परिचय

जून 2018 के अंत में, एक स्थानीय फ़ुटबॉल टीम के बारह किशोर सदस्यों ने बाइक से तलहटी (फुटहिलस) में प्रवेश किया। फुटबॉल अभ्यास करने के बाद उनका पसंदीदा काम जंगलों और गुफाओं की छान बीन करना था। उन्होंने एक गुफा में विशेष रूप से बहुत मज़ा किया; कभी कभी वे इसके अन्दर लगभग पाँच मील(आठ किमी) तक चले जाते थे। वहां वे अक्सर एक दीक्षा संस्कार करते थे– गुफा की दीवार पर टीम के नए सदस्यों के नाम लिखते थे।

गुफा में कई खतरे थे— लोग इसमें खो गए थे और यहां तक कि मर भी गए थे। मानसून के मौसम में, बारिश आने पर यह विशेष रूप से और भी खतरनाक था। लेकिन लड़के गुफा के बारे में अच्छी तरह जानते थे और सुरक्षित रूप से वहां अक्सर खेलते थे।

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पर इस विशेष दिन टीम शायद ढाई मील (चार किमी) गुफा में चली गई थी। वे इस बात से अनजान थे कि जब वे वहां थे तो बारिश शुरू हो गई थी। वास्तव में बारिश लगातार और बहुत ज्यादा हो रही थी।

गुफा के अंदर पानी भर गया, और गुफा में बाढ़ आ गई। फुटबॉल टीम ने चट्टान की एक संकरी पट्टी पर शरण ली। वहां वे फंस गए थे।

उनकी बाइकें थाम लुआंग गुफा के मुहाने के बाहर पाई गईं, और उनके परिवारों को सबसे ज्यादा बुरा होने का डर था। बचाव कोई सरल काम नहीं था, पानी अभी भी बढ़ रहा था, उसकी धाराएँ तेज़ थीं। गोताखोरों के अन्दर जाने के लिए गुफा में रास्ता एक जोखिमभरा भूलभुलैया था। एक योजना थी — गुफा से पानी निकालने की, लेकिन यह एक बहुत बड़ा काम होगा। उनकी बाइकें थाम लुआंग गुफा के मुहाने के बाहर पाई गईं, और उनके परिवारों को सबसे ज्यादा बुरा होने का डर था। बचाव कोई सरल काम नहीं था, पानी अभी भी बढ़ रहा था, उसकी धाराएँ तेज़ थीं। गोताखोरों के अन्दर जाने के लिए गुफा में रास्ता एक जोखिमभरा भूलभुलैया था। एक योजना थी — गुफा से पानी निकालने की, लेकिन यह एक बहुत बड़ा काम होगा।

अंदर फंसे लड़के पूरी तरह से अंधेरे में थे। उनके पास टार्च (फ्लैशलाइट) थे लेकिन उन्हें संयम से इस्तेमाल करना था और जैसे–जैसे उनकी कठिन परीक्षा दिनों तक जारी रही, और उनकी बैटरी समाप्त हो गई।

अँधेरे में फंसे रहना कैसा रहा होगा—खोया हुआ, भयभीत, बिना आशा के?

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कई मायनों में, हम सब बिल्कुल उन लड़कों की तरह हैं। हम एक अंधेरी दुनिया में रहते हैं। कभी कभी हमारी परिस्थितियाँ निराशाजनक लगती हैं। अक्सर अँधेरा हमारे भीतर होता है, हमारे अपने पापों का अंधकारमय खालीपन। हम कुछ समय के लिए अपनी रोशनी खुद बनाने की कोशिश करते हैं, लेकिन सकारात्मक सोच के लिए हमारी ऊर्जा खत्म हो जाती है।

बड़े दिन के पर्व का समय, जैसा कि दुनिया इसे मनाती है, बनावटी रोशनी का एक खोखला प्रदर्शन है जो गुफा के अंधेरे को छुपाता है जिसमें सभी निवासी फंस जाते हैं। चमक धमक के दिखावे में फंसना आसान है, यह याद रखने में विफल होना कि क्रिसमस वास्तव में क्या है।

सच्चा क्रिसमस रोशनी की लड़ियों के साथ नहीं बल्कि हमारे व्यक्तिगत अंधेरे के साथ शुरू होता है;वह जीवन जिसे हम कभी कभी खोया हुआ और फंसा हुआ महसूस करते हैं। सच्चा क्रिसमस चमक और सजावट के बारे में नहीं है,बल्कि हमारे इस अहसास के बारे में है कि हमें बचाये जाने की कितनी अधिक जरूरत है।

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फुटबॉल टीम अंधेरे में रही और वह समय उन्हें कई जन्मों की तरह लगा होगा।

पूरी दुनिया का ध्यान उन लड़कों के भाग्य पर लगा था। अंतर्राष्ट्रीय सहायता की पेशकश की गई, और एक विशिष्ट बचाव दल का गठन किया गया। नेवी सील के गोताखोरों को गुफा में पानी में नीचे जाने से पहले उसमें गहराई से प्रवेश करने की अनुमति देने के लिए जितना संभव हो उतना पानी निकालने के लिए एक योजना बनाई गई।

यह भावनाओं से भरा वातावरण था जिसमें यीशु ने कहा था, “तुम्हारा मन व्याकुल न हो; परमेश्वर पर विश्वास रखो और मुझ पर भी विश्वास रखो” (यूहन्‍ना 14:1)।

फिर, लड़कों के गुफा में प्रवेश करने के लगभग नौ दिन बाद, उन्होंने एक प्रकाश देखा।

एक गोताखोर का सिर पानी से ऊपर उठा, उसकी टॉर्च आपस में सिमट कर बैठे लड़कों के चारों ओर रोशनी बिखेर रही थी, जो ठंडे थे लेकिन अब उनके चेहरे आशा से भरे थे।

एक लड़के ने कहा, “हमें बचाने के लिए धन्यवाद”!

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दो हजार साल से भी अधिक पहले की एक रात, हमारे इतिहास के काले पानी से निकलकर और दुनिया में आशा के एक चमकते चक्र में चमकते हुए, मसीह का जन्म हुआ था।

“यीशु ने फिर लोगों से कहा ‘जगत की ज्योति मैं हूँ, जो मेरे पीछे हो लेगा वह अन्धकार में न चलेगा, परन्तु जीवन की ज्योति पाएगा।” यूहन्ना 8:12।

क्रिसमस का सही अर्थ यह है कि यह ज्योति हमें हमारे अंधेरे से कैसे बचाती है: “क्योंकि मेरी आंखो ने तेरे उद्धार को देख लिया है। जिसे तू ने सब देशों के लोगों के साम्हने तैयार किया है। कि वह अन्य जतियों को प्रकाश देने के लिये ज्योति, और तेरे निज लोग इस्राएल की महिमा हो।” (लूका 2:30–32)।

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लड़कों को वास्तव में बाहर लाए जाने से पहले उन्हें कई दिनों तक पर गुफा में चट्टान के किनारे रहना पड़ा। और यह हम में से हर एक की तरह है जो यीशु पर भरोसा करता है, है ना? भले ही हमारे दिल में मसीह, सच्चा क्रिसमस है, लेकिन हमें कुछ समय के लिए एक अंधेरी दुनिया में अपना जीवन जीना चाहिए।

क्रिसमस हमारी ज्योति, यीशु मसीह द्वारा लाए गए प्रोत्साहन का जश्न मनाता है, जो हमारा मार्गदर्शन करता है जब हम अंतिम उद्धार की प्रतीक्षा करते हैं। जैसा कि प्रेरित पौलुस लिखता है, आशा के द्वारा तो हमारा उद्धार हुआ है परन्तु जिस वस्तु की आशा की जाती है जब वह देखने में आए, तो फिर आशा कहां रही? क्योकि जिस वस्तु को कोई देख रहा है उस की आशा क्या करेगा? परन्तु जिस वस्तु को हम नहीं देखते, यदि उस की आशा रखते हैं, तो धीरज से उस की बाट जाहते भी हैं।” (रोमियों 8: 24 –25)

हाँ, क्रिसमस का सही अर्थ हमारे अपने अंधकार के अहसास से शुरू होता है। यह उस अंधकार को रोशन करते हुए यीशु मसीह के प्रकाश का जश्न मनाता है। और यह प्रोत्साहन बन जाता है– मसीह की आशा–कि हम किसी दिन उसकी उपस्थिति के प्रकाश में पहुंच जाएंगे। परमेश्वर की स्तुति हो!

इस साल क्रिसमस पर, शायद हम उस युवा थाई फुटबॉल खिलाड़ियों के साथ मिलकर कहें, “हमें बचाने के लिए धन्यवाद!”

 

केन पीटरसन, हमारी प्रतिदिन की रोटी के लेखक