इजैक असिमोव बोस्टन विश्वविद्यालय में एक अमेरिकी लेखक और बायोकैमिस्ट्री (जीवरसायन) के प्रोफेसर थे। 500 से अधिक पुस्तकों का लेखन या संपादन करते हुए, उन्होंने कहा, “इस समय जीवन का सबसे गम्भीर (दुखी) पहलू यह है कि समाज जितनी तेजी से ज्ञान इकट्ठा करता है, उससे कहीं अधिक तेजी से विज्ञान ज्ञान इकट्ठा करता है।” एक अन्य अवसर पर उन्होंने लिखा, “यहाँ तक कि एक युवा के रूप में भी। . . मैं स्वयं को यह विश्वास नहीं दिला सका कि यदि ज्ञान ख़तरा प्रस्तुत करता है, तो इसका समाधान अज्ञान है। मुझे हमेशा ऐसा लगता था कि इसका समाधान समझदारी ही होगी। आपने खतरे को देखने से इनकार नहीं किया, बल्कि आपने सीखा कि इसे सुरक्षित रूप से कैसे संभालना है।”

असिमोव ने जो देखा, हम उसी में रह रहें है। हममें से किसने नम्रता, प्रेम या बुद्धि के बिना, बिना सोचे समझे सच बोलने से होने वाले दुख को नहीं देखा है ? विज्ञान और तकनीक (प्रौद्योगिकी) के युग में ज्ञान के बिना जीवन जीने की कीमत का अनुमान कौन लगा सकता है?

इसलिए, यह ध्यान देने योग्य बात है कि शिकागो विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान ने एक प्रोजेक्ट शुरू किया है, जिसे विज्डम रिसर्च प्रोजेक्ट कहा है । प्रयास का एक परिचय बताता है, “बुद्धि को एक समय, इसकी प्रकृति और लाभों को समझने के लिए कठोर अध्ययनशील जांच के योग्य विषय माना जाता था; हालाँकि, हाल तक बुद्धि को गंभीर अध्ययनशील और वैज्ञानिक जाँच के विषय के रूप में अपेक्षाकृत अनदेखा किया गया है। मानव होने की सर्वोच्च आकांक्षाओं के लिए अधिक केंद्रीय विषय की कल्पना करना कठिन है।”

एक प्राचीन गुण के प्रति इस उच्च (शानदार) श्रद्धांजलि में, बाइबल के पढ़ने वाले सुलैमान की गूंज (प्रतिध्वनि) सुन सकते हैं। “क्या ही धन्य है वह मनुष्य जो बुद्धि पाए, और वह मनुष्य जो समझ प्राप्त करे, क्योंकि बुद्धि की प्राप्ति चान्दी की प्राप्ति से बड़ी, और उसका लाभ चोखे सोने के लाभ से भी उत्तम है। वह मूंगे से अधिक अनमोल है, और जितनी वस्तुओं की तू लालसा करता है, उन में से कोई भी उसके तुल्य न ठहरेगी।” (नीतिवचन 3:13-15 )।

हमारे समय में, सुलैमान न केवल ज्ञान का समान अर्थ वाला शब्द है लेकिन लापरवाह आत्म लीनता के साथ भी है । फिर भी हम उनके बुद्धि की खोज, उनके जीवन के पहले प्यार को, मूर्खता के रूप में खारिज नहीं करते हैं। बल्कि हम ज्ञान की लालसा रखते हैं हमने जो शुरुआत की थी उससे बेहतर अंत करने के लिये ताकि हम अपनी दुनिया को जैसा हमने इसे पाया था उससे बेहतर छोड़कर जायें, और इस प्रक्रिया में दूसरों के चेहरे पर मुस्कान लायें।

बुद्धि आनंद और संतुष्टि प्रदान करती है। बाइबिल के अनुसार, हमारे निर्माता ने बुद्धिमानी से दुनिया बनाई और फिर इसे हमारी मूर्खता की गंदगी से बचाने के लिए खुद का बलिदान दिया।

ऐसे विचारों ने हमें बाइबल की ज्ञान की सबसे प्रसिद्ध पुस्तक के अंतिम अध्याय पर ऐलिस मैथ्यूज़ की अंतर्दृष्टि के प्रति गहरी सराहना प्रदान की है ।जब हम उसे सुनते हैं, हमें नीतिवचन 31 की प्रशंसा की जाने वाली और घृणा की जाने वाली “गुणी महिला” में ताज़ा अंतर्दृष्टि मिलती है। जैसा कि ऐलिस आने वाले पृष्ठों में बताएगी, पवित्रशास्त्र के इस खंड ने ज्ञान की हमारी पूरी समझ में जो योगदान दिया है उसे गलत समझा गया है, इसका कम मूल्यांकन किया गया है और इसे नजरअंदाज कर दिया गया है।

जब तक ऐलिस की बात पूरी होगी, हम यह भी समझ सकते हैं कि सुलैमान बुद्धि पर अंतिम अध्याय लिखने वाला व्यक्ति क्यों नहीं था। शायद यह अच्छे कारण के लिए है — कि यह विवरण उस राजा द्वारा नहीं लिखा गया था जिसने 700 पत्नियों और 300 रखैलियों को इकट्ठा करके बुद्धि को बदनाम किया था। जैसा कि ऐलिस दिखाती है, इसके विपरीत राजा लमूएल की बुद्धि, स्त्री के रूप में बुद्धि (लेडी विजडम) का वर्णन इस तरह से किया गया है जो उसका सम्मान करने वाले किसी भी पुरुष या महिला के जीवन को समृद्ध बनाएगा।

ऐलिस, बुद्धि की हमारी आवश्यकता के दृष्टिकोण को नया करने से कहीं अधिक करती है। वह हमें यह याद रखने का कारण देती है कि सुलैमान ने जो बुद्धिमान बातें एकत्र कीं और बोलीं, वे अपने आप में न तो शुरुआत हैं और न ही अंत हैं।

ऐसे दिन में जब धर्मनिरपेक्ष शिक्षा जगत खोई हुई कला और बुद्धि के खजाने को याद कर रहा है, ज्ञान के सच्चे स्रोत को फिर से खोजने से अधिक महत्वपूर्ण क्या हो सकता है, और ईश्वर द्वारा प्रेरित पुस्तक हमें ज्ञान के लिए ज्ञान से परे कैसे ले जाती है।

    मार्ट डेहान

 

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बा इबल के कुछ अंश मुझे एक प्रसिद्ध हास्य अभिनेता की पंक्ति की याद दिलाते हैं जो कुछ इस प्रकार है “बस कोई सम्मान नहीं मिलता।” एक अंश नीतिवचन 31:10-31 है। कई पुरुष इस पाठ को अनदेखा कर देते हैं क्योंकि उन्हें यकीन है कि यह केवल महिलाओं के लिए लिखा गया है। कई महिलाएं इस पर ध्यान नहीं देतीं क्योंकि उन्हें यकीन है कि यह कुछ ऐसा कहता है जिसे वे सुनना नहीं चाहतीं। जबकि अधिकांश मसीही इस अनुच्छेद के बारे में कुछ न कुछ जानते हैं, बहुत से लोग इसे अनदेखा करना चुनते हैं। लेकिन हम सभी को – पुरुषों और महिलाओं दोनों को – तीन कारणों से इस महत्वपूर्ण अनुच्छेद की आवश्यकता है। सबसे पहले और सबसे बुनियादी रूप से, हमें इसकी आवश्यकता है क्योंकि, परमेश्वर की पवित्र आत्मा की प्रेरणा के तहत, यह बाइबल में शामिल है। प्रेरित पौलुस ने तीमुथियुस को याद दिलाया कि “हर एक पवित्राशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है और हमारे उपदेश, समझाने, सुधारने, और धर्म की शिक्षा के लिये लाभदायक है।” और इसमें नीतिवचन 31 भी शामिल है। 

दूसरा, यह अनुच्छेद परमेश्वर के लोगों की बुद्धि का सारांश प्रस्तुत करता है। नीतिवचन की पुस्तक यहोवा का भय मानना बुद्धि का मूल है के बारे में बात करते हुए शुरू होती है (1:7), और यह उस व्यक्ति की प्रशंसा के साथ समाप्त होती है जो प्रभु का भय मानता है (31:30)। अध्याय 1 हमें शहर की सड़कों पर चिल्लाती हुई स्त्री के रूप में बुद्धि से परिचित कराता है, जो युवाओं को अपने जीवन और अपनी पसंद पर पुनर्विचार करने के लिए बुलाती है, और उन्हें प्रभु का भय चुनने के लिए कहती है। अध्याय 31 स्त्री के रूप में बुद्धि को साधारण कपड़ों में दिखाता है, जो हमें दिखाता है कि जिस व्यक्ति ने बुद्धिमानी से परमेश्वर से डरने का फैसला किया है वह कैसा दिखता है ।

अध्याय 31 स्त्री के रूप में बुद्धि को साधारण कपड़ों में दिखाता है, जो हमें दिखाता है कि जिस व्यक्ति ने बुद्धिमानी से परमेश्वर से डरने का फैसला किया है वह कैसा दिखता है ।

इस महत्वपूर्ण अनुच्छेद की आवश्यकता का तीसरा कारण अध्याय के अंतिम बाईस पदों की संरचना है। नीतिवचन 31:10-31 एक अक्षरबद्ध कविता है। उस अनुच्छेद का प्रत्येक पद यहूदी वर्णमाला (एलेफ, बेथ, गिमेल, डेलेथ, हे, वाउ, आदि) के एक अक्षर से शुरू होता है। इसका क्या मतलब है? प्राचीन दुनिया में, एक्रोस्टिक्स का उपयोग मेमोरी डिवाइस (याद करने वाला यंत्र) के रूप में किया जाता था। यदि आप वर्णमाला के अक्षरों को जानते थे, तो आप वर्णमाला के अगले अक्षर को याद करके विचारों की एक श्रृंखला को याद कर सकते थे । हम आज इसका उपयोग करते हैं, लेकिन प्राचीन दुनिया में, मौखिक संस्कृतियों में यह और भी अधिक महत्वपूर्ण था, जिसमें लोगों का ज्ञान मुंह से कान तक (एक बोलता है और दूसरा सुनता है) एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक प्रसारित होता था। बच्चों ने मौखिक रूप से वही सीखा जो उन्हें जानना आवश्यक था। एक आक्रोस्टिक कविता याद रखने में उनकी मदद करने का एक तरीका था। नीतिवचन 31:10-31 एक आक्रोस्टिक कविता के रूप में लिखा गया था ताकि इसे आसानी से याद किया जा सके। इसे याद करना होता था।

क्यों? क्योंकि यह परमेश्वर के लोगों की बुद्धि का सारांश प्रस्तुत करता है जो नीतिवचन की पुस्तक में पाई जाती है। यह हम सभी के लिए है कि हम यह जानें कि जीवन को बुद्धिमानी से कैसे जीना है।

पवित्रशास्त्र का मूल यहूदी (हिब्रू) विषय स्वरों के बिना लिखा गया था। शब्दों को पढ़ना और समझना स्वर ध्वनियों को सुनने और जानने पर आधारित था।

कविता दसवें पद से एक प्रश्न और एक कथन के साथ शुरू होती है: “भली पत्नी कौन पा सकता है? क्योंकि उसका मूल्य मूंगों से भी बहुत अधिक है।” बाइबिल का नया अंतर्राष्ट्रीय संस्करण इस प्रकार यहूदी पाठ का अनुवाद करता है। यदि आप न्यू अमेरिकन स्टैंडर्ड बाइबल पढ़ रहे हैं, तो आप पाएंगे, “एक उत्तम पत्नी कौन पा सकता है?” लेकिन यदि आप न्यू किंग जेम्स संस्करण में पढ़ रहे हैं, तो यह पूछता है, “एक गुणी पत्नी कौन पा सकता है?” जब हम किसी यहूदी शब्द के अलग-अलग अनुवाद देखते हैं जिसका मतलब बिल्कुल एक ही नहीं लगता है, तो हमें वापस जाना होगा और पूछना होगा कि पुराने नियम के अन्य हिस्सों में उस यहूदी शब्द का उपयोग कैसे किया गया था। इस अत्यधिक इच्छा करने योग्य महिला को , जिसका मूल्य मूंगों से कहीं अधिक है, यहूदी भाषा में एक कायिल या चायिल महिला कहते हैं। एक अर्थ में, हमारा कोई भी अनुवाद – भली, उत्तम , या गुणी – इस यहूदी शब्द की भावना को पकड़ नहीं पाता है। अध्याय 31 पहले से ही छंद 2-3 में उस यहूदी शब्द का उपयोग कर चुका है: “हे मेरे पुत्र, हे मेरे निज पुत्र! हे मेरी मन्नतों के पुत्र! अपना बल स्त्रियों को न देना, न अपना जीवन उनके वश कर देता जो राजाओं का पौरूष खो देती हैं।”

बाइबिल में ताकत और वीरता सिर्फ मर्दाना (पौरूष) गुण नहीं हैं। कई लोग दावा करते हैं कि बाइबल सिखाती है कि एक पुरुष की पहचान उसकी ताकत में पाई जाती है और एक महिला की पहचान उसकी सुंदरता में पाई जाती है। हालाँकि यह एक हद तक सच है; महिलाओं के साथ-साथ पुरुषों को भी निर्देश दिया जाता है कि वे परमेश्वर द्वारा दी गई शक्ति का उपयोग उसके उद्देश्यों के लिए करें।

जब हम पूरे पुराने नियम में इस यहूदी भाषा के शब्द के उपयोग को देखते हैं, तो हम देखते हैं कि पद 3 अधिक उचित रूप से इसे ताकत के रूप में अनुवादित करता है। यह बाइबल में एक सामान्य शब्द है, जिसका प्रयोग 246 बार किया गया है। इसका उपयोग तीन बार एक महिला के लिए किया गया है (रूत 3:11, नीतिवचन 12:4, और यहां नीतिवचन 31:10 में), लेकिन अधिकतर यह सैनिकों या सेनाओं का वर्णन करता है। शब्द का मूल अर्थ ताकत या शक्ति है, और अधिकांश मामलों में इसका मतलब सैन्य कौशल से है। दाऊद के पराक्रमी पुरुष कायिल पुरुष हैं।

[नीतिवचन 31] परमेश्वर के लोगों की बुद्धि का सारांश प्रस्तुत करता है जो नीतिवचन की पूरी किताब में पाया जाता है। यह हम सभी के लिए है कि हम यह जानें कि जीवन को बुद्धिमानी से कैसे जीना है।

इस शब्द का अनुवाद अक्सर बहादुर (वीर, साहसी) के रूप में किया जाता है, जो युद्ध में आवश्यक बहादुरी की गुणवत्ता का संदर्भ देता है। एक सैनिक युद्ध में डटकर खड़ा रहता है, अपनी जगह छोड़ने या कर्तव्य से भागने से इनकार करता है। इसलिए जो व्यक्ति कायिल है (दाऊद के शक्तिशाली लोगों की तरह) उसके पास जिम्मेदारियों को निभाने और बाधाओं को दूर करने की अंदरूनी (आंतरिक) शक्ति है। नीतिवचन 31:10 इस प्रकार के व्यक्ति के बारे में है – मजबूत, बहादुर, अंदरूनी शक्ति वाला व्यक्ति जो बाधाओं पर विजय प्राप्त कर सकता है।

“और दाऊद ने इस्राएल के सब हाकिमों को अर्थात् गोत्रों के हाकिमों और राजा की सेवा टहल करनेवाले दलों के हाकिमों को और सहस्रपतियों और शतपतियों और राजा और उसके पुत्रों के पशु आदि सब धन सम्पत्ति के अधिकारियों, सरदारों और वीरों (कायिल) और सब शूरवीरों को यरूशलेम में बुलवाया।” (1 इतिहास 28:1)।

जो व्यक्ति कायिल है (दाऊद के शक्तिशाली लोगों की तरह) उसके पास जिम्मेदारियों को निभाने और बाधाओं को दूर करने की अंदरूनी (आंतरिक) शक्ति होती है।

पद 10 के कुछ अनुवादों में प्रशन पूछा गया है, “गुणी पत्नी कौन पा सकता है?” अनुवाद किया गया पत्नी शब्द वही है जो स्त्री के लिए है। कुछ अनुवादकों ने शायद पत्नी शब्द इसलिए चुना है क्योंकि अगले दो पद उसके पति के बारे में बात करते हैं। लेकिन ऐसा नहीं है कि यह अकेले (एकल) लोगों को परेशानी से नहीं बचाता! इस मजबूत, बहादुर व्यक्ति के पास जीवन जीने के लिए बुद्धि या कौशल है; और नीतिवचन 31 में हम इसे एक बुद्धिमान महिला–रूप में देखते हैं। जब हम उसे देखते हैं, हम देखते हैं कि दैनिक जीवन में बुद्धि कैसी दिखती है। इस महिला के गुण ऐसे गुण हैं जो परमेश्वर के लोगों की बुद्धि का सारांश प्रस्तुत करते हैं। वे गुण अकेले लोगों के साथ साथ विवाहितों पुरुषों और महिलाओं के लिए भी हैं।

स्त्री या पत्नी के लिए एक ही शब्द का उपयोग पवित्रशास्त्र के यूनानी और यहूदी दोनों लेखों में आम है। संदर्भ किसी दिए गए अनुच्छेद में शब्द का अर्थ निर्धारित करता है।

 

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तो एक ताकतवर व्यक्ति की क्या विशेषता होती है? एक बुद्धिमान महिला का पहला लक्षण यह है कि वह भरोसेमंद होती है। पद 11 और 12 में हम पढ़ते हैं: “उसके पति के मन में उसके प्रति विश्वास है। और उसे लाभ की घटी नहीं होती। वह अपने जीवन के सारे दिनों में उस से बुरा नहीं, वरन भला ही व्यवहार करती है।”
यह स्पष्ट है कि इस महिला का पति उस पर भरोसा कर सकता है, यह जानते हुए कि वह पूंजी (बजट) बर्बाद नहीं करेगी या डाकवाले के साथ भाग नहीं जाएगी। वह भरोसेमंद है ।

मजबूत और बुद्धिमान महिला केवल भरोसा करने के योग्य ही नहीं है, परन्तु भरोसेमंद है। उसके चरित्र के कारण उस पर पति का भरोसा कायम है। तात्पर्य यह है कि इस मजबूत, बुद्धिमान महिला के साथ व्यवहार करने वाले सभी लोग भी उस पर भरोसा कर सकते हैं क्योंकि वह उनके विश्वास के योग्य है जैसे वह अपने पति के विश्वास के लिए योग्य है।

क्या आप एक भरोसेमंद व्यक्ति हैं ? क्या आप पर भरोसा किया जा सकता है कि आप जीवन भर नुकसान नहीं, बल्कि अच्छा करेंगे? यदि ऐसा है, तो आप पूर्ण रूप से शक्तिशाली बुद्धिमान व्यक्ति बनने की राह पर हैं।

पद 13 से 18 में हमें पता चलता है कि यह बहादुर, मजबूत, प्रतिबद्ध, बुद्धिमान व्यक्ति चतुर भी है। हममें से, अधिकतर लोगों को सुनने में यह शब्द अच्छा नहीं लगेगा लेकिन शब्दकोश हमें बताता है कि इसका सीधा सा अर्थ है कोई समझदार व्यक्ति। चतुर व्यक्ति वह नहीं है जो दूसरे लोगों का फायदा उठाता है, बल्कि वह है जो अवसरों का फायदा उठाता है। पद 13-18 में चतुराई इसी तरह दिखती है: पद 13 में कहा गया है कि यह बुद्धिमान, मजबूत महिला “ऊन और सन चुनती है और उत्सुक हाथों से काम करती है।” वह किसी भी काम में आने वाली चीज को ऐसे ही नहीं उठा लेती , बल्कि अपने कार्यों और सामग्रियों को सावधानी से चुनती है।

14 15 पदों में इस बुद्धिमान मजबूत महिला की तुलना “व्यापारी जहाजों” से की गई है A वह व्योपार के जहाजों की नाई अपनी भोजनवस्तुएं दूर से मंगवाती हैं। वह रात ही को उठ बैठती है, और अपने घराने को भोजन खिलाती है और अपनी नौकरानियों को अलग अलग काम देती है।” यह बुद्धिमान महिला केवल वर्तमान के लिए नहीं बल्कि भविष्य के लिए भी तैयारी करती है। वह अपना काम करती रहती है ताकि उसके घर में हर किसी को उनकी जरूरत की चीजें मिल सकें।

चतुर व्यक्ति वह नहीं है जो दूसरे लोगों का फायदा उठाता है, बल्कि वह है जो अवसरों का फायदा उठाता है।

पद 16 हमें इस महिला की सूझबूझ (कुशलता) दिखाता है: “वह एक खेत पर विचार करती है और उसे मोल लेती है; वह अपनी कमाई से अंगूर का बाग लगाती है।” वह संपत्ति खरीदने में चतुर है, और फिर उससे लाभ कमाने के बारे में सोचती है। वह अपनी योजनाओं के बारे में सावधानीपूर्वक सोचती है और योजना बनाती है कि उन्हें सफलतापूर्वक कैसे पूरा किया जाए।

पद 17 हमें बताता है कि “वह अपनी कटि को बल के फेंटे से कसती है, और अपनी बाहों को दृढ़ बनाती है (वह कमर कस कर काम करती है और इस प्रकार अपनी बाँहो की मज़बूती बनाये रखती है) ।” यहूदी भाषा में वास्तव में मतलब यह है कि वह अपने कार्यों के लिए अपनी भुजाओं को मजबूत बनाती है ताकि वह अपना काम जोश के साथ कर सके। चतुर व्यक्ति अपने ज्ञान और कौशल में सुधार करता है ताकि अधिक मेहनत से नहीं, बल्कि होशियारी से काम कर सके।

कभी-कभी मसीही लोग सोचते हैं कि पवित्र आत्मा का अनुसरण करने का अर्थ एक योजना या अच्छी तरह से सोची-समझी प्रक्रिया से अलग कार्य करना है। मजबूत और बुद्धिमान व्यक्ति पल भर में आत्मा के संकेत के प्रति अभ्यस्त हो जाता है, लेकिन योजना और तैयारी के दौरान भी वह आत्मा की बात सुनता है।

पद 18 स्पष्ट है कि “वह परख लेती है कि मेरा व्योपार लाभदायक है। रात को उसका दिया नहीं बुझता।” यह बुद्धिमान महिला बहुत उत्तम किस्म की चीजें बनाती है बनाती है जिसे वह बिना किसी शर्म या डर के व्यापारियों को बेच सकती है।

संक्षेप में कहें तो कायिल व्यक्ति चतुर होता है। तो अपने आप से पूछें: मैं अपनी दैनिक गतिविधियों में कितना चतुर हूँ? क्या मैं अपनी योजनाओं के बारे में सोचता हूं ताकि मैं उन्हें सफलतापूर्वक पूरा कर सकूं? क्या मैं आगे की योजना बनाता हूं? क्या मैं अच्छा काम करने के लिए प्रतिबद्ध हूँ? यदि आप इन प्रश्नों का उत्तर हां में दे सकते हैं, तो आपके पास नीतिवचन की पुस्तक में दिया गया बुद्धि का दूसरा गुण है है। आप चतुर, बुद्धिमान या समझदार हैं।

चतुराई को सदैव उदारता से संयमित करना चाहिए। अन्यथा यह लालच बन जाता है.

पद 19 और 20 में हम कायिल व्यक्ति की तीसरी विशेषता की ओर बढ़ते हैं: “वह अटेरन में हाथ लगाती है, और चरखा पकड़ती है। वह दीन के लिये मुट्ठी खोलती है, और दरिद्र के संभालने को हाथ बढ़ाती है।” बुद्धिमान व्यक्ति का तीसरा गुण है उदारता। यह पाठ में तुरंत स्पष्ट नहीं हो सकता है क्योंकि हमारे अंग्रेजी अनुवाद पद 19 और 20 के बीच के संबंध को नहीं पकड़ पाते हैं। लेकिन यहूदी भाषा में इस कारण से दो पदों को अलग नहीं किया जा सकता है: पद 19 का पहला भाग और 20 का अंतिम भाग एक ही व्याकरणिक संरचना और एक ही क्रिया है; पद 19 के अंतिम भाग और पद 20 के पहले भाग के लिए भी यही सच है – वही संरचना और वही क्रिया। जब ऐसा होता है, तो इसे कियाज्म कहा जाता है (जो एक बड़े अक्षर X एक्स जैसा दिखता है)। इस बुद्धिमान महिला ने सूत काता, कमरबंद बुना और व्यापारियों को बेचने के लिए कपड़े बनाए ताकि वह गरीबों और जरूरतमंदों के प्रति उदार हो सके। चतुराई को सदैव उदारता से संयमित करना चाहिए। अन्यथा यह लालच बन जाता है, और बाइबल लालची लोगों के बारे में अच्छी बातें नहीं कहती है। इसलिए ए

बुद्धिमान और मजबूत व्यक्ति ने जो कुछ भी उसके पास है उसे खुले हाथों से पकड़ना सीख लिया है। वे इसके लिए आभारी हैं लेकिन वे इससे परिभाषित नहीं हैं।

चायिल व्यक्ति की चौथी विशेषता अगले पांच पदों पद (21-25) में पाई जाती है, जो हमें दिखाती है कि एक बुद्धिमान व्यक्ति भी मेहनती होता है: पद 21 में कहा गया है कि “वह अपने घराने के लिये हिम से नहीं डरती, क्योंकि उसके घर के सब लोग लाल कपड़े पहिनते हैं।” मध्य पूर्व में कितनी बार बर्फबारी होती है? अक्सर बर्फबारी नहीं होती है लेकिन जब बर्फबारी होती है, तो इस मेहनती बुद्धिमान व्यक्ति ने अपने घर के लिए प्रावधान किया है। उस पद के अंतिम शब्द का अनुवाद थोड़ा मनोरंजक है। स्पष्टतया यहूदी शब्द से अनुवादित स्कार्लेट का अनुवाद अस्तर वाले (दोहरे) कपड़े के रूप में भी किया जा सकता है। यदि बाहर बर्फबारी हो रही है, तो मुझे केवल लाल रंग के कपड़ों की तुलना में अस्तर वाले कपड़े पहनने में अधिक दिलचस्पी है जो मुझे गर्म रखते हैं।

पद 22 हमें बताता है कि “वह तकिये बना लेती है; उसके वस्त्र सूक्ष्म सन और बैंजनी रंग के होते हैं। “बढ़िया कपड़े और बैंगनी” इस तथ्य की पुष्टि करता है कि यह महिला अपनी जरूरतों के साथ-साथ दूसरों की जरूरतों का भी ख्याल रखने में मेहनती है। वह अच्छे कपड़े पहनती है.

पद 23 उसके परिश्रम को समुदाय में उसके पति की स्थिति से जोड़ता है: “जब उसका पति सभा में देश के पुरनियों के संग बैठता है, तब उसका सन्मान होता है ( लोग उसके पति का आदर करते हैं वह नगर प्रमुखों के बीच स्थान पाता है)।” इस बुद्धिमान महिला का जीवन को संभालने का तरीका समुदाय के अगुवों से उसके पति के लिए सम्मान प्राप्त करता है।

एक चतुर व्यक्ति जरूरतमंदों को कुछ देने के लिए अवसरों का लाभ उठाता है

पद 24 इस बुद्धिमान महिला की कमाई की शक्ति के बारे में कुछ विशेष बातें बताता है: वह सन के वस्त्र बनाकर बेचती है; और व्यापारियों को कमरबन्द देती है। सूत कातने का उसका काम केवल एक शौक नहीं है; यह जरूरतमंद लोगों की मदद करने के लिए उसके परिवार के लिए आय उत्पन्न करने का एक साधन है।

परिणामस्वरूप, पद 25 का निष्कर्ष है कि “वह (न केवल बढ़िया मलमल और बैंजनी कपड़े में, बल्कि) बल और प्रताप का पहिरावा पहिने रहती है, और आनेवाले काल के विषय पर हंसती है।” कुछ लोग परिश्रम को काम की लत या जुनून का दबाव कहकर खारिज कर देते हैं। परंतु परिश्रम बुद्धि का आवश्यक अंग है।

पद 26 हमें एक बुद्धिमान व्यक्ति का पाँचवाँ लक्षण बताता है: “वह बुद्धि की बात बोलती है, और उसके वचन कृपा की शिक्षा के अनुसार होते हैं।” बलवान, बुद्धिमान व्यक्ति हमेशा बुद्धिमानी और दयालुता से बोलता है। एक बुद्धिमान व्यक्ति न केवल बोलता है, पर जो बोलता है उसे करता भी है।

पद 25 में ताकत के लिए यहूदी शब्द ओज़ है। इसका अर्थ है ताकत, बल और ऊर्जा । इसका प्रयोग अक्सर किलों का वर्णन करने के लिए किया जाता है

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स बिंदु पर आप सोच रहे होंगे कि बुद्धिमान या मजबूत या बहादुर होना बहुत अधिक काम है। यह बहुत अधिक मांग वाला है! क्या यह सचमुच मायने रखता है कि मैं अपने काम के प्रति भरोसेमंद और विचारशील हूँ? या यह कि मैं जो कुछ भी करता हूं उसमें उदार और मेहनती हूं? या कि मैं अपनी जीभ पर ध्यान देता हूं और उसका बुद्धिमानी से उपयोग करता हूं? बुद्धि, जैसा कि नीतिवचन की पूरी किताब में वर्णित है, जीवन के कठिन समय में बुद्धिमानीपूर्ण निर्णय लेने के बारे में है। और नीतिवचन 8:35-36 में स्त्री रूपी बुद्धि हमें बताती है कि जो उससे प्रेम करते हैं वे जीवन को पाते हैं, परन्तु जो उसके विरुद्ध पाप करते हैं वे अपनी आत्मा पर अन्याय करेंगे , अपने ही पर उपद्रव करेंगे । बुद्धि रोजमर्रा की जिंदगी का सामान है, लेकिन यह जीवन और मृत्यु का सामान भी है।

लेकिन अध्याय पद 26 के साथ समाप्त नहीं होता है। यदि ऐसा होता, तो हमारे पास एक नैतिक संहिता (नियमावली) होती, लेकिन इसे कार्यान्वित करने के लिए हमारे अपने दृढ़ संकल्प से परे कोई संसाधन नहीं होता। जो चीज़ हमें बुद्धिमान बनाती है वह पद 11 से 26 में नहीं पाई जाती। यह पद 30 में पाया जाता है: “शोभा तो झूठी और सुन्दरता व्यर्थ है, परन्तु जो स्त्री यहोवा का भय मानती है, उसकी प्रशंसा की जाएगी।” यहाँ महत्वपूर्ण बात यह है: बुद्धिमान व्यक्ति, मजबूत, प्रतिबद्ध व्यक्ति, जो अस्थायी है और जो स्थायी है उसके बीच अंतर जानता है। बुद्धिमान व्यक्ति उस चीज़ के लिए जीना चुनता है जो शाश्वत है। पद 30 हमें बताता है कि आकर्षण कपटपूर्ण है और सुंदरता अस्थायी है। सुंदरता अच्छी है, लेकिन वह टिकती नहीं। ईश्वर के साथ हमारा रिश्ता हमेशा के लिए कायम रहता है।

बुद्धि, जैसा कि नीतिवचन की पूरी किताब में वर्णित है, जीवन के कठिन समय में बुद्धिमानीपूर्ण निर्णय लेने के बारे में है। बुद्धि रोजमर्रा की जिंदगी का सामान है, लेकिन यह जीवन और मृत्यु का सामान भी है।

नीतिवचन 31 पर मैंने जो उपदेश सुने हैं उनमें महिला के कौशल, उसकी व्यस्तता पर ध्यान केंद्रित किया गया है। ये उसकी बुद्धिमत्ता के प्रमाण हैं, लेकिन ये अनुच्छेद का मुद्दा नहीं हैं। सच्चा ज्ञान परमेश्वर और उसके साथ हमारे रिश्ते से शुरू होता है। इसकी शुरुआत “प्रभु के भय” से होती है। परमेश्वर का यह “भय” क्या है? क्या यह परमेश्वर की उपस्थिति में आतंक है? नहीं, इसका यह मतलब नहीं है; यह इस बात की श्रद्धापूर्ण समझ है कि परमेश्वर कौन है और हम उसके संबंध में कहाँ खड़े हैं। सबसे महत्वपूर्ण बात जो आप और मैं जान सकते हैं वह यह है कि परमेश्वर कौन है। हमें उसे अपने निर्माता, अपने मुक्तिदाता और अपने पालनकर्ता के रूप में जानना चाहिए।

हमें जानना चाहिए कि ईश्वर हमारा निर्माता है। भजनकार ने इसे भजन संहिता 139 में बहुत अच्छी तरह बताया है —

“मेरे मन का स्वामी तो तू है, तू ने मुझे माता के गर्भ में रचा। मैं तेरा धन्यवाद करूंगा इसलिये कि मैं भयानक और अद्भुत रीति से रचा गया हूं। तेरे काम तो आश्चर्य के हैं, और मैं इसे भली भांति जानता हूं। जब मैं गुप्त में बनाया जाता और पृथ्वी के नीचे स्थानों में रचा जाता था, तब मेरी हडि्डयां तुझ से छिपी न थीं।” (भजन संहिता139:13–15)

हम अपनी अगली सांस तब तक नहीं लेते जब तक हमारा सृष्टिकर्ता परमेश्वर हमें इस योग्य नहीं बनाता। प्रेरित पौलुस ने एथेनियाई लोगों से कहा कि “क्योंकि हम उसी में जीवित रहते, और चलते- फिरते, और स्थिर रहते हैं” ( प्रेरितों के काम 17:25-28)।

हमें जानना चाहिए कि ईश्वर हमारा मुक्तिदाता है। भजनकार दाऊद ने फिर हमारे लिये यह कहा:

“हे मेरे मन, यहोवा को धन्य कह, और उसके किसी उपकार को न भूलना। वही तो तेरे सब अधर्म को क्षमा करता, और तेरे सब रोगों को चंगा करता है, वही तो तेरे प्राण को नाश होने से बचा लेता है, और तेरे सिर पर करूणा और दया का मुकुट बान्धता है, वही तो तेरी लालसा को उत्तम पदार्थों से तृप्त करता है, जिस से तेरी जवानी उकाब की नाईं नई हो जाती है।” (भजन संहिता 103:2– 5)

हमारे मुक्तिदाता यीशु मसीह में विश्वास के द्वारा हमें नया जीवन मिलता है। उसने हमारे पापों की सज़ा अपने ऊपर ले ली है और हमें परमेश्वर के लिए शैतान से छुड़ा लिया है (या हमें वापस खरीद लिया है)। हमें जानना चाहिए कि परमेश्वर हमारा मुक्तिदाता है।

हमें जानना चाहिए कि परमेश्वर हमारा मुक्तिदाता है। दैनिक जीवन की दिनचर्या में या हमारे सामने आने वाले संकटों में, परमेश्वर हमारा पालने वाला है।

हमें यह भी जानना चाहिए कि परमेश्वर हमारा पालने वाला है। पुराने नियम के भविष्यवक्ता यशायाह ने इसे इस प्रकार कहा:

“क्या तुम नहीं जानते? क्या तुम ने नहीं सुना? यहोवा जो सनातन परमेश्वर और पृथ्वी भर का सिरजनहार है, वह न थकता, न श्रमित होता है, उसकी बुद्धि अगम है। वह थके हुए को बल देता है और शक्तिहीन को बहुत सामर्थ देता है। तरूण तो थकते और श्रमित हो जाते हैं, और जवान ठोकर खाकर गिरते हैं; परन्तु जो यहोवा की बाट जोहते हैं, वे नया बल प्राप्त करते जाएंगे, वे उकाबों की नाई उड़ेंगे, वे दौड़ेंगे और श्रमित न होंगे, चलेंगे और थकित न होंगे। ” (यशायाह 40:28–31)

दैनिक जीवन की दिनचर्या में या हमारे ऊपर आने वाले संकटों में, परमेश्वर हमारा पालने वाला है।

1994 में एक शनिवार की सुबह 4:30 बजे हमारे फोन की घंटी बजी जिससे हमारी नींद खुली। ऐसी कॉल संभवतः बुरी खबर, प्रैंककॉल, या नशे में धुत किसी गलत नंबर पर कॉल करने वाली होती है। पर हमारे लिए यह बुरी खबर थी । यह हमारी सबसे बड़ी बेटी सुसान थी जो दूरस्थ राज्य से कॉल कर रही थी जहाँ वह और उसका परिवार रहता था। उसे अभी अभी देश के सीमा पार की सरकार से फोन आया था। हमारा इकलौता बेटा वहां था जो अत्यधिक विकलांग वयस्कों के साथ काम करता था। अपनी मोटरसाइकिल पर एक बैठक के लिए जाते समय नशे में धुत एक ड्राइवर ने उसे टक्कर मार दी और उसकी मौत हो गई। ऐसे समय में लोग सभी प्रकार के प्रश्न पूछते हैं — क्या परमेश्वर परम प्रधान प्रभु है? क्या वह ऐसा होने से रोक सकता था? क्या परमेश्वर प्रेम है? क्या परमेश्वर को परवाह है? क्या परमेश्वर वहां है?
ऐसे समय में हम इसी प्रकार के प्रश्न पूछते हैं, लेकिन शोकपूर्ण घटना का सामना करने और दुःख के बीच में हमें किसी तरह पवित्रशास्त्र में प्रकट की गई परमेश्वर के बारे में सच्चाई को समझना चाहिए — परमेश्वर परम प्रधान प्रभु है और किसी तरह दुखद घटनाओं के द्वारा काम करता है। परमेश्वर एक तरह से प्रेम है जिसे हम इस जीवन में नहीं समझ सकते हैं लेकिन वह एक दिन हमारे लिए स्पष्ट हो जाएगा। परमेश्वर परवाह करता है और वह इसका उपयोग हमारे जीवन में भलाई के लिए करेगा। परमेश्वर वहाँ है, वह हमारे साथ हैं। इब्रानियों को लिखे पत्र का लेखक हमें याद दिलाता है कि परमेश्वर ने कहा है कि मैं तुझे कभी न छोडूंगा, और न कभी तुझे त्यागूंगा। सबसे बुरे समय में जब हमारे डर और आँसू हम पर हावी होने की धमकी देते हैं तो उस समय भी वह हमें कभी नहीं छोड़ेगा (इब्रानियों 13:5, व्यवस्थाविवरण 31:6 )।

संकट के समय में, हम पाते हैं कि हमारा एकमात्र गढ़ परमेश्वर ही हैं शोकपूर्ण घटना का सामना करने और दुःख के बीच में हमें किसी तरह पवित्रशास्त्र में प्रकट की गई परमेश्वर के बारे में सच्चाई को समझना चाहिए — परमेश्वर परम प्रधान प्रभु है और किसी तरह दुखद घटनाओं के द्वारा काम करता है।

शोकपूर्ण घटना में भी काम कर रहे परमेश्वर की यह जागरूकता हमें जीवन को देखने और दर्द को देखने का एक अलग तरीका देती है। परमेश्वर को जानना हमें हमारे सबसे अंधकारमय क्षणों में सहारा देता है और हमें जो बीत जाता है और जो रहता है उसके बीच अंतर सिखाता है। लेकिन परमेश्वर को जानना हमें दैनिक जीवन में भी सहारा देता है। भरोसेमंद होना आसान नहीं है, लेकिन परमेश्वर वहाँ है और देखता है कि हम पर भरोसा किया जा सकता है। चतुर होना आसान नहीं है, लेकिन परमेश्वर हमारे काम को देखते हैं और इससे सम्मानित होते हैं। उदार होना आसान नहीं है, लेकिन परमेश्वर हमारी उदारता की परवाह करते हैं। मेहनती होना मनोरंजक नहीं है, लेकिन हम अपने निर्माता परमेश्वर की महिमा करने के लिए काम करते हैं। हर समय बुद्धिमानी और दयालुता से बोलना आसान नहीं है, लेकिन हम जो कहते हैं परमेश्वर वह सुनता है। परमेश्वर के साथ हमारा रिश्ता हमें जीवन के प्रति एक अलग दृष्टिकोण (नज़रिया) देता है। हम जानते हैं कि क्या मायने रखता है. हम जानते हैं कि क्या रहता है और क्या बीत जाता है, और हम वही चुनते हैं जो अनंत काल तक रहता है। और हम अपने हर चुनाव में उस नज़रिये को लाते हैं – भरोसेमंद होना चाहिए या नहीं, आगे की योजना बनाना चाहिए नज़रिये और सावधानी से काम करना चाहिए या नहीं, करुणा दिखानी चाहिए या नहीं, परिश्रम के साथ अपने लक्ष्यों का पीछा करना चाहिए या नहीं, हमारी जीभ पर नियंत्रण रखें या नहीं। हम परमेश्वर के बारे में क्या विश्वास करते हैं यह निर्धारित करता है कि हम कितनी बुद्धिमानी से जीवन जीते हैं। परमेश्वर का भय या श्रद्धा हमें शाश्वत मूल्यों के प्रकाश में अपने समय का बुद्धिमानी से प्रबंधन करने के लिए प्रेरित करती है। प्रभु का भय हमें दूसरों की भलाई के लिए अपने संसाधनों का बुद्धिमानी से उपयोग करने के लिए प्रेरित करता है। प्रभु का भय हमें हर दिन हमारे द्वारा चुने गए प्रत्येक विकल्प का मूल्यांकन करने में मदद करता है।

“हे यहोवा, हे मेरे बल और दृढ़ गढ़, संकट के समय मेरे शरणस्थान, जातिजाति के लोग पृथ्वी की चहुंओर से तेरे पास आकर कहेंगे, निश्चय हमारे पुरखा झूठी, व्यर्थ और निष्फल वस्तुओं को अपनाते आए हैं।” (यिर्मयाह 16: 19)

हम परमेश्वर के बारे में क्या विश्वास करते हैं यह निर्धारित करता है कि हम कितनी बुद्धिमानी से जीवन जीते हैं।

सौ साल पहले एला व्हीलर विलकॉक्स ने एक छोटी कविता प्रकाशित की थी जिसकी पंक्तियाँ आज भी उतनी ही सच्ची हैं जितनी एक सदी पहले थीं जब उन्होंने उन्हें लिखा था:

एक जहाज पूर्व की ओर जाता है, और दूसरा पश्चिम की ओर,
एकही हवाओं से दोनों चलते हैं;
यह पालों का समूह है, और आँधी नहीं
जो यह बताता है कि हम किस दिशा में जाते हैं।

यह पाल का समूह है न कि आंधी का। यह तुम्हारी पसंद है। पुरुष और महिलाएं, एकल और विवाहित, नीतिवचन 31 से सीखें। जो हमेशा के लिए रहता है, उसके प्रकाश में अपना जीवन बुद्धिमानी से जीना चुनें। यदि आप ऐसा करते हैं, तो आप दृढ़ प्रतिबद्धता, भरोसेमंदता, चतुराई, उदारता, परिश्रम और मौखिक नियंत्रण की विशेषता होगी। इससे भी अधिक, आपको क्या नहीं रहता है और क्या रहता है के बीच का अंतर पता चल जाएगा – और आप अपने आप को अनंत काल तक जो रहता है उसके लिए समर्पित कर देंगे। कुशलता के साथ जीवन जीने का यही परमेश्वर का सूत्र है। बुद्धिमान बनें, एक ताकतवर व्यक्ति बनें —पसंद आपकी है।

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