनी महिमा के लिए लिखने के लिए बुलाएगा l अपने व्यक्तिगत जंगल/सुनसान प्रदेश में भटकने के वर्षों के दौरान मुझे निर्गमन 4 में मूसा और उसकी लाठी की कहानी से प्रोत्साहन मिला l 

मूसा, जो फिरौन के महल में पला-बढ़ा था और जिसका भविष्य आशाजनक था, मिस्र से भाग गया और एक चरवाहे के रूप में गुमनामी में रह रहा था जब परमेश्वर ने उसे बुलाया l मूसा ने सोचा होगा कि उसके पास परमेश्वर को देने के लिए कुछ भी नहीं है, लेकिन उसने सिखा कि वह अपने महिमा के लिए किसी को भी और किसी भी चीज़ का उपयोग कर सकता है l 

“तुम्हारे हाथ में वह क्या है?” परमेश्वर ने पूछा l मूसा ने उत्तर दिया, “एक लाठी l” परमेश्वर ने कहा, “इसे भूमि पर फेंक दे” (निर्गमन 4:2-3) l मूसा की साधारण लाठी सांप बन गयी l जब उसने सांप को पकड़ लिया, तो परमेश्वर ने उसे वापस लाठी में बदल दिया (पद.3-4) l यह चिन्ह इसलिए दिया गया था ताकि इस्राएली विशवास करें कि “यहोवा, उनके पूर्वजों का परमेश्वर—अब्राहम का परमेश्वर, इसहाक का परमेश्वर और याकूब का परमेश्वर—उनके सामने प्रकट हुआ है” (पद.5) l जैसे ही मूसा ने अपने लाठी को नीचे फेंका और उसे फिर से उठाया, मैंने परमेश्वर की आज्ञाकारिता में एक पत्रकार के रूप में अपनी आजीविका/career उसके समक्ष रख दी l बाद में, उसने मुझे फिर से कलम उठाने के लिए निर्देशित किया और अब मैं उसके लिए लिख रहा हूँ l 

हमें परमेश्वर द्वारा उपयोग किये जाने के लिए बहुत कुछ की ज़रूरत नहीं है l हम बस उन प्रतिभाओं से उसकी सेवा कर सकते हैं जो उन्होंने हमें दी है l निश्चित नहीं हैं कि कहाँ से आरम्भ की जाए? आपके हाथ में क्या है?

एक सार्थक हाइफ़न

जैसे ही मैं अपनी माँ की जीवन सेवा के उत्सव की तैयारी कर रहा था, मैंने उनके "हाइफ़न वर्ष" - उनके जन्म और मृत्यु के बीच के वर्षों - का वर्णन करने के लिए सही शब्दों के लिए प्रार्थना की। मैंने हमारे रिश्ते के अच्छे और बुरे समय पर विचार किया। मैंने उस दिन के लिए परमेश्वर की स्तुति की, जब मेरी माँ ने यीशु को मुझे "बदलते" हुए देखकर उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया था। मैंने उन्हें एक साथ विश्वास में बढ़ने में मदद करने के लिए और उन लोगों के लिए धन्यवाद दिया, जिन्होंने बताया कि कैसे मेरी माँ ने उन्हें प्रोत्साहित किया और उन पर दया करते हुए उनके लिए प्रार्थना की। मेरी अपूर्ण माँ ने एक सार्थक हाइफ़न का आनंद लिया - यीशु के लिए एक अच्छा जीवन जीया।

यीशु में विश्वास करने वाला कोई भी व्यक्ति सिद्ध नहीं है। हालाँकि, पवित्र आत्मा हमें "प्रभु के योग्य जीवन जीने और उसे हर तरह से प्रसन्न करने" में सक्षम कर सकता है (कुलुस्सियों 1:10)। प्रेरित पौलुस के अनुसार, कुलुस्से का चर्च अपने विश्वास और प्रेम के लिए जाना जाता था (पद. 3-6)। पवित्र आत्मा ने उन्हें "बुद्धि और समझ" दी और उन्हें "परमेश्वर के ज्ञान में बढ़ते हुए, हर अच्छे काम में फल देने" का अधिकार दिया (पद. 9-10)। जैसे ही पौलुस ने उन विश्वासियों के लिए प्रार्थना की और उनकी प्रशंसा की, उन्होंने यीशु के नाम की घोषणा की, "जिसमें हमें मुक्ति, पापों की क्षमा मिलती है" (पद 14)।

जब हम पवित्र आत्मा के प्रति समर्पण करते हैं, तो हम भी परमेश्वर के बारे में अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं, उनसे और लोगों से प्यार कर सकते हैं, सुसमाचार फैला सकते हैं, और एक सार्थक हाइफ़न का आनंद ले सकते हैं - यीशु के लिए एक अच्छा जीवन।

 

एक सार्थक हाइफ़न

जैसे ही मैं अपनी माँ की जीवन सेवा के उत्सव की तैयारी कर रहा था, मैंने उनके "हाइफ़न वर्ष" - उनके जन्म और मृत्यु के बीच के वर्षों - का वर्णन करने के लिए सही शब्दों के लिए प्रार्थना की। मैंने हमारे रिश्ते के अच्छे और बुरे समय पर विचार किया। मैंने उस दिन के लिए परमेश्वर की स्तुति की, जब मेरी माँ ने यीशु को मुझे "बदलते" हुए देखकर उसे अपना उद्धारकर्ता स्वीकार कर लिया था। मैंने उन्हें एक साथ विश्वास में बढ़ने में मदद करने के लिए और उन लोगों के लिए धन्यवाद दिया, जिन्होंने बताया कि कैसे मेरी माँ ने उन्हें प्रोत्साहित किया और उन पर दया करते हुए उनके लिए प्रार्थना की। मेरी अपूर्ण माँ ने एक सार्थक हाइफ़न का आनंद लिया - यीशु के लिए एक अच्छा जीवन जीया।

यीशु में विश्वास करने वाला कोई भी व्यक्ति सिद्ध नहीं है। हालाँकि, पवित्र आत्मा हमें "प्रभु के योग्य जीवन जीने और उसे हर तरह से प्रसन्न करने" में सक्षम कर सकता है (कुलुस्सियों 1:10)। प्रेरित पौलुस के अनुसार, कुलुस्से का चर्च अपने विश्वास और प्रेम के लिए जाना जाता था (पद. 3-6)। पवित्र आत्मा ने उन्हें "बुद्धि और समझ" दी और उन्हें "परमेश्वर के ज्ञान में बढ़ते हुए, हर अच्छे काम में फल देने" का अधिकार दिया (पद. 9-10)। जैसे ही पौलुस ने उन विश्वासियों के लिए प्रार्थना की और उनकी प्रशंसा की, उन्होंने यीशु के नाम की घोषणा की, "जिसमें हमें मुक्ति, पापों की क्षमा मिलती है" (पद 14)।

जब हम पवित्र आत्मा के प्रति समर्पण करते हैं, तो हम भी परमेश्वर के बारे में अपने ज्ञान में वृद्धि कर सकते हैं, उनसे और लोगों से प्यार कर सकते हैं, सुसमाचार फैला सकते हैं, और एक सार्थक हाइफ़न का आनंद ले सकते हैं - यीशु के लिए एक अच्छा जीवन।

 

बढ़ती उम्र (उम्र बढ़ना)

टेक्सास की दो दादी हाल ही में इक्यासी साल की उम्र में अस्सी दिनों में दुनिया भर की यात्रा पूरी करने के लिए मीडिया  के लिए सनसनी (हलचल) बन गईं। तेईस वर्षों से विश्व भ्रमण कर रहे सबसे अच्छे मित्रों ने सभी सात महाद्वीपों की यात्रा की।उन्होंने अंटार्कटिका में शुरुआत की, अर्जेंटीना में अर्जेंटीना में घूमे , मिस्र में ऊँट की सवारी की, और उत्तरी ध्रुव पर स्लेज की सवारी की। उन्होंने जाम्बिया, भारत, नेपाल, बाली, जापान और रोम सहित अठारह देशों का दौरा किया और ऑस्ट्रेलिया में अपनी यात्रा समाप्त की। दोनों ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि वे आने वाली पीढ़ियों को दुनिया की यात्रा का आनंद लेने के लिए प्रेरित करेंगे, चाहे उनकी उम्र कुछ भी हो।

निर्गमन में, हम दो अस्सी वर्ष के लोगों के बारे में पढ़ते हैं जिन्हें परमेश्वर ने जीवन भर के एक अलग तरह के साहसिक कार्य के लिए भर्ती किया था। उसने मूसा को फिरौन के पास जाने और उससे परमेश्वर के लोगों को बंधन से मुक्त करने की माँग करने के लिए बुलाया। परमेश्वर ने मूसा के बड़े भाई हारून को सहायता के लिए भेजा। "जब उन्होंने फिरौन से बातें की तब मूसा अस्सी वर्ष का और हारून तिरासी वर्ष का था" (निर्गमन 7:7)।

यह अनुरोध किसी भी उम्र में कठिन लगेगा, लेकिन परमेश्वर ने इन भाइयों को इस कार्य के लिए चुना था, और उन्होंने उसके निर्देशों का पालन किया। " इसलिए मूसा और हारून फ़िरौन के पास गए और यहोवा की आज्ञा का पालन किया। " (पद 10)।

मूसा और हारून को यह देखने का सम्मान मिला कि परमेश्वर ने अपने लोगों को चार सौ से अधिक वर्षों की दासता से मुक्ति दिलाई। ये लोग प्रदर्शित करते हैं कि वह किसी भी उम्र में हमारा उपयोग कर सकता है। चाहे हम युवा हों या वृद्ध, आइए जहाँ भी वह नेतृत्व करे, उसका अनुसरण करें।