पढ़ें: मत्ती 4:1-11
तब उस समय आत्मा यीशु को जंगल में ले गया ताकि इब्लीस से उस की परीक्षा हो। (पद 1)
पुस्तक उलिसिस जो जेम्स जोयस के द्वारा लिखी गई, प्राय: आधुनिक काल्पनिक साहित्य की उत्कृष्ट रचना मानी जाती है। कुछ के लिए वह अजीब है, कुछ के लिए समझ से बिलकुल बाहर है। जोयस को प्राय: अजीब समझा जाता था। वह जब लिखता था, तो वह पेट के बल लेट जाता था, और बहुत बड़ी पेंसिल का प्रयोग करता था, पृष्ठ (पेज़) से उसका मुंह कुछ ही इंच की दूरी पर रहता था। कई लोग इस बात को इस अनोखे मनुष्य का जिज्ञासु स्वभाव मानते थे। पर वास्तव में इस स्वभाव के पीछे एक मुख्य कारण था। जोयस करीब करीब दृष्टिहीन था इसलिए उसे इस प्रकार लिखना पड़ता था ताकि वह पृष्ठ को स्पष्ट रूप से देख सके।
यीशु मसीह की परीक्षाएँ जो रेगिस्तान में थी वह बहुत विषम थी। उसको यूहन्ना बपतिस्मा देने वाले के द्वारा बपतिस्मा दिया ही गया था (मत्ती 3:13-16), उस समय के सबसे शक्तिशाली भविष्यद्व्क्ता के द्वारा, और उसके तुरंत बाद वह जंगल में उपवास रखकर निराहार रहा और शैतान से उसकी परीक्षा हुई। (4:1) प्रचार कार्य को आरंभ करने का एक भिन्न तरीका है! पर हम इस पदयांश में देखते हैं कि इस स्थिति से भी अधिक है जैसे कि यीशु को परमेश्वर की आत्मा जंगल में लेकर गई। यह कोई मूर्खतापूर्ण चुनाव नहीं था — परमेश्वर की बुद्धि और देखभाल यीशु के साथ थी जबकि वह परीक्षा का साम्हना कर रहा था। यह केवल एक मौका नहीं था जबकि यीशु को आत्मा ने अगुवाई दी, क्योंकि हम जानते हैं कि उसपर बपतिस्मा के समय भी पवित्रात्मा थी। (3:16) और यीशु को उसके सुसमाचार के प्रचार के प्रथम शब्द मिले। (लूका 4:18)
यीशु के अनुयायियों के चुनाव को अन्य लोग समझ नहीं पाते हैं या उसमें उन्हें कुछ समझदारी नहीं लगती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि हमारा जीवन पवित्र आत्मा के द्वारा संचालित है (रोमियों 8:9), जिसको संसार नहीं समझ पाता है (1 कुरिन्थियों 2:10-12)। पर यदि हम पवित्र आत्मा की अगुवाई में चलें, हम इस बात पर विश्वास कर सकते हैं कि परमेश्वर की उपस्थिती, प्रेम और ज्ञान हमारे साथ है — चाहे जीवन में हमारे कोई भी मोड़ आयें।
– पीटर चिन
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क्या आपको कभी आत्मा ने ऐसा करने के लिए अगुवाई दी है जिसे अन्य कोई समझ नहीं पाया हो? आप कैसे आत्मा की अगुवाई और अपने हृदय की इच्छाओं और सनक में अंतर कर पाएंगे?