पहला कदम

 

परमेश्वर ने मसीह में होकर अपने साथ संसार का मेल-मिलाप कर लिया, और उनके अपराधों का दोष उन पर नहीं लगाया, और उस ने मेल-मिलाप का वचन हमें सौंप दिया है l – 2 कुरिन्थियों 5:19

 

थाम दाशु ने अपने जीवन में कुछ कमी महसूस करके अपनी बेटी के चर्च जाने लगा l किन्तु वे अलग-अलग जाते थे l कुछ दिन पहले वह अपनी बेटी को ठेस पहुँचाया था, जिससे दोनों के बीच अलगाव हो गया था l इसलिए, थाम गीत आरंभ होने के बाद चुपचाप अन्दर जाकर आराधना समाप्ति के तुरंत बाद निकल आता था l

 

कलीसिया के सदस्यों ने थाम को सुसमाचार बताया, किन्तु वह यीशु पर विश्वास करने का उनका निमंत्रण नम्रता के साथ टाल जाता था l किन्तु, वह चर्च जाता रहा l

 

एक दिन थाम काफी बीमार हो गया l उसकी बेटी ने हिम्मत जुटाकर उसको पत्र लिखी l उसने बताया किस तरह मसीह ने उसका जीवन बदल दिया था, और उसने अपने पिता से मेल-मिलाप किया l उस रात, थाम यीशु पर विश्वास किया और परिवार में मेल हो गया l कुछ दिन बाद, थाम की मृत्यु हो गयी और वह यीशु की उपस्थिति में प्रवेश करके परमेश्वर और अपने प्रियों के साथ शांति पाया l

 

प्रेरित पौलुस ने लिखा कि हम भी परमेश्वर के प्रेम और क्षमा की सच्चाई “लोगों को समझाते हैं” (2 कुरिन्थियों 5:11) l मेल-मिलाप की सेवा हेतु “मसीह का प्रेम [ही] हमें विवश कर देता है” (पद.14) l

 

दूसरों को क्षमा करने की हमारी इच्छा उनको समझने में सहायता करेगा कि परमेश्वर हमसे मेल-मिलाप करना चाहता है (पद.19) l क्या आप परमेश्वर की सामर्थ्य पर भरोसा करके उनको उसका प्रेम दिखाएँगे?

 

दूसरों के साथ मेल-मिलाप की हमारी इच्छा उनको परमेश्वर का हृदय दर्शाती है l