मैं जगत में ज्योति होकर आया हूं ।यूहन्ना 12:46

हमारे चर्च की क्रिसमस की पूर्व संध्या की आराधना के दौरान, एक जलती हुई मोमबत्ती मंच पर तेजी से जली । एक साथ कैरल गाने, और यीशु के जन्म की कहानी सुनने के बाद, कमरे की लाइट बन्द कर दी गई और कमरे में अंधेरा छा गया। जैसे ही “साइलेंट नाइट” की आवाज़ ने उस पवित्र स्थान को भर दिया, मंच की मोमबत्ती से एक एक करके पूरे कमरे में मोमबत्तियां जलाई गईं, जब तक अँधेरा कमरा रोशनी से चमक नहीं गया ।

मोमबत्ती की रोशनी में आराधना करना मेरी मनपसन्द क्रिसमस परंपराओं में से एक हैं; इसका कारण है टिमटिमाती रोशनी को अंधेरे को भेदती हुआ देखने का आश्चर्य। यह एक सुंदर अनुस्मारक (याद दिलाने वाला) है कि जिस शिशु यीशु के जन्म का उत्सव हम क्रिसमस की पूर्व संध्या पर मनाते हैं वह इस अंधेरी दुनिया में चमकने के लिए ज्योति के रूप में आया यूहन्ना 12:46 । स्वयं मसीह ने घोषणा की कि पृथ्वी पर आने का उसका उद्देश्य था ताकि जितने उस पर विश्वास करते हैं वे सब फिर अन्धकार में न रहें (पद 46)।

एक अंधेरे पवित्र स्थान में बैठने की भावना की तरह, अंधेरे में रहने की एक कठोर वास्तविकता है– अकेले महसूस करने का भ्रम , निराशा और दुखी होने का दर्द, हमारी अपनी असहायता की भटकाव की भावना। यीशु एक इंसान के रूप में आया क्योंकि वह नहीं चाहता था कि किसी को भी उस अंधेरे में रहना पड़े (1:9, 12:46)। इसके बदले, वह उसके साथ संबंध के रूप में हमें प्रकाश प्रदान करता है, ताकि हम शांति और आनंद को जान सकें। और एक बार जब हम उसके प्रकाश को अपने अन्दर ग्रहण कर लेते हैं, तो हम दुख देने वाले संसार के लिए ज्योति की तरह चमक सकते हैं (मत्ती 5:14)। — लिसा एम समरा

आपने अंधेरे में भेदने वाली रोशनी का अनुभव कब किया है? यीशु को जानने से आपका जीवन कैसे प्रकाशित हुआ है?

यीशुए मुझमें रहने वाले अपने प्रकाश को दूसरों तक चमकाने में मेरी मदद करें।

यूहन्ना 12:44–46

“यीशु ने पुकारकर कहा, ‘जो मुझ पर विश्वास करता है, वह मुझ पर नहीं, बरन मेरे भेजनेवाले पर विश्वास करता है और जो मुझे देखता है, वह मेरे भेजनेवाले को देखता है। मैं जगत में ज्योति होकर आया हूं ताकि जो कोई मुझ पर विश्वास करे वह अन्धकार में न रहे।”