आज की दुनिया में हम आदर की आत्मा को किस प्रकार बढ़ा सकते हैं?

कोई भी सिद्ध नहीं! हमारा पाप हमें भद्र बनाता और हमारा मानवीय स्वभाव स्वयं हमें तुच्छ जानता है। परंतु स्वयं में संतुष्टि प्राप्त करने का मार्ग ही आदर है – जो ईश्वर के प्रति आदर है। प्रत्येक विश्वव्यापी सोच आत्मिक उन्नति और नैतिक्ता परमेश्वर के आदर की महत्वता पर जोर देती है। परंतु दुनिया के बारे में मसीही दृष्टिकोण जीवन के अर्थ में और गहराई को लेकर आता है। आइए, परमेश्वर के प्रति अपने आदर को बढ़ाने के लिए इस आत्म- भक्ति पूर्ण संग्रह को पढ़ते चले।


 

| दिन 1: अद्भुत- युक्ति करने वाला

बहुचर्चित कॉमिक स्ट्रिप में, लुसी अपना अस्थायी कार्यालय स्थापित करती है और विज्ञापन देती है कि वह एक छोटे से शुल्क के लिए सलाह देगी। तभी चार्ली ब्राउन उसके पास आता है और उसे बताता है कि उसे कैसे महत्वहीन होने का एहसास हो रहा है और उसकी अनदेखी की जा रही है। जब वह अकेलेपन की अपनी भावना का वर्णन करना समाप्त कर देता है, तो बेपरवाह ‘परामर्शदाता’ चंचलतापूर्वक उसे …

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| दिन 2: थोड़ा हटकर

हाय. . . मैं अब पूर्ण नहीं हूं।“ मैं अंदर ही अंदर कराह उठा। यह अहसास मुझे तब हुआ जब हमने अपने पुराने टीवी को हटाकर एक नया 42 इंचई टीवी ले आए उसके रंग अच्छे थे आवाज सुरीली परंतु सबटाइटल्स को क्या हुआ? वह क्यों बड़ी धुंधले से दिख रहे थे लगता था कि मेरी आंखें खराब हो गए हैं मेरे डॉक्टर ने मुझे बताया था कि मेरी बाई आंख का संतुलन लगभग 20 डिग्री बिगड़ चुका है।

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| दिन 3: गुप्त दानी

दिनेश एक दिव्यांग होने के कारण अपने दिन प्रतिदिन की क्रियाओं में बहुत सी परेशानियों का सामना करता है जिसके कारण हर काम में उसे बहुत समय लगता है परिणाम स्वरूप उसे इसके कारण बहुत पीड़ा होती है। यह सब होते हुए भी वह अपनी पत्नी और बेटे की सेवा करता है। वह अपने चौबारे की घास को समय काटता है जिससे आते जाते लोग देखते हैं।

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| दिन 4: पितारहित नहीं

जान सोवर्स अपनी पुस्तक फादरलेस जनरेशन वित्त रहित पीढ़ी में लिखते हैं कि उन्होंने किसी भी पीढ़ी में इतने स्वेच्छा धारी पिता नहीं देखें जितने इस पीढ़ी में जहां पर ढाई करोड़ बच्चों के पास केवल एक ही अभिभावक है। मेरे अपने अनुभव अनुसार यदि भीड़ में आज मैं अपने पिता से मिलू तो शायद ही उन्हें पहचान पाऊंगा क्योंकि जब मैं एक शिशु था तब भी मेरे माता-पिता का तलाक हो गया था और मेरे पिता की सारी …

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| दिन 5: स्वयं को तैयार कर ले

मैं स्वयं को शुद्ध कर कर बचा नहीं सकता मैं सोने को पाप बली करके नहीं चला सकता मैं संसार का छुटकारा नहीं करा सकता मैं जो गलत है उसे ठीक नहीं कर सकता और ना ही मैं अशुद्ध को शुद्ध कर सकता ना ही जो अपवित्र है उसे पवित्र कर सकता हूं। यह सारे कार्य सर्वशक्तिमान परमेश्वर के हैं। जो यह शो नहीं किया क्या मेरा भरोसा उन चीजों पर है? उसने मानव जाति का छुटकारा किया क्या मैं निरंतर इस …

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| दिन 6: जीवन के ईश्वर्य नियम

हाय. . . मैं अब पूर्ण नहीं हूं।“ मैं अंदर ही अंदर कराह उठा। यह अहसास मुझे तब हुआ जब हमने अपने पुराने टीवी को हटाकर एक नया 42 इंचई टीवी ले आए उसके रंग अच्छे थे आवाज सुरीली परंतु सबटाइटल्स को क्या हुआ? वह क्यों बड़ी धुंधले से दिख रहे थे लगता था कि मेरी आंखें खराब हो गए हैं मेरे डॉक्टर ने मुझे बताया था कि मेरी बाई आंख का संतुलन लगभग 20 डिग्री बिगड़ चुका है।

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| दिन 7: यीशु मसीह की पूर्णता

आजकल के धार्मिक संग्राम में नए नियम की शुद्र वास्तविकता देखने को नहीं मिलती ना ही लगता है की यीशु मसीह की मृत्यु अनिवार्य थी। मात्र एक धर्मी लगने वाला वातावरण ही अनिवार्य प्रतीत होता है देश में प्रार्थना और आराधना सम्मिलित है। इस प्रकार के अनुभव में कुछ भी अलौकिक और चमत्कारी नहीं और ना ही इसमें परमेश्वर की करुणा का कोई मूल्य दिखाई देती है, ना ही उसने मैंने के लहू के साथ एक रंग …

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