तझड़ के पत्तों की तरह, हमारे शरीर पर हमारी नश्वरता के निशान हैं। परन्तु क्या हम वर्तमान में अपने शरीरों का उपेक्षा और अनादर करते है क्योंकि वह भविष्य में अदूष्य शरीर में बदलने वाला है? निम्नलिखित लेख में, शिक्षक और प्रकृतिवादी डीन ओहलमैन हमें यह देखने में मदद करते हैं की जैसे हम अपने शरीरों की देखभाल करते हैं, हमारे पास अपने आस-पास की दुनिया की देखभाल करने के लिए भी कारण हैं। दोनों परमेश्वर की हाथों का कला है, दोनों को हमारे विश्वासयोग्य प्रबंधन की आवश्यकता है, और दोनों भविष्य के पुनर्स्थापन के वायदों को साझा करते है।

मार्टिन आर. डी हान II

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प्रदूषण और मनुष्य की मृत्यु में: परिस्थितिविज्ञान का मसीही दृष्टिकोण, फ्रांसिस स्चेफ्फेर कहता है की चार्ल्स डार्विन अपने जीवन के अंत के करीब में यह पाया की दो चीज उसके लिए फीकी पड़ गई थीं: कला में उसका आनंद और प्रकृति में उसका आनंद। शेफ़र इस महान प्रकृतिवादी की विडंबना पर टिप्पणी करते हैं कि जिस चीज़ के लिए उन्होंने अपने जीवन का आह्वान किया था, उसके लिए उनका उत्साह खो दिया। फिर वह जारी रखता है: आज हम देख रहे है… डार्विन ने व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया कि हमारी कुल संस्कृति में आनंद का वही नुकसान हुआ है: सर्वप्रथम कला के क्षेत्र में, फिर प्राकृति के क्षेत्र में। इसमें चिंताजनक बात यह है कि… मसीहियों के पास अक्सर इन बातों के बारे में अविश्वासियों से बेहतर कोई समझ नहीं होती। प्रकृति में आनंद की मृत्यु प्रकृति को मृत्यु की ओर ले जा रही है (पृष्ठ 11)।

शेफ़र ने 1960 में एक मसीही स्कूल जाने की कहानी सुनाता है जो एक “हिप्पी समुदाय” से एक घाटी में स्थित था। जिज्ञासु, शेफ़र उस बस्ती के बारे में और अधिक जानने के लिए घाटी को पार किया।

“प्रकृति में आनंद की मृत्यु प्रकृति को मृत्यु की ओर ले जा रही है” – फ्रांसिस शेफ़र

उन्होंने पाया कि वे लोग पूरी रीति से मूर्तिपूजक थे- यहां तक कि मूर्तिपूजक पृथ्वी अनुष्ठानों का संचालन करना जो की आज के नए युग के आंदोलन में आम है। लेकिन वह इस बात से भी प्रभावित हुए कि समुदाय कितना आकर्षक था और कितनी सावधानी से उन्होंने भूमि को रखा है। दोनों समुदायों के तलछट का अंतर अत्यधिक था। उस समुदाय के अगुआ ने शेफ़र को मसीही स्कूल की “कुरूपता” पर भी टिप्पणी की। शेफ़र उस टिप्पणी पर अपनी प्रतिक्रिया के बारे में बताया: और तब मैंने यह एहसास किया की यह कितनी भयावह स्थिति है। जब मैं मसीही तलछट पर खड़ा हुआ और बोहेमियन लोगों का स्थान देखा, वह सुंदर था। यहां तक कि उन्हें पेड़ों के नीचे से बिजली के तार चलाने में भी परेशानी हुई, ताकि वे नजर न आएं। फिर मैं बुतपरस्त मैदान पर खड़ा हुआ और मसीही समुदाय और उसके कुरूपता को देखा।

यह भयानक है। यहाँ ऐसा मसिहत है जो मनुष्य की जिम्मेदारी और प्रकृति के साथ उचित संबंध को ध्यान में रखने में विफल हो रहा है (पृ.42)। शेफ़र का किताब न केवल मसिहत के पतन पर एक और टिप्पणी था; वह दुनिया की बढ़ती पर्यावरणीय समस्यायों में बाइबल के सिद्धांतों को लागू करने का एक बुलावा था। वह सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कार को पुनः खोजने का एक आमंत्रण था। यह एक अनुस्मारक था कि यदि हम परमेश्वर के उच्च बुलावे को जो उसकी सृष्टि और उसकी सराहना करने और उसकी देखभाल करना है भूल गए तो हम एक दूसरे की देखभाल करने की संभावना नहीं रखते हैं। आनंद और नवीकृत आराधना को पाने के लिए देर नहीं है जागरूकता में जो जॉर्ज मैकडोनाल्ड द्वारा 150 वर्ष पहले व्यक्त किया गया: अगर यह बाहरी दुनिया के लिए नहीं होता, हमारे पास चीजों को समझने के लिए कोई आंतरिक दुनिया नहीं होनी चाहिए। इन लाखों दृश्यों और ध्वनियों और गंधों और गति उनके अंतहीन सामंजस्य बुनती हैं।और गतियों के बिना हम परमेश्वर को कम से कम समझ सकते है। वे उनके हृदय से निकलकर हमें थोड़ा-बहुत बता देते हैं कि इसमें क्या है (व्हाट इज माइन इज माइन, पृ.29)।

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परमेश्वर ने बनाया है और इसका मालिक है  – आदि में परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्‍टि की। (उत्पति 1:1) । “भूमि सदा के लिये बेची न जाए, क्योंकि भूमि मेरी है; और उसमें तुम परदेशी और बाहरी होगे । (लैव्यव्यवस्था 25:23)। पृथ्वी और जो कुछ उस में है यहोवा ही का है, जगत और उस में निवास करनेवाले भी। (भजन 24:1)। परमेश्वर का वचन हमें यह कहता है की “परमेश्‍वर ने आकाश और पृथ्वी की सृष्‍टि की।” (उत्पति 1:1)। और नये नियम के अनुसार वही यीशु जो हमें अपने आप से छुड़ाने के लिए इस संसार में आया वही है जिन्होंने पहले हमारे दुनिया को और जो कुछ उस में है को बनाया। वह तो अदृश्य परमेश्‍वर का प्रतिरूप और सारी सृष्‍टि में पहिलौठा है। क्योंकि उसी में सारी वस्तुओं की सृष्‍टि हुई, स्वर्ग की हों अथवा पृथ्वी की, देखी या अनदेखी, क्या सिंहासन, क्या प्रभुताएँ, क्या प्रधानताएँ, क्या अधिकार, सारी वस्तुएँ उसी के द्वारा और उसी के लिये सृजी गई हैं। (कुलुस्सियों 1:15-16)

“वही यीशु जो हमें अपने आप से छुड़ाने के लिए इस संसार में आया वही है जिन्होंने पहले हमारे दुनिया को और जो कुछ उस में है को बनाया। ”

जॉर्ज मैकडोनाल्ड ने लिखा, “यदि दुनिया प्रभु का है, प्रत्येक सच्चे पुरुष और स्त्री को इसमें घर जैसा महसूस करना चाहिए। यदि गर्मी की रात की ख़ामोशी दिल में न उतरे, कुछ गड़बड़ है क्योंकी यह परमेश्वर का शांति है। जिस व्यक्ति के लिए सूर्योदय दिव्य महिमा नहीं है, उसमें कुछ गड़बड़ है, क्योंकि उसमें सत्य, सरलता, और सृष्टिकर्ता का सामर्थ्य निहित है।” यह 19वी. सदी का लेखक पूरी तरह से विश्वास किया और समझा की हम ऐसे दुनिया में रहते और जीते है जो पदार्थ के हर टुकड़े और हर प्राकृतिक घटना से प्रमेश्वर की वास्तविकता को पुकारती है।

लगभग बिना किसी सवाल के, बाइबिल के विश्वदृष्टि और और धर्मनिरपेक्ष मानवतावाद के विश्वास के बीच सबसे अहम अंतर मसीही समझ है की परमेश्वर ने पृथ्वी को बनाया और यह उसका है। इस विश्वास से जो प्राप्त होता है वह महत्वपूर्ण है। जब हम किसी और की संपत्ति के उपयोगकर्ता और मालिक होते हैं, हम मालिक और खुद के रुचियों का सही से विचार करते है। दरअसल, किरायेदारों और भण्डारियों के रूप में, हमारे खुद के इच्छाएं हमारे मालिक के इच्छाओं से गौण रहता है। भूमि, हवा, समय और जीवन के उपयोग्य में हमारा चुनौती परमेश्वर से यह पूछना है की जो उन्होंने बनाया है हम उसका उपयोग्य कैसे कर सकते है ताकि हम उनको महिमा दे और खुद के लिए आनंद पाएं। सौ साल से भी पहले, एडम क्लार्क ने प्रभु के स्वामित्व के व्यावहारिक प्रभावों को देखा जब उसने लिखा: प्रभु के कार्य बहुसंख्यक और विविध हैं। उनके डिजाईन में सबसे घाघ बुद्धि दिखाने के लिए वे इतने निर्मित हैं, और अंत में जिसके लिए वे बनाए गये है। वह सब परमेश्वर के सम्पति है और अंत तक केवल उसी के संदर्भ में उपयोग किया जाना चाहिए जिस चीज के लिए वे बनाए गये थे। परमेश्वर के जीवों के सभी दुरुपयोग और बर्बादी निर्माता की संपत्ति पर लूट और डकैती है। (द ट्रेजरी ऑफ डेविड में स्पर्जन द्वारा उद्धृत, पृष्ठ 335)।

“परमेश्वर के जीवों के सभी दुरुपयोग और बर्बादी निर्माता की संपत्ति पर लूट और डकैती है।” वह वास्तविकता हमें हमारी उच्च बुलाहट के बारे में पूरी जागरूकता के लिए जागृत कैसे कर सकती है जो परमेश्वर की परवाह करता है उसकी देखभाल करने के लिए!

“परमेश्वर के जीवों के सभी दुरुपयोग और बर्बादी निर्माता की संपत्ति पर लूट और डकैती है।” – एडम क्लार्क

वो शब्द मुझे पीछे ले जाता है जब मैं बीस वर्ष का था, एक कुंठित गिलहरी शिकारी की तरह, मैंने एक विशाल ओक में एक उच्च साही को गोली मार दी– केवल इसलिए कि वह वहाँ था और मेरी बंदूक में एक अव्ययित बन्दूक का खोल था! मिशिगन के उत्तरी जंगलों में साही आम हैं, और वे वास्तव में खेल कानूनों द्वारा असुरक्षित हैं क्योंकि उन्हें “उपद्रवी जानवर” माना जाता है, जैसे लकड़बग्घा, गोफर और चिपमंक्स। मैंने यह विश्वास किया की परमेश्वर, जो एक आम गौरेये की मृत्यु का ध्यान रखता है, जो कुछ उन्होंने बनाया है उसको देखते है। अब मैंने एहसास किया की परमेश्वर के एक प्राणी की बेजान आँखों में देखकर मुझे जो शर्मिंदगी महसूस हुई मैंने बिना सोचे-समझे बर्बाद कर दिया था शायद परमेश्वर के अपने दिल का प्रतिबिंब हो। लेकिन उस समय, मैंने इसे एक अमानवीय भावना के रूप में छोड़ दिया।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते है?  – अपने आप को सृष्टिकर्ता के भूमि-धारकों के रूप में यह स्वीकार करते हुए, हमें परमेश्वर के वचन को प्रार्थनापूर्वक जांचना और यह देखना है की :हमें उसके क्षेत्र पर कब्जा और प्रबंधित कैसे कर सकते है। और उनके काम ऐसे तरीके से जो उसकी महिमा करता है।

परमेश्वर उससे प्रेम करता है और उसकी देखभाल करता है  – यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्‍टि पर है। तेरा राज्य युग युग का और तेरी प्रभुता सब पीढ़ियों तक बनी रहेगी। तू अपनी मुट्ठी खोलकर, सब प्राणियों को आहार से तृप्‍त करता है। यहोवा अपनी सब गति में धर्मी और अपने सब कामों में करुणामय है। (भजन 145:9, 13, 16-17)

मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ की भजनकार कितनी बार यह ऐलान किया की जिनकी सृष्टि परमेश्वर ने की है उन के पास उन चीजों के लिए “प्रेम” और “दया” है। कुछ इब्रानी शब्द यह संकेत करता है की परमेश्वर उसी तरह से सृष्टि की देखभाल करता है जैसे एक माँ उनकी देखभाल करती है जिन्हें वह जन्म दी है।

मनुष्यों, जानवरों और और पृथ्वी की निर्जीव लेकिन गतिशील शक्तियों के प्रति परमेश्वर की करुणा और दया का एक समृद्ध चित्र प्राप्त करने के लिए भजन 65, 104, 145, 147, और 148 पढ़ें। जबकि पहाड़ी उपदेश स्पष्ट रूप से कहता है की परमेश्वर मनुष्य को सृष्टि से ऊपर महत्व देता है (मत्ती 6:25-34) पवित्रशास्त्र का पूरा जोर—उत्पति में खोए हुए स्वर्ग से लेकर प्रकाशितवाक्य में स्वर्ग फिर से पाए हुए स्वर्ग तक—यह है की परमेश्वर न केवल मनुष्य में, लेकिन सब कुछ जो उन्होंने बनाया है खजाना रखता और आनंदित होता।

परमेश्वर उसी तरह से सृष्टि की देखभाल करता है जैसे एक माँ उनकी देखभाल करती है जिन्हें वह जन्म दी है।

अमरीकी क्रांति से वर्षों पहले, यात्रा करने वाले उपदेशक जॉन वूलमैन, ने एक लंबी समुद्री यात्रा के बाद इसे अपने डायरी में व्यक्त किया जिसके परिणामस्वरूप पालतू पक्षियों की उपेक्षा और अनावश्यक मृत्यु हुई: मुझे अक्सर भलाई का फव्वारा याद आता है, जिसने सभी प्राणियों को अस्तित्व दिया, और जिसका प्रेम गौरैयों की देखभाल करने तक फैला हुआ है। मैं विश्वास करता हूँ की जहाँ परमेश्वर का प्रेम वास्तव में सिद्ध होता है, और हमारे अधीन किए गए सभी प्राणियों के प्रति एक कोमलता के लिए सरकार की सच्ची भावना का अनुभव किया जाएगा, और हम में एक दया महसूस हुई की हम जानवरों के सृष्टी के जीवन के मिठास को कम न करें जो महान सृष्टिकर्ता हमारी प्रभुता के अंदर रखा है। भजन 145:9 कहता है “यहोवा सभों के लिये भला है, और उसकी दया उसकी सारी सृष्टि पर है।” द ट्रेजरी ऑफ डेविड में, चार्ल्स हेडन स्पर्जन ने निष्कर्ष निकाला, “इस पद्द से जानवरों के प्रति दया के कर्तव्य का तर्क किया जा सकता है।” क्या परमेश्वर की सन्तान को दयालुता में अपने पिता के समान नहीं होनी चाहिए?” (पृ.379)।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते है? परमेश्वर के देखभाल और सारी सृष्टि के लिए करुणा को स्वीकार करने के द्वारा—खासतौर से जिसे वह प्रेम करते और जिसके लिए देखभाल करते उनको बर्बाद करने से परहेज करने के द्वारा हम उनके देखभाल को दिखा सकते है।

आकाश परमेश्वर की महिमा का वर्णन कर रहा है; – और आकाशमण्डल उसकी हस्तकला को प्रगट कर रहा है। दिन से दिन बातें करता है, और रात को रात ज्ञान सिखाती है। न तो कोई बोली है और न कोई भाषा जहाँ उनका शब्द सुनाई नहीं देता है। (भजन 19:1-3)

भजन 19 में दाऊद हमें याद दिलाता है की परमेश्वर दो किताबों के द्वारा हमसे बात करते हैं । एक किताब परमेश्वर का लिखित वचन है ( पद 7-11)। और दूसरा प्रकाशित सृष्टि की उत्कृष्ट कृति है, जो प्रत्येक व्यक्ति को प्रतिदिन वाक्पटु रूप से परमेश्वर को प्रकट करता है। उत्पति से सब लोग हर समय परमेश्वर के द्वारा ऐसी जागरूकता के साथ सृजे गये हैं । जो लोग प्राकृतिक दुनिया के द्वारा परमेश्वर को बोलते हुए नहीं सुनते हैं, उन्होंने अपने आप को धोखा दिया है। प्रेरित पौलुस ने इसे रोम में मसीहियों को स्पष्ट रूप से अपनी पत्री में लिखा: परमेश्‍वर का क्रोध तो उन लोगों की सब अभक्‍ति और अधर्म पर स्वर्ग से प्रगट होता है, जो सत्य को अधर्म से दबाए रखते हैं। इसलिये कि परमेश्‍वर के विषय का ज्ञान उनके मनों में प्रगट है, क्योंकि परमेश्‍वर ने उन पर प्रगट किया है। उसके अनदेखे गुण, अर्थात् उसकी सनातन सामर्थ्य और परमेश्‍वरत्व, जगत की सृष्‍टि के समय से उसके कामों के द्वारा देखने में आते हैं, यहाँ तक कि वे निरुत्तर हैं।

पौलुस के इस तर्क के लिए कि परमेश्वर प्राकृतिक दुनिया के माध्यम से खुद को प्रकट करते हैं, एक आकर्षक मिसाल अय्यूब की प्राचीन दुःखद घटना और कविता में पाए जाते हैं। जैसे-जैसे अय्यूब का कहानी सामने आता है, हम पाते हैं कि वह दर्द से कराह रहा था, उसके दोस्तों ने उसे गलत समझा, और अपनी दुर्दशा को समझाने में उसकी अपनी अक्षमता से भ्रमित हो गया। अय्यूब को चोट लगी। उसने महसूस किया कि जिस परमेश्वर की उसने सेवा करने की कोशिश की थी, उसे त्याग दिया गया था और उसके साथ विश्वासघात किया गया था। वह नाराज़ था क्योंकि उसने सोचा परमेश्वर उसे गलत तरीके से पीड़ा दे रहे थे और उसके दोस्तों को यह सोचने की अनुमति दे रहे थे की वह किसी भयानक गुप्त पाप के वजह से कष्ट उठा रहा था ।

अय्यूब और उसके मित्रों के मध्य लंबी, निराश और गुस्से वाली बातचीत के बाद अंत में, परमेश्वर ने खुद बात की, सृष्टिकर्ता ने अय्यूब का ध्यान खींचा और उसे प्राकृतिक दुनिया पर एक और नज़र डालने की चुनौती दी। यहोवा ने अय्यूब से पारिस्थितिकी, जानवरों और मौसम का मिजाज और ऋतुओं पर जो उन्होंने बनाया था विचार करने को कहा। परमेश्वर ने अय्यूब को नम्र किया और कुछ भेदी सवालों की श्रृंखला के साथ सांत्वना दिया जो इस प्रकार शुरू हुआ: “यह कौन है जो अज्ञानता की बातें कहकर युक्‍ति को बिगाड़ना चाहता है? पुरुष के समान अपनी कमर बाँध ले, क्योंकि मैं तुझ से प्रश्न करता हूँ, और तू मुझे उत्तर दे। “जब मैं ने पृथ्वी की नींव डाली, तब तू कहाँ था? यदि तू समझदार हो तो उत्तर दे।

पूछ-ताछ के मध्य में, परमेश्वर ने अय्यूब को बोलने की अनुमति दी, लेकिन तबाह पितृसत्ता केवल बड़बड़ा सकता था, “देख, मैं तो तुच्छ हूँ, मैं तुझे क्या उत्तर दूँ? मैं अपनी अंगुली दाँत तले दबाता हूँ।”(40:4)। सृष्टिकर्ता के परिप्रश्न का उद्देश्य अय्यूब को उसके आसपास के दुनिया से समझने के लिए था की एक परमेश्वर जो बुद्धिमान और प्राकृतिक दुनिया को बनाने योग्य सामर्थी है वह निश्चित रूप से यह जानने के लिए काफी महान है की वह अय्यूब के पीड़ा में पीड़ित होने के लिए क्या कर रहा है। प्राकृतिक दुनिया के द्वारा परमेश्वर ने जो कहा था, उससे विनम्र होकर, , अय्यूब ने स्वीकारा, “परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, अर्थात् जो बातें मेरे लिये अधिक कठिन और मेरी समझ से बाहर थीं जिनको मैं जानता भी नहीं था।”(42:3)

चाहे परमेश्वर मौखिक रूप से बात नहीं करें, लेकिन सृष्टि का अध्ययन वाक्पटुता से बात करता है जो हमें सृष्टिकर्ता के सामने मौन, आश्चर्य में खड़े होने के लिए विवश करता है: मूल द्रव्य के तत्व जो अकल्पनीय ढंग से व्यवहार करते हैं, और आकाशगंगाओं के झुरमुट संख्या और विस्तार में इतने विशाल हैं कि “प्रकाश वर्ष” जैसी व्यापक मानव श्रेणियां भी लगभग अर्थहीन हो जाती हैं। छोटा छोटा होता जाता है, और बड़ा बड़ा हो जाता है। इन सबको मानवीय समझ के दायरे में लाने की कोशिश ने वही किया है जो हमेशा से करती आई है: या तो हम परमेश्वर को देखते और बड़े विस्मय और नम्रता से उसकी आराधना करते है, या हम “सत्य को अधर्म से दबाए रखते” (रोमियों 1:18) और स्व-लगाए गए अंधेपन में भटकते हैं। यह दृष्टीकोण की सृष्टि परमेश्वर का “दूसरा किताब” है वह शास्त्रीय धर्मशास्त्र द्वारा समर्थित है, जो सृष्टि को जिसे “सामान्य प्रकाशन” कहा जाता है, प्रमुख घटक के रूप में सम्मिलित करता है। यह प्रकाशित है जो सभी लोगों को हर समय और हर जगह में दिया गया है। यह प्राकृतिक दुनिया और उसकी प्रक्रियाओं, या प्राकृतिक कानून को संदर्भित करता है—जिसे पौलुस “वे व्यवस्था की बातें अपने अपने हृदयों में लिखी हुई दिखाते हैं और उनके विवेक भी गवाही देते हैं,” कहता है (रोमियों 2:15)। यह मानव इतिहास भी सम्मीलित करता है—परमेश्वर के निरंतर संप्रभुता का अभिलेख लोगों के मामलों में प्रदर्शित किया जाएगा। सच्चाई हमारे लिए न केवल विशेष प्रकाशित (बाइबल) में बल्कि सामान्य प्रकाशित (सृष्टि) में भी प्रकट है। मसीही शिक्षक फ्रैंक गैबेलिन ने इसे अच्छी तरह से समझा जब उसने कहा, “सब सच्चाई परमेश्वर का सच्चाई है”

यह बात की परमेश्वर खुद को हम पर प्राकृतिक दुनिया के द्वारा प्रकट करता है। वह आइजैक वाट्स द्वारा लिखे गये इस भजन “मैं परमेश्वर की उस पराक्रमी शक्ति को गाता हूं” में शामिल है।:

मैं परमेश्वर की उस पराक्रमी शक्ति को गाता हूं जिन्होंने पहाड़ों को ऊंचा किया,
जिन्होंने बहते समुद्रों को विदेशों में फैलाया
और ऊंचे आसमानो को बनाया
मैं उस ज्ञान को गाता हूं जिसने ठहराया
दिन पर प्रभुता करने के लिये सूर्य;
उसकी आज्ञा से चन्द्रमा पूर्ण रूप से चमकता है,
और सभी सितारे मानते हैं।
मैं यहोवा की भलाई गाता हूँ
जिन्होंने पृथ्वी को भोजन से भर दिया
उन्होंने अपने शब्दों से प्राणियों को बनाया और कहा की अच्छा है
हे प्रभु , आपके चमत्कार कैसे प्रदर्शित होते हैं
मैं अपनी आँखें जिधर मोड़ता हूँ: यदि मैं उस जमीन का सर्वेक्षण करता हूँ जिस पर मैं चलता हूँ,
या आसमान की तरफ देखूं!
नीचे कोई पौधा या फूल नहीं, लेकिन तेरी महिमा को प्रगट करता है ; और बादल उठते हैं और आंधी चलती है
तेरे सिंहासन के आदेश से ;
जबकि वह सब तुमसे जीवन उधार लेता है
हमेशा तेरी देखभाल में है , और हर जगह वह आदमी हो सकता है
तू, प्रभु, वहां मौजूद है।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते है? सृष्टि को ध्यान से देखने और श्रद्धापूर्वक हमारे प्रति अनगिनत तरीकों के गुणों का खोज करने के द्वारा।

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हम उस पर निर्भर हैं  – यदि मैं आकाश को ऐसा बन्द करूँ, कि वर्षा न हो, या टिड्डियों को देश उजाड़ने की आज्ञा दूँ, या अपनी प्रजा में मरी फैलाऊँ, तब यदि मेरी प्रजा के लोग जो मेरे कहलाते हैं, दीन होकर प्रार्थना करें और मेरे दर्शन के खोजी होकर अपनी बुरी चाल से फिरें, तो मैं स्वर्ग में से सुनकर उनका पाप क्षमा करूँगा और उनके देश को ज्यों का त्यों कर दूँगा। (2 इतिहास 7:13-14)। तू पशुओं के लिये घास, और मनुष्यों के काम के लिये अन्न आदि उपजाता है, और इस रीति भूमि से वह भोजन–वस्तुएँ उत्पन्न करता है। और दाखमधु जिस से मनुष्य का मन आनन्दित होता है, और तेल जिस से उसका मुख चमकता है, और अन्न जिससे वह सम्भल जाता है। (भजन संहिता 104:14-15)।

हम पृथ्वी के फल के बिना जीवित नहीं रह सकते। जबकि परमेश्वर के विशेष प्रकाशित (परमेश्वर के वचन का किताब) में सैकड़ों अनुच्छेद इस तथ्य का समर्थन करते हैं, सामान्य प्रकाशित (परमेश्वर के कामों का किताब) भी हमें प्रतिदिन इस सच्चाई का याद दिलाता है। हम अपने स्वास्थ्य और आजीविका के लिए सृष्टि के उपयोगिता पर पूरी रीति से निर्भर है।

यह निर्भरता इसलिए है कि हमें बुवाई और कटाई के बाइबल के सिद्धांत पर ध्यान दे। यह सिद्धांत संक्षेप में कहता है, की यदि हम मुर्ख और पापी व्यवहार बोते हैं , तो हम नकारात्मक परिणाम काटेंगे। कभी-कभी परिणाम पाप के दंड में परमेश्वर के प्रत्यक्ष कार्रवाई का परिणाम होता हैं, जैसे की सृष्टि पर श्राप जो आदम और हव्वा के आनाज्ञाकारीता के पाप का परिणाम—जिसके लिए हम अभी भी नकारात्मक परिणाम काट रहे हैं । कभी-कभी हम अज्ञानी या लापरवाह व्यवहार के प्राकृतिक प्रभावों को काटते हैं। ग्रेट डिप्रेशन और सोवियत संघ के चेरनोबिल परमाणु आपदा के दौरान अमेरिका का डस्ट बाउल वर्ष के इस प्रकार की कटनी के उदाहरण हैं।

अक्सर, प्राकृतिक और अलौकिक दोनों परिणाम होते हैं। एक प्रमुख उदाहरण इस्राएल की विफलता परमेश्वर के सब्त के नियमों के अनुपालन में भूमि को आराम देने का परिणाम है। वहाँ सब्त-मानने के दोनों प्राकृतिक और अलौकिक कारण थे प्राकृतिक रूप से सब्त का नियम भूमि को अपनी उपज के लिए बहुत कठिन दबाव से आवश्यक आराम प्रदान किया। लोगों और जानवरों को भी कार्यबंदी की आवश्यकता थी।

हालाँकि, सब्त के दिन रखने के आत्मिक भी कारण थे। जब लोगों ने सब्त के नियमों का उल्लंघन किया, परमेश्वर अलौकिक रूप से उन पर न्याय लाया। यहूदा के बंधुआई के कारणों को 2 इतिहास 36 में पढ़े. इस का सारांश पद 20 और 21 में है: जो तलवार से बच गए, उन्हें वह बेबीलोन को ले गया, और फारस के राज्य के प्रबल होने तक वे उसके और उसके बेटों–पोतों के अधीन रहे। यह सब इसलिये हुआ कि यहोवा का जो वचन यिर्मयाह के मुँह से निकला था, वह पूरा हो, कि देश अपने विश्राम कालों में सुख भोगता रहे। इसलिये जब तक वह सूना पड़ा रहा तब तक अर्थात् सत्तर वर्ष के पूरे होने तक उसको विश्राम मिला।

परमेश्वर आपके आत्मिक स्वभाव के देखभाल के बारे में चिंतित है। और वह है की जब हम परमेश्वर के “बाहरी दुनिया” जो उन्होंने हमें दिया है की देखभाल करने की आज्ञा को बिना सोचे समझे नकार देते है तब “आंतरिक दुनिया” में उल्लंघन होता है।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते है? यह स्मरण रखते हुए की सृष्टि प्राकृतिक है और सारे जीवों के लिए जीवन और स्वास्थ्य का भौतिक स्रोत है, और इसके फलदायी होने की क्षमता की रक्षा और संरक्षण करने की कोशिश करके।

हम उसके भंडारी है- तब यहोवा परमेश्‍वर ने आदम को लेकर अदन की वाटिका में रख दिया, कि वह उसमें काम करे और उसकी रक्षा करे। (उत्पति 2:15)। परन्तु जो नहीं जानकर मार खाने के योग्य काम करे वह थोड़ी मार खाएगा। इसलिये जिसे बहुत दिया गया है, उससे बहुत माँगा जाएगा; और जिसे बहुत सौंपा गया है, उससे बहुत लिया जाएगा।(लुका 12:48)

हर एक जो माता-पिता है उन समयों को अच्छी तरह से जनता है हर दिन का बड़ा हिस्सा अपने बच्चों की सेवा में बिताने के बाद जब आप रात को थके हुए बिस्तर पर लेटते हैं। आपके बच्चों के पालन-पोषण के दिनों में, हर गतिविधि किसी न किसी तरह से आपके बच्चों से जुड़ी हुई लगती है। ठाठ बाट या आपके अपने बच्चों पर अधिकार रखने की शक्ति के बारे में पहले जो आपका सोच था आपका मज़ाक उड़ाने के लिए वापस आता है जैसे आप एक गंदा डायपर बदलते हैं या अपने डरे हुए बच्चे को शांत करने की कोशिश करते हैं । तभी एक आपातकालीन कक्ष चिकित्सक टूटे हाथ पर कास्ट लगाता हैं। “तो क्या संरक्षण में होना यही होता है” आप सोचते हैं ।

परमेश्वर के साथ सृष्टि में हमारे साझे का सम्बन्ध के बारे में पिछला बिंदु एक सामान्य वास्तविकता की ओर ले जाता है: परमेश्वर ने मनुष्य को सभी क्षमताओं को जो उन्होंने प्राकृतिक दुनिया में बनाया है विकसित करने के लिए प्रभारी बनाया। यह दाऊद के द्वारा हमारे लिए भजन 8 में काव्यात्मक रूप से वर्णित किया गया है :क्योंकि तू ने उसको परमेश्‍वर से थोड़ा ही कम बनाया है, और महिमा और प्रताप का मुकुट उसके सिर पर रखा है। तू ने उसे अपने हाथों के कार्यों पर प्रभुता दी है; तू ने उसके पाँव तले सब कुछ कर दिया है : सब भेड़–बकरी और गाय–बैल और जितने वनपशु हैं, आकाश के पक्षी और समुद्र की मछलियाँ, और जितने जीव–जन्तु समुद्रों में चलते फिरते हैं। हे यहोवा, हे हमारे प्रभु, तेरा नाम सारी पृथ्वी पर क्या ही प्रतापमय है। (पद 5-9)

परमेश्वर ने मनुष्य को सभी क्षमताओं को जो उन्होंने प्राकृतिक दुनिया में बनाया है विकसित करने के लिए प्रभारी बनाया।

जैसे हमारे बच्चे क्षमता के बंडल हैं जो उन्हें नष्ट करने वाली ताकतों से घिरे हुए हैं, पृथ्वी खतरनाक ताकतों से घिरा क्षमता का एक विशाल गोला है। आदम के पाप के कारण परमेश्वर ने पृथ्वी को शाप दिया, इसलिए एक क्षेत्र जो गिरावट की प्रवृत्तियों द्वारा चिह्नित है उसमें उचित प्रभुत्व बनाए रखने के लिए हम कड़ी मेहनत करने को मजबूर हैं.

बाइबल के कुछ विद्वानों ने उचित रूप से यह देखा है कि मानवजाति पृथ्वी पर “नौकर प्रजाति” है। भले ही हमें सृष्टिकर्ता परमेश्वर के द्वारा प्रभुत्व दिया गया है, हम एक ऐसे तरीके से अपने प्रभुत्व कार्यों को पूरा करते हैं जो नौकर-राजा यीशु का अनुकरण करता है जिन्होंने कहा, “जैसे कि मनुष्य का पुत्र; वह इसलिये नहीं आया कि उसकी सेवा टहल की जाए, परन्तु इसलिये आया कि आप सेवा टहल करे,”(मत्ती 20:28)। हमारे प्रभुत्व में हमें यह समझना है की हम परमेश्वर के दास है। एक प्रकार से, हम बीच में नौकर हैं: हम पृथ्वी के सृष्टिकर्ता की साथ ही उनके सृष्टि की सेवा करते है।

इस सच्चाई को उत्पति 2:15 में प्रकाशित किया गया है। जहाँ धरती को पालने और रखने का कार्य, इब्रानी शब्दों के पूर्ण अर्थों में, मतलब किसी के लिए कार्य करना, किसी की सेवा करना, जीवन बचाना, और अवलोकन करना, रखवाली, और भूमि की सुरक्षा करना।

हम बीच में नौकर हैं: हम पृथ्वी के सृष्टिकर्ता की साथ ही उनके सृष्टि की सेवा करते हैं ।

एक भंडारी वह है जिसको उसके मालिक ने उसके हाथ में प्रभार दिया है। जब भण्डारीपन और दासत्व के बारे में बाइबल के सभी अंशों का संक्षेप किया जाता है, वह सब यह दर्शाते हैं की हमारा भंडारीपन परमेश्वर के लिए है:

  • हमसे हमारे मालिक की संपत्ति की उपज में वृद्धि की अपेक्षा की जाती है- जो इसे बर्बाद करने या खराब करने से रोकता है। (उत्पति 1:28; मत्ती 25:14-30; 16:1-2)
  • हमें अपने भण्डारीपन में दूसरों के साथ व्यवहार करने में अपने गुरु का उदाहरण देना है। (मत्ती 10:25; 18:23-35)
  • हमसे अपेक्षा की जाती है कि हम अपने गुरु के प्रति अपने कर्तव्यों को विश्वासयोग्यता और समयबद्ध तरीके से पूरा करेंगे (मत्ती 24:45-51; 25:21,23)।
  • हम अपने स्वामी के प्रति सीधे जवाबदेह हैं और उसकी आज्ञा का पालन न करने के परिणाम की अपेक्षा कर सकते हैं (उत्पति 2:16-17; 3:14-19; मत्ती 25:14-30; लूका 12:45-48; 16: 1-2; रोमियों 14:12)।
  • हमारे पास अपने गुरु के प्रति नियमित रूप से कृतज्ञता व्यक्त करने का कारण है (भजन 1-150; 1:21; 2 कुरिन्थियों 9:10-11; फिलि0 4:6)।
  • हम अपने स्वामी की वापसी की आशा करते हैं (मत्ती 24:45-51; लूका 12:35-38)।

भंडारीपन के इस समझ के साथ जब हम प्रमेश्वर के सृष्टि के निकट जाते हैं तो वह हमें नम्र करेगा। हमें “पृथ्वी के रखवालों” की तरह एक बड़ी जिम्मेदारी और एक बड़ा मौका दिया गया है जो परमेश्वर ने हमें दिया है वह लेने के लिए, और उसके उपयोग्य और विकास में उसके नाम को समान देने के लिए। आधुनिक समाज में श्रम के जटिल विभाजन के कारण और आर्थिक परिस्थितियों के कारण जिनमें हम अक्सर, पृथ्वी पर पड़नेवाले हमारे प्रभाव से और फलदायी बने रहने की क्षमता पर अनजान रहते। आज हम में से अधिकांश लोग अपना भोजन प्राप्त करने के लिए सीधे मिट्टी की जुताई नहीं करते-कोई और करता है। लेकिन हमें यह याद रखना है की हर डॉलर जो हम भोजन पर खर्च करते हैं अप्रत्यक्ष रूप से कोई मिट्टी की जुताई करता है, कृषि सम्बन्धी रसायनों को डालता है, जीवित पौधों से उपज का उत्पादन करता, और उस भोजन को हम तक पहुँचाने के लिए मोटर चालित वाहनों पर इग्निशन कीज़ को घुमाता है। वही हमारे कपड़े, हमारा घर, और हमारे अन्य ज़रूरतों- और हमारी चाहतों के लिए भी सच है। उन गतिविधियों द्वारा सृष्टि पर पड़ने वाले प्रभाव पर विचार करने के लिए हमें पुराने जमाने के किसानों की तरह मेहनती होना चाहिए। वह प्रतिदिन इस सच्चाई का सामना किया की यदि वह इस भूमि की अच्छे से देखभाल नहीं की तो वह अपने जीवन और उनके जीवनों को पर जो उसके भंडारीपन के कौशल पर निर्भर है खतरा है।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते हैं ? यह याद करते हुए की आखिरकार या तो हम परमेश्वर के विश्वासयोग्य या अविश्वास्योग्य भंडारी हैं और हम अपने निर्णयों के लिए अपने मालिक के जवाबदेही है। हमें परमेश्वर के पृथ्वी के “अच्छे रखवाले के स्वीकृति की मोहर” के लिए लक्ष्य बनाना है।

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“हे हमारे प्रभु और परमेश्‍वर, तू ही महिमा और आदर और सामर्थ्य के योग्य है; क्योंकि तू ही ने सब वस्तुएँ सृजीं और वे तेरी ही इच्छा से थीं और सृजी गईं।”(प्रकाशितवाक्य 4:11)

फिर मैं ने स्वर्ग में और पृथ्वी पर और पृथ्वी के नीचे और समुद्र की सृजी हुई सब वस्तुओं को, और सब कुछ जो उनमें हैं, यह कहते सुना, “जो सिंहासन पर बैठा है उसका और मेम्ने का धन्यवाद और आदर और महिमा और राज्य युगानुयुग रहे!” (प्रकाशितवाक्य 5:13)। बहुत साल पहले की बात नहीं है मुझे येलोस्टोन और ग्रैंड टेटन की क्रिश्चियन कॉलेज स्टडी ट्रिप पर टैग करने का मौका मिला। देर दोपहर जो मैं नहीं भूलूंगा, हमने स्कूल वाहन को अक्सर फोटो खिंचवाने वाले छोटे चैपल के पास पार्किंग एरिया में लाया जो टेटन के ठीक पूर्व में पठार पर स्थित है।

सृष्टि विस्मयकारी है क्योंकि वह जिसने इसकी कल्पना की थी उसकी अनंत बुद्धि और शक्ति प्रतिबिम्बित करता है।

हमारा ग्रुप उस समय लगभग अकेला था, तो जीव विज्ञान के प्रोफेसर ने कैसेट टेप निकाला जो उन्होंने सिर्फ इस अवसर के लिए लाया था और इसे वैन के टेप प्लेयर में डाल दिया। हमें बहार जाने और एक दूसरे से अलग होने का निर्देश देते हुए, उन्होंने सभी दरवाजों को खोला और “कितना महान”की एक अविस्मरणीय रिकॉर्डिंग की आवाज को पूरा बढ़ा दिए। जब उस अद्भुत गीत के शब्दों ने मेरी आत्मा को झकझोरा: “वन के बीच में, चराई मध्य में विचरूँ, मधुर संगीत, मैं चिड़ियों का सुनूँ , पहाड़ विशाल, से जब मैं नीचे देखूँ, झरने बहते लगती शीतल वायु, प्रशंसा होवे प्रभु यीशु की कितना महान, कितना महान!” जल्द ही वह भव्य दृश्य मेरे आँखों के आंसुओं से पर्दा हो गया। ऐसी स्थिति में हम पूजा के अलावा और कुछ नहीं कर सकते थे। यह ऐसा था जैसे हम स्तुतिगान में जी रहें हो, परमेश्वर की प्रशंसा करना जिससे सारे आशीर्वाद बहते हैं और यहाँ निचे उसके सारे सृष्टि के साथ प्रशंसा करना, मैं हर समय सभी लोगों के लिए निश्चित हूं, की प्रकृति के साथ एक जबरदस्त अनुभव ने उन्हें आराधना करने के लिए प्रेरित किया है। आराधना करने का कारण होना, हालांकि, इसका मतलब यह नहीं है कि हम ऐसे करने का अवसर लेंगे। रोमियों के पहले अध्याय में पौलुस ने इसकी पुष्टि की, की दुख की बात यह है कि जो सृष्टिकर्ता से आजादी की घोषणा करने की कोशिश करते हैं वे सृष्टि की उपासना करना चुनते हैं। पौलुस ने विस्तार रूप से बताया:

इस कारण कि परमेश्‍वर को जानने पर भी उन्होंने परमेश्‍वर के योग्य बड़ाई और धन्यवाद न किया, परन्तु व्यर्थ विचार करने लगे, यहाँ तक कि उन का निर्बुद्धि मन अन्धेरा हो गया। वे अपने आप को बुद्धिमान जताकर मूर्ख बन गए, और अविनाशी परमेश्‍वर की महिमा को नाशवान् मनुष्य, और पक्षियों, और चौपायों, और रेंगनेवाले जन्तुओं की मूरत की समानता में बदल डाला। इस कारण परमेश्‍वर ने उन्हें उनके मन की अभिलाषाओं के अनुसार अशुद्धता के लिये छोड़ दिया कि वे आपस में अपने शरीरों का अनादर करें। क्योंकि उन्होंने परमेश्‍वर की सच्‍चाई को बदलकर झूठ बना डाला, और सृष्‍टि की उपासना और सेवा की, न कि उस सृजनहार की जो सदा धन्य है! आमीन।(रोमियों 1:21-25)।

सृष्टि विस्मयकारी है क्योंकि वह जिसने इसकी कल्पना की थी उसकी अनंत बुद्धि और शक्ति प्रतिबिम्बित करता है। इसमें ऐसे चमत्कार और रहस्य हैं जो उसे पाने वाले को चकित कर देता हैं। बाइबल के अनुसार, यह प्राकृतिक दुनिया युगों के भविष्यवक्ताओं से जुड़ती है, सभी लोग हर जगह और हर समय सृष्टिकर्ता प्रभु की महिमा को वाक्पटुता से घोषित करता है। जो सृष्टिकर्ता को अस्वीकार करते हैं , सृष्टिकर्ता के हाथ के कार्यों की अनजाने में आराधना करना ही एक मात्र विकल्प है। मनुष्य, सृष्टि का मुकुट जो परमेश्वर की समानता में बनाया गया था, सबसे अधिक प्रमेश्वर का स्थानापन्न है। सृष्टि का उपयोग करके वैकल्पिक देवताओं को बनाने के अनगिनत तरीके खोजने के बाद, मनुष्य स्वतंत्रता और तत्काल सुख की अपनी इच्छा में लिप्त रहता है।

ऐतिहासिक रूप से, सूर्य, चंद्रमा, पशु साम्राज्य, महासागर और “धरती माता” सभी ने एक विद्रोही जाति से बारी-बारी से पूजा-अर्चना ली है जो केवल आराधना के योग्य है, उसके अलावा किसी और चीज की पूजा करने के लिए बाध्य है।

जो सृष्टिकर्ता को अस्वीकार करते हैं , सृष्टिकर्ता के हाथ के कार्यों की अनजाने में आराधना करना ही एक मात्र विकल्प है।

फिर भी जब सृष्टि को अपने लिए बोलने की अनुमति दी जाती है सूरज, चाँद, पहाड़ और समुद्र सभी पौधों और जानवरों के साथ एकमात्र सच्चे परमेश्वर की अतुलनीय महिमा घोषित करने के लिए एक साथ जुड़ जाते हैं । अपने सृष्टिकर्ता की आराधना करने के लिए प्रेरित करने की सृष्टि की यह क्षमता सैकड़ों वर्षों से विश्वास के गीतों में मनाये जाते हैं । हेनरी वैन डाइक के बोल और बीथोवेन की नौवीं सिम्फनी का शानदार संगीत के साथ इस गाने पर विचार करें “जोय्फुल, जोय्फुल, वी अडोर दि”:

तेरे सब काम तुझे आनन्द से घेरे हुए हैं, पृथ्वी और आकाश तेरी किरणों को प्रतिबिम्बित करते हैं, तारे और स्वर्गदूत तेरे चारों ओर गाते हैं, अखंड प्रशंसा का केंद्र। मैदान और जंगल, घाटी और पहाड़, फूलों का मैदान, चमकता समुद्र, गाती चिड़िया और बहता फव्वारा हमें तुझ में आनन्दित होने के लिए बुलाती है। यह और कई अन्य स्तुति गान शास्त्रों की सच्चाई को काव्यात्मक रूप से व्यक्त करते हैं, जो यह दर्शाता है की यह प्राकृतिक दुनिया कई तरीकों से एक गिरजाघर है जिसे परमेश्वर ने अपने हाथों से बनाया गया है। एक गर्म वसंत की सुबह पवित्रस्थान में प्रवेश करते हुए, हम आसानी से समझ सकते हैं की सब प्रकृति हमारे साथ सृष्टिकर्ता की आराधना में शामिल होती है। भजनकार की तरह, हम पेड़ों को ताली बजाते हुए और पहाड़ों और समुद्रों को परमेश्वर की महिमा करते हुए कल्पना कर सकते हैं—उसकी प्रशंसा करना की वे वह करके उसकी सेवा कर सकते जो करने के लिए वे सृजे गये थे। उसी तरह, एक प्राकृतिक दुनिया के लिए हमें एक भण्डारी की सहानुभूति चाहिए जो की शाप और पापी मानवता के दुर्व्यवहार से उत्पीड़ित है की वह उस अंतिम दिन के लिए कराहता है जब वह मसीह के दूसरे आगमन में हमारे अंतिम और पूर्ण छुटकारे में भाग लेगा (रोमियों 8:18-23)।

यह प्राकृतिक दुनिया कई तरीकों से एक गिरजाघर है जिसे परमेश्वर ने अपने हाथों से बनाया गया है।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते हैं ? स्मरण करते और प्राकृतिक दुनिया के साथ संगी आराधक के रूप में हमारे नम्र पद का आनंद लेते हुए , और रहस्यमय तरीके से हमारे आपसी निर्माता, पालनकर्ता और उद्धारक को प्रशंसा देने के लिए एक साथ जुड़ते हुए।

वह हमें गवाही देने का अवसर प्रदान करता है

यहोवा का धन्यवाद करो, क्योंकि वह भला है; और उसकी करुणा सदा की है! यहोवा के छुड़ाए हुए ऐसा ही कहें, जिन्हें उसने शत्रु के हाथ से दाम देकर छुड़ा लिया है, और उन्हें देश देश से, पूरब–पश्‍चिम, उत्तर और दक्षिण से इकट्ठा किया है।(भजन 107:1-3)। मेरा एक दोस्त है जो एक राज्य विश्वविद्यालय में पारिस्थितिकी का प्रोफेसर हैं। वह एक प्रतिबद्ध मसीही भी है। कुछ वर्षों पहले, वह पारिस्थितिकी के बारे में मसीही दृष्टिकोण उन दर्शकों को प्रदर्शित कर रहा था जिसमें एक राष्ट्रीय स्तर पर प्रभावशाली यहूदी रब्बी शामिल था। उस प्रदर्शन के निष्कर्ष में, रब्बी ने उस पर टिप्पणी की, “आपकी बात मुझे लगभग आश्वस्त करती है कि मुझे यीशु पर पुनर्विचार करना चाहिए।” मेरा दोस्त, इस तरह का पछतावा सुनकर बिल्कुल, हैरान रह गया था। यह उसके लिए पुष्टि की, की सृष्टि और इसका महत्व का एक मसीही दृष्टिकोण शायद ही मसीही मंडलियों के बाहर समझा जाता है।

उस से, और कई अनुभव से, इस विश्वविद्यालय के प्रोफेसर को यह पता चला कि जब अविश्वासियों के बीच में पृथ्वी के बारे में मसीही सच प्रदर्शित किया जाता है, तो यह उन्हें सुनने के लिए विवश करता है। उत्पत्ति का बाइबिल दृष्टिकोण, मतलब और पृथ्वी की नियति, पूरे सुसमाचार के साथ, पाप के कारण दुनिया की पर्यावरणीय बीमारी और संकट का एकमात्र उत्तर प्रदान करता है। अपनी पुस्तक द बॉडी में चार्ल्स कोल्सन ने सहमति व्यक्त की:

जीवन के हर क्षेत्र में हमें सच्चाई के लिए संघर्ष करना चाहिए। शक्ति के लिए नहीं या कुछ आधुनिक कारण जिससे हम बह जाते हैं उस के वजह से नहीं, पर नम्रता से परमेश्वर को महिमा लाने के लिए। इस कारण से, मसीहीयों को सबसे उत्साही पारिस्थितिकीविद् होना चाहिए। इसलिए नहीं कि हम पेड़ों को जिनकी छाल जीवनरक्षक औषधि प्रदान करती है, काटने के बजाय चित्तीदार उल्लुओं को बचाना चाहते हैं, लेकिन इसलिये क्योंकि हमें बगीचे की रखवाली करने और यह सुनिश्चित करने के लिए कि परमेश्वर ने जो सुंदरता और भव्यता प्रकृति में प्रतिबिम्बित की है वह नष्ट न हो। हमें जानवरों की देखभाल करनी चाहिए। इसलिए नहीं कि व्हेल हमारे भाई हैं, लेकिन इसलिये की जानवर परमेश्वर के राज्य के हिस्से है जिस पर हमें प्रभुता करना है (पृ.197)।

दुखद तथ्य: यह है की चर्च ने सृष्टी पर हमारे भण्डारीपन की भूमिका के संबंध में बाइबल के सिधान्तों को खराब तरीके से समझा और दर्शाया है। पारिस्थितिकी के मसीही दृष्टिकोण के अपनी किताब में पहले उल्लेख किया है, फ्रांसिस शेफ़र कलीसिया को परमेश्वर की सृष्टि द्वारा झेले गए पर्यावरणीय तनाव को दूर करने के उस जिम्मेंदारी की बात करता है: एक बाइबल सम्बन्धी मसीहत पारिस्थितिक संकट का वास्तविक उत्तर है। यह प्रकृति को संतुलित और स्वस्थ दृष्टिकोण प्रदान करता है, प्रमेश्वर द्वारा इसकी सृष्टि के सत्य से उत्पन्न; वह यहाँ आशा और अब पतन के कुछ परिणामों की प्रकृति में पर्याप्त उपचार प्रदान करता है, मसीह में छुटकारे की सच्चाई से उत्पन्न…. मसीह के पुनरागमन पर भविष्य के पूर्ण चंगाई का इंतजार करते हुए एक मसीह आधारित विज्ञान और तकनीक प्रकृति को पर्याप्त रूप से चंगा देखने के लिए होशपूर्वक प्रयास करना चाहिए। (प्रदूषण और मनुष्य की मृत्यु: पारिस्थितिकी का मसीही दृष्टिकोण, पृष्ठ 81)।

“मसीह के पुनरागमन पर भविष्य के पूर्ण चंगाई का इंतजार करते हुए एक मसीह आधारित विज्ञान और तकनीक प्रकृति को पर्याप्त रूप से चंगा देखने के लिए होशपूर्वक प्रयास करना चाहिए।” – फ्रांसिस शेफ़र

मसीह के अनुयायियों के रूप में, यदि हम परमेश्वर के हस्तकला के प्रति देखभाल और चिंता नहीं दर्शा रहे हैं हम कहते है की हम प्रेम और आराधना करते हैं , हम दुनिया को परमेश्वर के वचन की सच्चाई दुनिया के सभी संकटों को दूर करती है बताने का एक महान अवसर को खो रहे हैं। इसके अलावा, हम आत्मिक रक्ताल्पता से पीड़ित होंगे जो हमारे मसीही व्यवहार में परमेश्वर के पूरी सलाहों को लागू करने की असफलता से आता है। हमें यह समझना चाहिए की साथ ही जब हम उनके सृष्टी को अनादर दिखा रहे है हम अपने सृष्टिकर्ता और उधारकर्ता के लिए आदर नहीं दिखा सकते। आख़िरकार, हम और सृष्टि अंतिम पुनर्स्थापना और सभी चीजों के पुनर्मिलन में हिस्सा लेंगे (प्रेरितों 3:20-21; कुलुस्सियों 1:20)

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते हैं ? देखी दुनिया में सब चीजों के लिए उचित चिंता दर्शाने का हर अवसर लेने के द्वारा जो हमारे सृष्टिकर्ता के हाथों से आता है।

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हम इसे अपने पड़ोसियों के साथ साझा करते हैं

लुतरा बनके अपने लोगों में न फिरा करना, और एक दूसरे का लहू बहाने की युक्‍तियाँ न बाँधना; मैं यहोवा हूँ। “अपने मन में एक दूसरे के प्रति बैर न रखना; अपने पड़ोसी को अवश्य डाँटना, नहीं तो उसके पाप का भार तुझ को उठाना पड़ेगा। पलटा न लेना, और न अपने जाति भाइयों से बैर रखना, परन्तु एक दूसरे से अपने ही समान प्रेम रखना; मैं यहोवा हूँ। (लैव्यव्यवस्था 19:16-18)

हम तकनीक के बारे में कुछ नया सोचते हैं। ऐसा नहीं है। यह आदम के बाद से है। तकनीक रचनात्मक लोगों का अपने काम करने के लिए सृष्टि से तत्वों का उपयोग करने के अलावा और कुछ नहीं। दुर्भाग्यवश, आदम का पाप और सृष्टि पर परिणामी श्राप के कारण, तकनीकी प्रक्रियाएं और उत्पाद हमेशा अच्छे और बुरे दोनों तरीकों में उपयोग्य किये गये हैं । कैन एक लकड़ी का उपयोग्य कर सकता था जो उसने मिट्टी खोदने के लिए नुकीला किया था-और वह उसे अपने भाई को मारने के लिए इस्तेमाल कर सकता था। तकनीक आज उसकी सीमा, उसकी प्रभावशीलता और इसकी तेजी से बदलाव लाने की क्षमता के कारण महत्वपूर्ण है। तकनीकी कौशल और बढ़ते हुए वैज्ञानिक ज्ञान, फायदे और नुकसान के साथ-साथ, 50 साल पहले अकल्पनीय तरीके से जीने के जटिल तरीके।

यह ज्ञान जो परमेश्वर के समान्य प्रकाशित के “दूसरे पुस्तक” से उत्पन्न होता है, बहुत सारे सवाल उत्पन्न करता है की जब वे सृष्टिकर्ता को उसके आदेशों का पालन करने के द्वारा महिमा करना चाहते हैं तो मसीहियों को कैसे जीना चाहिए- विशेष रूप से अपने पड़ोसी से प्रेम करने का आदेश। इसे समझाने के लिए फायदे और खतरे दोनों जो हमें तकनीक के द्वारा विरासत में मिला है कई पृष्ठ लिखे जा सकते हैं। इस चर्चा में मानव जनित वैश्विक जलवायु परिवर्तन, वायु और जल प्रदूषण, मिट्टी का कटाव, ध्वनि प्रदूषण, प्रजातियों का नुकसान और मत्स्य पालन में कमी तरह के मुद्दे शामिल होते।

मसीही होने के नाते, हमारा दायित्व है की सारे निर्णय जो हम लेते हैं वह दयालु चिंता के साथ बनाए हमारे पड़ोसियों के लिए जो बगल में, नीचे धारा या हमसे निचे हैं ।

मसीहियों के लिए इस तरह के एक चित्रण का मुद्दा यह बात समझना होता की अपने पड़ोसी के जीवन और आजीविका को नकारात्मक रूप से प्रभावित करने की संभावना बाइबल के समय से एक हजार गुना बढ़ गया। यह समझ जो कुछ भी करते हैं उसमें दूसरों पर विचार करने की हमारे जिम्मेदारी को बढ़ाता है। हमारे व्यवहार और जीवन शैली के संभावित नकारात्मक प्रभावों की जानकारी को नज़रअंदाज़ करना हमारे लिए आकर्षक है। लेकिन आज ऐसा करना उतना ही पापमय है जितना कि उस समय था जब जीवन सरल था। हम जो मसीह और सृष्टिकर्ता में विश्वास करते हैं , हमारा दायित्व है की सारे निर्णय जो हम लेते हैं वह दयालु चिंता के साथ बनाए हमारे पड़ोसियों के लिए जो बगल में, नीचे धारा या हमसे निचे हैं । तकनीक हमारा रहना आसान, अधिक आरामदायक, अधिक रोमांचक और अधिक लाभदायक बना सकती है। साथ ही, वह परमेश्वर की सृष्टि को इस तरह तबाह कर सकता है की सड़क के दूसरी ओर – और विश्व के दूसरी ओर के लोगों के लिए दुख बन जाता है।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते हैं ? यह देखने के लिए लगन से काम करते हुए की सृष्टि का हमारा उपयोग हमारे पड़ोसी-नजदीक या दूर, प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से दुःख न पहुचाये।  

हम अपने आने वाले पीढ़ी के साथ साझा कर सकते हैं

…और अपने परमेश्‍वर के सामने अपने परमेश्‍वर यहोवा की सब आज्ञाओं को मानो और उन पर ध्यान करते रहो; ताकि तुम इस कि तुम इस अच्छे देश के अधिकारी बने रहो, और इसे अपने बाद अपने वंश का सदा का भाग होने के लिए छोड़ जाओ। (1 इतिहास 28:8) पर यदि कोई अपनों की और निज करके अपने घराने की चिन्ता न करे, तो वह विश्‍वास से मुकर गया है और अविश्‍वासी से भी बुरा बन गया है।(1 तीमुथियुस 5:8)।

1980 में टिप्पणीकारों ने युवा पीढ़ी को अक्सर “मी जनरेशन” या “नाउ जेनरेशन” करके बुलाया। उन्होंने युवा लोगों में परेशान करने वाला रवैया देखा वह संक्षेप में कहा “मुझे सब चाहिए, और अभी चाहिए” लालच और भौतिकवाद को ध्यान में रखते हुए जो युवा पीढ़ी ने वयस्कों में देखा था, “उपभोक्ता” विज्ञापन के संपर्क में आने के हज़ारों घंटों का संचयी प्रभाव, इतिहास में रुचि का कमी, परिवार और विवाह संस्थाओं का विघटन, और धार्मिक मूल्यों में गिरावट, यह समझा जा सकता है कि उनमें आत्म-केंद्रितता का गुण होगा।

इसके विपरीत परोपकारिता के गुण के साथ- दूसरों के कल्याण के लिए निःस्वार्थ चिंता। जब मसीही एक शाश्वत प्रमेश्वर में विश्वास, दूसरों के प्रति दया, आत्म-बलिदान, और सामान्य संस्कृति के लिए भविष्य की आशा के मूल्यों को मानता हैं, इस बात की बहुत कम संभावना है कि परोपकारिता बच पाएगी। दरअसल, आज ज्यादातर लोग को परोपकारिता शब्द को परिभाषित करने में भी कठिनाई हो सकती है।

वचन के लोगों को अपने बच्चों के लिए प्रदान करने और उनके लिए विश्वास का मीरास और एक अच्छी भूमि का उपहार छोड़ने की जिम्मेदारी है -एक सृष्टि जो सम्मानित और अच्छी तरह से रखी गई है।

जैसा कि ऊपर दिए गए संयुक्त पवित्रशास्त्र के अंश इंगित करते हैं, वचन के लोगों को अपने बच्चों के लिए प्रदान करने और उनके लिए विश्वास का मीरास और एक अच्छी भूमि का उपहार छोड़ने की जिम्मेदारी है -एक सृष्टि जो सम्मानित और अच्छी तरह से रखी गई है। मसीही किसान- दार्शनिक वेन्डेल बेरी ने कई किताबें लिखी हैं जो समुदाय के व्यापक अर्थ को रेखांकित करता है- समुदाय जिसमें हमारे पूर्वज, हमारे वर्तमान परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों, हमारे पशु और भूमि, और हमारे वंशज शामिल हैं। ‘व्हाट आर पीपल फॉर’? किताब के ये शब्द मेरे द्वारा छोड़ी जा रही विरासत पर अधिक ध्यान से विचार करने के लिए प्रेरित किया है:

हमें “भविष्य की दुनिया” तैयार करने की आवश्यकता नहीं है; यदि हम वर्तमान की दुनिया की देखभाल करते हैं, भविष्य को हमसे पूर्ण न्याय मिलेगा। एक अच्छा भविष्य मिट्टी, जंगलों, घास के मैदानों, दलदलों, रेगिस्तानों, पहाड़ों, नदियों, झीलों और महासागरों में निहित है जो अभी हमारे पास हैं। हमारे लिए उपलब्ध एकमात्र वैध “भविष्य विज्ञान” उन चीजों का देखभाल करना है। हमें “मानव जाति के भविष्य” के बारे में सोचने और विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है; हमें एक ही दबाव की आवश्यकता है- प्यार करना, उनकी देखभाल करना और उन्हें अपने बच्चों को सिखाना (पृ. 188)।

हमें “मानव जाति के भविष्य” के बारे में सोचने और विचार करने की कोई आवश्यकता नहीं है; हमें एक ही दबाव की आवश्यकता है- प्यार करना, उनकी देखभाल करना और उन्हें अपने बच्चों को सिखाना – वेन्डेल बेरी

बेरी इस अंतिम पंक्ति पर विस्तार से इस किताब अदर टर्न ऑफ द क्रैंक में बताते हैं: मैं कुछ भी नहीं जानता जो दुनिया की देखभाल करने में हमारी वर्तमान प्रजनन की क्षमता के दुरुपयोग पर इतनी दृढ़ता से सवाल उठाता है। हम दूसरे जीवों की देखभाल कैसे कर सकते हैं, जो हमारी तरह दुनिया की चमत्कारी उर्वरता से पैदा हुए है, यदि हमने संस्कृति और चरित्र के गुणों को त्याग दिया है जो बच्चों के पालन पोषण की जानकारी देता है….. कोई भी कारण हो, यह सच है कि हम अभी बच्चों के खिलाफ एक प्रकार का सामान्य युद्ध कर रहे है, जिनका गर्भपात या परित्याग, दुर्व्यवहार, नशा, बमबारी, उपेक्षित, खराब पालन-पोषण, कुपोषन, खराब शीक्षा, और खराब अनुशासन किया गया है। उनमें से बहुतों को न केवल कोई योग्य काम बल्कि किसी प्रकार का कोई काम नहीं मिलेगा। उन सभी को एक क्षीण, रोगग्रस्त और ज़हरीली दुनिया विरासत में मिलेगा। हम उन पर न केवल पापों का बल्कि हमारे ऋणों का भी दौरा करेंगे। हम सरकारी, औद्योगिक और मनोरंजक के -हजारों उदाहरण उनके सामने रखे हैं-यह सुझाव देते हए की अहिंसा का मार्ग सबसे अच्छा रास्ता है। और फिर जब वे बंदूकें ले जाते हैं और उनका उपयोग करते हैं तो हमें आश्चर्य और परेशान होने का ढोंग होता है (पृ.78-79)।

हम उस समुदाय से बहुत दूर हैं जो हमारे अतीत को संजोता, वर्तमान की रक्षा करता, और भविष्य को सुरक्षित करता है।

यह मुझे शोकित करता है। मसीह में विश्वासी होने की तरह, मैं यह सोचना चाहूँगा की वह सिर्फ अविश्वासी लोगों का वर्णन कर रहा है। लेकिन मुझे डर है क्योंकि मैं ऐसे व्यवहारों और रवैये को हमारे मध्य में देखता हूँ। हम उस समुदाय से बहुत दूर हैं जो हमारे अतीत को संजोता, वर्तमान की रक्षा करता, और भविष्य को सुरक्षित करता है। जबकि हम मसीह की किसी भी क्षण वापसी की आस रखते हैं, हम इस अपेक्षा को खुद को उस जिम्मेदारी से बचने के लिए इस बहाने का इस्तेमाल नहीं कर सकते सृष्टि जो हमारे बच्चों और उनके बच्चों के लिए परमेश्वर का उपहार है उनको प्रदान करने की इसकी क्षमता जो उसने हमारे लिए प्रदान किया है अच्छी तरह से रखा गया और कम नहीं किया गया है।

हम सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को कैसे मना सकते हैं ? ? हम अपने बच्चों और उनके बच्चों को प्रदान करने की क्षमता की सुरक्षा और रखवाली के लिए जो कर सकते हैं सब कुछ करने के द्वारा जिन खजाने का आनंद हमने लिया और हमारे माता-पिता और उनके माता-पिता के देखभाल और चिंता के वजह से पाया है।

विश्वास और व्यवहार

“प्रकृति के प्रति गलत रवैये का अर्थ, कहीं न कहीं, परमेश्वर के प्रति एक गलत रवैया है।” – टी. एस. एलियट

पर्यावरण आंदोलन और नवयुग आंदोलन मुख्य रूप से गैर-मसीही मूल के हैं। वे अक्सर पृथ्वी के संबंध में विश्वासों और व्यवहारों का आह्वान करते हैं जो परमेश्वर के वचन के विपरीत हैं। परिणाम स्वरूप, मसीह के कई अनुयायी ऐसा सोचने लगते हैं की धरती का देखभाल एक मूर्तिपूजक अवधारणा है जो मुख्य रूप से धरती की पूजा से जुड़ी है। इन लोकप्रिय आंदोलनों से बहुत पहले परमेश्वर के सृष्टि का देखभाल चर्च की एक प्रमुख चिंता थी। मसीह के बाद पाँचवीं शताब्दी के आरंभ में, जब चर्च वर्ष के वसंत में बोई जा रही फसलों पर परमेश्वर का आशीष मांगने और उसके प्रावधान के लिए उसे धन्यवाद देने के लिए “स्वर्गारोहण-दिवस के पूर्व के तीन दिन” मना रहे थे। 19वीं शताब्दी में यह प्रथा उत्तरी अमेरिका में आम थी। परमेश्वर की सृष्टि पर व्यवसायवाद और भौतिकवाद के नकारात्मक प्रभाव के बारे में चिंता 20वीं सदी के अधिकांश समय में व्यक्त किया गया है। उसके निबन्ध “एक मसीही समाज का विचार” में टी. एस. एलियट ने लिखा, “प्रकृति के प्रति गलत रवैये का अर्थ, कहीं न कहीं, परमेश्वर के प्रति एक गलत रवैया है।” (पृ.62)।

सृष्टि में परमेश्वर के चमत्कारों को मनाने का हमारा प्रयास हम में परमेश्वर और उनके हस्तकला जिस पर हम निर्भर है के प्रति सही रवैया को उत्तेजित करे।