पढ़ें: रोमियों 14:1-23
इसलिए हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो। (पद 19)
ब्रायन जेकसन साहसिक कार्यों के लिए जीवन जीता है। कई वर्षों से उसने कई अभियान या खोज यात्राओं का नेतृत्व किया है, जहां पर की पृथ्वी का सबसे चरम वातावरण रहता है। हजारों मील की लंबी लंबी दूरी की यात्रा (ट्रेकिंग) कर कई महाद्वीपों को पार करते हुए, उसे ऐसे स्थानों पर कदम रखने से प्रेम है जहाँ पर पहले किसी के कदम न पड़े हों। 2014 में उसने और उसके दल के सदस्यों ने एक ऐसे हिमालय की चोटी का आरोहण किया जहाँ पर पहले किसी मनुष्य के पैर नहीं पड़े थे।
धर्मग्रंथ शांति को एक दुर्लभ मार्ग बताते हैं, परमेश्वर के बिना कोई नहीं पा सकता है। (रोमियों 3:12) यद्यपि कई लोग शांति के पीछे पागलपन की तरह दौड़ते हैं। यीशु जो शांति का राजकुमार है (यशायाह 9:6), वही शांति को अनुभव करने और सम्पूर्ण शांति का मार्ग है। (यूहन्ना 14:27) उसमें और उसके द्वारा, जब हम विश्वास में धर्मी ठहरे, तो अपने प्रभु यीशु मसीह के द्वारा परमेश्वर के साथ मेल रखें और दूसरों के साथ भी मेल से रह सकते है। (रोमियों 5:1; इब्रानियों 12:14)
यीशु मसीह के साथ संबंध के द्वारा, हम विश्वासी होने के कारण अपने मालिक की उपस्थिती में दृढ़ता से आ सकते हैं। (इब्रानियों 4:14-16) हम भी किसी का न्याय करने या अपने विश्वासी भाइयों पर दोष लगाने के बजाय शांति को बढ़ावा दे सकते हैं। (रोमियों 14:1-9) जैसे कि पौलुस हमें समरण कराते हैं, कि “तू अपने भाई पर क्यों दोष लगाता है? या तू फिर क्यों अपने भाई को तुच्छ जानता है? हम सब के सब परमेश्वर के न्याय सिंहासन के साम्हने खड़े होंगे।” (पद 10)
अपितु किसी की आलोचना करने के, यदि हम शांति का मार्ग अपनाएं “सो आगे को हम एक दूसरे पर दोष न लगाएँ पर तुम यही ठान लो कि कोई अपने भाई के साम्हने ठेस या ठोकर खाने का कारण न रखे” (पद 13)। “क्योंकि परमेश्वर का राज्य खाना पीना नहीं; परंतु धर्म और मिलाप और वह आनंद है; जो पवित्र आत्मा से होता है। और जो कोई इस रीति से मसीह की सेवा करता है, वह परमेश्वर को भाता है और मनुष्यों में ग्रहण योग्य ठहरता है। इसलिए हम उन बातों का प्रयत्न करें जिनसे मेल मिलाप और एक दूसरे का सुधार हो” (पद 17,18,19)
शांति का मार्ग एक ऐसा मार्ग है जिस पर कम यात्रा की जाती है। जैसे कि रॉबर्ट फ़्रोस्ट की कविता के ये शब्द — “वह मार्ग जिस पर आप नहीं चले”, वह वो मार्ग है जिससे आपको अभी और अनंतकाल के लिए फर्क पड़ता है।
– रूथ ओ’रेली–स्मिथ
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पढ़ें मत्ती 7:13-14 और विचार करें कि पामेश्वर के राज्य का द्वार संकरा और मार्ग कठिन क्यों है।
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आप किस प्रकार से शांति को पाने की कोशिश कर रहे हैं? किस प्रकार परमेश्वर ने आपको उसकी शांति को प्रगट किया है?