उसकी शांति, हमारी शांति
शांति, हम में से ऐसा कौन होगा जो एक शांत ह्रदय और निर्बाध मनोस्थिति की इच्छा नहीं रखता हो? एक ऐसा स्थान जहाँ हमारा आंतरिक अस्तित्व एक शांत झील की तरह शांत और अविचलित हो?
शांति की सार्वभौमिक रूप से कामना की जाती है—इसकी व्यक्तिगत पारस्परिक और अंतर्राष्ट्रीय विविधताएं हैIशांति के लिए विश्वव्यापी खोज हमारी दुनिया में चिकित्सा और देखभाल पर खर्च किए गए खरबों डॉलर उचित हिस्सेदारी के लिए ज़िम्मेदार हैI अगर इसे पैक किया जा सकता और खरीदा जा सकता तो यह अब तक की सबसे अधिक मांग की जाने वाली और बिकने वाली वस्तुओं में से एक होगीI
हम उस दिन का कितनी कामना करते है जब पृथ्वी और वास्तव में संपूर्ण ब्रहमांड का नवीनीकरण किया जायेगा और शांति सभी का भाग/हिस्सा होगी(रोमियो 8:21,प्रकाशितवाक्य 21:4) अभी भी हम किसी अत्यंत गंभीर या कठिन परिस्तिथि में नहीं है जहाँ हमारी शांति की खोज किसी बंद गली या गतिरोध पर जा कर रुक गई होI
वादा किया गए नामों में से जो एक नाम यशायाह 9:6 में पाया जाता है वह है “शांति का राजकुमार” यीशु मसीह वो वादा किया गया राजकुमार था और हैI वह ही अनंत शांति का सच्चा स्त्रोत हैI सुसमाचार में अनेक घटनाएँ इसे दर्शाती हैI
शांत रह, थम जा
मरकुस 4:-35-41 में, जब यीशु और उसके चेले गलील समुद्र के पार जा रहे थे तो उन्हें एक भयंकर तूफ़ान का सामना करना पड़ाI (वचन 37) यीशु सो रहे थे, उसके चेले यीशु के तूफ़ान को शांत करने के बाद में भी चिंतित और भयभीत थेI (वचन 40-41)शांत रह!थम जा!(वचन 39 NIV)शब्दों के साथ जो संदेश देता है,”शांत! आराम से ठहरना या जमनाIहवा और पानी दोनों दण्डित/अनुशासित किए गएI
लगभग डेढ़ सौ साल पहले मेरी एन्न बेकर ने उस रात यीशु के चमत्कार पर मरकुस के दिए गए वृत्तांत के आधार पर स्तुति गीत/भजन के लिए इन शब्दों को लिखा था “शांत रह!थम जा!”
कोई पानी जहाज़ को निगल नहीं सकता
समुद्र और पृथ्वी और आकाश के स्वामी:
वे तेरी ईच्छा को को मधुरता से मानेंगेI
शांत रह! थम जा!
अगले ही अध्याय में,यीशु को अलग तरह के व्यवधानों का सामना करना पड़ाIअनदेखी शैतानी शक्तियों के वश में एक आदमी(मरकुस 5:1-20); लगातार रक्तस्त्राव से पीड़ित स्त्री(वचन 24-34); शोक संतप्त परिवार और मातापिता से घिरी हुई एक पूर्व-किशोर लड़की समय से पहले मौत की चपेट में(वचन21-23,35-43)प्रत्येक को विघ्न डालने वाली कठिनाइयों का सामना करना पड़ाI परन्तु प्रत्येक ने मन शरीर और आत्मा में शांति का अनुभव किया- क्योंकि यीशु की शांति अब उनकी हो गई थीI
जैसे हम अपनी जीवन यात्रा में आए उतार-चढ़ाव का दिशाज्ञान/सामना करते है तो यीशु ही हमारे लिए शांति का एकमात्र और अंतिम स्त्रोत होता है जो हमें संभाले रखता हैI शांति के राजकुमार की उपस्तिथि और शांति के अलावा और कोई भी नहीं है जो हमारे सामने आने वाले तूफानों का मुकाबला कर सकती होIपूर्णता की खोज में हमें यह निश्चित कर लेना चाहिए कि सबसे पहले हमें यीशु को खोजना हैI जो उसकी खोज करते है वे उस पर भरोसा कर सकते हैI
अशांति/उत्पात के समय में चेले
शब्द हमारी शांति को भंग कर सकते है हमें बेचैन/चिंतित कर सकते है और हमारे दिल और दिमाग को ऐसी जगह ले जा सकते है जहाँ हम जाना नहीं चाहतेIअपनी मृत्यु की पूर्व संध्या पर यीशु ने अपने सबसे करीबी लोगों को इकठ्ठा कियाI यहुन्ना 13 में, भोजन के दौरान यीशु के मुंह से कई परेशानी भरे शब्द निकलेI
“यह बातें कहकर यीशु ने आत्मा में व्याकुल हुआ और यह गवाही दी,कि मैं तुमसे सच सच कहता हूँ,कि तुम में से एक मुझे पकड़वाएगाI”(वचन 21)
जैसे उसे पकड़वाने का समाचार काफ़ी न था,कि तभी यीशु ने अपने जाने की बात कही”हे बालको, मैं और थोड़ी देर तुम्हारे पास हूं:फिर तुम मुझे ढूंडोगे,कि जहाँ मैं जाता हूं,वहां तुम नहीं आ सकते वैसा ही मैं अब तुम से भी कहता हूंI(वचन33)
अंत में,उस विनाशकारी संध्या को यीशु ने पतरस को अप्रिय शब्द कहे जब यीशु ने उससे कहा,”मैं तुमसे सच सच कहता हूं कि मुर्ग बांग न देगा जब तक तू तीन बार मेरा इनकार न कर लेगाI”(वचन 38)
यह एक भावना से भरा वातावरण था जिसमे यीशु ने कहा“तुम्हारा मन व्याकुल न हो,तुम परमेश्वर पर विश्वास रखते हो मुझ पर भी रखोI”(यहुन्ना 14:1)
अमूल्य/अनमोल शांति
हम जिस अमूल्य शांति की खोज कर रहे है यहुन्ना 14 उसकी तस्वीर प्रस्तुत करता है जिसका स्त्रोत यीशु है जो वह अपने अनुयायिओं को विरासत में देता है,जिसे उसने अपनी आत्मा भेजने का वादा किया हैI (वचन 15-17) यह व्याकुल ह्रदय के लिए औषधि/दवा है और भय के लिए प्रतिकारक(एंटीडोट) हैIयीशु जिस शांति को देता है वह उनके लिए जो उसके मूल्य को समझते है- और “यीशु के बिना प्राप्त या उससे कम” के समाधानों या उपाय की सीमा को पहचानते हैI
एक दिन,मसीह की विजय के कारण पूरा संसार उस सच्ची शांति का अनुभव करेगा जिसकी वे कामना करते हैं-शालोम,एक सम्पूर्णता और समृद्धि की अवस्था जो सभी का भाग/हिस्सा होगाI हम उस दिन का उत्सुकता के साथ प्रतीक्षा करते हैI
जैसे हम प्रतीक्षा करते है, हम इस वास्तविकता को दृणता से पकड़ सकते है कि यीशु,जो परमेश्वर का पुत्र है उसी में पहले से ही सच्ची शांति का आनंद मिल सकता है और यह संभाल कर रखने वाला एक बहुमूल्य उपहार हैI उस रात यीशु ने अपने चेलों से जो आखरी शब्द कहे थे,उनमे दिलासा देने वाला वादा यह है कि: “मैं तुम्हे एक उपहार दिए जाता हूं –मन और ह्रदय की शांतिI और मैं जो शांति तुम्हे देता हूं वह एक उपहार है जो संसार नहीं दे सकता,इसलिए तुम्हारा मन न घबराये और न डरेI”(वचन27)