हमारे चर्च के सामने सड़क पार विश्व-स्तर का वनस्पति उद्यान समस्त-कलीसिया समाज सहभागिता का स्थान था l जब मैं उद्यान में वर्षों से परिचित लोगों का अभिवादन करते हुए और खूबसूरत परिवेश और पौधों का आनंद ले रही थी, मैंने ध्यान दिया कि वह संध्या चिन्हों से भरपूर थी कि कैसे एक कलीसिया को कार्य करना चाहिए – पृथ्वी पर स्वर्ग की एक झलक l

उद्यान ऐसा स्थान होता है जहाँ प्रत्येक पौधा बढ़नेवाले पर्यावरण में रोपा जाता है l माली मिटटी तैयार करते हैं, पौधों को कीड़ों से सुरक्षा देते हैं, और यह निश्चित करते हैं कि हर पौधा आवश्यकतानुसार भोजन, जल, और सूर्यप्रकाश प्राप्त करता है l परिणाम, लोगों के लिए खूबसूरत, रंगीन, और खुशबूदार स्थान होता है l

उद्यान की तरह, कलीसिया को एक ऐसा स्थान होना है जहाँ सब मिलकर परमेश्वर की महिमा और सब के लाभ के लिए कार्य करती हैं; एक स्थान जहां सब लोग बढ़ते हैं क्योंकि वातावरण सुरक्षित होता है; जहाँ लोगों की ज़रूरत अनुसार देखभाल होती है; जहाँ हम अपना पसंदीदा कार्य करते हैं – कार्य जिससे दूसरों की भलाई होती है (1 कुरिं. 14:26) l

अच्छी तरह देख-रेख किये गए पौधे की तरह, स्वस्थ वातावरण में बढ़ रहे लोगों से मीठी सुगंध आती है जो लोगों को परमेश्वर की ओर आकर्षित करती है, किन्तु यह वास्तव में स्वर्ग की एक झलक है l